पड़ोस वाली विधवा भाभी की प्यासी चुत की चुदाई

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दोस्तो, सेक्स स्टोरी के इस अन्तर्वासना से भरे संसार में आप सभी को नमस्कार। सबसे पहले तो मैं अपना परिचय देना चाहता हूँ। मेरा नाम रणविजय है और मैं बुरहानपुर का रहने वाला हूँ। मेरी फैमिली में मॉम-डैड और मैं ही हूँ। हम लोग बुरहानपुर में कई सालों से रह रहे हैं।

हमारे बंगले के सामने वाला घर भी हमारा ही है और हमने वो घर कई सालों से किराए पर दे रखा है। हमारा और उन किरायेदार लोगों के अच्छे रिश्ते हैं। उनके बेटे की करीब एक साल पहले शादी हुई थी। फिर दुर्भाग्यवश करीब 5 महीने पहले ही एक एक्सिडेंट में लड़के की मौत हो गई। उन लोगों ने बहू को अपने पास ही रख लिया। मैं उस घर में अक्सर जाया करता था। चूंकि हमारे पारवारिक रिश्ते थे.. सो मैं और वो विधवा हो गई भाभी काफ़ी क्लोज़ हो चुके थे।

भाभी मुझसे बातों-बातों में कई किस्म की बातें पूछ लेती थीं। ऐसे ही एक दिन उन्होंने मुझसे पूछा- क्या तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है? मैंने ‘ना’ कहा.. तो पता नहीं क्यों.. वो खुश हो गईं। मुझे लगा कि शायद भाभी की कोई इच्छा है।

भाभी का फिगर काफी सुडौल और मनमोहक था। जब वो चलती थीं तो यूं लगता था जैसे कोई परी धरती पर घूमने निकली हो। उनके मम्मों के तो क्या कहने.. बड़े ही तने हुए और लंड खड़ा कर देने वाले थे।

मेरे दोस्त मुझसे अक्सर कहा करते थे कि तू भाभी के इतना क्लोज़ है तो उनको चोद क्यों नहीं देता? पर सच बताऊं तो मुझे कभी चान्स ही नहीं मिल रहा था।

एक दिन अंकल मेरे घर आए और उन्होंने मेरे पापा से कहा- हम लोग 2 हफ्ते के लिए तीर्थ यात्रा पर जा रहे हैं। आप घर का ख्याल रखिएगा, घर में निशा बहू अकेली ही है। पापा ने कहा- कोई बात नहीं.. आप निशा बहू की चिंता मत लो.. आप अपनी यात्रा पर जाओ। पापा ने मुझे और मॉम को भाभी की देखभाल के लिए बोल दिया।

दूसरे दिन अंकल-आंटी यात्रा के लिए निकल गए। उस दिन निशा भाभी मेरे घर पर ही थी और मेरे एग्जाम थोड़े दिन में स्टार्ट होने वाले थे।

मेरी मॉम ने मुझसे कहा- तुम अपने कमरे में मत जाना क्योंकि तू वहां जा कर पढ़ाई नहीं कर पाएगा। तभी निशा भाभी बोलीं- कौन से सबजेक्ट की पढ़ाई हो रही है? मैंने कहा- साइन्स..!

इस पर उन्होंने कहा कि वो बीएससी ग्रेजुएटेड हैं, वो मुझे अच्छे से समझा सकती हैं। मॉम ने भी इस बात पर प्रसन्नता जाहिर की।

मैंने कहा- ठीक है.. तो क्या मैं आपके घर आ सकता हूँ.. वहां ठीक से पढ़ाई हो पाएगी.. यहाँ सबको डिस्टर्ब होगा। वो बोलीं- चलो ठीक है। मैं भी घर पर बोर हो रही हूँ.. कुछ तुमको ही सिखा देती हूँ। हम दोनों भाभी के घर चल दिए।

मैं वहां जा कर सोफे पर बैठ गया और वो मुझे बाजू में बैठ कर पढ़ाने लगीं। उस वक्त भाभी नाइटी पहन कर आ गई थीं.. बड़ी माल किस्म की आइटम लग रही थीं।

फिर भाभी ने मुझे थोड़ा वर्क देकर कहा- मैं नहाने जा रही हूँ.. तुम यहाँ बैठ कर पढ़ो। मैंने ‘हाँ’ कहा। भाभी नहाने चली गईं।

कुछ देर बाद भाभी नहा कर आईं और मैंने देखा उस वक्त वो सिर्फ़ तौलिया में ही थीं, शायद वो अपने कपड़े ले जाना भूल गई थीं। वो जल्दी से बेडरूम की ओर भागीं। तभी उनको देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया। मैंने बेडरूम की खिड़की से देखा कि भाभी ने तौलिया निकाल दिया है और वो पेंटी पहन रही हैं।

मैंने उसी टाइम ठान ली कि भाभी को इन 2 हफ्तों में पटा कर लंड के नीचे लाकर ही रहूँगा।

भाभी कपड़े बदल कर बेडरूम से बाहर आईं। अंकल-आंटी के ना होने की वजह से उन्होंने जीन्स और टी-शर्ट पहन रखी थी। अब हम वापस पढ़ाई के लिए बैठ गए। उसी वक्त से मेरा व्यवहार कुछ बदल गया.. मैं उनसे चिपक-चिपक कर बैठने की कोशिश करने लगा।

वो बोलीं- तुम बोर हो गए हो तो थोड़ी देर बेडरूम में जा कर आराम कर लो। मैंने कहा- ठीक है।

मैं बेडरूम में जाने लगा। मैंने बेडरूम में आकर देखा कि भाभी के सारे कपड़े इधर-उधर पड़े हैं। मैंने उसमें से पेंटी उठाई और पेंटी के ऊपर मुठ मारने लगा। मेरा रस गिरने ही वाला था कि दरवाजे पर कुछ आहट हुई।

मेरा माल भाभी की पेंटी पर ही चिपक कर रह गया। मैंने डोर ओपन किया तो देखा भाभी खड़ी थीं और इस तरफ मेरा लंड भी खड़ा था। भाभी ने शायद मेरा खड़ा लंड देख लिया था क्योंकि मैं ज़िप बंद करना ही भूल गया था।

भाभी- क्या कर रहे थे? मैं- कुछ नहीं.. फिर भाभी ने देखा कि उनकी पेंटी पर कुछ लगा है। उन्होंने कहा- क्या कर रहे थे.. सच-सच बताओ। मैंने कहा- भाभी ग़लती हो गई सॉरी! उन्होंने कहा- मैं तेरी मॉम से सब बता दूँगी। मैंने कहा- सॉरी भाभी मैं थोड़ा बहक गया था। वो बोलीं- ओके.. कोई बात नहीं अब नहीं करना।

मामला रफा-दफा हो गया और बाद में हम बिस्तर पर ही बैठ कर बातें करने लगे।

तभी भाभी ने कहा- उस वक्त तुम अपने उससे अकेले-अकेले खेल रहे थे.. मुझे बुला लेते तो मैं भी साथ में खेल लेती..! मैंने कहा- किस खेल की बात कर रही हो भाभी? उन्होंने कहा- तुम मुझे कपड़े बदलते देख रहे थे.. तभी मैंने तुझे चुपके से देख लिया था और इसी लिए तुम्हें बेडरूम में भेजा था। थोड़ी देर बाद मैं आ ही जाती.. पर तुमने तो मेरे आने से पहले ही खेल खत्म कर लिया!

भाभी की ये बात सुन कर मुझे बहुत अच्छा लगा।

फिर मैंने मुस्कुरा कर कहा- आग इस तरफ़ भी है.. उस तरफ़ भी लगी है.. तो क्यों ना मिल कर बुझा ली जाए? उन्होंने कहा- तुझे तेरे घर से इसी लिए तो लाई हूँ।

फिर मैंने धीरे से भाभी को क़िस करना चालू किया.. वो भी मेरा साथ देने लगीं। करीब दो मिनट तक हम दोनों ऐसे ही एक-दूसरे में खोए हुए रहे। फिर मैंने उनके मम्मों को सहलाना शुरू किया। भाभी ने भी मेरा साथ देते हुए अपनी टी-शर्ट उतार दी। उन्होंने पिंक ब्रा पहनी थी.. मैंने उसे भी उतार दी। अब मैं भाभी के मम्मों को जोर-जोर से दबाने लगा।

भाभी ने एक दूध मेरे मुँह की तरफ बढ़ाते हुए कहा- चूसो इसे! मैं भाभी का दूध चूसने लगा.. क्या मखमली मम्मे थे।

थोड़ी देर बाद भाभी बोलीं- अभी बहुत कुछ है करने को! मैंने कहा- अब तुम्हारी बारी! वो बोलीं- क्या करना होगा मुझे? मैंने अपना लंड निकाल कर कहा- हिलाओ इसे।

भाभी मेरा लंड हिलाने लगीं।

मैंने कहा- अब चूसो ना! उन्होंने कहा- नहीं, मुझे ऐसा पसंद नहीं है। मैंने कहा- एक बार मुँह में लेकर तो देखो भाभी.. बहुत मजा आएगा। उन्होंने कहा- ठीक है..

अब भाभी धीरे-धीरे मेरा लंड अपने मुँह में लेने लगीं.. मैं तो मानो आसमान की सैर कर रहा था। कुछ ही देर की लंड चुसाई में मैं भाभी के मुँह में ही झड़ गया। लंड झड़ गया.. भाभी मलाई गटक गईं.. लेकिन उनको मेरा लंड इतना स्वादिष्ट लगा कि वो झड़े हुए लंड को भी लगातार चूसती रहीं। मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया।

उन्होंने कहा- मेरी चुत को भी चूसो ना..! मैंने कहा- पहले अपनी जीन्स तो निकालो।

भाभी ने पेंट निकाल दी.. अब वो सिर्फ़ पेंटी में थीं।

मैंने कहा- अब इस ढक्कन की भी क्या ज़रूरत? फिर वो बोलीं- थोड़ा सब्र करो यार.. मैं तुम्हें थोड़ा और एग्ज़ाइट होते हुए देखना चाहती हूँ।

फिर वो पेंटी के ऊपर से ही चुत के दाने को सहलाने लगीं।

अब भाभी की कामुक आवाज़ पूरे कमरे में गूँज रही थी ‘आ.. आह.. इस्ससा.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… चोद दो.. मुझे.. आ..अहहो..’

मैंने भाभी को नंगी करके चित लिटा दिया और उनकी चुत के दाने को चाटने लगा। मैं तो जन्नत की सैर कर रहा था। कुछ देर बाद वो झड़ गईं.. उनकी चुत से मलाई निकलने लगी। वो बोलीं- चाट लो इसे.. रुक क्यों गए?

मैंने मना कर दिया तो वो खुद अपने उंगली से वो रस चाटने लगीं। मैं इसे देख कर बहुत गरम हो गया। तत्काल मैंने उनकी उंगली हटा कर अपने होंठ उनकी रस छोड़ती चुत पर रख दिए। उनकी चुत के रस का स्वाद लाजवाब था।

फिर भाभी ने कहा- मेरे पति के गुज़रने के बाद से आज तक किसी ने इसको हाथ तक नहीं लगाया।

मैं समझ गया कि भाभी की चुत बहुत टाईट है, मैंने अपनी एक उंगली उनकी चुत में डाली। वो बोलीं- आह.. मज़ा आ रहा है.. करते रहो।

मैंने 2 उंगलियाँ डाल दीं.. भाभी को और मजा आने लगा, भाभी ने अपनी टांगें खोलते हुए कहा- अब मुझसे सहा नहीं जा रहा है.. फक मी..!

मैंने अपना लंड भाभी की चुत पर रखा और धीरे से धक्का दे दिया.. वो चिल्ला पड़ीं। मैं उनको शांत करने के लिए किस करने लगा.. तो उन्होंने मेरे होंठ को थोड़ा काट लिया। मैं उन्हें धीरे-धीरे चोद रहा था.. इतने में ही वो एक बार झड़ गईं। इससे भाभी की चुत और भी गीली हो गई थी.. मुझे लंड के धक्के देने में आसानी हो रही थी।

थोड़ी देर बाद मैं झड़ने वाला था.. तो मैंने बोला- कहाँ निकालूँ? वो बोलीं- मेरे मम्मों पर निकाल दो। मैं अभी झड़ने ही वाला था क्योंकि अब मेरे बर्दाश्त के बाहर था, मैं लंड निकाल ही नहीं पाया और मैंने भाभी की चुत में ही सारा माल निकाल दिया।

वो गुस्से से बोलीं- ये तुमने क्या कर दिया. अब मुझे धोना पड़ेगा।

ऐसा कह कर वो बाथरूम में जाने लगीं तब मैं भी बाथरूम में उनके साथ चला गया।

वो बोलीं- नीचे झुक कर मेरी चुत चाटो। ऐसा कह कर भाभी ने मेरा मुँह अपनी चुत के पास सटा दिया। चुत चटवाने से वो फिर से चुदासी हो गईं। हम दोनों ने वहां भी सेक्स किया। बाद में मैं कपड़े पहन कर जाने लगा।

भाभी ने कहा- चान्स मिलेगा तो मैं अपनी बहन की बात तुमसे करूँगी। मैंने कहा- आपकी बहन को तो चोद ही लूँगा, पर भाभी तुम्हारे जैसी कोई तुम्हारी सहेली भी चुदासी हो.. तो मुझे बताना। हम तीनों साथ में चुदाई करेंगे।

ये सेक्स स्टोरी नहीं है.. बल्कि एक ऐसी घटना है.. जो अधूरी रह गई है। बाकी की सेक्स स्टोरी भी लिखूंगा.. पहले आपके मेल देखना चाहता हूँ।

रणविजय

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