चुदाई की चाहत में क्या क्या हो जाता है

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आदमी जो चाहता है, उसे कभी कभी ही मिल पाता है वरना वक्त और हालात उसे समझौता करने के लिए बाध्य कर देते हैं।

ऐसा ही एक आदमी के साथ हुआ उसके पत्नी की मौत के बाद खुद की शादी कर ली. उसके एक लड़के और एक जवान लड़की ने जब यह देखा तो बड़ा अजीब लगने लगा, लोग भी उसकी खिल्ली उड़ाने लगे।

उस आदमी की जवान बेटी मैं ही हूँ, मैं ही अपने घर की बात बता रही हूँ.

एक रात मैंने अचानक देखा कि मेरी नई मम्मी उसके पापा से कह रही थी- जब आप मुझे सन्तुष्ट नहीं कर सकते थे तो शादी क्यों की? मेरा जीवन खराब करके आपको क्या मिला? मैं क्या करूँ? तुम्हीं बताओ! और वो पापा को भला बुरा कह कर रोने लगी.

मैं देख कर दुखी तो हुई, मगर करती क्या… मैं बेबस लाचार सुनकर चुप रह गई!

फिर पापा अपने काम के सिलसिले में बाहर रहने लगे, पापा अपने बिजनेस में इतना मशगूल हो गये कि घर महीने में 1-2 बार सिर्फ मिलने आते और चले जाते, काफी काफी दिन घर नहीं आते, उनका फोन आता और रूपये… पापा के भेजे रुपये सब को खुश करने लगे.

मैंने देखा उस लड़की(मेरी नई मम्मी) का कसूर सिर्फ इतना था कि उसने एक अधेड़ उम्र के आदमी से शादी की और दौलत और शौहरत के सिवाय उसके पास कुछ नहीं था।

एक दिन उससे मिलने एक युवक आया, वो उसे देख कर बहुत खुश हो गई, नई मम्मी ने उस युवक को हमसे मिलाया- ये तुम्हारे मामा हैं, मेरे दूर के रिश्ते से भाई हैं. मैंने देखा वो सुन्दर और नवजवान लड़का था मम्मी की ही उम्र का!

मम्मी उसका हाथ पकड़ कर अपना घर दिखाने लगी और मैं अपने काम में व्यस्त हो गई.

अचानक मुझे प्यास लगी और मैं पानी पीने के लिये रसोई में गई, पापा के कमरे के सामने से निकली तो अन्दर से कुछ सिसकारियाँ सी सुन कर रुक गई, की-होल से देखा तो मैं दंग रह गई. वो दोनों पापा के बिस्तर में लेटे हुए थे, मम्मी उसके ऊपर लेटी थी, मम्मी की साड़ी पूरी ऊपर उठी हुई थी, मम्मी ने पेंटी भी नहीं पहनी थी, उनके नंगे चूतड़ मुझे दिखाई दे रहे थे. लड़का नीचे से नंगा था, उसकी पैंट और अंडरवीयर पलंग के नीचे जमीन पर पड़ा हुआ था, मम्मी की पेंटी भी वहीं पड़ी थी.

मैं सन्न रह गई कि हमारे घर में यह क्या हो रहा था… मगर मैं चुपचाप उन्हें देखने लगी। मैंने देखा कि मामा और मम्मी अपनी काम वासना शांत कर रहे थे.

मामी बोल रही थी- बहुत दिनों से चुदी नहीं थी, मन कर रहा था इसलिए तुझे बुला लिया. ‘मगर किसी ने देख लिया तो?’ ‘कोई बात नहीं… वो मैं सब संभाल लूंगी… तू सिर्फ प्यार कर और चुदाई करके मेरी चूत को शांत कर दे! पहले की तरह मैं तेरे लंड की दीवानी आज भी हूँ।

और दोनों चुदाई करने लगे. यह हिंदी सेक्स स्टोरी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!

मैंने देखा कि जब चुदाई करने वालों का मन एक हो तो बात ही अलग होती है. मामा मामी को चोद कर शांत कर चुका था पर अभी भी जोश बरकरार था, दोनों एक दूसरे को पकड़ कर चूम रहे थे और कुछ देर जोर से आवाज कर शांत हो गये। दोनो लस्त होकर एक दूसरे की बांहों में निढाल पड़ गए. मैं मामा को देख रही थी, कितना मजबूत बदन था गोरा बांका जवान… मेरी चूत पानी छोड़ने लगी थी, मेरा हाथ मेरी चूत पर था.

अचानक मेरा सर दरवाजे से टकरा गया और मम्मी की नजर दरवाजे पर पड़ी और मैं भाग कमरे में आ गई।

तभी कुछ समय बाद दोनों मेरे कमरे में आये और मुझे देखा. मैंने ऐसा बर्ताव किया कि जैसे मुझे कुछ नहीं पता. मैंने देखा कि मम्मी के चेहरे पर एक अलग सी खुशी थी, शायद जिसे वो पाना चाह रही हो, वो आज मिल गया। मामा को देख मेरी चूत फिर पानी छोड़ने लगी, मैं उन्हें देख कर मुस्कुरा दी और मामा ने भी स्माइल दी.

तभी पापा का फोन आया और उनके आने की खबर से मैं खुश हो गई. मैं अपने काम में लग गई क्योंकि पापा आने वाले थे.

तभी मैंने सूना, मम्मी मामा को कह रही थी- तुम आज ऊपर छत पर सोना, मैं रात को मौक़ा देख कर आ जाऊँगी।

इतना सुनते ही मेरा दिमाग चौंक उठा कि अभी तो चुदाई हुई है फिर रात में दोबारा?

रात को पापा और सबने खाना खाया और सोने चले गये, और मामा छत पर सोने चला गया। मुझे पता था कि मम्मी जरूर जायेगी मामा से चुदाई करवाने… मैं थोड़ी देर बाद उठी और मम्मी पापा के कमरे को बाहर से लॉक कर दिया.

मैं छत पर गई देखा तो मामा बिस्तर पर नहीं था, मैंने आस पास देखा तो नहीं दिखा. मैं बिस्तर में लेट गई और सुबह मम्मी और मामा की चुदाई याद करने लगी. एक एक सीन फिल्म की तरह आँखों के सामने आने लगे और कामवासना बढ़ने लगी. मेरे पैर फैल चुके थे, मैंने चादर ऊपर ओढ़ ली और हाथ से अपनी चुत में उंगली करने लगी.

मैं इतनी गर्म हो चुकी थी कि चाह रही थी कि मामा आकर मुझे चोद दे. मैंने अपनी सलवार कुर्ती, ब्रा पेंटी सब निकाल दिए.

और कुछ ही देर में मुझे किसी ने पकड़ लिया, महसूस कि वो वही था कसा हुआ बदन… वो चादर में घुस गया और मेरे सीने से चिपक गया. उसका लंड चुत पर रगड़ने लगा और कुछ ही देर में मामा ने मेरी चुत में लंड घुसा दिया. उम्म्ह… अहह… हय… याह… मैं कसमसा गई लेकिन चुपचाप पड़ी रही बिना बोले! मामा मेरी चुची मुंह में ले कर चूसने लगा और चुदाई की स्पीड बढ़ा दी. मुझे मस्त मजा आने लगा. मामा मेरी मस्त चुदाई करने लगा।

जब मैं झड़ने ही वाली थी तो मैंने कहा- मामा और जोर से चोदो! यह सुनते ही मामा हकबका गया- कौन… कौन हो तुम? उसके होश उड़ गये. मैंने कहा- मैंने तुम्हें मम्मी की चुदाई करते देख लिया है, यदि सलामती चाहते हो तो मेरे चुदाई करके मेरी चूत को शांत कर दो! नहीं तो…

यह सुनते ही मामा भूखे भेड़िये की तरह टूट पड़ा, मेरे दोनो पैरो को कंधों पर रख लिया और मेरी चुत में लंड डाल कर फिर चुदाई शुरू कर दी.

मैं उस लंड से उसी चुदाई का आनन्द ले रही थी जिस लंड से मम्मी ने चुदाई का मजा लिया था.

मुझे कितना मजा आया… ब्यान नहीं कर सकती. उसके बाद मैं फटाफट नीचे आई और मम्मी के कमरे की कुण्डी खोल दी. मुझे इस चुदाई में कुल मिला कर आधा घंटा लगा होगा.

और उसके बाद मैंने मौक़ा देख कर मामा से कई बार चुदाई कराई. उसे भी मजा आ रहा था और मुझे भी!

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