दुकान वाली सेक्सी आंटी की चूत की चुदाई

मैं भी बहुत दिनों से मेरी सेक्स स्टोरी लिखना चाहता था, लेकिन मेरा कोई अनुभव नहीं हुआ था और गप्प लिखना मुझे पसंद नहीं था। मैं हमेशा से ही हिंदी में चुदाई की कहानी को पढ़ने के लिए अन्तर्वासना पर आता रहता हूँ। किस्मत से कहानी लिखने की मेरी यह मुराद भी पूरी हो गई। ये घटना बस एक महीना पुरानी ही है, जो पिछले महीने में घटी है।

मेरा नाम विशाल है.. मेरी उम्र 23 साल, कद 5’4″ कसरती जिस्म है.. लौंडियाँ मेरे आकर्षक शरीर पर जल्दी ही फ़िदा हो जाती हैं। सभी लोगों की तरह मेरा भी मन सेक्स करने में लगता था.. लेकिन मैंने अब तक किसी के साथ कभी सेक्स किया नहीं था।

मैं अपनी ग्रेजुयेशन खत्म करके घर पर ही रह कर घर के काम-काज देखने लगा था। जब चुदास उठती तो मैं मुठ भी मारता रहता था। मेरा मन हमेशा से ही लड़कियों के मुक़ाबले चुदाई की अनुभवी आंटियों पर ज़्यादा लगता था।

उन दिनों घर का राशन वगैरह लाने के लिए मैं हर 8-10 दिन में एक बार अपनी एक फिक्स दुकान पर जाता था। उस दुकान में एक आंटी बैठती थीं, आंटी का नाम नंदिनी है। उनकी उम्र करीब 35 साल की है। उनके दो छोटे बच्चे हैं.. जो अभी स्कूल में पढ़ते हैं।

आंटी का पति का काम कुछ ऐसा था कि वो सुबह 10 बजे चले जाते थे और दोपहर को आते थे। वो एक छोटा बिजनेस संभालते थे।

मैंने आपको आंटी के बारे में पूरी डिटेल के साथ नहीं बताया। तो सुन लीजिए और फिर अपना लंड सहलाइए। उनका फिगर 36-34-40 का है और वो हमेशा लोकट वाला ब्लाउज पहनती थीं, जिसकी वजह से उनके चूचे बाहर की तरफ निकलने की फिराक़ में रहते थे। आंटी का शरीर बड़ा ही कसा हुआ था। आंटी हमेशा अपने बालों में शैम्पू करके बालों को खुला छोड़ देती थीं, जिसे देख कर मेरा लंड खड़ा हो जाता था। वो किसी स्वर्ग की अप्सरा से कम नहीं लगती थीं।

मैं जब भी आंटी की दुकान में जाता तो हमेशा उनके बड़े-बड़े मम्मों को घूरता रहता था।

यह बात धीरे-धीरे आंटी को भी समझ में आ गई थी। अब जब भी मेरी नज़र उनकी ओर जाती, तो वो थोड़ी स्माइल देते हुए अपने दूधदर्शन करवा देती थीं।

एक दिन मैं सामान लेने उनके यहाँ गया था। उस वक़्त करीब 11 बज रहे थे, उनके घर पर सिर्फ़ वो और उनकी बूढ़ी सास थीं, जिनका होना न होना बराबर था।

मैंने पहुँचते ही उनको सामान की लिस्ट थमा दी और वो एक-एक करके सब सामान पैक करने लगीं।

उस दिन भी वो अपनी बालों को शैम्पू किए थीं और हमेशा की तरह उन्होंने अपने रेशमी बालों को खुले छोड़े हुए थे।

आज आंटी हर दिन से ज़्यादा सेक्सी लग रही थीं। उन्हें देख कर मेरा बुरा हाल हो रहा था और मेरा लंड पैंट में से साफ खड़ा दिखाई दे रहा था। यह बात आंटी ने नोटिस कर ली थी।

चूँकि आंटी मुझसे खूब बात करती थीं तो आज भी सारा सामान देने के बाद उन्होंने मुझसे चाय पी कर जाने के लिए बोला, मैं भी तुरंत राज़ी हो गया।

जैसे ही आंटी चाय बनाने के लिए किचन में गईं, मैं भी उनके पीछे-पीछे चला गया। आंटी ने शायद मुझे आते देख लिया था तो वो अपनी गांड को और मटकाते हुए चल रही थीं।

मैंने उनको पीछे से कसके पकड़ लिया.. वो मेरे इस कदम से पहले तो एकदम से हैरान हो गईं और खुद को छुड़ाने लगीं। लेकिन मेरी पकड़ इतनी मजबूत थी कि वो छूट ही नहीं पाईं। इस दौरान मैं उनके बालों को सूंघने लगा। क्या मस्त खुशबू थी यारो… पूछो ही मत!

मैं उनके बालों को हटाकर उनकी पीठ पर किस करने लगा और उनकी सारी पीठ पर जीभ फेरने लगा। इसके बाद मैं अपनी ज़ुबान उनकी गर्दन की ओर ले गया और उन्हें मदहोशी से किस करता रहा।

मैं उनकी मोटी गांड पर अपना खड़ा हुआ लंड रगड़ने लगा। आंटी तो पहले छुड़ाने कोशिश कर रही थीं और अब वो भी ‘आहें..’ भरने लगीं। अचानक ही आंटी पीछे मुड़ीं और उन्होंने मुझे अपने गले से लगा कर अपने रसीले होंठों को मेरे होंठों पर रख दिए। मैंने अपनी ज़ुबान उनके मुँह के अन्दर धकेल दी और वो मेरी जीभ को चूसने लगीं।

इस तरह करीब दस मिनट तक हम लोग ऐसे ही किस करते रहे और फिर अलग हो गए। उसके बाद उन्होंने मुझे बेडरूम में चलने के लिए बोला। हम दोनों गए, कमरे में आते ही आंटी मुझसे लिपटने लगीं और उन्होंने मेरी पैंट की जिप खोल कर मेरे लंड को बाहर निकाल लिया।

मेरे 6 इंच के मोटे लंड को देख कर आंटी बहुत खुश हो गईंम आंटी बोलीं- तुम्हारे अंकल की तो सिर्फ़ 4 इंच की लुल्ली सी है.. जिससे मुझे संतुष्टि नहीं मिलती है। अब तो न जाने कितने महीनों से तुम्हारे अंकल ने मुझे चोदा ही नहीं है।

मैंने मालूम किया तो आंटी ने बताया कि वो सिर्फ़ उंगली से ही काम चलाती थीं। मैंने उन्हें और कुरेदा तो उन्होंने बताया- मैं तो शुरू से ही तेरे पर फ़िदा थी.. और तुझे अपने मम्मे दिखा कर पटाने की कोशिश करती रहती थी।

ये सब कहते हुए आंटी ने मेरा लंड बाहर निकाल लिया और लंड के सुपारे को अपने गुलाबी होंठों से सहलाने लगीं, अगले ही पल वो लंड को ऐसे चूसने लगीं.. जैसे न जाने कितने सालों से लंड की प्यासी हों।

मैं तो मानो जन्नत में विचर रहा था। वो जिस तरह से लंड चूस रही थीं.. मुझे लगा कि मैं जल्द ही झड़ जाऊँगा। मैंने उनको अलग किया और फिर धीरे-धीरे उनके सारे कपड़े खोल दिए। आंटी अब पूरी नंगी मेरे सामने चुदने को छटपटा रही थीं।

मैंने भी अपने कपड़े उतार दिए और नंगा हो गया, फिर मैं उनके मम्मों को चाटने लगा और निप्पलों को चूसने लगा, उनके मुँह से कामुक सिसकारियाँ निकलने लगीं ‘अया.. उउउहह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… औरर तेज.. अह.. चाटो.. अह.. मर गई..’

वो मेरे मुँह को अपनी चूचियों पर दबाने लगीं, मैं उनकी चूचियों को चाटते हुए उनके निप्पलों को काटने लगा। वो भी चुदासी से होकर न ज़ाने क्या-क्या बड़बड़ा रही थीं- अह.. और मत तड़पाओ मेरे राजा चोद डालो अपनी आंटी को.. बुझा दो मेरी प्यास.. अह.. आज मेरे पति बन कर चोद लो मुझे.. अपनी रखैल बना लो आह्ह..

नंदिनी आंटी की इन बातों को सुनकर मेरा जोश दोगुना हो गया लेकिन मैं इस हसीन पल को और ज़्यादा लंबा खींचना चाहता था, मैं उनको बिस्तर पर लिटा कर उनकी चूत की तरफ बढ़ने लगा। उनकी चूत पर एक भी बाल नहीं था.. एकदम सफाचट थी।

पहले मैंने अपनी दो उंगलियां उनकी चूत में घुसाईं और अन्दर-बाहर करने लगा। वो सिसकारियाँ लेने लगीं- आअहह चोद दे मुझे.. साले.. क्यों तड़पा रहा है आह..

मैंने अपनी ज़ुबान उनकी चूत पर रख दी और चूत चाटने लगा। थोड़ी ही देर में आंटी पगला गईं और झड़ गईं। मैं उनका सारा माल पी गया।

कुछ पल रुकने के बाद आंटी मुझे फिर से खींचने लगीं। मैंने अपना खड़ा हुआ लंड उनकी चूत पर टिका कर एक जोरदार धक्का दे मारा तो आंटी के मुँह से चीख निकल गई ‘उउई माँ.. मर गई.. रे..’ पहले धक्के में ही मेरा आधा लंड उनकी चूत के अन्दर घुस गया था और फिर दूसरे धक्के से लंड पूरी तरह से आंटी की चूत में जड़ तक घुस गया।

आंटी कुछ देर तड़फती रहीं, पर मैं लगा रहा। अब सब सामान्य हो गया था तो मैं जोरदार तरीके से आंटी की चुदाई करने लगा। आंटी की मुँह से तरह-तरह की कामुक आवाजें निकल रही थीं।

अब मैंने अपनी स्पीड तेज कर दी, आंटी भी मुझसे अपनी गांड उठा-उठा कर चुदवा रही थीं। आंटी बोल रही थीं- और ज़ोर से.. और ज़ोर से चोद मुझे.. फाड़ दे मेरी इस चूत को.. अह.. बुझा दे मेरी प्यास.. बना ले मुझे अपने बच्चे की माँ.. अह..

यह सुनते ही मैं आंटी की बेरहमी से चुदाई करने लगा और थोड़ी देर बाद उनकी चूत में ही झड़ गया।

कुछ देर हम दोनों नंगे ही पड़े रहे और फिर उठ कर मैंने कपड़े पहने। आंटी ने मुझे चाय पिलाई और मैं अपना सामान लेकर अपने घर चला आया।

उस दिन से अब जब भी मौका मिलता है तो मैं अपने आपको आंटी की चूत चुदाई के महासमुद्र में डुबा लेटा हूँ।

दोस्तो, मेरी सेक्स स्टोरी कैसी लगी.. मुझे ज़रूर मेल करें। [email protected]