मार्च 2017 की लोकप्रिय कहानियाँ

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प्रिय अन्तर्वासना पाठको मार्च 2017 में प्रकाशित हिंदी सेक्स स्टोरीज में से पाठकों की पसंद की पांच सेक्स कहानियाँ आपके समक्ष प्रस्तुत हैं…

जवानी की शुरूआत में ही मुझे मेरी भाभी ने अच्छा ख़ासा ज्ञान और अनुभव दे दिया था.. जिसके कारण मैंने अपनी बहन और भाभी दोनों से सेक्स का मजा बहुत लिया है। भाभी और बहन की चूत चुदाई की कहानी है- भाभी ने चूत दिखा कर बहनचोद बनाया

उम्र के साथ-साथ मेरी सेक्स की भूख भी बढ़ती जा रही थी, अब तो जिस भी सेक्सी लड़की को देखता.. तो उसे चोदने के लिए बेचैन हो उठता… किसी भी लड़की की चूचियां देखते ही मेरे हाथों में खुजली होने लगती, उसकी उभरी गांड को देखते ही लंड खड़ा हो जाता।

एक दिन मैं अपने घर पर ही था कि घर के बाहर गाड़ी के रुकने की आवाज सुनाई दी। मैंने मेनगेट खोला तो देखा मेरी दीदी की ननद ऑटो से उतर रही थीं.. साथ में उनकी बेटी रोमा भी थी।

वे लोग बिहार के हाज़ीपुर के रहने वाले हैं।

मैंने उन दोनों का स्वागत किया और उन्हें घर के अन्दर ले गया, मेरे घर वाले उन्हें देख कर बहुत ही खुश हुए। थोड़ी बहुत बातचीत के बाद बेबी दी (दीदी की ननद का नाम) गेस्ट रूम में फ्रेश होने के लिए चली गईं। यहाँ मैं बता दूँ कि दीदी की ननद जो कि मुझसे बड़ी थीं.. उन्हें भी मैं दीदी कह कर ही बुलाता था।

रोमा अभी भी हम लोगों के पास बैठी थी, रोमा से बातचीत के बाद पता चला कि वो हमारे शहर में एग्जाम देने आई है। रोमा बहुत ही खूबसूरत और बोल्ड लड़की थी, वो मुझे बहुत ही सेक्सी लग रही थी, पर मैं उसे जी भर के देख नहीं पा रहा था क्योंकि वो मेरी भतीजियों के साथ थी, वे सब आपस में बातें कर रही थीं।

रोमा की उम्र यही कोई 20 साल की होगी, उसकी चूचियाँ संतरे के आकार की होंगी और उसकी गांड भी बड़ी और उठी हुई थी। वो लैगीज और शार्ट कुरती में कयामत ढा रही थी।

चूंकि मेरी भतीजियां भी उसे घेर कर बैठी थीं.. तो मैं चोरी से सबकी नजरें बचा कर रोमा की नुकीले पहाड़ सी तनी हुई चूचियों को देख कर अपने लंड को मसल रहा था। मैं मन ही मन उसे चोदने का प्लान सोच रहा था। वो हमारे यहाँ करीब एक सप्ताह रुकने वाली थी, यह सोच कर मैं बहुत खुश हो रहा था कि एक सप्ताह में साथ दिन होते हैं यानि कि जब दुनिया एक सप्ताह में सात बार घूम सकती है तो क्या कोशिश करने से मैं एक बार रोमा की बुर नहीं चूम सकता।

खैर.. जैसे-तैसे दिन बीता। मैं ज़्यादा समय रोमा के आगे-पीछे मौके की तलाश में घूमता रहा.. पर उसके चूचियों को छूने का कोई मौका नहीं मिला, हाँ एक-दो बार मैंने उसके चूतड़ों को हल्के हाथों से टच जरूर कर लिया था.. जिसका उसे पता नहीं चला.. या शायद उसे पता भी चल गया होगा.. पर मैंने इस अंदाज में उसके गोल मुलायम उभरे हुए चूतड़ों को टच किया था कि उसे लगा होगा कि ये अंजाने में हुआ।

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मैं दिलशाद ख़ान 19 साल की मुंबई से हूँ। मैं अभी पढ़ रही हूँ, एक साधारण परिवार से हूँ। मैं ज़्यादा तो नहीं लेकिन इतनी स्मार्ट हूँ कि किसी का भी मन बदल दूँ। मेरी गांड बहुत बड़ी है.. लेकिन चूचे छोटे हैं।

ये बात कुछ समय पहले की है.. मैं जवानी की दहलीज में कदम रख रही थी, मेरा कोई ब्वॉयफ्रेंड नहीं था। इस वजह से मैं अपने मन में उठने वाली अंगड़ाइयों पर संयम कर लेती थी।

मेरे घर के बाजू में एक शौहर और बीवी रहते थे जिन्हें मैं जीजू और दीदी बुलाती हूँ, मैं अक्सर उनके घर जाती रहती थी, उनके बच्चों के साथ खेलती थी।

जीजू भी मुझसे बहुत मस्ती करते थे और कई बार मस्ती-मस्ती में उन्होंने मेरे मम्मों भी टच किया था। उनकी वाइफ अच्छी नहीं दिखती थीं इसलिए जीजू मेरे ऊपर गंदी नज़र रखते थे।

एक दिन जीजू ने मुझसे कहा- मैं तुझे बहुत लाइक करता हूँ। मैं कुछ बोलती.. उससे पहले वो मेरे होंठ चूसने लगे।

जिन्दगी में आज किसी ने पहली बार मुझे किस किया था.. मुझे बहुत मजा आया, मैं भी जीजू को रेस्पॉन्स देने लगी। धीरे-धीरे उन्होंने अपना हाथ मेरे मम्मों पर रख दिया.. तो मैं थोड़ा गर्म हो गई।

फिर उन्होंने अपनी ज़िप खोली और मेरा हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया। मैं धीरे-धीरे जीजू का लंड हिलाने लगी। थोड़ी देर चूमा चाटी करने के बाद मैं वहाँ से चली आई। मुझे बहुत मज़ा आया था लेकिन फिर बाद में मुझे बहुत बुरा लग रहा था कि मैंने ये क्या कर दिया।

यह चूमा चाटी और बदन सहलाने का काम 2 साल तक चला। इसके बाद मुझे कॉलेज में एक आसिफ़ नाम के लड़के ने प्रपोज किया। मुझे भी वो पसंद था.. तो मैंने उसे हाँ बोल दी।

हम दोनों लोग खूब घूमते.. किस करते, वो मेरे मम्मों को दबाता और मेरी बुर के ऊपर उंगली रगड़ता। इस सब में मुझे बहुत अच्छा लगता था। उसने मुझे बहुत बार सेक्स के लिए भी कहा.. लेकिन मैं मना कर देती थी।

दूसरी तरफ जीजू अभी भी मुझे टच करते थे, मैंने अब उन्हें भी मना कर दिया। उन्होंने कारण पूछा तो मैंने कह दिया- अब मेरा ब्वॉयफ्रेंड है। लेकिन वो नहीं मानते थे और अक्सर मेरे मम्मों को दबा देते।

मैं आसिफ़ से प्यार करती थी.. इसी लिए मैंने जीजू के बारे में उसे सब कुछ बता दिया।

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मेरा नाम माया पटेल है मगर मेरा घर का नाम नैन्सी है, शादीशुदा बाल बच्चेदार औरत हूँ। देखने में सुंदर हूँ,दो बच्चों की माँ होने के बावजूद मैंने अपने शरीर बेडौल नहीं होने दिया खुद को फिट रखा है। पति मेरे से बहुत प्यार करते हैं, हर तरह से मुझे संतुष्ट करते हैं, शादी के 6 साल बाद आज भी हम दोनों ऐसे प्यार करते हैं जैसे अभी नई नई शादी हुई हो।

कुछ पॉर्न साइट्स देख कर और बाकी अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर सेक्सी कहानियाँ पढ़ पढ़ कर मेरी कामोत्तेजना आज भी पूरी जवान है। मुझे हर तरह से सेक्स करना पसंद है। बस एक ही काम ऐसा है जो मैंने नहीं किया, वो है अपने पति के अलावा किसी और से सेक्स! ऐसी बात नहीं कि कभी दिमाग में ऐसा विचार नहीं आया, बहुत बार सोचती थी, मगर कभी कोई ऐसा शानदार मर्द मिला ही नहीं, जिसे देखते ही मैं यह चाहूँ कि इसके साथ सेक्स करके मजा आ जाएगा अगर मुझे कोई मौका मिला तो!

एक बार हम दोनों पति पत्नी एक वीडियो देख रहे थे, उस वीडियो में दो जोड़े थे, मगर खास बात यह देखी कि अपनी महिला साथियों के अलावा उन दोनों मर्दों ने एक दूसरे साथ भी संभोग किया। सच कहती हूँ, वो वीडियो तो मेरे दिमाग में घर कर गई, मैंने अपने पति से भी कहा- अगर कभी मौका मिला तो क्या आप इस वीडियो में जो कुछ हुआ है, वो सब करना चाहोगे?

काम में आवेग में उन्होने भी हामी भर दी- हाँ, मैं ये सब कर सकता हूँ, पर पहले तुम इधर आओ और मेरा लंड चूसो! कह कर उन्होने अपना लंड मेरे मुंह में दिया, जिसके बाद हमने धुआँदार सेक्स किया।

मगर वो वीडियो वाली बात मेरे दिमाग में बस गई और इसी तरह चलते चलते 2 साल का समय बीत गया। मगर इन दो सालों में भी मैं अक्सर जिन लोगों से मिलती थी, उन्हें देखती थी, अक्सर सोचती थी, इसकी पैंट में भी एक लंड होगा, जिससे यह अपनी बीवी या प्रेमिका को चोदता होगा।

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मेरी पिछली कहानी में आपने मेरे और रेखा भाभी के सम्बन्धों के बारे में तो पढ़ा, अब उसके आगे का वाकिया लिख रहा हूँ उम्मीद है यह कहानी भी आपको पसन्द आयेगी।

मैं डेढ़ महीने से ज्यादा गाँव में रहा और रेखा भाभी के साथ काफी मजा किया। मेरी छुट्टियाँ समाप्त हो गई थी इसलिए मैं वापस अपने घर आ गया। मैं घर आया तब तक मेरे भैया छुट्टियाँ समाप्त करके अपनी ड्यूटी पर जा चुके थे इसलिये अब मैं अपनी पायल भाभी के साथ उनके कमरे में सोने लगा और मेरे व भाभी के शारीरिक सम्बन्ध बनने फिर से चालू हो गये।

मुझे गाँव से आये हुए अभी दस दिन ही हुए थे कि एक दिन शाम को जब मैं क्रिकेट खेलकर घर आया तो देखा कि ड्राईंगरूम में रामेसर चाचाजी बैठे हुए थे। उनको देखकर मैं थोड़ा सा डर गया कि कहीं उनको मेरे और रेखा भाभी के बारे में पता तो नहीं चल गया और वो उसी की शिकायत करने के लिये यहाँ आये हों?

खैर मैं उनके चरण स्पर्श करके सीधा अन्दर चला गया और जब अन्दर गया तो देखा की सुमन (रामेसर चाचा जी की बेटी) भी आई हुई थी, बाद में मुझे पता चला कि सुमन को नौकरी के लिये कोई परीक्षा देनी है, उसी के लिये रामेसर चाचाजी सुमन को शहर लेकर आये हैं।

सुमन की परीक्षा अगले दिन थी इसलिये वो दोनों उस रात हमारे घर पर ही रहे। अगले दिन परीक्षा के बाद वो जाना चाहते थे मगर मेरे मम्मी पापा सुमन को हमारे घर कुछ दिन रुकने के लिये कहने लगे।

वैसे तो सुमन की छुट्टियाँ ही चल रही थी मगर वो अपने कपड़े लेकर नहीं आई थी इसलिए वो मना करने लगी। इसके लिये मेरी मम्मी ने उनहें पायल भाभी के कपड़े पहनने के लिये बताया और आखिरकार सुमन रुकने के लिये मान गई। सुमन को हमारे घर पर ही छोड़कर रामेसर चाचाजी वापस गाँव चले गये।

सुमन के रूकने से मेरे मम्मी पापा तो खुश थे मगर इसका खामियाजा मुझे भुगतना पड़ा क्योंकि सुमन मेरी भाभी के साथ उनके कमरे में सोने लगी और मुझे फिर से ड्राईंगरूम में बिस्तर लगाना पड़ा जिससे मेरे और मेरी भाभी के शारीरिक सम्बन्ध होने बन्द हो गये, हमारे सम्बन्ध बस चूमने चाटने और लिपटने तक ही सीमित होकर रह गये थे, और वो भी तभी होता जब भाभी रात को घर का मुख्य दरवाजा बन्द करने के लिये ड्राईंगरूम से होकर आती जाती थी।

हमारे घर का मुख्य दरवाजा मेरी भाभी ही खोलती और बन्द करती थी क्योंकि रात को भाभी ही घर के काम निपटा कर सबसे आखिर में सोती और सुबह जब दूधवाला आता तो भाभी ही दूध लेने के लिये सबसे पहले उठकर दरवाजा खोलती थी, इसके लिये उन्हें ड्राईंगरूम से होकर गुजरना पड़ता था।

मैं उन्हें कभी कभी वहीं पर पकड़ लेता था मगर अब तो भाभी उसके लिये भी मना करने लगी क्योंकि एक बार जब मैं भाभी को ड्राईंगरूम में पकड़ कर चूम रहा था तो अचानक से सुमन आ गई, उसने हमे देख लिया था। इसके बारे में सुमन ने किसी से कुछ कहा तो नहीं मगर उसको हमारे सम्बन्धों का शक हो गया था इसलिये वो अब हम दोनों पर नजर रखने लगी, मगर वो जाहिर ऐसा करती जैसे कि उसे कुछ पता ही नहीं हो।

मुझे सुमन से चिढ़ सी होने लगी थी, मैं सोचता रहता कि आखिर यह कब हमारे घर से जायेगी और इसी तरह हफ्ता भर गुजर गया।

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मैं अपनी हॉस्टल की रूम मेट ज़ीनत के साथ कई बार उसके घर गई थी जिससे मेरी उसकी अम्मी और अब्बू से भी जान पहचान हो गई थी, यह घटना मुझे एक दिन ज़ीनत की अम्मी शहनाज़ ने सुनाई थी जब मैं ज़ीनत का उसके घर में इंतज़ार कर रही थीं। तो उनके ही मुख से सुन कर आप भी मजा लीजिए।

जो मुझे नहीं जानते, उनको अपना छोटा सा परिचय दे दूँ, मेरा नाम शहनाज़ है, मैं शादीशुदा औरत हूँ, उम्र 38 साल है, मैं एक प्राइवेट कॉलेज में इंग्लिश की टीचर हूँ, हमारे परिवार में मेरी बेटी ज़ीनत जो कि अब होस्टल में रहकर पढ़ाई कर रही थी।

मेरे पुरखों का ताल्लुक उज्बेकिस्तान से रहा है इसलिए खुदा ने हम दोनों माँ बेटी को बेपनाह हुस्न से नवाजा है। मेरा रंग दूध की तरह गोरा है, हल्की भूरी आँखें, तीखे नयन नक्श और मेरा फिगर 36-सी की उभरी हुई चूचियाँ, 28 की मस्तानी कमर 36 की मचलती हुई बम्प यानि गांड!

मैं अक्सर सलवार कमीज़ पहन कर ही बाहर जाती हूँ लेकिन मेरे देसी कपड़े भी फैशनेबल टाइप और डिज़ाइनदार होते हैं। पति के दुबई में रहने के कारण मैंने अपनी प्यासी जवानी उनके दोस्त अल्ताफ़ को सौंप दी थी। फिर एक दिन उन्होंने मुझे अपने एक दोस्त अकरम से भी शराब पिला कर चुदवाया था। पति के दूर रहने के कारण मुझे चुत चुदाई का चस्का लग गया था। धीरे धीरे मैं उनके कई दोस्तों से जमकर अपनी चुत चुदवाने लगी थी।

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