पड़ोसन भाभी की चुदाई करके चोदना सीखा

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दोस्तो, मेरे पड़ोस में आशा नाम की महिला रहती है.. वो बहुत सेक्सी है। मैं उनको रोज देखता हूँ और सोचता हूँ कि कैसे उनकी चुदाई करूँ?

आशा जी का रोज मेरे घर आना-जाना था, मैं आशा को भाभी कह कर बुलाता था। जब मैं आशा भाभी को देखता था.. तो मेरे लंड तन जाता था। आशा भाभी अपने पति के साथ रहती थीं।

एक दिन आशा भाभी के पति को ऑफिस के काम से एक हफ्ते के लिए दिल्ली जाना था.. तो उन्होंने अपनी अकेले रहने की बात मेरी मॉम को बताई और मुझे उनके घर सोने के लिए कहा। तो मेरी मॉम ने मुझसे कहा- पड़ोस में रहने वाली भाभी के पति थोड़े दिनों के लिए बाहर जा रहे हैं और तुझे वहाँ जाकर रहना होगा.. क्योंकि तेरी भाभी को अकेले बहुत डर लगता है।

मैंने हामी भर दी।

आशा भाभी के पति दिल्ली गए, तो उस रात को मैं उनके घर चला गया। मैंने भाभी के घर पर जाकर डोरबेल बजाई तो आशा भाभी दरवाजा खोला।

भाभी ने मुझे देखा और मुस्कुरा कर कहा- आप बड़ी जल्दी आ गए! मैंने कहा- हाँ भाभी.. मॉम ने बोला तो मैं तुरंत आ गया। हम दोनों घर में अन्दर आ गए.. भाभी ने कहा- मुझे थोड़ा काम है.. जब तक तुम टीवी देखो, मैं अपना काम खत्म करके अभी आती हूँ।

मैं दीवान पर बैठ कर टीवी देखने लगा।

थोड़ी देर बाद आशा भाभी काम खत्म करके मेरे साथ टीवी देखने बैठ गईं और हम दोनों बातें करने लगे। मेरे मन में बार-बार यही ख़याल आ रहा था कि कब आशा भाभी की चुदाई करूँ।

रात को हम दोनों खाना खाकर सोने चले गए.. पर मुझे नींद नहीं आ रही थी, इसलिए में टीवी देखने लगा।

रात को 12 बजे डिस्क वाले ने ब्लू फिल्म लगा दी, तो मैं वो टीवी की आवाज कम करके फिल्म देखने लगा, इस वक्त आशा भाभी सो रही थीं। फिल्म के गर्म सीन देख कर मेरा लंड तन गया और मैं उधर ही लंड निकाल कर मुठ मारने लगा। मेरे लंड का साइज भी अच्छा खासा है।

रात को इस वक्त मुठ मारते समय मेरी हल्की आवाजों से आशा भाभी की एकदम से नींद खुल गई और वो टीवी वाले रूम में आ गईं। उन्होंने मुझे मुठ मारते हुए देख लिया और टीवी में ब्लू फिल्म को भी देख लिया।

मैं डर गया और चुपचाप बैठ गया, मेरी पैंट खुली हुई थी। आशा भाभी बोलीं- ये क्या कर रहे हो?

मैं कुछ नहीं बोला और चुपचाप मुँह लटका कर बैठ रहा। आशा भाभी मेरे लंड को देखती रहीं। फिर आशा भाभी मेरे पास आईं और मेरे लंड को पकड़ कर बोलीं- कितना मोटा लंड है.. इतना तो मेरे पति का भी नहीं है। उनकी ये हरकत देख कर मेरी हिम्मत बढ़ी.. मैं कहने लगा- भाभी ये लंड आपके लिए तैयार है!

आशा भाभी मेरे तरफ आईं और मुझे किस करने लगीं.. मैं भी उनका साथ देने लगा।

भाभी मेरे लंड को कसके पकड़े हुए थीं। वो अपना हाथ लंड की जड़ तक ले गईं जिससे लंड का गुलाबी सुपारा बाहर आ गया। बड़े आंवले की साइज का गुलाबी सुपारा देख कर भाभी हैरान रह गईं, उन्होंने पूछा- अरे बाबा..! इसे कहाँ छुपा रखा था इतने दिन तक? मैंने कहा- भाभी यहीं तो था तुम्हारे सामने.. लेकिन तुमने ध्यान ही नहीं दिया। भाभी बोलीं- मुझे क्या पता था कि तुम्हारा लंड इतना बड़ा होगा..!

जब उन्होंने ‘लंड’ कहा, तो मुझे उनकी बिंदास बोली पर हैरानी हुई और साथ ही में बड़ा मज़ा भी आया।

वो मेरे लंड को अपने हाथ में लेकर खींचते हुए सहला रही थीं और बीच-बीच में कस-कस कर दबाते हुए मसल भी रही थीं।

फिर भाभी ने अपना पेटीकोट अपनी कमर के ऊपर उठा लिया और मेरे तने हुए लंड को अपनी जाँघों के बीच ले कर रगड़ने लगीं। वो मेरी तरफ करवट लेकर लेट गईं ताकि मेरे लंड को ठीक तरह से पकड़ सकें।

उनकी चूचियां मेरे मुँह के बिल्कुल पास थीं और मैं भाभी की चूचियों को कस-कस कर दबा रहा था।

अचानक उन्होंने अपनी एक चूची मेरे मुँह में ठेलते हुए कहा- लो इनको मुँह में लेकर चूसो!

मैंने भाभी की एक चूची अपने मुँह में भर लिया और जोर-जोर से चूसने लगा। थोड़ी देर के लिए मैंने उनकी चूची को मुँह से निकाला और बोला- भाभी मैं हमेशा तुम्हारे ब्लाउज में कसी इन चूचियों को देखता था और हैरान होता था, मुझे इनको छूने की बहुत इच्छा होती थी। मेरा दिल करता था कि इन्हें मुँह में लेकर चूसूं और इनका रस पी जाऊँ, पर डरता था.. पता नहीं तुम क्या सोचोगी और कहीं मुझसे नाराज ना हो जाओ। तुम नहीं जानती भाभी कि तुमने मुझे और मेरे लंड को कितना परेशान किया है।

भाभी ने कहा- अच्छा.. तो आज अपनी तमन्ना पूरी कर लो, मेरी चूचियों को जी भर कर दबाओ, चूसो और मजा ले लो; मैं तो आज पूरी की पूरी तुम्हारी हूँ.. जैसा चाहे, वैसा कर लो!

बस फिर क्या था.. भाभी की हरी झंडी पाकर मैं भाभी की रसीली चूचियों पर टूट पड़ा। मेरी जीभ उनके कड़े निप्पलों को टटोल रही थी.. मैंने अपनी जीभ को भाभी के उठे हुए कड़क निप्पल पर घुमाया.. साथ ही मैंने भाभी के दोनों अनारों को कसके पकड़ा हुआ था और बारी-बारी से उन्हें चूस रहा था।

मैं ऐसे कस कर चूचियों को दबा रहा था, जैसे कि उनका पूरा का पूरा रस निचोड़ लूँगा। भाभी भी मेरा पूरा साथ दे रही थीं.. उनके मुँह से ‘ओह.. ओह.. आह..’ की आवाज निकल रही थी।

मुझसे पूरी तरह से सटी हुई वो मेरे लंड को बुरी तरह से मसल रही थीं और मरोड़ रही थीं।

उन्होंने अपनी एक टांग को मेरे टांग के ऊपर चढ़ा दिया और मेरे लंड को अपनी जाँघों के बीच ले लिया। मुझे उनकी जाँघों के बीच एक मुलायम रेशमी एहसास हुआ.. यह भाभी की बुर थी।

भाभी ने पेंटी नहीं पहन रखी थी और मेरा लंड का सुपारा उनकी झांटों में घूम रहा था। मेरे सब्र का बाँध टूट रहा था.. मैं भाभी से बोला- भाभी मुझे कुछ हो रहा है और मैं अपने आपे में नहीं हूँ.. प्लीज मुझे बताओ, मैं क्या करूँ? भाभी बोलीं- तुमने आज तक कभी किसी लड़की को चोदा है? मैंने बोला- नहीं..

भाभी मेरे लंड को अपनी जांघों में दबाते हुए और मुझे चूमते हुए इठला कर बोलीं- च..च्च.. कितने दुख की बात है.. कोई भी लड़की इस जैसे लंड को देख कर कैसे मना कर सकती है.. शादी तक ऐसे ही रहने का इरादा है क्या?

मैं क्या बोलता.. मेरे मुँह में कोई शब्द नहीं थे.. मैं चुपचाप उनके चेहरे को देखते हुए उनकी चूचियों को मसलता रहा।

उन्होंने अपना मुँह मेरे मुँह से बिल्कुल सटा दिया और फुसफुसा कर बोलीं- अपनी भाभी को चोदोगे? ‘हाँ भाभी क..क्यों नहीं..!’ मैं बड़ी मुश्किल से कह पाया, मेरा गला सूख रहा था।

वो बड़े मादक अंदाज में मुस्कुरा दीं और मेरे लंड को आज़ाद करते हुए बोलीं- ठीक है.. लगता है अपने अनाड़ी देवर राजा को मुझे ही सब कुछ सिखाना पड़ेगा.. पर गुरु दक्षिणा पूरे मन से देना.. चलो अपनी चड्डी उतार कर पूरे नंगे हो जाओ।

मैं पलंग से नीचे उतर गया और अपना अंडरवियर उतार दिया। मैं अपने तने हुए लंड को लेकर नंगधड़ंग अपनी भाभी के सामने खड़ा था।

भाभी मेरे खड़े लंड को अपने रसीले होंठों को अपने दाँतों में अश्लील भाव से दबा कर देखती रहीं और फिर अपने पेटीकोट का नाड़ा खीच कर ढीला कर दिया। ‘भाभी तुम भी इसे उतार कर नंगी हो जाओ ना!’

यह कहते हुए मैंने उनका पेटीकोट को खींचा.. भाभी ने अपने चूतड़ ऊपर कर दिए, जिससे कि पेटीकोट उनकी टांगों से उतर कर अलग हो गया। भाभी अब पूरी तरह नंगी हो कर मेरे सामने चित्त पड़ी हुई थीं।

भाभी ने किसी पेशेवर रंडी की तरह अपनी टांगों को फैला दिया और मुझे रेशमी झांटों के जंगल के बीच छुपी हुए उनकी रसीली गुलाबी नंगी चुत का नज़ारा देखने को मिला।

नाइट लैम्प की हल्की रोशनी में चमकते हुए नंगे जिस्म को देखकर मैं उत्तेजित हो गया और मेरा लंड मारे खुशी के झूमने लगा।

भाभी ने अब मुझसे अपने ऊपर चढ़ने को कहा.. मैं तुरंत उनके ऊपर चढ़ कर लेट गया और उनकी चूचियों को दबाते हुए उनके रसीले होंठ चूसने लगा। भाभी ने भी मुझे कस कर अपने आलिंगन में कस कर जकड़ लिया और चुम्मा का जवाब देते हुए मेरे मुँह में अपनी जीभ को ठेल दिया।

हाय क्या स्वादिष्ट और रसीली जीभ थी.. मैं भी भाभी की जीभ को जोर-जोर से चूसने लगा.. हमारा चुम्मा पहले पहले प्यार के साथ हल्के-हल्के हो रहा था और फिर पूरे जोश के साथ होने लगा।

कुछ देर तक तो हम ऐसे ही चिपके रहे, फिर मैं अपने होंठ भाभी के नर्म और नाज़ुक गालों पर रगड़-रगड़ कर चूमने लगा।

अब भाभी ने मेरी पीठ पर से हाथ ऊपर लाकर मेरा सर पकड़ लिया और उसे नीचे की तरफ ठेला.. मैं अपने होंठ उनके होंठों से उनकी ठोड़ी पर लाया और कंधों को चूमता हुआ चूचियों पर पहुँचा। मैं एक बार फिर उनकी चूचियों को मसलता हुआ और उनसे खेलता हुआ काटने और चूसने लगा।

उन्होंने बदन के निचले हिस्से को मेरे बदन के नीचे से निकाल लिया और हमारी टांगें एक-दूसरे से दूर हो गईं। अपने दाएँ हाथ से वो मेरा लंड पकड़ कर उसे मुट्ठी में लेकर सहलाने लगीं और अपने बाएँ हाथ से मेरा दाहिना हाथ पकड़ कर अपनी टांगों के बीच ले गईं। जैसे ही मेरा हाथ उनकी चुत पर पहुँचा.. उन्होंने मेरी उंगली से अपनी चुत के दाने को ऊपर से रगड़वा दिया।

समझदार को इशारा काफ़ी था.. मैं उनकी चूचियों को चूसता हुआ उनकी चुत को रगड़ने लगा।

‘राजा अपनी उंगली अन्दर डालो ना!’ ये कहते हुए भाभी ने मेरी उंगली अपनी चुत के मुँह पर दबा दिया। मैंने अपनी उंगली को उनकी चुत की दरार में घुसा दिया और वो पूरी तरह अन्दर चली गई।

जैसे-जैसे मैंने उनकी चुत के अन्दर घुमाई.. मेरा मज़ा बढ़ता गया। जैसे ही मेरा उंगली उनकी चुत के दाने से टकराई.. उन्होंने जोर से सिसकारी लेकर अपनी जाँघों को कस कर बंद कर लिया और चुत उठा-उठा कर मेरी उंगली को ही चोदने लगीं, उनकी चुत से पानी बह रहा था।

थोड़ी देर बाद तक ऐसे ही मज़ा लेने के बाद मैंने अपनी उंगली को उनकी चुत से बाहर निकाल लिया और सीधा होकर उनके ऊपर लेट गया। भाभी ने अपनी टाँगें फैला दीं और मेरे फरफ़राते हुए लंड को पकड़ कर सुपारा अपनी चुत के मुहाने पर रख लिया।

उनकी रेशमी झांटों का स्पर्श मुझे पागल बना रहा था।

फिर भाभी बोलीं- अब अपना लंड मेरी बुर में घुसाओ.. प्यार से घुसेड़ना नहीं तो मुझे दर्द होगा.. अहह!

क्योंकि मैं नौसीखिया था, इसीलिए शुरू-शुरू में मुझे अपना लंड उनकी टाइट चुत में घुसेड़ने में काफ़ी परेशानी हुई। मैंने जब जोर लगा कर अपना मूसल लंड भाभी की चुत के अन्दर ठेलना चाहा तो उन्हें भी दर्द हुआ, लेकिन पहले से उंगली से चुदवा कर उनकी चूत काफ़ी गीली हो गई थी इसलिए चुत में रस बहुत अधिक था और चुत एकदम चिकनी हो गई थी।

उधर भाभी भी हाथ से लंड को निशाने पर लगा कर रास्ता दिखा रही थीं और सही रास्ता मिलते ही मेरा एक ही धक्के में सुपारा चुत की दरार के अन्दर फंस गया। इससे पहले की भाभी संभलतीं या आसान बदलतीं, मैंने दूसरा धक्का लगा दिया और पूरा का पूरा लंड मक्खन जैसी चुत की जन्नत में दाखिल हो गया।

भाभी चिल्लाईं- उईईइ.. ईई..ई माँआआ..उ म्म्ह… अहह… हय… याह… फाड़ दी.. उहुहुहह ओह बाबा.. ऐसे ही रहना कुछ देर.. आह्ह.. हिलना-डुलना नहीं.. हय बड़ा जालिम है तुम्हारा लंड.. मुझे तो मार ही डाला तुमने देवर राजा..!

भाभी को काफ़ी दर्द हो रहा था.. लगता था कि भाभी पहली बार किसी इतने मोटे और लम्बे लंड से चुद रही थीं। मेरा मूसल भाभी की बुर में जड़ तक घुसा हुआ था। मैं अपना लंड उनकी चुत में घुसा कर चुपचाप पड़ा हुआ था।

भाभी की चुत फड़क रही थी और अन्दर ही अन्दर मेरे लंड को मसल रही थी। इसका अहसास मेरे गुर्राते हुए लंड को खूब हो रहा था। उनकी उठी-उठी चूचियां काफ़ी तेज़ी से ऊपर-नीचे हो रही थीं।

मैंने हाथ बढ़ा कर भाभी की दोनों चूचियों को पकड़ लिया और एक को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा। भाभी को इससे कुछ राहत मिली और अब उन्होंने कमर हिलानी शुरू कर दी।

भाभी मुझसे बोलीं- बाबा शुरू करो.. चोदो मुझे.. ले लो मज़ा जवानी का मेरे राज्ज्ज्जा..

भाभी अपनी गांड हिलाने लगीं.. मैं ठहरा अनाड़ी.. समझ ही नहीं पाया कि अब और कैसे शुरू करूँ।

पहले मैंने अपनी कमर को ऊपर किया तो लंड चुत से बाहर आ गया। फिर जब नीचे किया.. तो ठीक निशाने पर नहीं बैठा और भाभी की चुत को रगड़ता हुआ नीचे फिसल कर गांड में जाकर फँस गया। मैंने दो-तीन धक्के लगाए.. पर लंड चुत में अन्दर जाने के बजाए फिसल कर गांड की दरार में चला जाता।

भाभी से रहा नहीं गया और तिलमिला कर कर ताना देती हुई बोलीं- अनाड़ी का चोदना और चुत का सत्यानाश.. अरे मेरे भोले राजा, जरा ठीक से निशाना लगा कर पेलो.. नहीं तो चुत के ऊपर लंड रगड़-रगड़ कर झड़ जाओगे!

मैं बोला- भाभी अपने इस अनाड़ी देवर को कुछ सिख़ाओ, जिंदगी भर तुम्हें गुरु मानूँगा और लंड की मलाई की दक्षिणा भी दूँगा। भाभी लंबी सांस लेती हुई बोलीं- हाँ बाबा, मुझे ही कुछ करना होगा.. नहीं तो देवरानी आकर कोसेगी कि तुम्हें कुछ नहीं सिखाया।

उन्होंने मेरा हाथ अपनी चूची पर से हटाया और मेरे लंड पर रखते हुए बोलीं- इससे पकड़ कर मेरी चुत के मुँह पर रखो और लगाओ धक्का जोर से!

मैंने वैसे ही किया और मेरा लंड उनकी चुत को चीरता हुआ पूरा का पूरा अन्दर चला गया। फिर भाभी बोलीं- अब लंड को बाहर निकालो, लेकिन पूरा नहीं.. सुपारा अन्दर ही रहने देना और फिर दोबारा पूरा लंड अन्दर पेल देना, बस इसी तरह से मेरी चुत की चुदाई करते रहो।

मैंने वैसे ही करना शुरू किया और मेरा लंड धीरे-धीरे उनकी चुत में अन्दर-बाहर होने लगा। फिर भाभी ने स्पीड बढ़ा कर चुदाई करने को कहा। मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और तेज़ी से लंड अन्दर-बाहर करने लगा। भाभी को पूरी मस्ती आ रही थी और वो नीचे से कमर उठा-उठा कर मेरे हर शॉट का जवाब देने लगीं।

लेकिन ज्यादा स्पीड होने से बार-बार मेरा लंड बाहर निकल जाता.. इससे भाभी की चुदाई का सिलसिला टूट जाता। आख़िर भाभी से रहा नहीं गया और करवट लेकर मुझे अपने ऊपर से उतार दिया और मुझको चित्त लेटा कर वो खुद मेरे ऊपर चढ़ गईं।

भाभी ने अपनी जाँघों को लंड के दोनों बगलों में फैला कर अपने गद्देदार चूतड़ मेरी जाँघों पर रखकर बैठ गईं। उनकी चुत मेरे लंड पर टिकी थी और हाथ मेरी कमर को पकड़े हुए थीं।

भाभी बोलीं- मैं दिखाती हूँ कि कैसे चोदते हैं। यह कहते ही भाभी ने लंड को चुत की दरार में फिट किया और मेरे ऊपर लेट कर एक तेज धक्का लगाया, मेरा लंड ‘घाप..’ से भाभी की चुत के अन्दर दाखिल हो गया। यह हिंदी सेक्स स्टोरी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!

भाभी ने अपनी रसीली चूचियाँ मेरी छाती पर रगड़ते हुए अपने गुलाबी होंठ मेरे होंठ पर रख दिए और मेरे मुँह में जीभ को ठेल दिया।

फिर भाभी ने मज़े से कमर हिला-हिला कर शॉट लगाना शुरू किया। भाभी बड़े कस-कस कर शॉट लगा रही थीं। मेरी प्यारी भाभी की चुत मेरे लंड को अपने में समाए हुए तेज़ी से ऊपर-नीचे हो रही थी। मुझे लग रहा था कि मैं जन्नत में पहुँच गया हूँ।

कोई दस मिनट की तगड़ी धकापेल के बाद भाभी झड़ गईं और मेरी छाती पर ही ढेर हो गईं। मुझे समझ आ गया कि भाभी का खेल खत्म हो गया।

मैंने उन्हें सहलाया पर अभी मेरा नहीं हुआ था तो मुझे अजीब सी बेचैनी हो रही थी।

एक मिनट बाद भाभी मेरे ऊपर से उठीं तो मेरे लंड एकदम खड़ा था.. भाभी ने अपने पेटीकोट से लंड को पोंछा और उसे मुँह में ले लिया।

अब मुझे मजा आने लगा.. कुछ ही देर में भाभी ने मेरी गोटियों को भी सहलाना शुरू कर दिया तो मेरा झरना फूट पड़ा।

भाभी ने पूरा माल अपनी चूचियों पर ले लिया और हम दोनों तृप्त हो कर निढाल लेट गए। कुछ देर बाद हम दोनों ने अपने आपको साफ़ किया और सो गए।

एक हफ्ते मैं तो भाभी ने मुझे पूरा चुदक्कड़ बना दिया था।

आपको मेरी यह हिंदी सेक्स स्टोरी कैसी लगी.. प्लीज़ मुझे ईमेल कीजिएगा। [email protected]

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