आंटी की चूत मिल गई पड़ोस में ही

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000

दोस्तो, मैं 21 साल का ऋषि दिल्ली से हूँ, देखने में अच्छा हूँ और काफी गोरा हूँ। इसी के साथ मैं एक अच्छे खासे जिस्म का मालिक भी हूँ। मेरे लंड का साइज़ भी इतना लम्बा है कि किसी भी चूत को संतुष्ट कर सकता हूँ।

आज मैं आप लोगों से अपनी ज़िन्दगी का वो पल शेयर करने जा रहा हूँ.. जो मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि कभी मेरे साथ ऐसा होगा। मैं उम्मीद करता हूँ कि यह घटना आपको पसन्द आएगी, बात 4 महीने पुरानी है।

हमारे पड़ोस में एक आंटी रहती हैं। उनका फिगर क्या बताऊ दोस्तों.. कमाल की फिगर थी। उन्हें देख क़र तो अच्छे-अच्छे लोगों का लंड खड़ा हो जाए। उनकी उम्र यही कोई 35 साल के आस-पास की होगी, उनके शरीर का कटाव 36-34-38 का था। मेरा उनके घर आना-जाना था।

एक दिन मैं दोपहर को उनके घर गया तो मेन गेट खुला हुआ था, मैं अन्दर आ गया और आवाज दी- आंटी जी कहाँ हो? उनकी आवाज आई- मैं नहा रही हूँ.. तुम बैठ जाओ। मैं सोफे पर बैठ गया।

थोड़ी देर में आंटी बाहर आईं.. उन्हें देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया। इस वक्त क्या क़यामत लग रही थीं वो.. उनके गीले बाल.. उन्होंने पूरे जिस्म को तौलिया से लपेट रखा था।

मैं आंटी को देखे जा रहा था। उनके चूचे.. आह्ह.. क्या बताऊँ इतने बड़े थे कि मन कर रहा था अभी पकड़ कर दबोच लूँ और मम्मों को चूस लूँ। उधर आंटी भी मेरे पैंट को फूलते हुए देख रही थीं.. मानो मेरा लंड पैंट फाड़ कर निकल आएगा। आंटी स्माइल देकर बोलीं- तुम 5 मिनट बैठो.. मैं कपड़े पहन क़र आती हूँ।

फिर वो कमरे में चली गईं और उन्होंने अपने कमरे का गेट थोड़ा खुला छोड़ दिया, उस खुले दरवाजे से मुझे अन्दर का नजारा दिख रहा था। आंटी ने अन्दर जाकर अपने जिस्म को तौलिए से मुक्त कर दिया और उसी तौलिए से अपने शरीर को पोंछने लगीं।

मेरे मन में आंटी को नंगी देखने की लालसा जाग उठी थी। मुझे डर भी लग रहा था.. लेकिन हिम्मत करके मैं कमरे के नजदीक चला गया।

अब मैं आंटी को छुपकर देखने लगा, आंटी अपनी चूत साफ़ कर रही थीं। दरवाजे की झिरी से मैं सही से देख नहीं पा रहा था.. क्योंकि उनका मुँह अन्दर की तरफ था। अब आंटी अपनी लाल रंग की पेंटी पहन रही थीं.. फिर ब्रा पहनी और उनके ऊपर मैक्सी पहन ली।

मैं उनको देख कर भूल गया था कि मैं कहाँ खड़ा हूँ और अपने लंड को पैंट में ही दबाने लगा। तभी एकदम से आंटी घूम गईं, वो मेरी तरफ देख क़र बोलीं- ऋषि ये क्या कर रहा है? मैं एकदम से चौंक गया, मैं बोला- आ..आंटी.. क..कुछ नहीं आंटी.. वो बोलीं- क्या कुछ नहीं.. तू यहाँ क्या कर रहा है.. मैंने तो तुझे सोफे पर बैठने को कहा था ना? फिर मैंने कहा- सॉरी आंटी.. मुझे माफ़ कर दो।

वो बोलीं- मैं कपड़े पहन रही हूँ और तू मुझे देख रहा था। मैं एकदम चुप खड़ा था। आंटी एकदम से आवाज में मधुरता ला कर बोलीं- चल अब यहाँ पर बैठ जा.. अब आंटी मुझे बड़ी मदहोशी भरी निगाहों से देख रही थीं, मैं गुमसुम खड़ा था।

वो फिर बोलीं- मुझे पता है.. तू क्या देख रहा था। मैंने फिर कहा- सॉरी.. आंटी बोलीं- मैं तुझे बहुत दिनों से देख रही हूँ.. तू मुझे देखता रहता है.. बात क्या है? मैंने सोचा यही अच्छा मौका है, मैंने आंटी का हाथ पकड़ कर बोल दिया- आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो।

फिर आंटी ने मुझे भी अपनी आँखों में भर कर देखा और बोला- तुम भी मुझे बहुत अच्छे लगते हो। बस फिर क्या था.. मैंने अपने होंठ आंटी के होंठों पर रख दिए और चूसने लगा। आंटी भी मेरा साथ देने लगीं, मैं एक हाथ से उनके चूचे दबा रहा था.. वो और कामुक होती जा रही थीं।

कुछ ही पलों में मैंने आंटी की मैक्सी उतार दी.. अब वो सिर्फ ब्रा और पेंटी में थीं। वो बोलीं- चलो उधर बेड पर चलते हैं। मैं उनको चूमता हुआ ‘हाँ’ बोला। वो बोलीं- पहले तुम बाहर के गेट पर कुण्डी लगा कर आ जाओ।

मैं कुण्डी लगाने चला गया और जैसे ही लौट कर कमरे में अन्दर गया.. तो देखा आंटी बिस्तर पर लेटी हुई थीं।

मैंने आंटी के पैरों को चूमा और फिर उनकी जाँघों को चूमता हुआ ऊपर बढ़ने लगा। मैं आंटी की पेंटी को ऊपर से ही चाटने लगा। आंटी ने मेरे बाल पकड़ लिए और मेरे सर को अपनी चूत में घुसाने लगीं।

फिर आंटी थोड़ा सा ऊपर होकर पेंटी निकालने का इशारा करने लगीं। मैंने फटाफट पेंटी निकाल फेंकी और चूत को चाटने लगा। क्या मस्त गुलाबी चूत थी दोस्तो..

आंटी के मुँह से सीत्कार निकलने लगी ‘आह्ह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… अहह..’ मैं और तेजी से आंटी की चूत चाटने लगा, आंटी मेरा पूरा सर अपनी चूत में दबाती जा रही थीं और जोर-जोर से ‘आआहह.. आ आ.. ओह..’ करती जा रही थीं।

मैं पूरे जोश से चूत चाटता जा रहा था, तभी आंटी का जिस्म ऐंठने लगा और उन्होंने एकदम से सारा माल मेरे मुँह में छोड़ दिया। मैंने आंटी की चूत का सारा रस चाट-चाट कर साफ़ कर दिया।

अब मैंने अपने सारे कपड़े उतारे और आंटी के साथ लेट गया। कुछ देर एक-दूसरे को चूमने के बाद वो बिस्तर के नीचे उतर आईं और मेरा लंड मुँह ले कर चूसने लगीं। कसम से ऐसा लगा जैसे जन्नत में आ गया हूँ। आंटी जोर-जोर से मेरा लंड चूस रही थीं। मेरे मुँह से ‘उफ़.. उफ्फ्फ्फ़ आआअ.. ऐईईई ओह्ह्ह.. और तेज और तेज..’ निकल रहा था। अब मैं छूटने वाला था और एकदम से आंटी के मुँह में छूट भी गया।

अब हम दोनों लेट गए और आंटी मेरे होंठों को चूसने लगीं और लंड को हिलाने लगीं। थोड़े देर में मेरा लंड खड़ा हो गया और मैं आंटी के ऊपर चढ़ गया।

मैंने जैसे ही लंड को आंटी की चूत में लगा कर पेला.. आंटी चिल्ला उठीं ‘अअअहह..’ ‘क्या हुआ..?’ आंटी बोलीं- आराम से करो..

फिर मैं आराम-आराम से लंड घुसाने लगा। जब मेरा लंड पूरा घुस गया तो मैंने आंटी की एक टाँग अपने कंधे पर रखी और चूत में तेज-तेज धक्के मारने लगा।

आंटी के मुँह से मस्त आवाजें निकल रही थीं ‘ओहह.. ओह आआअ..’

अब मैंने अपनी चुदाई की स्पीड और तेज कर दी, आंटी पूरी मस्ती में सीत्कार रही थीं। ऐसे ही आंटी की चुदाई करते-करते थोड़ी देर में आंटी की चूत में ही छूट गया और आंटी के ऊपर लेट गया, आंटी भी झड़ गई थीं।

हम दोनों पसीने में भीग चुके थे, उस दिन इस तरह हमने 4 बार और सेक्स किया। यह थी मेरी आंटी के साथ चुदाई।

दोस्तो, आपको मेरी सेक्स कहानी कैसी लगी.. मुझे मेल ज़रूर करना, मुझे आपके मेल का इंतज़ार रहेगा। [email protected]

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000