लैंडलेडी भाभी ने चूत की आग मुझसे बुझवाई

मेरा नाम निखिल है, मैं जयपुर, राजस्थान का निवासी हूँ। मुझे भाभियों और आंटियों की कमर और पेट बहुत अच्छा लगता है, पतली लड़की की चूत मारने में बहुत मजा आता है।

बात तब की है जब मैं इन्जीनियरिंग करने करीब 3 साल पहले जयपुर आया था। मेरा एडमिशन हो चुका था, अब रहने के लिए कमरे को ढूंढने की बारी थी।

मैं कमरा ढूँढते-ढूँढते एक घर में पहुँचा जहाँ बाहर ‘To-Let’ लिखा था। मैंने घन्टी बजाई और एक महिला ने दरवाजा खोला.. वो दिखने में बेहद गोरी थीं। उनका 34-28-36 का फिगर तो एकदम हॉट एंड सेक्सी था।

उनके बड़े बोबे (मम्मे) बाहर आने को तरस रहे थे। उनकी नाभि गोल और आकर्षक थी। उन्होंने साड़ी बहुत नीचे बाँध रखी थी। मुझे अंदाज हुआ कि वो लगभग 27 साल की जवान माल जैसी थीं।

उन्होंने बड़े आदर भाव से पूछा- जी बोलिए? मैंने कहा- मुझे कमरा किराये पर चाहिए।

उन्होंने कमरा दिखाया.. और मुझे पसन्द आ गया, मैंने तुरन्त ‘हाँ’ कर दिया, उसी दिन अपना सामान लेकर आ गया और वहाँ रहने लग गया।

उनके घर में 3 सदस्य थे, भाभी जिनका नाम प्रिया था, जिनके बारे में मैं आपको पहले ही बता चुका हूँ, उनके पति राकेश और राकेश की माँ जो कि विधवा थीं। उनकी उम्र लगभग 48-50 साल थी.. पर वो अभी भी बहुत सेक्सी लगती थीं।

प्रिया भाभी की सास का फिगर 36-30-36 था। उनके बोबे बहुत ही ज्यादा बड़े और आकर्षक थे। वो भी सेक्स की मूरत जैसी थीं। उनका नाम पूजा था। पूजा आंटी भी साड़ी बहुत सेक्सी तरीके से बाँधती थीं।

देखने से लगता ही नहीं था कि वो विधवा हैं, मेरा लंड तो उनको देखकर टाइट हो गया। उनका कमरा नीचे था और प्रिया भाभी और राकेश भैया का कमरा ऊपर था।

उन सबने मेरा अच्छे से स्वागत किया और मुझे कमरे में सामान रखवाया। मेरा कमरा भी ऊपर प्रिया भाभी के बगल वाला कमरा था।

रात को जब मेरी सोते वक्त आँख खुली और मैं मूतने के बाथरूम गया, जो भाभी और मेरा कॉमन बाथरूम था।

तब मैंने भाभी के कमरे में सिसकारियों की आवाज सुनी- आह्ह.. और तेज तेज करो.. भैया और भाभी चुदाई कर रहे थे.. मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया।

ऐसी लाइव चुदाई पहली बार देखने का मौका मिल रहा था, मेरा मन किया कि क्यों ना अन्दर का नजारा देखा जाए। पास में एक खिड़की खुली थी और शायद उन्हें उस खिड़की के खुले होने का ध्यान नहीं था। शायद हमेशा ऊपर कोई नहीं होता था तो रोज ऐसे ही खुल कर मस्ती करते होंगे। पर आज वे भूल गए होंगे कि अब मैं भी ऊपर ही आ गया हूँ।

मैंने खिड़की से छुप के देखा कि भाभी एकदम नंगी थीं। उनका गोरा बदन हल्की रोशनी में चमक रहा था। उसके बड़े चूतड़ ऊपर-नीचे हिल रहे थे। मुझे तो उसी वक्त प्रिया भाभी की गांड मारने का मन हुआ.. पर मजबूरी थी सो कन्ट्रोल करना पड़ा।

मैंने देखा भाभी और चुदवाना चाह रही थीं, वे कह रही थीं- क्या हुआ रुक क्यों गए.. और पेलो न..

पर भैया जल्दी झड़ गए थे और उनकी उछल-कूद खत्म हो गई थी। कुछ साफ नहीं दिख पा रहा था, पर उनका लंड छोटा सा ही था।

भैया का खेल खत्म हो जाने से भाभी मायूस हो गईं और बोलीं- आप तो जल्दी झड़ जाते हो.. ठीक से मेरा काम भी नहीं उठाते हो। राकेश भैया उन्हें गाल पर चुम्बन करते हुए बोले- जान इतना काफी है और कितना चोदूँ तुझे? पर भाभी की प्यास शायद बहुत ज्यादा थी।

उस रात तो मैं मुठ मार के सो गया।

अगले दिन सुबह मेरी आँख खुली और देखा भाभी मुझे जगाने आई थीं, वे मुझसे बोलीं- कॉलेज नहीं जाना.. बहुत देर हो गई.. तुम जागे नहीं तो मैंने सोचा जगा दूँ। मैंने बोला- वो कल रात को अच्छी नींद आई.. इसलिए समय का पता ही नहीं चला।

भाभी ने कहा- अब उठो और जल्दी से तैयार हो जाओ। भाभी इतना हँसकर और प्यार से बोल रही थीं.. कि मेरा लंड तन गया।

सुबह-सुबह भाभी कमाल का माल लग रही थीं, उन्होंने लाल कलर की साड़ी पहन रखी थी, अन्दर काले कलर का बहुत पतला ब्लाउज पहना हुआ था, ब्लाउज का गला बहुत नीचे तक खुला था, मैं उनके दूधिया मम्मों की दरार साफ देख सकता था।

सबसे प्यारी थी उनकी नाभि.. बहुत गहरी और गोल.. मेरा मन तो कर रहा था, जीभ डाल कर अभी चूस लूँ। सच में वो ऐसी लग रही थी जैसे सेक्स की कोई अप्सरा मेरे सामने खड़ी हो।

उनकी इतनी प्यारी मुस्कान.. कोई भी प्रिया भाभी को एक बार देख ले तो साला अपनी पैन्ट जरूर गीली कर लेगा। इतनी कामुक माल थीं वो।

मेरी तन्द्रा को भंग करते हुए वो बोलीं- जल्दी तैयार हो जाओ.. कॉलेज नहीं जाना? मैंने बोला- आज बहुत देर हो चुकी है भाभी जी.. इसलिए आज कॉलेज नहीं जाऊँगा। भाभी बोलीं- ठीक है.. जैसी तुम्हारी मर्जी।

मैंने कुछ नहीं कहा।

भाभी ने फिर कहा- तैयार तो हो जाओ.. मैं तुम्हारा रूम साफ कर देती हूँ। मैंने कहा- जी भाभी।

मैं जैसे ही खड़ा हुआ.. मेरा तने हुए लंड का उभार मेरे शॉर्ट्स से साफ दिख रहा था। मैंने देखा भाभी मेरे लंड को ही देख रही थीं। उनके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ गई.. पर मुझे शर्म आ गई.. और मैं झट से बाथरूम में चला गया।

मैं सोचने लगा कि भाभी मेरे बारे में क्या सोच रही होंगी.. मुझे कुछ डर भी लग रहा था।

मैं फ्रेश होकर बाथरूम से आया, तो मैंने देखा भाभी स्टूल पर चढ़ कर वहीं मेरे कमरे में कुछ ऊपर दीवारों के जाले साफ कर रही थीं।

तभी वो अचानक स्टूल से गिर गईं, ‘आआ.. आउ..च..’ की आवाज निकली, मैंने भाभी को सम्भाला.. उनकी साड़ी ऊपर से हट गई।

अब ऊपर सिर्फ काले रंग का ब्लाउज था.. जिसमें उनके गोरे मम्मों की दरार साफ दिख रही थी।

नीचे साड़ी हट जाने से गहरी कामुक नाभि अपना जलवा बिखरते हुए साफ दिख रही थी। मेरा मन किया कि लंड डाल दूँ। इस वक्त भाभी कितनी प्यारी और सेक्सी लग रही थीं।

मेरा हाथ उनकी नंगी कमर पर ही था और मैंने उन्हें सहारा देकर पलंग पर लेटा दिया।

कितना नसीब वाला था मैं.. कि मुझे इतनी जल्दी भाभी कोमल की कमर छूने का मौका मिल गया.. जिससे मेरा लंड और टाईट हो गया। मैंने भाभी से पूछा- आप ठीक तो होना लगी तो नहीं? भाभी कराहते हुए बोलीं- ऊइइई मेरी कमर.. बहुत दर्द कर रही है। मैंने कहा- भाभी डॉक्टर के पास चलते हैं। भाभी- नहीं इसकी जरूरत नहीं।

प्रिया भाभी ने मुझसे बोला- निखिल.. मेरी कमर पर तुम तेल से थोड़ी मालिश कर दो.. उसी से सही हो जाएगा। क्या तुम कर दोगे निखिल प्लीज़?

यह सुनते ही लगा.. मानो जैसे भगवान ने मेरी सुन ली। मैं उन्हें कैसे मना कर सकता था.. इतना अच्छा मौका हाथ में आया हुआ था। मैंने कहा- जी भाभी कर दूँगा। उन्होंने कहा- मेरे कमरे से तेल ले आ.. और मालिश कर दे।

मैं तेल ले आया और देखा भाभी लेटी हुई थीं।

मैंने खड़ा था.. तो भाभी बोलीं- ऊपर आ जाओ पलंग पर और मेरी कमर की मालिश कर दो.. आह्ह.. कमर बहुत दर्द कर रही है।

मैंने हाथ में तेल लिया और भाभी की गोरी कमर मुझे दिख रही थी.. पर ब्लाउज और साड़ी होने के कारण कुछ भाग ही खुला हुआ था। इधर मेरा लंड तो बैठने का नाम नहीं ले रहा था। मैं उनके उभरे हुए चूतड़ों इतने नजदीक से देख सकता था.. क्या नजारा था।

मैंने तेल लिया और मालिश करना शुरू किया। मैं अपने हाथ धीरे-धीरे उनके चूतड़ों तक ले जा रहा था.. मेरी धड़कन बहुत तेज हो गई थीं। मैंने उनके चूतड़ों की दरार को महसूस किया और जल्दी से हाथ हटा दिया.. ताकि भाभी को शक ना हो।

भाभी ने कहा- पूरी कमर पर मालिश करो। मैंने कहा- पर ये ब्लाउज?

यह सुनते ही भाभी ने वो किया.. जिसकी मुझे उम्मीद नहीं थी। भाभी ने आधा उठ कर अपना ब्लाउज खोल दिया। मेरी आँखें फटी की फटी रह गईं.. उनके गोरे मम्मे ब्लाउज की कैद से आजाद हो कर बाहर दिखने लगे। उनके मम्मे बहुत ही बड़े थे.. उन्होंने काली नेट वाली ब्रा पहन रखी थी। भाभी का ध्यान मेरी तरफ ही था, पर उन्होंने कुछ नहीं बोला।

भाभी फिर लेट गईं, मैं मालिश करने लगा.. भाभी को बहुत मजा आ रहा था। ऊपर पूरी कमर तक और बार-बार उनके हाथ नीचे ले जाकर हल्के से उनके चूतड़ों को सहलाने लगा।

जब मैं उनकी मालिश कर रहा था तो मेरा लंड बार-बार उनकी कमर और चूतड़ों को छू रहा था। मैंने शॉर्ट्स पहन रखा था.. उसके अन्दर कुछ नहीं पहना हुआ था।

भाभी ने बोला- ये मेरे को बार-बार क्या चुभ रहा है? लगता है उनको पता लग गया था कि मेरा लंड उनसे टच हो रहा है। मैंने कहा- कुछ नहीं भाभी।

मेरा लंड बार-बार उनकी गांड पर.. कभी उनकी कमर पर छू रहा था। मुझे बहुत मजा आ रहा था.. भाभी को चोदने का मेरा बहुत मन कर रहा था.. पर मुझे कन्ट्रोल करना पड़ा।

फिर भाभी ने अचानक बोला- ये ब्रा बहुत चुभ रही है.. इसे भी उतार ही देती हूँ।

लगता है भाभी को मालिश में बहुत मजा आ रहा था। तभी उन्होंने बोला- निखिल प्लीज़ मेरी ब्रा का हुक खोल दो ना। लगता था उन्हें मस्ती चढ़ गई थी.. और शायद उनको मुझसे चुदवाने का मूड बन गया था।

मैंने पीछे से उनका हुक खोल दिया। अब मैंने देखा कि उनके बड़े मम्मे मेरी आँखों के सामने नंगे थे, उनकी चूचियां गुलाबी कलर की थीं और उभारदार थीं।

मैंने सोचा इन्हें मुँह में भर लूँ.. मैं भाभी के रसीले थन देखे जा रहा था और भाभी भी मुझे ही देख रही थीं।

मुझे उनके चेहरे पर मस्ती दिखी और उन्होंने मुझसे कहा- क्या देख रहे हो.. पहले कभी किसी के मम्मे नहीं देखे? मैंने भोला बनकर बोला- नहीं भाभी.. आज पहली बार इतने प्यारे मम्मे देख रहा हूँ।

फिर भाभी मुस्करा दीं और कहने लगीं- अब मेरी ‘अच्छे से..’ मालिश कर दो ना.. मुझे बहुत दर्द हो रहा है। उनके मुँह से ‘अच्छे से..’ जरा अलग अंदाज से सुन कर मेरा मन लंड बाहर निकालने को कर रहा था।

मैंने मालिश शुरू की भाभी को मेरा लंड छुल रहा था। तभी भाभी ने बोला- तुम्हारा ये कब से मुझे चुभ रहा है।

यह कहते हुए भाभी ने एकदम से हाथ उठाया और मेरा लंड हाथ में पकड़ लिया। मैं सकपका गया। वो बोलीं- अच्छा तो तुम्हारा ये लंड है जो बार-बार मुझे चुभ रहा है।

मुझे उनके मुँह से ‘लंड’ सुन कर बहुत अजीब सा लगा, भाभी लंड वगैरह कितने आराम से बोल रही थीं। मेरा लंड और टाइट हो गया और भाभी छोड़ ही नहीं रही थीं।

वो बोलीं- निखिल दिखाना जरा, तुम्हारा कितना बड़ा लंड है?

लगता था भाभी चुदवाने के पूरे मूड में आ चुकी थीं, वे चुदाई करवाने के मूड में होती भी कैसे ना.. इतनी अच्छी मालिश भी तो की थी।

फिर उन्होंने मेरा शॉर्ट्स उतार दिया और मेरा लंड भाभी के सामने नंगा था। मेरा लंड भैया के लंड से लम्बा था। भाभी ने देखा और बोला- आह्ह.. तुम्हारा लंड कितना बड़ा और प्यारा है। यह कहते हुए भाभी ने उसे मुँह में भर लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगीं।

वाह.. क्या मजा आ रहा था.. मैं कितना खुशकिस्मत था कि इतनी प्यारी भाभी मेरा लंड भूखी बिल्ली की तरह चूस रही थी।

भाभी मुझसे बोलीं- मुझे चोदोगे ना निखिल? मैंने बोला- हाँ भाभी.. क्यों नहीं मेरी जान.. वो बोलीं- तुम्हारे भैया तो जल्दी झड़ जाते हैं.. वे मेरी प्यास नहीं बुझा पाते हैं।

मैंने उनके बड़े मम्मे अपने मुँह में ले लिए और उनकी चूचियों को चूसने लगा। भाभी की सिसकारियों की आवाज मुझे और सेक्सी बना रही थी।

प्रिया भाभी- उमम्म्.. इस्स्स.. और चूसो निखिल… ये मम्मे बहुत प्यासे हैं। मैंने बहुत देर तक उनके मम्मे चूसने के बाद.. उनके नाभि में अपनी जीभ डाल दी।

यह बहुत ही मस्त अहसास था।

इतनी गोरी, गोल नाभि मैंने पहली बार देखी थी। मैंने अपना लंड उनकी नाभि में लगा दिया.. भाभी को बहुत मजा आ रहा था।

फिर मैंने उनकी साड़ी जो पेट से नीचे उसे खोलना शुरू किया। उन्होंने ब्लैक कलर की पैन्टी पहन रखी.. उनके नंगे बड़े चूतड़ रोशनी में चमक रहे थे।

उन्होंने बहुत पतली डोरी वाली पैन्टी पहन रखी.. जिससे उनके चूतड़ों और भी ज्यादा सेक्सी लग रहे थे.. क्या मस्त नजारा था। मैंने उनके बड़े चूतड़ों को हाथों से दबाया और उसको मुँह में भर लिया।

मैंने उनकी पेंटी उतारी और देखा उनकी चूत गुलाबी और बिल्कुल कुंवारी चूत की तरह लग रही थी। लगता था भैया ने अच्छे से चोदा नहीं होगा।

मैंने भाभी की चूत को अपने मुँह में भर लिया और चाटने लगा। वाह.. क्या स्वाद था उनकी चूत का.. भाभी सिस्कारियाँ ले रही थीं। उनकी चूत पूरी गीली हो गई थी।

प्रिया भाभी बोलीं- अब डाल भी दो फाड़ दो मेरी चूत आह्ह.. रहा नहीं जाता।

मैंने अपना लंड उनकी चूत की दरार पर लगा दिया और वहाँ रगड़ने लगा। भाभी ने बोला- अब जल्दी से डालो न.. क्यों सता रहे हो।

मैंने एक ही झटके में पूरा लंड भाभी की चूत में अन्दर डाल दिया। भाभी को थोड़ा दर्द सा हुआ.. तो उन्होंने कराहते हुए कहा- उम्म्ह… अहह… हय… याह… आह्ह.. और अन्दर डाल दे.. आह्ह.. फाड़ दे मेरी चूत।

मैंने पूरा लवड़ा भाभी की चूत की जड़ तक ठोक दिया। मैं उनको काफी देर तक हचक कर चोदता रहा। इसके बाद उनकी चूत में ही झड़ने को हो गया।

मैंने भाभी की कुछ देर चूत चोदने के बाद उनकी गांड भी मारनी चाही पर भाभी बोली- अभी नहीं.. दोपहर को मेरी गांड मार लेना.. अभी सासू माँ के जागने का टाईम हो गया।

यह सुन कर मुझे लगा जैसे उन्होंने पहले भी अपनी गांड मरवा रखी है। वो कितनी बड़ी रण्डी थीं.. और अब मैं झड़ने को हो गया था।

मैंने अपना लौड़ा निकाल कर सीधा उनके मुँह में लगा दिया और उन्होंने मेरा लंड चूस कर अपने मुँह में ही माल निकलवा लिया जिसे वो चटखारे ले कर गटक गईं.. आह्ह.. कितनी प्यासी थीं वो।

भाभी अपने होंठों पर लगा हुआ माल चाटते हुए बोलीं- आज कितने दिन बाद अच्छे से मेरी चूत की चुदाई हुई है.. थैंक्स निखिल।

फिर वो मेरे कमरे से चली गईं और नीचे जाकर काम में लग गईं। मैं भी नहा कर नीचे चला आया। प्रिया भाभी किचन में थीं। जैसे मैं सीढ़ियों से उतरा.. मैंने देखा प्रिया भाभी की सास पूजा आंटी नहा कर बाथरूम से बाहर आई हुई थीं।

वो अपने पूरे बदन पर सिर्फ तौलिया लपेटे थीं और उनका आधा बदन नंगा था, तौलिये के ऊपर से उनके मम्मों की दरार दिख रही थी। वो मुझे अचानक देखकर घबरा गईं, मैं तमीज को ध्यान में रखते हुए वापिस ऊपर जाने लगा।

तभी पूजा आँटी ने कहा- अरे बेटा कहाँ जा रहे हो.. आ जाओ कोई बात नहीं है। मैं समझ गया कि बहू के साथ सास भी काम की चीज लगती है।

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