दोस्त की चुलबुली बीवी ऑफिस में चुद गई-1

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000

नमस्कार दोस्तो, मैं कमल राज सिंह आप का पुराना दोस्त एक बार फिर अपनी कहानी लेकर हाज़िर हूँ। दोस्तो मेरी उम्र 27 वर्ष कद 5 फीट 10 इंच, सीना 44 इंच है मैं एक मज़बूत बदन का पंजाबी लड़का हूँ।

मैं मुंबई में अपने फ्लैट में ही रियल एस्टेट की एजेंसी चलाता हूँ और बहुत अच्छी कमाई कर लेता हूँ।

हमारी सोसाइटी में कुल 10 ब्लॉक्स हैं और हर ब्लॉक में 15 मंज़िलें और हर मंज़िल 4 फ्लैट हैं.. यानि सोसाइटी में कुल 600 फ्लैट हैं। मेरे कहने का मतलब है कि हर समय 3-4 फ्लैट किराए के लिए खाली होते रहते हैं और उनको किराए पर भरवाने काम मैं ही करता हूँ।

पिछले दो महीने से काम इतना ज्यादा हो गया कि हर समय मुझे ही ऑफिस और बाहर के काम के लिए भागना पड़ता था।

कुछ दिन पहले मेरा एक दोस्त गुलशन (गुल्लू) जो कुछ दिन पहले ही नागपुर से मुंबई ट्रांसफर होकर आया था.. मैंने ही उसे अपनी सोसाइटी में किराए पर फ्लैट दिलवाया था।

एक दिन उसे मैंने अपने घर खाने पर बुलाया, वो अपनी बीवी रिया के साथ आया।

हम दोनों बैठ बातें कर रहे थे। गुल्लू मुझे रिया के लिए नौकरी की तलाश के बारे में बता रहा था और मैं गुल्लू को अपने ज्यादा काम के बारे में बता रहा था।

इस काम का सुन कर रिया बोली- कमल जी आप कोई अस्सिटेंट क्यों नहीं रख लेते.. ताकि वो ऑफिस का काम संभाले और आप बाहर का काम देख सको। ‘हाँ रिया.. बात तो आपकी सही है, पर आपको तो मालूम है कि मेरा ऑफिस घर में ही है। आजकल ऐसा ईमानदार कहाँ मिलता है.. जिस पर मैं भरोसा कर सकूं। हाँ आप तो पढ़ी-लिखीं हैं और नौकरी भी ढूँढ रही हैं.. आप करेगी मेरे साथ काम? आपको टीचर की नौकरी से ज्यादा पैसा दूँगा।

‘लो.. यह तो कुंआ प्यासे के पास ही आ गया रिया..’ गुल्लू हँस कर बोला- तेरे लिए यह नौकरी बिल्कुल ठीक रहेगी। घर के पास भी है और ज्यादा मेहनत भी नहीं है। ‘हाँ यह तो है.. पर कमल जी पर मुझे आपके इस काम के बारे में कुछ मालूम नहीं है। आपको सब काम सिखाना पड़ेगा..’ चंचल चुलबुली मस्तमौला रिया मुस्करा कर बोली।

‘अरे रिया जी.. आप तो टीचर रह चुकी हैं आपके लिए यह काम क्या मुश्किल है। एक घंटे में सब सिखा दूँगा.. बस फ़ोन अटेंड करना है और कंप्यूटर पर कुछ पेपर टाइप करने हैं। बहुत आसान काम है.. लंच भी ऑफिस की तरफ से रहेगा। अब तो बस ‘हाँ’ कर दीजिए और अगर काम पसंद नहीं आया.. तो दूसरी नौकरी मैं आपको ढूंढ कर दूँगा।’

रिया हँस कर बोली- सच कमल जी.. फिर ठीक है मुझे यह नौकरी मंजूर है.. कब से शुरू करना है कमल सर?

मैं भी बहुत खुश था।

‘अब नेक काम में देर कैसी.. कल से ही शुरू कर देते हैं क्यों रिया जी.. ठीक है ना? बस दस से पांच का काम है.. जब मर्जी हो, लंच मंगा लें.. क्यों आपके लिए ठीक रहेगा ना?’ ‘जी हाँ सर.. बिलकुल ठीक है.. थैंक्यू कमल सर।’

अगले दिन से रिया ऑफिस में कमल के साथ काम करने लगी।

रिया 24 साल की 5 फुट 4 इंच कद वाली.. 36-28-36 की मस्त फिगर की सांवली सी.. चंचल चुलबुली मस्तमौला और काफी खुले विचारों वाली औरत थी। वो ऑफिस में जीन्स और टी-शर्ट में बहुत सुन्दर लग रही थी।

पहले दिन से ही मेरी और रिया की अच्छी दोस्ती हो गई, मैंने उससे कहा- तुम मुझे सर न बुलाया करो। वो बोली- क्या कमल सर.. ऑफिस तो ऑफिस है.. और आपको सर बुलाना मुझे अच्छा लगता है।

मैंने उसको काम समझा दिए और बाहर चला गया। फिर हम दोनों ने लंच एक साथ किया और कुछ बातचीत हुई। फिर मैं बाहर चला गया।

मुझे उसकी मस्त खड़ी जवानी को देख कर बहुत मज़ा आ रहा था। वो भी अपना सीना तान कर खड़ी चूचियां, जीन्स में पतली कमर और उभरे हुए चूतड़ दिखा रही थी।

मेरा लम्बा और मोटा लन्ड टाइट होकर जीन्स में उछल रहा था और रिया देख कर मुस्करा दी। इस तरह एक हफ्ता गुजर गया। मैं उसके काम से और मस्त चंचल जवानी देख कर बहुत खुश था।

एक दिन उसके साथ लंच करते हुए मैंने पूछा- क्यों रिया काम से खुश हो ना? ‘अरे कमल सर.. यह काम तो बहुत आसान है.. कुछ मुश्किल होती है तो आप सिखा देते हैं.. मैं तो इस काम से बहुत खुश हूँ.. ऊपर से आप मेरा इतना ख्याल रखते हैं। आप सच में बहुत अच्छे हैं। आप बताएं कि आप मेरे काम से खुश हैं कि नहीं?’ चंचल रिया मुस्करा कर मेरी जीन्स के उभार को देख रही थी।

‘अरे यार.. मैं तो तुझसे और तेरे काम से बहुत खुश हूँ। तूने बहुत जल्दी सारा सीख लिया.. पर यार एक समस्या है..’ मैंने भी मुस्कराते हुए उसकी ऊपर से खुली शर्ट में तनी हुई चूची की तरफ देखते हुए कहा। ‘हाय राम कमल सर.. कैसी प्रॉब्लम हो गई.. मैंने तो सब ठीक ही किया था।’ रिया ने नादानी से चौंकते हुए पूछा।

‘रिया बुरा नहीं मानना.. तू इतनी सुन्दर है और इतने बेबाक तरीके से ऑफिस में रहती है कि.. तेरी यह ऊपर की 36 साइज देख कर अपना बुरा हाल हो जाता और फिर.. काम करने का दिल नहीं करता है।’

‘ओह..हो.. तो यह बात है.. इसमें बुरा क्या सर.. यह तो बहुत प्राउड होने की बात है कि मुझे देख कर ‘आपका खड़ा’ हो जाता है..’ रिया बिन्दास हँस पड़ी।

मैं उसकी इस बेबाकी से और भी हतप्रभ था।

‘कमल सर आपको मालूम नहीं.. कि आप कितने स्मार्ट और मनभावन लगते हैं। आपको देख कर क्या-क्या ख्याल दिल में आते हैं और बस आपको देखते ही रहने को दिल करता है। सच तो यह है सर.. कि जैसे आपका मुझे देख कर ‘खड़ा’ जाता है.. मेरा भी आपको देख कर ‘खड़ा’ हो जाता है।’ रिया ने मेरी जांघ पर हाथ रख कर मेरी जीन्स के उभार को छूने लगी।

‘अरे वाह सच में.. फिर तो मुझे भी देखना है कि तेरा कितना खड़ा हो रहा है।’

मैंने अपना हाथ उसकी चूची की घुंडी पर रख दिया। ‘वाह रिया तेरा माल तो सच में जोरदार है यार..’

मैंने उसके होंठों पर चूम लिया। रिया ने कोई एतराज़ नहीं किया, वो भी साथ दे रही थी। मैं उसके दिल की बात समझ गया कि वो भी प्यार का मज़ा लेना चाहती है।

‘बस सर अभी रुक जाएं.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… आप तो एकदम से चालू हो गए।’ रिया उठ कर खड़ी हो गई और अपनी मस्त लम्बी पतली कमर हिलाते हुए बाथरूम में चली गई।

मैं पीछे से उसकी लचकती कमर और उभरे चूतड़ निहार रहा था। मुझे लगा कि कहीं रिया नाराज तो नहीं हो गई। वो बहुत दबंग और जोश वाली औरत है।

थोड़ी देर बाद रिया वापिस आई तो मैं अपनी सीट पर चुपचाप बैठा अपना काम कर रहा था। रिया भी अपनी सीट पर बैठ कर काम करने लगी। थोड़ी देर हम दोनों चुपचाप काम कर रहे थे.. पर चोर निगाह से एक-दूसरे को देख भी रहे थे।

फिर रिया ने चुप्पी तोड़ी- क्यों सर.. आप मुझसे नाराज हो गए क्या? वो मुस्करा कर मेरी तरफ देख रही थी। ‘नहीं रिया.. मैं तो सोच रहा था कि तू मेरी छेड़छाड़ से नाराज हो गई।

‘हाय राम कमल सर.. ऐसा कभी हो सकता है.. आप तो मेरी जान हैं मैं तो बस आपसे इस मस्ती.. प्यार.. छेड़-छाड़ के बारे में आपसे कुछ बात करना चाहती थी। ‘ठीक है बात भी कर ले.. पर पहले यह बता कि तुझे मेरा इस तरह छूना अच्छा लग रहा था ना?’

‘ओह्ह.. हाँ सर हाँ.. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। सच तो यह है कि मुझे सेक्स बहुत पसंद है.. आप बहुत पसंद है..? मैं यहाँ अकेले होने पर आप का सोच कर सड़का मारती हूँ.. मैं हर समय इसके बारे में ही सोचती रहती हूँ। मुझे लगता है जैसे जीवन में कुछ नया जोश वाला मस्ती भरा कुछ हो रहा है.. पर सर वो धमा-धम.. घुसाओ.. धक्के लगाए.. निकाला और राम-राम वाला पसंद नहीं है।’

रिया मस्ती में अपनी सीट से उठ कर मेरे पास आ कर टेबल के सहारे खड़ी हो गई, उसकी बड़ी-बड़ी काली-काली आँखें जवानी के खुमार में चमक रही थीं, सारा बदन जैसे नाच रहा था।

मुझे उसका इस तरह मस्ती में देख कर बहुत अच्छा लग रहा था.. पर मैं अभी उसे छू नहीं रहा था। बस उसकी जवान मस्ती का आनन्द ले रहा था और उस की सेक्स की चाहत की बातें सुन रहा था।

‘वाह रिया.. अगर धमाधम पसंद नहीं.. तो कैसा सेक्स तुझे पसंद है? मैंने अपनी कुर्सी उसके नज़दीक खिसकाते हुए हँस कर पूछा। ‘देखो सर.. आप मेरा मज़ाक नहीं बनाओ.. मैं तो अपने दिल की बात आपको बता रही हूँ। मुझे आँखों वाला सेक्स.. जिसमें देखना दिखाना होता है। जैसे आप इतने दिन से देख कर और मैं दिखा कर मज़ा ले रहे हैं। फिर उसके साथ सेक्स की.. प्यार की मस्ती भरी बातों वाला सिलसिला.. जिसमें एक-दूसरे को अपनी सेक्स लाइफ के बारे में बातें करना और उसके साथ छूना.. चूमना धीरे-धीरे दबाना.. बहुत मज़ेदार लगता है। ये सब अपनी मस्ती के लिए तो बहुत है सर।’

उसके मुँह से इतनी बेबाक बातों को सुन कर मुझे यकीन हो गया था कि ये आराम से चूत चुदवा लेगी।

आपके मेल की प्रतीक्षा रहेगी। [email protected] कहानी जारी है।

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000