मेरी अन्तर्वासना हिन्दी सेक्स स्टोरी की फ़ैन की चूत-3

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अब तक आपने पढ़ा.. कविता के पति रोहित के सामने मेरी चुदाई पूरी हुई। अब आगे..

रोहित बोला- यार, आप दोनों की चुदाई देख कर मज़ा आ गया। मैंने कहा- अब रात को आप दोनों चुदाई करोगे और मैं देखूंगा।

ऐसे ही कुछ देर तक हम सब हँसी-मज़ाक करते रहे। कविता किचन से चाय बना कर ले आई और उनका बेटा भी स्कूल से आ गया। चाय पीते हम उनके बेटे से बात करते रहे। मैंने बेटे को गोद में लिया और प्यार दिया उससे और उसका नाम क्लास वगैरह पूछा।

अब हमने बातों ही बातों में शाम को घूमने का प्लान बना लिया। मैं कुछ देर के लिए सो गया और जब उठा तो शाम के छह बजने वाले थे। मैं ज़ल्दी से उठा और देखा तो कविता फिर से चाय लेकर मेरे पास आ गई थी।

वो बोली- ये कुछ काम के लिए गए हैं, आप चाय पी लो, फिर वो जैसे ही आते हैं तो हम सभी घूमने चलते हैं। मैंने और कविता ने एक साथ चाय पी।

चाय के दौरान कविता बाजू में सट कर बैठी थी तो मैंने कविता के निप्पल को दबाया और उसे कई बार किस किया।

वो मजा लेने लगी तो मैंने कविता की टांगों के बीच हाथ रख कर उसकी कमीज़ के ऊपर से ही उसको चूमा।

मैंने इस बार कविता को बेशर्म करने का सोचा और उससे कहा- जानेमन.. देख अगर तुझे मज़ा लेना है तो मुझसे वैसे ही बात करनी होगी.. जैसे मुझसे फोन पर करती थी।

उसने कहा- हाँ मेरे राजा.. आज रात को हम सब वही करेंगे.. जो फोन पे करते हैं। मैंने उसके होंठ चूमते हुए कहा- ओके जानेमन!

हम दोनों ने ज़ल्दी-ज़ल्दी चाय ख़त्म की और तब तक रोहित भी आ गया था। रोहित ने कहा- चलो, हम अब घूमने चलते हैं।

हम सभी और उनका बेटा भी कार में सवार होकर घूमने के लिए निकल गए। रोहित ने कार एक बड़े मॉल के सामने रोक दी। वहाँ बच्चों के लिए खेलने को झूले वगैरह थे, उनका बेटा वहाँ खेलने लगा। मैं कविता और रोहित हम तीनों वहाँ खड़े होकर बातें कर रहे थे कि कविता मुझे लेकर एक शोरूम के अन्दर घुस गई।

मैंने कहा- ये क्या कर रही हो? वो बोली- मुझे आपको एक गिफ्ट देना है। मैंने मना भी किया.. परन्तु वो नहीं रुकी और मेरा बाजू पकड़ कर शोरूम के अन्दर ले गई।

उसने मुझे पैंट-शर्ट लेकर दी। मैंने उसका धन्यवाद किया साथ ही साथ वाले शो रूम से उसको भी रिटर्न गिफ्ट के तौर पर एक रेड कलर की ट्रान्सपेरेंट ब्रा और पैंटी लेकर दी।

कुछ देर वहाँ रहने के बाद हम उस मॉल से बाहर आ गए और फिर हम आगे के लिए निकल पड़े। फिर हमने एक ड्रामा देखा और वहीं एक रेस्टोरेंट में डिनर किया। रात के करीब 10:30 बजे हम सभी घर के लिए निकल पड़े। कुछ ही देर में हम घर वापिस आ गए, रोहित ने गाड़ी अन्दर की और हम सभी कमरे में आ गए। उनका बेटा सो चुका था, कविता ने बेटे को बिस्तर पर लिटाया।

अब हम सभी चुदाई के लिए फ्री थे। इसके बाद हम सभी एक-एक करके नहाए और नाईट ड्रेस पहन कर बेडरूम में आ गए।

कविता ने हम दोनों को दूसरे बेडरूम में जाने को कहा, क्योंकि इधर उनका बेटा सो रहा था। मैं और रोहित अन्दर जाकर अपनी बातें करने लगे और हमने आज कुछ अलग करने का प्लान बनाया।

कुछ ही देर में कविता वहाँ आ गई.. तो रोहित ने कविता को हम दोनों के बीच बैठने को जगह दी और हम कम्बल ओढ़ कर बिस्तर पर लेट गए। बिस्तर पर लेटते ही रोहित ने सामने एलईडी पर एक सेक्सी फिल्म लगा दी, जिसमें एक औरत दो मर्दों से चुद रही थी। उस फिल्म में औरत के एक साथ अलग-अलग अंदाज़ में काफी हार्ड पोर्न के सीन थे।

हम सभी वो फिल्म देख रहे थे और उस फिल्म को देखते हुए और गर्म होने लगे थे। इतने हार्ड सीन देख कर कविता भी गर्म हो चुकी थी। मैंने कविता के होंठों को अपने होंठों में लिया और उसके मुँह में जीभ डाल कर अन्दर-बाहर करने लगा। उसी तरह कविता भी कभी अपनी जीभ मेरे मुँह के अन्दर डाल कर अन्दर-बाहर कर रही थी जिससे मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।

पीछे से कविता की कमीज़ को रोहित ने ऊपर उठा दिया था। रोहित कविता की पीठ को सहला रहा था और रोहित कविता को कामुक कर रहा था। रोहित ने कविता की चूचियां तक नंगी कर दी थीं। अब कविता भी कामुक सिसकारियाँ निकाल रही थी और उसके हाथ अपने आप मेरे लंड तक पहुँच चुके थे।

मैंने कविता के होंठों को छोड़ा और रोहित की तरफ देखा, तो रोहित ने कविता की कमीज़ निकाल दी और उसकी ब्रा से उसके मम्मों को आज़ाद कर दिया। चूचे नंगे होते ही रोहित ने कविता का लेफ्ट संतरा हाथ में पकड़ा और उसे दबाकर उसकी चूची को मेरे मुँह में डालते हुए बोला- लो रवि, साली का यहाँ से दूध पियो।

उसकी इस स्टाइल से कविता और गर्म हो गई और कामुकता से सिसकारती हुई बोली- उन्ह.. आह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… मादरचोदो.. आंह… सी..सी.. सालों अपने लौड़े नंगे करो कुत्तों..

तभी रोहित बोला- ले भोसड़ी की कुतिया तेरी बहन की चूत मारूं.. पकड़ मेरा लौड़ा.. यह कहते हुए उसने अपनी कैपरी नीचे खिसका दी और लंड नंगा कर दिया।

इधर कविता की चूचियों को मैं अपने मुँह में लेकर चूस रहा था और रोहित ने कविता का स्तन छोड़ कर अपनी कैपरी उतार दी और साथ ही अपनी टी-शर्ट भी उतार दी.. अब रोहित बिल्कुल नंगा था। इधर अब कविता के शरीर पर नाईट सूट था, तो मैंने कहा- इस मादरचोदी रांड को भी पूरी नंगी कर देते हैं रोहित.. तभी इस कुतिया को पूरा मज़ा आएगा।

यह कहते हुए मैंने उसकी कमीज़ उतार दी और रोहित ने पीछे से उसकी गांड के ऊपर से उसकी पजामी खींच कर उतार दी। कविता अपने जिस्म पर अब वही पैंटी पहने थी.. जो मैंने उसे गिफ्ट की थी।

मैंने पैन्टी देखते ही कहा- वाह, मेरी डार्लिंग.. साली ने मेरा गिफ्ट पहन भी लिया.. तभी हम दोनों मर्दों के बीच इतना सेक्सी बन कर लेटी हो.. साली कुतिया! तभी कविता बोली- ओह स्वीटू, तुम्हें दिखाना भी था न कि तुम्हारी ये बेबी कितना जंचती है इसमें!

मैंने कहा- अरे बहुत जंचती हो मेरी जान.. साली अभी तो दिल करता है मादरचोद तुमको जन्नत का मज़ा दे ही दूँ। तभी रोहित बोल पड़ा- तो दे दो न जन्नत का मज़ा.. आपको किसने रोका है। मैंने कहा- जरूर जी जरूर..

यह कहते हुए मैंने भी अपनी ड्रेस उतार दी, अब हम तीनों नंगे थे, बस कविता के जिस्म पर पैंटी बची थी। मैंने रोहित को इशारा किया तो रोहित कविता के होंठों को चूसने लगा, मैं कविता के मम्मों को चूसने लगा।

पहले मैंने कविता के मम्मे खूब चूसे और जब कविता की आहें.. निकलने लग गईं और कविता कामुक सिसकारियाँ लेने लग गई.. तो मैंने कविता के कन्धों और कानों को भी चूसा, फिर उसका जिस्म चूसता हुआ उसके नीचे की तरफ जाने लगा।

ऊपर रोहित उसके होंठों के साथ साथ कभी कान, कभी गालों को और कभी उसके कन्धों को चूस रहा था। कविता हम दोनों मर्दों की चुसाई से काफी गर्म हो चुकी थी। मैं चाहता था कि कविता अपना पहला चरम.. चुसाई में ही पूरा करे।

मैं कविता को चूसता हुआ उसके पेट तक आ गया, मैं उसकी नाभि को चूस रहा था और उस पर किस कर रहा था, कविता लगातार आहें.. भर रही थी।

मैंने इशारा किया तो रोहित ने कविता को उल्टा कर दिया और अब कविता की गांड हमारी तरफ थी, रोहित कविता के आगे बैठ गया और मैं उसकी गांड की तरफ बैठ गया।

रोहित कविता की पीठ को चूसने लगा और कभी-कभी आगे से उसके मुँह को ऊपर उठा कर उसके होंठ चूस लेता।

इधर मैं कविता की गांड तक पहुँच चुका था, बस लाल डोरी जैसी पैंटी उसकी गांड की दरार में फंसी हुई उसकी गांड के छेद को ही ढक रही थी। तभी कविता की साँसें तेज हो गईं ‘उन्ह उन्ह बहन चोद सी सी… चोद दो सालो..’

मैंने अंदाजा लगाया कि कविता बहुत गर्म है.. इसलिए मैंने उसको सीधा किया और उसकी पैंटी को अपने दांतों में पकड़ लिया और उसकी पैंटी को टांगों से होते हुए नीचे की तरफ उतार दिया।

अब कविता हल्फ नंगी थी, उसकी चूत बिल्कुल गीली थी, मैंने उसकी गीली चूत पर अपनी जीभ लगाई और उसकी चूत का गीला सा रस चाटना शुरू कर दिया।

जैसे ही मैंने उसकी चूत को अपनी जीभ से टच किया तो कविता सिसकार पड़ी और जैसे ही उसकी चूत से थोड़ा सा पानी निकला.. मैंने अपनी जीभ पर ले लिया। वो नमकीन सा पानी कविता की चूत से उसकी उत्तेजना की वजह से निकला था।

अब मैंने कविता का एक मम्मा अपने हाथ में ले लिया और दूसरा मम्मा रोहित के होंठों में दबा था और वो उसे चूस रहा था। मैंने रोहित को इशारा किया तो रोहित भी मेरे पास आ गया और हम दोनों ही कविता की चूत चूसने लगे, रोहित कविता की चूत और गांड की बीच की दरार चूस रहा था और मैं उसकी चूत के ऊपर उसके दाने को चूस रहा था।

कविता बहुत जोर-जोर से सिसकार रही थी, आखिर दो मर्दों से उसकी चुसाई हो रही थी तो वो सिसकारे भी क्यों न!

साथियो, अगले पार्ट में आपको कविता के दोनों छेदों की एक साथ दो लौड़ों से चुदाई का मंजर लिखने वाला हूँ।

कहानी कैसी लग रही है, जरूर लिखिएगा। [email protected] कहानी जारी है।

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