दिल्ली की अनजान लड़की से ट्रेन में मुलाकात और दोस्ती-1

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मैं आर्यन (rocko) दिल्ली का रहने वाला हूँ, अभी बीए फाइनल इयर में हूँ। मेरी हाइट 5.5 है और रंग सांवला है। मेरा लंड 6 इंच का है।

बात 2 साल पहले की है.. अप्रैल का महीना था और मेरे भाई की शादी थी, जो कि मेरी बुआ का लड़का है। शादी बुआ ने गाँव में रखी थी.. तो मुझे भी गांव जाना पड़ा।

जब मैं गाँव पहुँचा तो वहाँ बहुत भीड़ का माहौल था। मैं बुआ के घर गया और सबको नमस्ते किया। फिर ऐसे ही खाने पीने और हँसी-मजाक में पूरा दिन निकल गया। शादी भी बड़ी धूमधाम से हुई और फिर मैं घर आने को तैयार हुआ।

अगले दिन मैं दिल्ली आने के लिए स्टेशन पर था। मेरे साथ कुछ और लोग भी थे.. जिनमें मेरी बुआ का छोटा लड़का और फूफा जी और मेरी मौसी की लड़की जो कि मुझसे बड़ी थी।

कुछ ही देर में ट्रेन आई और हम सभी ट्रेन में चढ़ गए.. पर ट्रेन में भीड़ बहुत थी। जैसे-तैसे करके मैं अपनी सीट के पास तक पहुँच गया। मैंने पाया कि कुछ लोग मेरी सीट पर बैठे हुए थे।

मैंने उनको उठाया और भाई को.. फूफा जी को बैठाने के साथ-साथ.. सामान को भी सैट किया। मैं खुद खिड़की वाली जगह पर बैठ गया। छोटे भाई का नाम राहुल है, वो मुझसे 3 साल छोटा है और मुझे बहुत मानता है।

कुछ ही देर में एक लड़की आई। यार क्या मस्त लड़की थी.. उसका नाम प्रिया था जिसका फिगर देख कर तो मेरे होश उड़ गए। इतने में वो आकर मेरे सामने वाली सीट पर बैठ गई।

प्रिया का फिगर साइज़ 30-28-32 का रहा होगा। वो दिखने में एकदम गोरी-चिट्टी थी और उसके खुले बालों पर उसने चश्मा टिका रखा था.. जो उसके चेहरे पर बहुत फब रहा था। वो एकदम कयामत लग रही थी।

उसने उस वक्त सफेद रंग का टॉप पहन रखा था.. जो कि पारदर्शी था। जिसमें से उसकी लाल रंग की ब्रा दिख रही थी। वो नीले रंग की जींस पहने हुए थी.. जो कि पूरी तरह से कसी हुई थी और उसकी टांगों का सुडौल आकार एकदम से नुमायां हो रहा था।

किसी तरह मैंने अपने ऊपर काबू किया और अब मैं अपने भाई से बात करने लगा। मुझे ऐसा लगा कि वो मुझे देख रही है.. पर मैंने उसकी तरफ देखा ही नहीं।

तभी मैंने देखा कि एक औरत एक बच्चे को लेकर खड़ी है.. तो मैंने उन्हें सीट पर बैठने दिया।

प्रिया अब मुझे चोर नजरों से देखे जा रही थी, मैंने एकदम से उसकी तरफ देखा तो उसने नजर नीचे कर लीं। ऐसे ही कुछ देर चलता रहा।

राहुल मुझसे धीमे स्वर में बोला- भैया मैं देख रहा हूँ.. यह लड़की आपको ही देख रही है। मैंने कहा- फिर क्या हुआ.. देखने दो। अब हम दोनों और दीदी आपस में बात करने लगे।

प्रिया भी मेरी तरफ देखने लगी थी और अब जब भी कोई हँसी की बात होती.. तो उसके मुँह देखने से पता चल जाता कि उसको मेरी बातें अच्छी लग रही हैं। प्रिया के साथ उसके गांव के रिश्ते का लगने वाला भाई था और भी 2-3 लोग थे।

कुछ देर बाद भाई बोला- मुझे तो खाना खाना है। मैंने जैसे ही खाना राहुल को दिया और मैंने खुद भी खाना शुरू ही किया कि प्रिया ने भी खाना निकाल लिया। अब वो एक रोटी का टुकड़ा मुँह में डालती और मुझे देखती।

खाना खाने के बाद अब सोने की बारी थी तो मैंने भाई और फूफा को ऊपर की सीट पर सोने को कहा। मैं और मेरी बहन दोनों ही नीचे वाली सीट पर थे और प्रिया सबसे ऊपर वाली सीट पर जा कर लेट गई।

वो कभी अपना मुँह दूसरी तरफ कर लेती तो कभी मुझे देखने लगती, अब हम दोनों ही एक-दूसरे को देख रहे थे। जब भी प्रिया दूसरी तरफ मुँह किए होती तो उसकी गांड और कमर दिख जाती।

कुछ ही देर में सब सो गए.. पर मुझे नींद नहीं आ रही थी और अचानक ही मेरा सर दर्द होने लगा। मैंने दीदी से कहा तो दीदी उठी और मेरा सर दबाने लगी। इतने में मैंने देखा कि प्रिया भी जगी हुई है और मुझे ही देख रही थी।

कुछ देर बाद मैंने दीदी को सोने को कहा। प्रिया मुझे देख कर स्माइल कर रही थी और अब हम दोनों ही इशारे में बात करने की कोशिश कर रहे थे। पर मेरी बात उसको समझ में नहीं आ रही थी।

मैंने उसे हाथ को हिलाते हुए इशारा किया कि मुझसे गेट के पास मिले और फिर अपना मोबाइल दिखाते हुए उसे इशारा किया कि मोबाइल भी साथ में लाना। क्योंकि मेरा मोबाइल ऑफ हुआ पड़ा था।

इसके बाद मैं उठा और गेट के पास खड़ा हो गया। कुछ ही पल में प्रिया आ गई, मैंने उसे ‘हैलो’ कहते हुए अपना हाथ आगे बढ़ाया। प्रिया ने भी प्यारी सी आवाज में ‘हैलो’ कहा और उसने हाथ मिलाया। क्या बताऊँ यार.. उसके हाथ भी इतने प्यारे और कोमल थे कि बस पूछो मत।

मैंने पूछा- आपका स्वीट नाम क्या है? वो बोली- मेरा नाम प्रिया है। फिर उसने मुझसे पूछा- आपका नाम? मैंने कहा- मेरा नाम आर्यन है।

उसको सामने देख कर मन हुआ कि अभी इसको दबोच कर चोद दूँ.. पर यार चुदाई का असली मजा तो लड़की की रजामंदी से आता है।

वो अपना फोन नहीं लाई थी, मैंने उसको अपना मोबाइल नंबर दिया और मैं बोला- आप बहुत सुन्दर हो। प्रिया ने ‘थैंक्स’ बोला और कहा- आप भी बहुत स्मार्ट हो। मैंने कहा- शुक्रिया जी। वो मुस्कुरा दी।

मैंने कहा- आपको नींद नहीं आ रही क्या? प्रिया बोली- आप भी तो नहीं सोये। मैंने कहा- मुझे तो आपको देखना था इसलिए नहीं सोया। इस पर प्रिया भी बोली- मैं भी आपको ही देखने के लिए अब तक सोई नहीं हूँ। मैं हँस दिया।

फिर प्रिया बोली- अब दिल्ली पहुँच कर आप से बात करती हूँ। मैंने कहा- मुझे इन्तजार रहेगा।

उसने मुझे अपना नम्बर नहीं दिया जबकि मुझे लग रहा था कि ये अपना नम्बर मुझे दे देगी।

प्रिया चली गई और ऊपर जाकर लेट गई और मैं भी आकर लेट गया। फिर से हम दोनों ही एक-दूसरे को देखने लगे और पता नहीं कब.. मैं सो गया।

सुबह 5 बजे मैं उठा तो प्रिया अभी भी सो रही थी.. वो कितनी प्यारी लग रही थी। कुछ देर में एक चाय वाला आया तो मैं खड़ा हो गया और थोड़ी तेज आवाज में बोला- भाई, चाय पीनी है?

खड़े होने से मेरी आवाज प्रिया ने सुन ली, उसने आँखे खोलीं और मुँह पर एक उंगली रख कर मुझे चुप होने को कहा। लेकिन मैं जान बूझ कर और जोर से कहने लगा- भाई चाय तो मस्त बनी है न? उधर प्रिया अपने हाथ जोड़ कर चुप होने को बोलने लगी।

मैंने उसे इशारे में फ्लाइंग किस मांगी तो मना करने लगी। मैंने फिर से जोर से चाय वाले से बोला- भाई और कुछ खाने को है? ऊपर फूफा सो रहे थे और प्रिया मुझे देख रही थी।

मैं बोला- ये फूफाजी कितना सोते हैं यार। प्रिया मेरी बात को समझ गई कि मैं उसे किस देने की वजह से ऐसा बोल रहा हूँ।

अब प्रिया ने अपने आप ही फ्लाइंग किस की और कुछ देर लेटने के बाद वो मुँह धोने चली गई। वापस आते ही वो फिर से मेरे सामने बैठ गई और फिर से हम दोनों एक-दूसरे को ही देखने में लग गए।

समय से हम सभी दिल्ली स्टेशन पर आ गए। प्रिया भी उतरने लगी। मैं अभी ट्रेन से अपना सामान उतार ही रहा था कि वो अपना सामान लेकर उतरी और मुझे हल्का सा धक्का देते हुए जाते-जाते कह गई ‘बाय आर्यन.. फिर मिलेंगे..’ मैं हँस दिया और ‘बाय’ कर दिया।

इसके हम सभी स्टेशन के बाहर आए। फूफा जी बोले- एक ऑटो में 4 लोग तो आएंगे नहीं। दीदी और मुझे अपने घर जाना था और फूफा जी को अपने घर जाना था। फिर मैं वहीं से मेट्रो के लिए नीचे गया.. मेरे साथ दीदी थीं। फूफाजी अपने रास्ते चले गए थे।

जैसे ही मैं टिकट की लाइन में लगा तो मुझे फिर से प्रिया दिखी.. पर वो नीचे जा चुकी थी। मैंने टिकट ली और हम मेट्रो से घर आ गए।

मैंने नहा कर कुछ देर आराम किया और शाम हुई तो सब बातें फिर से याद आने लगीं। अभी तक प्रिया की कॉल नहीं आई थी। ऐसे ही दो दिन बीत गए.. पर उसकी कॉल ही नहीं आई। मैंने सोचा चलो कोई नहीं शायद ट्रेन में ही मिलना लिखा था।

इसके बाद मैं अपने एक दोस्त के घर गया और हम दोनों की बात हो ही रही थी कि उसी वक्त एक अनजान नंबर से मेरे फोन पर कॉल आई। मैंने कॉल उठाई तो एक प्यारी सी आवाज उस तरफ से आई- हैलो..

मैं सोचने लगा कि यह आवाज तो मैंने कहीं सुनी है। तभी मुझे फिर प्रिया की याद आई और मैं समझ गया कि यह प्रिया है। प्रिया बोली- क्या मेरी बात आर्यन से हो जाएगी? मैंने कहा- आर्यन से ही बात हो रही है.. बोलो जी क्या काम था? तो प्रिया ने बोला- अभी तक नहीं पहचाना आपने? मैंने जानबूझ कर बोला- नहीं यार.. कौन हो आप?

प्रिया बोली- जब आपको कुछ याद ही नहीं है कि आपने ट्रेन में किसको अपना नंबर दिया था.. तो फिर क्या किया जा सकता है। मैंने कहा- ऊओह्ह.. याद आया। ‘चलो याद तो आया..’ मैंने कहा- सॉरी यार.. मैं तुमसे मजाक कर रहा था.. मुझे तो आवाज से ही पता चल गया था।

प्रिया बोली- आप ना सच में बहुत शरारती हो। मुझे ट्रेन में भी सही से सोने नहीं दिया था। फिर मैंने पूछा- आपको दो दिन बाद याद आई.. मैं तो कब से आपकी आवाज सुनने का वेट कर रहा था। प्रिया बोली- सॉरी यार, कुछ काम था तो टाइम नहीं मिला।

मैंने कहा- चलो कोई बात नहीं और बताओ कौन-कौन है घर में? प्रिया बोली- घर में तो सब लोग हैं लेकिन मैं यहाँ अपने भाई के साथ रहती हूँ और स्टडी कर रही हूँ। मैंने कहा- अच्छा कौन सा कोर्स कर रही हो? तो बोली- मैं तो बी.कॉम. के दूसरे साल में हूँ। ‘ओके..’ प्रिया ने पूछा- आप क्या करते हो? मैंने कहा- मैं अभी बीए के फाइनल ईयर में हूँ।

इसके बाद कुछ देर बाद फोन पर बात खत्म हो गई। फिर ऐसे ही कुछ दिन हमारी बात होती रही। अब उससे बात करते हुए एक महीना हो गया होगा। अब तक हमारी बातें नार्मल ही होती थीं।

फिर एक दिन प्रिया बोली- क्या तुम मुझसे मिलने मेरे घर आ सकते हो? मैंने कहा- क्यों कोई पार्टी दे रही हो? प्रिया बोली- ठीक है यार.. पार्टी भी ले लेना.. अब बोलो आओगे?

मैंने कहा- ठीक है.. आना कब है? प्रिया बोली- अगर कोई प्रॉब्लम न हो तुमको तो कल ही आ जाओ। मैंने कहा- ठीक है.. कितने बजे और कहाँ आना है? ‘वो मैं तुमको मैसेज कर देती हूँ.. तुम वहीं आना.. मैं तुमको लेने आ जाऊँगी ओके..’ मैंने भी कहा- ओके।

कुछ देर बात कर करके उसने कॉल काट दी। अब अगले दिन मैं उसके बताए हुए पते पर गया और उसको देखा तो मेरा लंड खड़ा हो गया।

इस लड़की ने मेरे लौड़े को परेशान कर दिया था.. इसकी चुदाई का पूरा मजा आप सभी के साथ साझा करूँगा मेरा पक्का वादा है.. आपके ईमेल का इन्तजार रहेगा। [email protected] कहानी जारी है।

कहानी का अगला भाग: दिल्ली की अनजान लड़की से ट्रेन में मुलाकात और दोस्ती-2

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