जवान धनवान विधवा की चुत चुदाई- 1

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चुदाई की स्टोरी हिंदी में पढ़ें कि मैं अपने मामा के बेटे के साथ मिलकर मजे कर रहा था. जॉब मिली नहीं थी. हम दोनों भाई मिल कर लड़कियाँ चोदते थे.

दोस्तो प्रणाम, मुझे पता है आप सभी तंदुरुस्त और फिट होंगे और मेरी दुआ है कि आप सभी हमेशा खुश रहें.

इस चुदाई की स्टोरी हिंदी में आप पढ़ेंगे कि कैसे आर्यन अपनी जिंदगी में एक पैसेवाली जवान विधवा औरत को चोद रहा है.

इस सेक्स कहानी के सभी पात्र और घटनाएं काल्पनिक हैं. इस कहानी में किसी जाति या धर्म से कोई सम्बन्ध नहीं हैं. यह सेक्स कहानी केवल आप सभी के मनोरंजन के लिए लिखी गई है.

मेरा नाम आर्यन है और मैं हरियाणा का रहने वाला हूं. मेरी हाइट 5 फुट 9 इंच है, रंग गोरा है. मेरे रहने का तरीक़ा एकदम मस्त है. मैं आकर्षक हूँ और शरीर से एकदम फिट हूं.

यह सेक्स कहानी तब की है, जब मुझे पढ़ाई में सफलता हासिल नहीं हुई और मैं बहुत ही परेशान रहने लगा. मैं नौकरी के लिए यहां-वहां धक्के खाने लगा, पर कहीं भी मुझे नौकरी नहीं मिल रही थी.

वैसे तो मैं पढ़ाई लिखाई और कंप्यूटर का काम अच्छे से जानता था, लेकिन गलत दिशा में पढ़ाई करने के कारण मुझे सफलता नहीं मिली थी.

कई महीनों तक मैं बस धक्के खाता रहा और अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से नौकरी के लिए कहता रहा, लेकिन कहीं भी मुझको नौकरी नहीं मिली.

मेरा एक भाई जो कि मेरे मामा जी का लड़का है, वो दिल्ली में नौकरी करता है. उसका नाम मयंक है. हम दोनों की आपस में बहुत ज्यादा जमती है, लेकिन घरवालों को हमारी दोस्ती अच्छी नहीं लगती थी. क्योंकि वह समझते थे कि यह दोनों इकट्ठे रहते हैं तो सिगरेट शराब पीते हैं. इसी लिए मेरे मामा जी के लड़के को दिल्ली नौकरी के लिए जाना पड़ा.

हम दोनों के घर वालों की सोच सही थी क्योंकि हम दोनों भाइयों ने साथ में मिलकर बहुत सारी लड़कियां और भाभियों की चुदाई की थी. अभी भी जब कभी मौका मिल जाता था तो हम दोनों किसी न किसी लौंडिया या भाभी को सैट करके साथ मिलकर चोद देते थे.

हम दोनों एक दूसरे की गर्लफ्रेंड के साथ भी सेक्स करते थे. बस आप यूं समझ लो कि हमारी दोस्ती एक मिसाल थी.

एक लड़की का उदाहारण जरूर लिखना चाहूँगा. उस लड़की की शादी होने वाली थी और वो लड़की हम दोनों की सैटिंग थी. उस लड़की का नाम प्रीति था. उसकी शादी से पहले हम दोनों ने उसकी खूब चुदाई की थी और उसे पक्की चुदक्कड़ बना डाला था.

हम दोनों ने ही उसकी शादी की सारी शॉपिंग करवाई. उसकी शादी की शॉपिंग करने बाजार जाते. शॉपिंग के बाद हम तीनों हर रोज किसी नए होटल में चले जाते और कमरा लेकर उसके साथ खूब चुदाई करते. चुदाई में जितना भी होटल और खाने पीने का खर्च होता था, सारा खर्चा प्रीति ही करती थी.

प्रीति एक अमीर घर की लड़की थी और हम दोनों मिडिल क्लास के लड़के हैं. हमारी जेब में पैसा नहीं होता था, यह बात प्रीति को भी अच्छे से पता थी.

उसने हमारी हर जरूरत के समय पैसे दिए थे. उसके पास पैसों की कोई कमी नहीं थी.

अब उसकी शादी को दो साल हो चुके हैं. उसकी शादी के बाद भी हम दोनों ने कई बार प्रीति की चुदाई की है. अब भी प्रीति का फोन हम दोनों के पास आता रहता है.

उसकी शादी दिल्ली के एक बड़े घर में हुई थी. उसके हस्बैंड की 4 बड़ी बड़ी कंपनियां हैं. उसका अच्छा-खासा कारोबार है. इसी वजह से मैंने प्रीति से कई बार बोला भी था कि तुम अपने पति से कहकर किसी एक कंपनी में हम दोनों को नौकरी दिलवा दो.

प्रीति हमेशा यही कहती कि तुम दोनों मुझसे हर महीने अपने लिए तनख्वाह ले लिया करो लेकिन मैं तुमको मेरे ही घर में नौकरी करते हुए नहीं देख सकती हूँ. जितना सुख तुम दोनों ने मुझको दिया है … आज तक वैसा सुख किसी से भी नहीं मिला.

जब वह ऐसा बोलती थी, तो हम दोनों के दिल में उसके लिए और भी इज्जत बढ़ जाती थी.

उस समय जब मैं नौकरी के लिए परेशान था, तो ये बात मैंने मयंक से कही. मयंक ने कहा कि मैं देखता हूँ.

कुछ समय बाद मयंक का मेरे पास फोन आया- भाई तेरी बहुत ज्यादा याद आ रही है. तुम मेरे पास आ जाओ, यहीं पर तेरे लिए भी कोई नौकरी ढूंढ लेंगे. अगर नौकरी नहीं मिली तो फिर कुछ और सोचेंगे, लेकिन पहले तू आ जा, कुछ ना कुछ तो काम जरूर मिल ही जाएगा.

मैंने घर वालों से कहा- मैं नौकरी ढूंढने के लिए मयंक के पास जा रहा हूं, उसने मेरे लिए नौकरी की बात की है.

घर वाले थोड़े खुश हुए कि चलो अब ये दोनों कम से कम काम तो कर रहे हैं. घर वालों ने खुशी खुशी मुझको मयंक के पास जाने दिया.

हम दोनों भाई वैसे तो निकम्मे या नाकारा नहीं हैं, बस हमारी किस्मत कुछ अजीब है. करने कुछ अच्छा जाते हैं … और हो कुछ और ही जाता है.

मैं मयंक के पास दिल्ली आ गया. मयंक यहां किराए के कमरे में रहता था. उसका कमरा देखने में काफी अच्छा और बड़ा था. ये जगह हम दोनों के लिए काफी अच्छी थी. अच्छा फर्नीचर, रसोई, टॉयलेट, बाथरूम की सारी सुविधाएं थीं. बस अब एक नौकरी ढूंढनी बाकी थी.

मयंक ने मेरे लिए कई जगह पर कंपनियों में पता किया, लेकिन कोई भी नौकरी नहीं मिली. हमारे कुछ दिन ऐसे ही निकल गए.

हमने मौज मस्ती भी खूब की, लेकिन दोस्तो, आपको पता ही है कि बिना रोजगार के मस्ती करने में भी मजा नहीं आता. इसलिए हम दोनों भाई मेरी नौकरी के लिए थोड़े उदास रहते थे.

जिधर मेरे भाई का कमरा था, वहीं पास में एक दुकान थी. उस दुकान में एक भाभी बैठती थी, जो कि मयंक की सैटिंग थी. मयंक ने मुझको भी उससे मिलवाया था.

कई बार वो भाभी रूम पर आ जाती थी और हम तीनों खूब मस्ती करते थे. भाभी का नाम खुशी था. उसका हस्बैंड गुजरात की एक बड़ी कंपनी में काम करता था और वहीं पर रहता था. भाभी का एक छोटा बच्चा भी था, जिसका नाम विशु था.

मैंने उस भाभी से भी अपनी नौकरी की चर्चा की तो वो बोली कि यदि तुम्हारी नौकरी लग गई तो मेरा सुख चैन चला जाएगा. तुम अपने खर्चे के लिए मुझसे पैसे ले लिया करो. मतलब पैसे का जुगाड़ तो हो गया था मगर साली नौकरी नहीं मिल रही थी.

मुझे दिल्ली रहते हुए लगभग एक महीना बीत चुका था.

एक दिन मयंक शाम को रूम में आया.

आते ही उसने मुझे खुशी के मारे गले से लगाया और बोला- भाई पैसे कमाने का रास्ता मिल गया. अब हम दोनों के पास भी कुछ दिनों में अच्छा पैसा होगा.

मैंने मयंक से पूछा- आज ऐसा क्या मिल गया भोसड़ी के … जो तुम इतना उछल रहे हो? मयंक ने जवाब दिया- अबे भैनचोद … सुन … मेरी कंपनी में एक लड़का काम करता है, उसने आज कमाल का आईडिया दिया है.

मैंने पूछा- ऐसा क्या आईडिया दिया है? मयंक ने बताया कि वह लड़का एक मेल एस्कॉर्ट के लिए काम करता है, जिसमें बड़े घर की औरतों, भाभियों और लड़कियों को चोदकर खुश करना होता है. इस चुदाई से वो लड़की या भाभी अपने चोदू को एक रात के अच्छे पैसे दे देती हैं.

मैंने पूछा- बहन के लौड़े … हम उस मेल एस्कॉर्ट कंपनी में ज्वाइन कैसे करेंगे? मयंक बोला- ये काम वो लड़का करवा देगा. शायद उसके लिए हमें थोड़े पैसे कंपनी में देने पड़ेंगे, फिर उसके बाद ही वह कंपनी हमें क्लाइंट के लिए जगह और मीटिंग फिक्स करेगी या फिर क्लाइंट का नंबर हमको देगी. फिर हमको क्लाइंट के बताए हुए एड्रेस पर जाना होगा और चुदाई का काम करना पड़ेगा.

उस रात मैं और मयंक इसी के बारे में बातें करते रहे और अगले दिन मैं भी मयंक के साथ उसकी कंपनी में चला गया, जहां मयंक नौकरी कर रहा था.

हम दोनों उस लड़के से मिले और मेल एस्कॉर्ट कंपनी में हमारी ज्वाइनिंग करवाने के लिए बोला.

वह लड़का बोला- भाई तुम दोनों को पैसे खर्च करने की जरूरत नहीं पड़ेगी. मैं तुमको एक जगह बताता हूं, वहां पर तुम दोनों हाथ पर कोई रंगीन कपड़ा बांधकर खड़े हो जाना. उधर लड़कियां या भाभियां बड़ी-बड़ी गाड़ियों में आएंगी. जिसको तुम पसंद आओगे, तो तुमको वह अपने साथ ले जाएगी. उधर ही तुम उससे पैसों की भी बात कर लेना.

हम दोनों सोचने लगे कि क्या बात है साली … इधर तो चुदाई करने के पैसे भी मिलते हैं.

फिर उसने वह जगह बताई, जहां हम दोनों को रात को 9:00 बजे के बाद जाना था.

मैं रूम पर आ गया और मयंक वहीं कम्पनी में अपने काम में लग गया.

शाम को 5:00 बजे मयंक रूम पर आया और हम दोनों ने रात के लिए प्लानिंग की. मयंक और मैंने अच्छे से सोच कर वहां रात को जाने का फैसला कर लिया कि शायद हमारी किस्मत जाग जाए.

फिर ऐसे बातें करते करते रात हो गई. हमने खाना खाया. फिर नहा धोकर और लंड साफ़ करके उस जगह पर जाने के लिए रूम से निकल लिए.

मयंक और मैं तकरीबन 9:00 बजे वहां पर पहुंच गए, जो जगह उस लड़के ने हम दोनों को बताई थी.

वहां पर दस बारह लड़के हाथ पर कोई ना कोई रंगीन कपड़ा बांधकर खड़े हुए थे.

हमने सोचा कि पहले थोड़ी देर उनको देखते हैं कि वो सब कैसे करते हैं.

हमारी आंखों के सामने गाड़ियां आती रहीं और एक एक करके तीन लड़के गाड़ियों में बैठकर चले गए.

फिर हमने अपने अपने हाथों पर लाल रंग के रूमाल बांध लिए, जो हमने आते टाइम मार्केट से खरीदे थे. हम दोनों ने फैसला किया कि दोनों भाई साथ में चलेंगे.

वहां पर जितने भी लड़के खड़े थे, हम दोनों उन सबसे हैंडसम और स्मार्ट दिख रहे थे. वहां खड़े लड़के काले और शरीर से इतने अच्छे नहीं थे. हम दोनों उन सबसे लाख गुना ज्यादा अच्छे थे.

थोड़ी देर बाद एक बहुत ही महंगी गाड़ी धीरे से आती हुई दिखाई दी. वह गाड़ी सबके पास धीरे धीरे रुकती हुई हम दोनों के पास आकर रुक गई. उस गाड़ी का शीशा नीचे उतरा और आवाज आई- हे … अन्दर आओ.

गाड़ी का गेट खुल गया, मैं गाड़ी के नजदीक गया तो गाड़ी में एक बहुत ही सुंदर लड़की बैठी थी, जो गाड़ी चला रही थी.

मैंने उस लड़की को ‘गुड इवनिंग मैम ..’ बोला. उसने मुझे अन्दर बैठने को बोला.

तो मैंने उस लड़की से कहा- मैडम हम दोनों भाई हैं … और साथ में ही जाते हैं. इस पर उस लड़की ने कहा- क्यों तुम अकेले नहीं आ सकते?

तो मैंने कहा- सॉरी मैडम, आप किसी और को अपने साथ ले जाइए, हम दोनों साथ में ही जाएंगे. उस लड़की ने थोड़ी देर सोचने के बाद कहा- ओके तो दोनों आ जाओ.

मैंने गाड़ी का अगला दरवाजा खोला और आगे की सीट पर बैठ गया और मयंक पिछला दरवाजा खोलकर पीछे की सीट पर बैठ गया.

गाड़ी चल पड़ी और उस सुंदर मैडम ने गाड़ी का शीशा भी ऊपर कर दिया.

थोड़ी दूर चलने के बाद मैडम ने पूछा- तुम दोनों के नाम क्या है? फिर मैंने मेरा नाम बताया- जी मैडम, मेरा नाम आर्यन है. मयंक ने भी अपना नाम बताया.

मैडम ने कहा- तुम दोनों देखने में अच्छे घर के लग रहे हो, एस्कॉर्ट बॉयज तो नहीं लग रहे हो. इस पर मयंक ने जवाब दिया- मैडम हम दोनों को पैसे की जरूरत है इसलिए इधर आ गए थे. लेकिन हम दोनों की परफ़ॉर्मेंस और टाइमिंग बहुत अच्छी है.

उस लड़की ने कहा- मेरा नाम संगीता है यार … तुम लोग मुझे मैडम कहकर मत बुलाओ … मेरा नाम बोलो प्लीज़. अब मैंने और मयंक ने संगीता को उसके नाम से बुलाया- जी संगीता जी.

हम तीनों हंसने लगे. फिर संगीता ने हम दोनों के बारे में पूछा.

संगीता- तुम दोनों इस काम में कैसे आ गए. क्या तुम कोई नौकरी भी करते हो? मयंक- संगीता जी … मैं एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करता हूं और आर्यन नौकरी की तलाश में है. लेकिन कोई काम नहीं मिला इसलिए हम दोनों काम ढूंढते ढूंढते यहां तक आ गए.

बस ऐसे ही बातें करते करते हम संगीता के बंगले पर पहुंच गए. गाड़ी धीमी हुई और बंगले के गेट पर खड़ी हो गई.

एक सिक्योरिटी गार्ड ने बंगले का गेट खोला, संगीता ने गाड़ी चला दी और अन्दर ले गई. गार्ड ने गेट को बंद कर दिया.

दोस्तो, आपको मेरी चुदाई की स्टोरी हिंदी में कैसी लगी मुझे कॉमेंट में जरूर बताइगा. अगले भाग में बताऊंगा कि आगे संगीता की चुदाई को लेकर क्या क्या हुआ. आप मुझे अपने सुझाव मेरे ईमेल पर भी भेज सकते हैं ताकि मेरी अगली सेक्स कहानी में! मैं आपका और ज्यादा मनोरंजन कर सकूं. आप सभी को मेरा प्रणाम. [email protected]

चुदाई की स्टोरी हिंदी में जारी है : जवान धनवान विधवा की चुत चुदाई- 2

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