सविता भाभी: डॉक्टर डॉक्टर

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सविता भाभी को अपने स्वास्थ्य की नियमित जांच के लिए अस्पताल जाना पड़ता था। ऐसे ही एक दिन वे अस्पताल गईं जहाँ उनकी जांच डॉक्टर श्वेता को करनी थी।

जैसे ही सविता भाभी अस्पताल पहुंची.. रिसेप्शन पर बैठी नर्स ने उनका स्वागत किया- आइए श्रीमती पटेल, कैसी हैं आप.. प्लीज़ तशरीफ रखिए, आपको थोड़ा इन्तजार करना पड़ेगा.. डॉक्टर श्वेता अभी आती हैं।

सविता भाभी मन ही मन झुंझला उठीं कि एक तो इस नियमित स्वास्थ्य जांच से वैसे ही मुझे चिढ़ है और ऊपर से ये श्वेता मुझसे इन्तजार करवाती है।

इसी तरह की झुंझलाहट भरी सोच के साथ सविता भाभी बैठ गईं।

तभी वहाँ से एक बड़ा ही हैण्डसम डॉक्टर निकला और बस सविता भाभी की दहकती जवानी मचलने लगी।

अब उनकी सोच में परिवर्तन आ गया कि क्या ही अच्छा होता कि मेरी जांच इस डॉक्टर के मर्दाना हाथों से हो। इसकी गरम मर्दाना जवानी मेरे अंगों को टटोल कर मेरी ‘पूरी’ जांच करे।

बस उनके ख्यालों में इस बांके नौजवान डॉक्टर के साथ चुदाई के सपने आने लगे।

डॉक्टर अपने चैम्बर में घुसा और अपनी सीट पर बैठ गया। सविता भाभी अन्दर घुसीं और उस डॉक्टर से मुखातिब हुईं- मैं अपनी नियमित जांच के लिए आई हूँ।

वो डॉक्टर सविता भाभी से परिचित था। उसने सविता भाभी का स्वागत करते हुए कहा- आइए मिसेज पटेल.. बैठिए, आप कैसी हैं और अशोक के क्या हाल हैं?

सविता भाभी- अरे उनका तो सब वैसा ही है.. वो काम के सिलसिले में अक्सर बाहर रहते हैं और मैं अकेली..

डॉक्टर- कुछ महीने पहले आपकी पीठ में दर्द था.. अब कैसा है?

पीठ के दर्द की बात सुनते ही सविता भाभी को अपनी मालिश की बात याद आ गई और उन्होंने मनोज मालिश वाले को याद करते हुए मुस्कुरा कर जवाब दिया- अब.. जब से मैं नियमित मालिश करवाने लगी हूँ, तब से ठीक हूँ डॉक्टर साहब।

डॉक्टर ने सविता भाभी को पीछे बने चैकअप केबिन की तरफ इशारा करते हुए कहा- ठीक है आप परदे के पीछे जाकर अपने कपड़ों को बदल कर अस्पताल का गाउन पहन लीजिए ताकि मैं आपकी जांच शुरू कर सकूँ।

सविता भाभी उठ कर परदे के पीछे चली गईं और उन्होंने अपने कपड़े उतारना आरंभ कर दिए। सविता भाभी ने पर्दा पूरी तरह बन्द नहीं किया था।

बाहर डॉक्टर के दिमाग में सविता भाभी की मदमस्त जवानी का सुरूर चढ़ने लगा।

वो सोचने लगा मेरी पसंद ऐसी ही सुंदरियां होती हैं.. जो अपने कपड़े बदलते समय पर्दा ठीक से बन्द न करें.. और जब ये अन्दर आई थी.. मैं तो तभी से सविता भाभी का नंगा जिस्म देखने को बेताब था।

उधर सविता भाभी ब्रा-पैन्टी में आ चुकी थीं। उनके बड़े-बड़े चूचे देख कर डॉक्टर का दिल मच उठा और वो मन ही मन में सोचने लगा कि हाय.. इन बड़े-बड़े गोल स्तनों का स्वाद कितना मस्त होगा, इसके निप्पल चूसने को मिल जाएं तो मजा ही आ जाए।

उधर सविता भाभी की भरपूर जवानी को ढकने के लिए अस्पताल का गाउन छोटा पड़ने लगा।

सविता भाभी तनिक परेशान हो उठीं- ओह.. मेरे जिस्म पर ये गाउन कितना तंग है। मेरे स्तन तो इसमें से जैसे फटे पड़ रहे हैं.. और मेरे चूतड़ तो लगभग नंगे से ही हैं।

सविता भाभी ने आवाज लगाते हुए डॉक्टर से पूछा- डॉक्टर.. ये गाउन कुछ ज्यादा छोटा नहीं है? ‘क्षमा करें मिसेज पटेल.. इस समय यही एक उपलब्ध है.. अब जांच टेबल पर लेट जाएं, तो मैं जांच शुरू करूँ।’ भाभी ने लेटते हुए कहा- मैं तैयार हूँ.. आप आ जाइए।

डॉक्टर ने अन्दर आकर सविता भाभी का फाडू हुस्न देखा तो एकदम बौरा गया.. वो सोचने लगा कि काश मैं भी इसके साथ जांच टेबल पर चढ़ पाता.. तो इसके गरम जिस्म से अपना जिस्म रगड़ कर ही झड़ जाता।

खैर.. डॉक्टर की बात मान कर सविता भाभी जांच टेबल पर लेट चुकी थीं.. जिससे उनकी चूचियां एकदम उभर कर दिखने लगीं।

डॉक्टर ने सविता भाभी के मुँह के पास अपनी उंगली ले जाते हुए कहा- मुँह खोलिए..

सविता भाभी ने अपना मुँह खोल दिया और डॉक्टर ने अपनी उंगली सविता भाभी के मुँह में घुसेड़ दी।

डॉक्टर सोचने लगा कि आह्ह.. इसकी जुबान की नमी मेरी उंगली को ही इतनी भली लग रही है.. तो मेरे लौड़े को कितना मजा देगी।

कुछ देर यूं ही सविता भाभी के मुँह को चैक करने के बाद डॉक्टर सोचने लगा कि अब आया इसकी मदमस्त चूचियों को दबाने का मौका.. कोशिश करके देखता हूँ क्या प्रतिक्रिया होती है।

अगले ही पल डॉक्टर ने स्टेथोस्कोप को सविता भाभी के चूचों के ऊपर रख दिया और उनकी धड़कन को चैक करने के बहाने मम्मों को दबाने लगा।

जैसे ही डॉक्टर ने सविता भाभी के मम्मों पर अपना आला लगाते हुए दबा कर जांच करनी शुरू की.. सविता भाभी को लगा कि ये डॉक्टर तो वास्तव में जांच के बहाने मेरी चूचियों से खेल रहा है। वे सोचने लगीं कि मैंने ब्रा उतार कर गलती कर दी।

उधर डॉक्टर चूचियों को दबा-दबा कर मजा ले रहा था.. तो सविता भाभी फिर सोचने लगीं कि इतना तो मेरी डॉक्टर श्वेता ने भी कभी नहीं दबा कर जांचा था.. जरूर ये कुछ गलत कर रहा है।

दूसरी तरफ डॉक्टर आला के साथ अपनी हथेलियों को सविता भाभी के स्तनों पर स्पर्श कराते हुए मजा लेने की कोशिश करने लगा था।

अब डॉक्टर फुल मस्ती में आ गया था उसने सोचा कि कुछ और कोशिश करता हूँ।

‘भाभी जी.. इधर तो सब ठीक लग रहा है.. अब आप पेट के बल लेट जाइए, तो मैं आपकी पीठ की जांच भी कर लूँ।’

भाभी बिना कोई विरोध के उलट गईं।

जैसे ही सविता भाभी ने करवट ली, उनकी पैन्टी छोटे गाउन से दिखने लगी और उनके उठे हुए चूतड़ों ने डॉक्टर के लौड़े को तन्ना दिया।

डॉक्टर के दिमाग में खुराफात चलने लगी कि काश इन उभरे हुए चूतड़ों पर मैं अपना लौड़ा रगड़ पाता.. ये कितने मादक हैं।

अगले ही पल डॉक्टर बोला- भाभी जी अब मुझे आपका गाउन नीचे से थोड़ा ऊपर को करना होगा.. क्योंकि मुझे आपकी कमर के निचले हिस्से की जांच करनी है।

सविता भाभी सोच रही थीं कि ये मेरी पूरी पैन्टी देख कर ही मानेगा।

‘तो मैं आपका गाउन ऊपर खिसका रहा हूँ..’

भाभी सोचने लगीं कि हो सकता है ये एक डॉक्टर की हैसियत से ही मेरी जांच सामान्य रूप से ही कर रहा हो।

उधर डॉक्टर ने जैसे ही गाउन ऊपर किया.. भाभी के चूतड़ एकदम से खुल कर उसके सामने आ गए।

डॉक्टर का मन मचलने लगा कि वाह क्या गुदाज चूतड़ हैं.. काश मैं इनके बीच में अपना लण्ड फंसा कर अन्दर ठेल पाता।

वो बोला- भाभी जी अब मैं आपकी निचली कमर पर दवाब डाल रहा हूँ।

जैसे ही डॉक्टर ने भाभी की कमर पर हाथ लगाया, उसका लौड़ा खड़ा होने लगा।

इधर सविता भाभी ने जैसे ही डॉक्टर की उंगलियां महसूस की, वे सोचने लगीं कि ये क्या.. इसकी उंगलियां तो मेरी पैन्टी के अन्दर जाने लगीं।

डॉक्टर को लगा कि कहीं बात बिगड़ न जाए इसलिए वो बोला- ठीक है.. अब आप सीधी लेट जाएं। भाभी अब सीधी हो गईं।

डॉक्टर ने पूछा- वैसे आप अपने वक्षों की नियमित जांच तो करती ही हैं न..? ‘ओह्ह.. हाँ डॉक्टर..’

‘हाँ.. ये आपके लिए आवश्यक भी है.. क्या आप मुझे करके दिखा सकती हैं.. मैं आश्वस्त होना चाहता हूँ कि आप ठीक तरह से जांच करती हैं।’

सविता भाभी को एकदम से शर्म आने लगी कि अब इसके सामने मुझे अपने मम्मों को दबा कर दिखाना होगा कि मैं कैसे जांच करती हूँ।

‘ठीक है डॉक्टर.. बताती हूँ..’ ये कहते हुए सविता भाभी ने अपने हाथों को अपने गुदाज मम्मों की तरफ बढ़ाए।

सविता भाभी ने अपने हाथों से मम्मों को दबाया और अपने चूचुकों को मींजते हुए डॉक्टर से कहा- पहले मैं अपने ‘इन्हें’ नीचे से ऊपर तक दबा कर देखती हूँ कि कहीं कोई गाँठ तो नहीं बन रही है, फिर अपने निप्पलों को उंगलियों से मसल कर देखती हूँ।

ये देख कर डॉक्टर की वासना भड़क गई और वो खुद सविता भाभी के मम्मों पर हाथ फेरने के लिए सोचने लगा।

‘न न भाभी जी ऐसे नहीं.. मुझे लगता है कि मुझे खुद करके बताना होगा।’

अब डॉक्टर ने सविता भाभी के हाथ पर अपना हाथ रखा और उनके हाथ से मम्मों को दबाते हुए बताने लगा- ये देखिए.. इस तरह अपनी उंगलियों को निप्पल पर रख कर हल्का दवाब डालते हुए नीचे की तरफ लाएं.. ऐसे आहिस्ता आहिस्ता.. अब दोनों हाथों से इस तरह अपने दोनों स्टोन के चारों ओर गोलाई में संभावित ग्रंथि को टटोल कर देखने का प्रयास करें।

सविता भाभी अब गरम होने लगी थीं।

तभी डॉक्टर ने कहा- शायद आपने लम्बे समय से सही तरीके से अपने स्तनों की जांच नहीं की है। मुझे लगता है कि मैं खुद ही विधिवत जांच कर लूँ.. अब आप अपना गाउन थोड़ा नीचे कीजिए ताकि जांच ठीक से कर सकूँ।

भाभी ने सोचा अब इस डॉक्टर से मजा ले ही लेना चाहिए.. वैसे भी इसने मेरी आग को भड़का ही दिया है।

सविता भाभी ने ये सोचते हुए अपना एक चूचा गाउन से बाहर निकाल दिया।

डॉक्टर की मन ही मन में ‘आह्ह..’ निकल गई.. उसने सविता भाभी की चूचियों की जांच शुरू कर दी। फिर तो आप जानते ही हैं कि अपनी सविता भाभी एक बार गरम हो जाएं तो किसी भी मर्द को छोड़ती नहीं हैं।

डॉक्टर ने उनकी ‘पूरी’ जांच कैसे की और क्या सविता भाभी वास्तव में डॉक्टर से चुदाई करवा पाई थीं या नहीं ये सब आपको ‘सविता भाभी और डॉक्टर डॉक्टर’ नामक कड़ी में देखने को मिलेगा।

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