आफरीन की मस्त चुदाई-1

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000

हैलो दोस्तो.. मैं संदीप नोयडा से हूँ। मेरी उम्र 23 साल है। मैं दिखने में गुड लुकिंग स्मार्ट हूँ। मैं अन्तर्वासना की कहानियाँ लगभग पिछले 4 साल से पढ़ रहा हूँ।

यह मेरी पहली स्टोरी है.. यह बात आज से 3 साल पहले की है जब मैंने 12 वीं पास की थी और मैं किसी पार्ट टाइम जॉब की तलाश में था। मुझे जॉब मिल गई और वो भी घर से कुछ दूर नोयडा में ही मिली।

मेरे नए ऑफिस में मेरी टीम में कुछ लड़कियां भी थीं.. उनमें से एक का नाम था आफरीन! वो बहुत ही सिंपल और आकर्षक थी, मैं उसकी सादगी का दीवाना हो गया था।

आफरीन एक सेक्सी फिगर की मालकिन थी और हाँ.. वैसे तो मैं हर लड़की और लेडी की बहुत इज़्ज़त करता हूँ और आफरीन के लिए भी मेरे मन में कुछ ऐसा ही था.. पर पता नहीं क्यों मैं धीरे-धीरे उसे पसंद करने लग गया था। मैंने ऑफिस में काम के बहाने.. और कभी किसी दूसरे बहाने से उससे बात करना शुरू किया।

वो मुझ पर ध्यान तो देती थी.. पर ज़्यादा नहीं.. और इधर मैं ऑफिस आते ही उसे ढूँढता और उसके पास की सीट पर बैठने लगता। फिर मैं उसके लंच टाइम पर भी साथ जाने लगा।

एक दिन वो अकेले ही लंच पर जाने लगी.. दरअसल आज उसकी सहेली नहीं आई थी। मैंने भी सही मौका समझते हुए पीछे जाना ठीक समझा और उसके पीछे चल दिया।

हमारी मेज के आस-पास की चेयर खाली थीं क्योंकि लगभग सभी लोग लंच करके जा चुके थे। मैं उसके सामने ही बैठ गया, उसने हल्की सी स्माइल दी।

वो सफ़ेद कुर्ता और काले रंग की सलवार पहन कर आई थी.. उसके सफ़ेद कुरते से उसके अन्दर गुलाबी ब्रा झलक रही थी।

मुझे वो कुछ परेशान सी लगी, मैंने उससे पूछा- क्या बात है.. आज तुम कुछ परेशान सी लग रही हो? तो वो बोली- कुछ नहीं.. मैंने फिर बोला- कुछ तो है आज तुम्हारे चेहरे पर वो चमक नहीं है।

वो हँसने लगी और बोली- आज तुम्हें क्या हो गया? मैंने भी जबाव में मुस्कुरा दिया।

वो बोली- यार सैंडी, (सैंडी मेरा निक नाम है) तुम मेरी लाइफ नहीं समझ सकते.. बहुत ही उलझी हुई है.. मैं बोर हो चुकी हूँ अपनी लाइफ से! मैंने बोला- क्यों.. यार तुम इतना नेगेटिव क्यों सोचती हो? तो वो बोली- बस ऐसे ही। मैंने फिर से उसकी बातों पर ज़ोर दिया और बोला- शायद अभी तक मैं तुम्हारा इतना अच्छा दोस्त नहीं बन सका कि तुम मुझसे अपनी बातें शेयर करो।

दोस्तो.. वैसे एक बात है कि हमेशा किसी की भी गोपनीयता को महत्व देना चाहिए.. खास कर गर्ल्स और लेडीज की.. चाहे वे कोई भी हों.. क्योंकि एक बार उनके मन से आपकी छवि खराब हुई तो फिर उनका भरोसा लाइफ में दुबारा नहीं मिलता।

वो बोली- यार सैंडी, मेरा मन करता है.. मैं इस लाइफ से दूर कहीं अकेले चली जाऊँ.. जहाँ मेरा अतीत मेरे साथ ना हो। मैंने उससे बोला- यार अपना माइंड उस तरफ मत ले जाया करो.. दोस्तों से बातें शेयर करो.. दिल हल्का हो जाएगा।

मैंने उससे फ़िल्म चलने के लिए बोला.. तो उसने कुछ सोचते हुए कहा- ठीक है चलो। मैं तो ऑफिस के बाद जाने की बात कर रहा था.. पर उसके जवाब में कुछ अलग बात थी। मैंने पूछा- अभी? वो बोली- चलो छोड़ो..

मैं अपनी ग़लती पर पछता रहा था। मैंने फिर से ट्राई किया- चलो चलते हैं। उसने मुझे देखा और बोला- मैं बाहर वेट कर रही हूँ.. जल्दी आना।

मैंने अपने एचआर से अपना और उसका हाफ-डे लिया और बाहर आ गया। मैंने अपनी बाइक निकाली। वो ऑफिस के बाहर मेरा वेट कर रही थी।

मैंने उसे बैठने को बोला.. तो वो बाइक पर बैठ तो गई.. पर हमारे बीच काफ़ी स्पेस था। मैंने कहा- सही से बैठो वरना गिर जाओगी।

वो कुछ और नजदीक हो गई, हम दोनों चल दिए.. अब मैं जब भी ब्रेक लगाता.. वो मुझसे चिपक जाती। मुझे भी मज़ा आ रहा था।

अब मेरे दिल में उसके लिए ग़लत ख्याल आने लगे थे। आख़िर मैं भी एक लड़का हूँ.. कब तक कंट्रोल करूँ। रास्ते में हम बातें करते रहे।

उसने मुझे बताया कि वो एक लड़के से प्यार करती थी.. जिसके साथ उसका रिश्ता 2 साल से था.. वो दोनों शादी की प्लानिंग कर रहे थे.. पर कुछ दिनों पहले उस लड़के ने ब्रेक-अप कर लिया था। उसका कारण था कि उसकी शादी किसी और से हो रही थी।

आफरीन ने बुझे मन से कहा- मैंने अपना सब कुछ उसको दे दिया.. यहाँ तक कि मैंने अपने घर वालों की भी नहीं सुनी थी। पर आज मेरे साथ कोई भी नहीं रह गया।

वो नोयडा में पीजी में अपनी एक फ्रेण्ड के साथ रहती थी। बातें करते-करते हम सेक्टर 18 आ गए और जीआइपी मॉल में हमने फिल्म देखी।

उधर कोई अच्छी मूवी नहीं लगी थी.. तो मैंने हॉलीवुड की एक मूवी का टिकट ले लिया और मैंने कॉर्नर सीट के लिए रिक्वेस्ट किया। उस वक्त 2.30 बजे थे.. तो इतनी पब्लिक नहीं थी।

टिकट भी जल्दी मिल गया और हम अन्दर अपनी सीट पर आ गए। अभी तक मैंने कुछ सोचा नहीं था.. पर जब फिल्म स्टार्ट हुई तो हॉल में बिल्कुल अंधेरा हो गया था। हॉल में हमारे आगे की सीटों पर कुछ गिने-चुने ही लोग थे।

हम फिल्म देख रहे थे.. पर मेरा मन नहीं लग रहा था, मैं बस उसे ही बार-बार देखे जा रहा था। उसने मेरी ओर देखा तो मैंने झट से अपनी नज़रें हटा लीं।

वो बोली- तुम कुछ कहना चाहते हो। मैंने हिम्मत करके बोल दिया- आइ लाइक यू.. तो वो हँसने लगी और बोली- यार तुम लड़के भी ना सब ऐसे ही होते हो..

मैंने फिर कुछ नहीं बोला और गुस्से से फिल्म देखने लगा। कुछ देर बाद उसने बोला- संदीप क्या हुआ.. मैंने कहा- कुछ नहीं.. तो वो फिर से बोली- कुछ तो बोलो.. मैंने कहा- यार, तुम मुझे भी शायद उन लड़कों में गिनती हो.. जो ग़लत ही सोचते हैं.. पर मैं ऐसा नहीं हूँ और आज के बाद में फिर कभी तुमसे इस बारे में बात नहीं करूँगा।

इतने में इंटरवल हो गया.. सब बाहर जाने लगे तो मैं भी गुस्से में उठ गया। उसने मेरा हाथ पकड़ कर वापस बिठा लिया और बोली- बैठो.. मैं तुमसे कुछ बात करना चाहती हूँ। मैंने थोड़ा इतराते हुए बोला- क्या कहना है?

वो बोली- यार सैंडी.. मैं आजकल बहुत टेंशन में रहती हूँ.. तुम जानते तो हो.. मैंने उसके हाथों को और जोर से पकड़ा और कहा- मैं उन लड़कों की तरह नहीं हूँ.. और हाँ मैं तुम्हें हाथ तक नहीं लगाऊँगा।

फिर वो कुछ नहीं बोली और हम दोनों बाहर चल दिए। हमने कुछ स्नेक्स और कोल्ड ड्रिंक्स ली और फिर से वापस अपनी सीट पर आ गए।

हाल अभी भी खाली ही था.. आफरीन ने मुझसे पूछा- तुम्हारी कोई गर्ल फ्रेण्ड है? मैंने उससे बोला- नहीं.. उसकी आँखों में मुझे कुछ अलग सी चमक लगी।

फिल्म स्टार्ट हो गई और हम पहले से भी ज़्यादा क्लोज़ होकर बैठ गए। फिल्म में एक सेक्सी सीन आने लगा.. उसने मेरे हाथ पर अपना हाथ रख दिया। मेरे पूरे बदन में एक अज़ीब सा झटका लगा.. मुझे मज़ा आ रहा था। मैंने उसके हाथ को और कस के पकड़ा और उसके चेहरे की ओर देखा।

वो बस मुझे ही देख रही थी.. मैंने हिम्मत करके उसके दोनों कन्धों पर हाथ रखा और उसे किस करने लगा।

पहले तो उसने मुझे अच्छा रिस्पॉन्स नहीं दिया.. पर बाद में उसकी वासना की आग से मुझे भी जलन सी होने लगी। मेरी पैन्ट में मेरा लण्ड उठने लगा.. वो और भी टाइट होता जा रहा था।

मैं आफरीन को बेतहाशा चूम रहा था. कभी होंठों को.. कभी उसके गालों को.. और कभी उसकी गर्दन को.. हम दोनों भूल चुके थे कि हॉल में और कोई भी है।

मैंने किस करते-करते अपना हाथ उसके चूचे पर रख दिया। उसने झटके से मेरा हाथ हटा दिया.. मुझे अज़ीब सा लगा। मैं फिर से फिल्म देखने लगा.. फिर हम नॉर्मल हो गए।

कुछ देर बाद फिल्म खत्म हो चुकी थी। सब बाहर जाने लगे.. हम भी आ गए।

हम दोनों एक-दूसरे से नज़रें नहीं मिला पा रहे थे। मुझे थोड़ा गुस्सा भी आ रहा था.. पर मैं उसके दिल का हाल जानता था.. तो कोई बात मन में नहीं थी।

हम अट्टा मार्केट में घूमते रहे.. शाम को लगभग 6.45 का टाइम हो गया था।

उसने कहा- घर चलते हैं.. मैंने भी ‘हाँ’ कह दी।

मैंने कहा- चलो मैं तुम्हें ड्रॉप कर देता हूँ। फिर मैं भी घर चला जाऊँगा। उसने कहा- ठीक है।

अब हम एक-दूसरे को देख कर मुस्कुरा रहे थे। इस बार वो बाइक पर मुझसे और भी क्लोज़ होकर बैठी थी। उसके गोल-गोल मस्त मम्मे मेरी पीठ पर टच हो रहे थे। मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया था।

कुछ ही देर में हम दोनों उसके रूम पर आ गए। वो बोली- आ जाओ.. एक कप चाय तो पी लो।

मैंने ‘हाँ’ कर दी क्योंकि उसकी रूममेट 8.30 बजे तक आती थी.. जिससे उसे भी कोई दिक्कत नहीं थी।

हम दोनों अन्दर आए.. मैंने देखा वो एक वो वन बीएचके का फ्लैट था। कमरे में अन्दर उन दोनों के कपड़े इधर-उधर पड़े थे.. जिसमें उनकी ब्रा और पैन्टी भी थीं।

उसने जल्दी से सब हटा दिए और बोला- मैं चाय लेकर आती हूँ.. तुम बिस्तर पर बैठो।

मैंने उसे चाय के लिए मना कर दिया और उठ कर उसका हाथ फिर से पकड़ लिया। मैंने कहा- आज की बात का बुरा मत मानना.. मैं तुम्हें उस नज़र से नहीं देखता.. जो कि तुम सोचती हो। उसने मुझसे कहा- नहीं सैंडी.. ऐसा कुछ नहीं है.. अब मुझे तुम पर भरोसा है।

उसने मेरे हाथों को और ज़ोर से पकड़ लिया.. मेरा हाल और बुरा हो गया।

मेरा लंड पैन्ट में टेंट बना जा रहा था.. जिसे उसने देख लिया। वो फिर से हँस दी।

अब मैंने झटके से उसे बाँहों में भर लिया और अपनी पकड़ और टाइट कर दी। उसके मम्मे मेरे सीने से टच होने लगे थे.. हमारी गरम सांसों को हम महसूस कर सकते थे। मेरा लंड भी अपनी जगह बना रहा था।

वो और मैं एकदम शांत हो गए थे। इस बार उसने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए। मैं तो सकपका गया.. इतनी मस्त किस आज तक नहीं की थी। अगले ही पल हम दोनों एक-दूसरे को बेतहाशा चूम रहे थे।

अगले भाग में चूत चुदाई की पूरी दास्तान लिखूंगा।

आप अपने ईमेल जरूर भेजिएगा। आपका संदीप माथुर [email protected] कहानी जारी है।

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000