मेरा लंड : ब्लैक कोबरा-1

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दोस्तो.. मैं भी आप सबकी पसंदीदा इस वेबसाइट का बहुत बड़ा शैदाई हूँ।

चौदह पन्द्रह साल पहले जब से यह वेबसाइट लांच हुई है.. तभी से इसका प्रशंसक हूँ। इसकी सारी कहानियाँ मेरी पढ़ी हुई हैं, लगभग सौ से ऊपर कहानियाँ तो मुझे याद हैं। यहाँ पर कुछेक कहानियाँ ऐसी हैं कि पढ़ते ही समझ में आ जाता है कि लेखक चुतियापा काट रहा है।

यह मेरी लाइफ की पहली सेक्स कहानी है.. लिख भी पहली बार रहा हूँ। उम्मीद करता हूँ आप इस कहानी को जरूर पसन्द करेंगे और मेरे को और लिखने के लिए मेरी हौसलाअफजाई करेंगे।

आज 13 अप्रैल 2014 है.. दो दिन से अन्तर्वासना न खुल पाने के कारण कोई नई कहानी नहीं पढ़ पाया हूँ।

मैं गाजियाबाद में रहता हूँ, मेरी उम्र 26 साल है.. मैं वेब डिजाइनिंग का काम करता हूँ।

मैं एक तरह से हवस का पुजारी हूँ, मेरी अब तक 38 लड़कियों से दोस्ती हुई है, उनमें से 11 ने मुझे शारीरिक सुख दिया है। तब भी मेरा दिल टूटा हुआ है.. शायद इसलिए मैं ऐसा हूँ। पर मेरे लण्ड ने मेरा हमेशा साथ दिया है।

मेरी लम्बाई 5 फुट 7 इंच है और मेरा प्यारा बच्चा लम्बा सा.. का काला सा.. चूतों के लिए तो समझो काल है।

मेरी फ्रेन्ड्स की संख्या से आप अनुमान लगा सकते हो कि मैं देखने में कैसा होऊँगा। मैं बकचोद भी बियॉन्ड लिमिट हूँ।

मुझे डायरी लिखने की आदत है और ये डायरी के पेज ही हैं.. बस मैंने अन्तर्वासना के लिए जरा अश्लील बना दिए हैं। पात्रों के नाम.. स्थानों के नाम बदल रहा हूँ।

अगली कहानी तब ही लिखूंगा.. जब मेरे लिखने में व्यतीत समय को आप अपने प्यार से भरेंगे।

मेरा घर नरोरा नामक शहर में है, वहाँ से मैंने स्कूलिंग की है। वहाँ पर मेरी पहचान एक नेक दिल.. पढ़ने वाले लड़के की ही है।

मेरे मोहल्ले में एक लड़की रहती है.. उसका नाम कामना है, वो मेरे साथ पढ़ा करती थी। उसकी फैमिली में उसका एक भाई है.. जो उससे 6 साल छोटा है। वो हमेशा 10 में से 8 नंबर लाने वाली लड़की रही है।

उसकी चूची आगे को और गाण्ड पीछे को निकली हुई है। कामना का एकदम गोरा रंग है.. काले घुंघराले बाल हैं.. लाल होंठ हैं.. भूरी सी आँखें हैं। हाथों पर और पैरों पर एक भी बाल का नामोनिशान नहीं है, बोलो तो एकदम मखमली माल चिकनी आइटम है। उसकी लंबाई करीब मेरे बराबर की है।

सीधे पैर में वो काला धागा पहनती है.. पूछो तो कहती है नजर का है। वो मेरी पहली पक्की फ्रेंड थी। उसका घर मेरे घर के सामने वाली लाइन में ही 4 मकान छोड़ कर है।

उसके पापा और मेरे पापा एक ही विभाग में सरकारी नौकरी में हैं। हम दोनों की फैमिली का आपस में अच्छा व्यवहार है। बात तब की है.. जब हम लोग 12 वीं में थे।

सितम्बर का महीना था। मेरी पूरी फैमिली एक रात के लिए किसी काम से बाहर जा रही थी। मम्मी ने मुझसे चलने के लिए कहा.. तो मैंने कहा- मेरा जाने का मन नहीं है.. आप लोग जाओ। मम्मी बोलीं- अकेला घर में रह जाएगा.. डर नहीं लगेगा तेरे को? मैंने कहा- रह जाऊँगा। तब मम्मी बोलीं- कामना की मम्मी से कह दूँगी आज रात वो यहाँ पर रुक जाएँगी। मैंने कहा- ठीक है।

शाम हो गई.. सब लोग चले गए। मैं भी अपने काम में बिजी रहा.. खाना खाते हुए टीवी देखने लगा। रात के दस बज चुके थे। मुझे याद भी नहीं रहा कि मम्मी किसी से रात में रुकने को बोल गई हैं। मैंने मेन गेट पर लॉक लगाया और सोने के लिए बिस्तर पर लेट गया।

रात 10.30 के करीब दरवाजे की घंटी बजी। मैंने मन ही मन सैकड़ों गलियाँ दे डालीं कि मादरचोद सोने भी नहीं देते।

बाहर आया देखा गेट पर कामना खड़ी थी। वो पीली केप्री और डार्क ग्रीन टॉप पहने हुई थी और पैरों में शायद सैंडल थे। हरे रंग में उसका गोरा रंग कहर ढा रहा था। मैंने कहा- क्या हुआ? ‘कुछ नहीं यार.. मम्मी की तबियत ठीक नहीं है.. तो मम्मी बोलीं कि वहाँ पर सोने के लिए तू चली जा।’

मैंने गेट खोला.. वो अन्दर आ गई। मेरे बिखरे बाल देख कर बोली- सो गया था क्या? अपने बाल सही करते हुए मैंने कहा- हाँ यार.. थोड़ी आँख लग गई थी।

हम लोग अन्दर आ गए.. लाइट जला दी।

मैंने पानी पिया और बोतल उसको पकड़ा दी और खुद बिस्तर पर उल्टा लेट गया, तकिया मेरे सीने के नीचे था।

सामने सोफे पर वो बैठी थी, बोली- बड़ी जल्दी सो जाता है यार तू? मैंने कहा- यार कोई है नहीं घर में.. तो आज नींद भी जल्दी आ गई है। ऐसे ही फ़ालतू की बात करते-करते एक बज गया।

मैंने कहा- यार बहुत नींद आ रही है अब सो जाते हैं। वो बोली- मैं कहाँ लेटूं? मैंने कहा- या तो सोफे पर सोजा या अन्दर कमरे में सो जा.. अगर तुझे भी अकेले डर लगता हो.. तो मेरे पास सो जा। वो बोली- मैं तेरे पास ही सो जाती हूँ।

भाई सोते हुए 5 मिनट हुए होंगे.. फिर उसने बात करनी शुरू कर दी।

हम दोनों एक-दूसरे की तरफ मुँह करके लेट गए.. वो बात करती जा रही थी।

अब यार अगर नींद तेज आ रही हो तो कुछ अच्छा नहीं लगता है। यही मेरा हाल था.. फिर भी मैं उसकी बातों पर ‘हाँ.. हूँ..’ किए जा रहा था।

फिर मेरा ध्यान उसके चूचों पर गया। उसके चूचों की घुन्डियाँ टॉप की दीवारों से रगड़ खा रहीं थीं। ये नजारा बिल्कुल साफ़ दिख रहा था। लेटे-लेटे उसके बाल खुल चुके थे.. न चाहकर भी चोरी-चोरी मैं उसके निप्पल देख रहा था।

जैसे-जैसे लण्ड को पड़ोस में चूत का अहसास होना शुरू हुआ.. नींद की माँ चुद गई। मैं उल्टे हाथ के करवट से लेटा था.. वो सीधे हाथ के करवट से थी।

मेरे दोनों पैर सीधे थे.. उसका एक पैर मुड़ा हुआ और उल्टा पैर मेरे पैर के ऊपर रखा हुआ। उसका ग्रीन कलर का टॉप.. केप्री से करीब 4-5 इंच ऊपर हो गया था।

उसका गोरा रंग ग्रीन और पीले रंग के बीच देख कर मुझे भी बात करने में और मजा आने लगा। मुझे अहसास हो गया या तो आज चूत मिलेगी या कल रगड़ा होगा।

लण्ड अपना कड़ापन लेने लगा। मैंने अपना तकिया उसके तकिए के पास रख दी और उल्टा लेट गया ताकि जब तक मैं न चाहूँ उसको नोटिस न हो।

अब मेरे और उसके सिर आपस में टच हो रहे थे। अब मेरा ध्यान अपने लण्ड पर था.. इस चक्कर में मैंने एक-दो बार ‘हाँ हूँ’ नहीं की। उसको लगा मैं सो गया और उसने मेरी पीठ में बड़ी जोर से कूंचा।

मैंने उसका हाथ पकड़ कर हटा दिया और अपना एक हाथ उसके कमर से होता हुआ उसके पीछे लटका दिया। मेरे हाथ से उसकी केप्री और टॉप के बीच का उघड़ा बदन छूने लगा।

मैंने लेटे-लेटे कहा- तेरा टॉप ऊपर हो गया है। वो बोली- तो..

मैंने कुछ नहीं कहा और न हाथ हटाया.. बस करवट बदली। अब उसका चेहरा मेरे चेहरे के इतने पास था कि हम दोनों एक-दूसरे को देखने लगे.. न उसने कुछ कहा न मैंने..

मैं उसके चहरे पर आए बालों को हटाने लगा.. तो उसने अपनी आँखें बंद कर लीं और मैं अपने हाथ की उंगलियों को उसके कान पर फिराने लगा।

तभी अचानक उसने बिना आँखें खोले मेरा हाथ कान से हटा दिया। मैंने दोबारा किया.. पर उसने अब कुछ नहीं कहा.. तो मैंने खुद ही हाथ फेरना बंद कर दिया।

अभी तक मेरा हाथ उसकी चूचों से सिर्फ टच हो रहा था.. पर जैसे ही वो थोड़ा सा मेरे और करीब आई.. उसकी लेफ्ट वाली चूची दब गई।

उसने आंखें खोल लीं। मैंने हाथ नहीं हटाया.. वो मेरी आँखों में देख रही थी और मैं उसके चूचों को। बोली- क्या हुआ? मैंने कहा- कुछ नहीं यार..

और मैंने उसकी नाक पकड़ कर दबा दी तो वो हँसने लगी। मैंने कहा- यार तेरे चेहरे पर एक भी बाल नहीं है.. क्या लगाती है? वो बोली- कुछ भी तो नहीं। फिर मैंने पूछा- कहीं हैं भी या नहीं हैं? तो वो हँसने लगी।

धीरे-धीरे मैं भी वासना की कैद में आ रहा था। मैंने अपनी नाक उसकी नाक से रगड़ी और बोला- यार, तू बहुत प्यारी है। वो बोली- सच्ची.. मैंने कहा- हाँ।

मैंने अपना एक हाथ सीधा उसके होंठों पर रख दिया और उसकी उंगलियों से उसका नीचे वाला लाल होंठ सहलाने लगा.. उसने मेरी उंगली काट ली।

मेरी हिम्मत और बढ़ गई और मैंने आव देखा ना ताव.. उसके गालों पर किस कर दिया।

वो मुझे घूरने लगी.. अब मैंने उसकी आँखों पर जैसे ही किस करने को होंठ बढ़ाए.. उसने आंखें बंद कर लीं।

मुझसे रहा न गया.. बंद आँखों का फायदा उठा कर मैंने उसके नीचे वाले होंठ को अपने मुँह में बंद कर लिया।

हम दोनों के होंठ एक-दूसरे के होंठ को अपने आप भूखे जानवर की तरह खाने लगे।

मेरी आंखें बंद थीं.. मैंने उसका चूचा दबा दिया.. उसको कोई प्रॉब्लम नहीं हुई। मैं पागलों की तरह दबाने लगा, कभी ये वाला कभी वो वाला… आराम से मेरे हाथ में उसकी दोनों चूचे कैद हो रहे थे।

अब तक होंठ किस करके थक चुके थे.. तो हम दोनों ने ही एक-दूसरे को आज़ाद कर दिया। हम दोनों एक-दूसरे की बाँहों में बांहें डाल कर लेटे थे।

मैंने उससे पूछा- मजा आया? उसने अपनी पलकों से कहा- हाँ। मैंने कहा- क्या तुम वर्जिन हो? तब वो तुनक कर बोली- जब तूने नहीं किया.. तो मैंने कैसे कर लिया.. सब तो तुझे ही मेरा बॉयफ्रेंड मानते हैं। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! मैं हँस दिया- हा हा हा…

मैंने टीवी चालू कर दी। पानी निकाल कर लाया.. खुद पिया और उसको दिया।

वो भी मेरे पास सोफे पर आकर पैर ऊपर रख कर बैठ गई। मैंने पूछा- सेक्स करेगी?

अब मामला दो दूनी चार का हो गया था। मुझे मालूम था कि यह मना करने की स्थिति में नहीं है तब भी मैंने उससे पूछा था।

देखिए क्या होता है अगले भाग में लिखता हूँ तब तक आप अपने ईमेल मुझे भेजिएगा.. मुझे इन्तजार रहेगा। कहानी जारी है। [email protected]

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