लॉकडाउन में पुरानी क्लासमेट डॉक्टर से सेक्स- 2

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कॉलेज फ्रेंड ओरल सेक्स स्टोरी में पढ़ें कि कैसे मेरी शादीशुदा दोस्त ने मुझे अपनी चूचियां चुसवायी फिर मैंने उसकी चूत चाट कर उसे पूरा मजा दिया.

दोस्तो, मैं संजीव एक बार फिर आपके सामने अपमनी सेक्स कहानी के साथ हाजिर हूँ. पिछले भाग मेरी क्लासमेट मेरे घर आयी में अब तक आपने पढ़ा था कि मेरी पुरानी फ्रेंड प्राची मेरे सामने वाले घर में रहने आ गई थी. लॉकडाउन लगने के बाद मैं और प्राची अपने अपने घरों में अकेले रह गए थे. मैंने प्राची की लगभग नंगी चूचियों को देख लिया था, जिससे मेरा लंड खड़ा हो गया था. प्राची ने मेरे लंड को देख कर मुझे झिड़की देते हुए अपने घर नाश्ते के लिए बुला लिया था. मैं जब उसके घर गया तो उसने अपने मम्मों से दो बोतल दूध निकाल कर मेरे पीने के लिए रख छोड़ा था.

अब आगे कॉलेज फ्रेंड ओरल सेक्स स्टोरी:

मैंने बोतल में से दूध बर्तन में डाला और केलॉग्स लेकर हॉल की तरफ मुड़ा ही था कि मेरी नजर बोतल पर चिपकाए हुए स्टिकी नोट्स पर गयी. जिस पर दिसंबर महीने की तारीख़ लिखी हुई थी. शायद जिस दिन प्राची ने दूध निकाला था, ये वो तारीख थी.

मैं केलॉग्स लेकर हॉल में बैठ गया. आज केलॉग्स की टेस्ट बहुत अलग लग रहा था, शायद दूध का अलगपन उसमें उतर आया था.

तभी प्राची अपने बच्ची को सुलाकर बाहर आयी और मुझसे पूछने लगी कि और दूध चाहिए हो तो मांग लेना.

ऐसे प्रोटीन युक्त दूध को भला कोई मना भी कैसे कर सकता था. मैंने और दो बोतल दूध पिया.

प्राची ने मंद मंद मुस्कुराते हुए मुझसे पूछा- दूध का स्वाद बहुत भाया है न! तब मैंने हां कहते हुए उसके अमृतकलशों से स्तनपान करने के मेरी इच्छा फिर से जताई.

तो प्राची ने अपनी टी-शर्ट एक तरफ से ऊपर करके कहा- लो कर लो अपनी इच्छा पूरी.

एक सेकंड के लिए तो मुझे यकीन नहीं हो रहा था. थोड़े ही वक्त पहले इसी लड़की ने ‘कुछ नहीं मिलेगा ..’ ऐसे कहा था और अब अपना एक वक्ष बाहर निकाल कर मुझे उसका दूध पीने का निमंत्रण दे रही है.

मैंने ज्यादा ना सोचते हुए उसके दूध से भरे उभार को हाथ में लिया और उसके निप्पल पर जीभ को फेरते हुए अपने होंठों में उसके निप्पल कैद करके चूसना शुरू कर दिया.

पहले एक बूंद फिर दूसरी और फिर दूध की धार मेरे मुँह में छूटने लगी. वो गर्माहट और मिठास से भरा दूध का गाढ़ापन मुझे मस्त कर गया. ऐसे लगा जैसे अमृत की धारा ही मेरे मुँह में बरस रही थी और धीरे धीरे मेरे गले से नीचे उतर रही थी.

इस अनुभव तो मैं शब्दों में बयां ही नहीं कर सकता था.

एक स्तन को चूसते चूसते मेरा हाथ प्राची के दूसरे स्तन की तरफ मुड़ा. मैंने उसकी टी-शर्ट ऊपर करते हुए उसके दूसरे स्तन को भी अपने हाथ में थाम लिया और जोश जोश में दबाने लगा, तो उसमें से दूध की धार निकल कर सीधे मेरे आंख में चली गयी.

प्राची हंसते हुए बोली- इतनी जल्दबाजी अच्छी नहीं … एक एक करके चूसो और खाली कर दो मेरे कलशों को.

मैं बारी बारी से प्राची के स्तनों को चूसने लगा और उनका दूध पीने लगा. चूसते चूसते मैं कभी कभी उसके निप्पल पर दांत गड़ा देता, तो उसकी हल्की सी चीख़ निकल जाती.

मेरे हाथ अब प्राची के पूरे शरीर पर घूमने लगे थे. उसके उभार चूसते चूसते मैं कभी उसकी जांघों को मसलता, तो कभी नरम मुलायम गांड को, तो कभी उसकी शॉर्ट्स के ऊपर से ही उसकी चूत सहला देता.

प्राची बस आहें भर रही थी और मुझे अपना दूध पिलाए जा रही थी.

मैंने देखा कि प्राची की आंखें बंद थीं और इसी का फायदा लेते हुए मैंने अपना हाथ उसकी शॉर्ट्स में डाला ही था कि उसी वक्त बच्ची नींद से उठ कर रोने लगी.

प्राची ऐसे ही खुले उभार लेकर, जिसमें से दूध रिस रहा था … बेडरूम की ओर दौड़ते हुए चली गयी. मैं भी उसके पीछे बेडरूम में चला गया. प्राची ने बच्ची को गोद में उठाते हुए उसके मुँह में एक निप्पल दे दिया और उसे दूध पिलाने लग गयी.

मैं भी हॉल में आकर बैठ गया और अपने खड़े लंड को शॉर्ट्स से बाहर निकाल कर सहलाने लगा. बहुत देर तक प्राची नहीं आयी तो मैंने बाथरूम में जाकर हस्तमैथुन करके अपने आपको शांत कर दिया.

थोड़े समय बाद जब प्राची आयी, तो उसने पूछा- क्यों हो गई इच्छा पूरी! मैं ना में गर्दन हिलाते हुए प्राची के नरम मुलायम होंठों पर किस करने लगा.

उसने मुझे रोकते हुए कहा- इतनी भी क्या जल्दी है … पहले जाकर मार्केट से सामान ले आओ … सब बंद हो गया तो खाली पेट सोना पड़ेगा.

फिर मैं मार्केट से सामान लाने चला गया.

अब तो मुझे प्राची का दूध उसके मध्यम आकार के उभारों से पीने मिल रहा था. रोज सुबह शाम मैं प्राची के अमृतकलश चूस चूस कर उसका दूध पी रहा था लेकिन मुझे तो उसकी चूत मारनी थी और प्राची थी कि चुत पर हाथ जाते ही रोक लेती थी.

ऐसे दो तीन दिन चले गए.

फिर एक दिन जब सुबह मैं प्राची के घर गया. तो ना तो प्राची किचन में थी … और ना ही बेडरूम में, बच्ची भी बेडरूम में अकेले सो रही थी.

मैंने प्राची को आवाज लगाई, तो उसने बाथरूम से आवाज दी- बैठो, मैं नहा कर आती हूँ.

मैंने हॉल में सोफे पर बैठ कर टीवी चला दिया और धीमी आवाज में देखने लगा ताकि बच्ची ना उठ जाए.

थोड़ी देर बाद प्राची अपने मादक शरीर पर टॉवेल लपेटकर हॉल में कुछ ढूंढने आयी, शायद वो उसकी शार्टस ढूंढ रही थी, जिस पर मैं खुद बैठा था.

तभी अचानक से वो बाजू की अलमारी से दूसरी शॉर्टस निकालने के लिए झुकी, तो पीछे से उसका टॉवेल ऊपर हो गया और मुझे उसकी चूत के दर्शन हो गए. जिसे देखने के लिए मैं इतने दिन से मरा जा रहा था.

दो चूतड़ों के बीच पावरोटी की तरह फूली हुई चुत और बीच में गुलाबी रंग की दरार देखकर तो मेरे मुँह में पानी ही आ गया. उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था. लग रहा था, जैसे अभी झांटें साफ कर आयी थी.

मैंने बिना वक्त गंवाए अपना मुँह सीधा उसकी चुत पर रख दिया. प्राची अचानक हुए इस हमले से चिहुँक उठी, लेकिन ना तो वो आगे जा सकती थी और अलमारी के दरवाजों की वज़ह से बाजू में जा पा रही थी.

वो मादक स्वर में सिस्कारते हुए उसी प्रकार खड़ी रही और मैं उसकी चुत के खड़े होंठों पर अपनी जुबान फिराने लगा. अपनी जुबान की नोक से मैं प्राची की चूत को कुरेदने लगा तो कभी उसकी चूत के होंठों को अपने होंठों में पकड़ कर खींच लेता.

धीरे धीरे प्राची गर्म होने लगी. उसने अपना एक हाथ नीचे लाकर अपनी चूत को फैला दिया. मैं उसकी चूत को अन्दर से ऊपर से नीचे तक चाटने लगा.

प्राची की चूत भी पानी छोड़ रही थी और मेरा लंड भी खड़ा होकर झटके मार रहा था.

अब जब कि प्राची मेरे कन्ट्रोल में आ चुकी थी, मैंने प्राची को सोफे पर बैठने के लिए बोला.

प्राची अपने पैर फैला कर सोफे पर बैठ गयी और मैं उसकी दोनों मांसल जांघों के बीच में अपना सिर घुसाए उसके यौवन रस का रसपान कर रहा था. कभी मैं अपनी पूरी जुबान उसकी चूत में घुसेड़ देता, तो कभी मेरी दो उंगलियां.

प्राची पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी और मादक सिसकारियां भर रही थी. उसकी चूत चाटते चाटते मैं कभी उसके दाने को दांतों के बीच में दबा देता, तो उसकी सिसकारियों की आवाज और बढ़ जाती थी.

अचानक से प्राची मेरा सर उसकी चूत पर दबाने लगी. मैं समझ गया प्राची अब झड़ने वाली है. मैंने उसकी चूत के दाने को दांतों में पकड़ कर खींचना शुरू कर दिया.

अगले कुछ ही क्षणों में प्राची झटके देते हुए मेरे मुँह में झड़ गई. मैंने उसका पूरा पानी गटक लिया और चूत को भी चाट चाट कर साफ कर दिया.

अब मैंने प्राची की ओर देखा तो उसकी आंखें बंद थीं. वो अपनी सांसों को कंट्रोल करने का प्रयास कर रही थी.

मेरे हाथ अब भी उसकी गोरी और गदराई हुई जांघों को सहला रहे थे.

तभी प्राची बोल पड़ी- आज पहली बार इतना मजा आया है! मैं बोल पड़ा- अभी तो और मजे देने वाला काम बाकी है. प्राची ने मेरी ओर देखते हुए कहा- अपने चूहे को बोलो कि मैं उसे अपनी चूत में घुसने नहीं देने वाली.

लेकिन ये कहते वक्त उसकी चेहरे पर शरारती हंसी आ गई थी और कहते कहते ही उसने अपना हाथ मेरी लोवर में डाल कर मेरे लंड को बाहर निकाल लिया था.

मेरा लंड जैसे ही एकदम खड़ा होता था, उसकी चमड़ी अपने आप पीछे चली जाती थी … और उसका गुलाबी सुपारा बाहर आ जाता था.

अभी सात इंच लंबा और तीन इंच मोटा लंड प्राची के हाथों में झटके मार रहा था. नंगा लंड देखकर प्राची की आंखों में आई हुई चमक साफ नजर आ रही थी.

प्राची ने मेरे लंड को थोड़ी देर सहलाया और फिर आगे को झुक कर सुपारे पर अपनी जुबान फेरने लगी. वो कभी अपनी जीभ को पूरे सुपारे पर गोल गोल घुमा देती, तो कभी सुपारे के मुँह पर अपनी जीभ की नोक से कुरेदने लगती. कभी वो मेरा पूरा लंड ऊपर से नीचे तक चाट रही थी.

मैं तो मानो स्वर्ग में था.

फिर उसने लंड पर अपने मुलायम से होंठों को लगाया और मानों जैसे एक ही झटके में मेरा आधा लंड मुँह में भर लिया. फिर किसी लॉलीपॉप की तरह उसे चूसने लगी. मैं तो बस आंखें बंद किए हुए इस स्वर्ग के सुख के मजे लेने लगा था.

तभी प्राची ने अपने दांत मेरे सुपारे पर गड़ा दिए. मेरी एक चीख निकली और सब नशा जैसे उतार गया.

मैं गुस्से से प्राची को देखने लगा, तो उसने लंड को मुँह में रखकर ही शरारत वाली मुस्कान देकर फिर से एक बार अपने दांतों के बीच मेरे सुपारे को दबा दिया.

इस बार उसने दांतों को थोड़े हल्के से दबाया था तो मैंने भी गुस्से में आकर प्राची के सर को पीछे से पकड़ कर अपना पूरा लंड उसके मुँह में ठूंस दिया.

मेरा लंड जाकर सीधे उसके गले से टकराया, तो प्राची की आंखों से आंसू आने लगे.

अब मैं कहां रुकने वाला था. मैंने उसके मुँह को चोदना शुरू कर दिया.

प्राची के मुँह से सिर्फ गर्र गर्र की आवाज निकल रही थी. मेरा लंड प्राची के गले तक उतर रहा था और मुझे भी बड़ा मजा आ रहा था.

लंड को मुँह में आगे पीछे करते करते बीच में ही मैंने पूरा लंड उसके मुँह में डाल कर उसके सिर को मेरे लंड पर दबाये रखा. ऐसे करने पर प्राची की आंखों से आंसू आ जाते थे.

अब मेरा पानी निकालने वाला था. मैंने प्राची से पूछा- कहां निकालूं? तो उसने इशारे से ही मुँह में निकालने के लिए बोल दिया.

आठ दस धक्कों के बाद मैंने पूरा लंड प्राची के मुँह में पेल दिया और झड़ने लगा. मेरे वीर्य की चार पांच पिचकारियां तो प्राची के गले से सीधे नीचे उतर गईं. मेरे वीर्य से प्राची का मुँह पूरा भर गया; होंठों की कोरों से भी बाहर बहने लगा.

उसने मेरा पूरा वीर्य पी लिया और मेरे लंड को भी अच्छे से साफ करके होंठों पर लगा हुआ वीर्य अपने जीभ से चाट कर साफ कर दिया.

मैं प्राची के बाजू में जाकर बैठ गया और उसके बालों से खेलने लगा.

प्राची ने मेरे सीने पर अपना सर रखते हुए कहा- मैंने पहली बार किसी का वीर्य पिया है. मनीष को तो ये सब पंसद ही नहीं है. ना तो वो कभी मेरी चुत चाटता है … और ना कभी मुझे लंड चूसने देता है. बस मुझ पर चढ़ कर मुझे गर्म करके खुद ठंडा हो जाता है.

मैंने प्राची का सिर अपने हाथ में लिया और उसे किस करने लगा. प्राची भी मेरा साथ देने लगी.

मैं अपनी जीभ उसके मुँह में डाल कर घुमाने लगा, तो प्राची ने भी मेरी जीभ को पकड़ कर चूसना शुरू कर दिया. कभी वो मेरे मुँह में जीभ डाल रही थी … कभी मैं. मुझे उसके मुँह से मेरे वीर्य का भी स्वाद आ रहा था.

प्राची अब फिर से गर्म हो गई थी.

दोस्तो, कॉलेज फ्रेंड ओरल सेक्स स्टोरी में एक ब्रेक का टाइम आ गया है. आप अपने अपने लंड चुत हिला कर रगड़ कर झाड़ लो, मगर पहले मेल करना न भूलना. अगली बार पूरी चुदाई की कहानी आपके सामने होगी.

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कॉलेज फ्रेंड ओरल सेक्स स्टोरी का अगला भाग: लॉकडाउन में पुरानी क्लासमेट डॉक्टर से सेक्स- 3

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