मेरी मदमस्त रंगीली बीवी-4

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वहाँ दो लड़के थे, कमसिन ही थे… निक्कर और टीशर्ट में… बिल्कुल चुपचाप… हे मेरे भगवान् ये दोनों लड़के तो ट्रांसपोर्ट वाले थे जिनको मैंने सामान की पैकिंग के लिए बुलाया था। दोनों ट्रांसपोर्ट कम्पनी में पर काम करते हैं… सामान की पैकिंग में मदद करने आये होंगे।

उनमें से एक तो काला सा था, तो दूसरा कुछ गोरा था, दोनों के अभी मूंछें तक नहीं आई थी… उनको देख कर ही लगता था कि दोनों ने कभी स्कूल देखा नहीं होगा।

काला वाला कुछ सेहतमंद था पर गोरे वाला तो बहुत दुबला सा था। वे दोनों आँखें फाड़े खड़े थे उनकी निगाहें सलोनी के चूतड़ों पर ही थी। दोनों ने जो निक्करें पहनी हुई थी, बहुत ढीली थी, पर तब भी पता चल रहा था कि वे दोनों यह नज़ारा देख कर उत्तेजित हो गये हैं। लंड वाले स्थान पर लंड से तम्बू बना हुआ था।

मैंने तुरंत सलोनी को खड़ी किया- ओह्ह… आ गए तुम? ऐसे ही आ गये? दरवाजा पर घन्टी तो बजाते?

पर वे अनपढ़ असभ्य क्या समझते? बस आँखें फ़ाड़े सलोनी का नंगा बदन घूरे जा रहे थे।

मैंने सलोनी को चेताया- चल जल्दी से कपड़े पहन और इन लड़को से पैकिंग का काम करवा ले!

मैंने जल्दी से अपना लोअर ऊपर किया और जाकर उन लड़कों से बात करने लगा जिससे उनकी निगाह मेरी नंगी सलोनी के बदन से तो हटे!

वासना की अग्नि में तपती सलोनी को होश ही कहाँ था, उससे सही ढंग से चला भी नहीं जा रहा था… मैं उसकी हालत समझ रहा था। वह लड़खड़ाती हुई अपने कपड़ों को उठाने लगी, एक बार दोनों लड़को की तरफ़ देखा… और वे दोनों कमीने भी पता नहीं मेरी बात सुन रहे थे या नहीं… दोनों की नज़रें सलोनी पर ही थी।

इस शहर में, घर में रहते हुए पिछले कुछ अरसे में कितना भी कुछ भी यहाँ हो चुका… पर आदतें आसानी से कहाँ बदलती हैं!

सलोनी जैसी मदमस्त सेक्सी लड़की जिसे अजब गजब बातों में सबसे अधिक मज़ा आता हो, वह इस मज़े का एक भी अवसर कैसे जाने दे सकती थी!

उसने बड़े आराम से धीरे धीरे अपने कपड़े उठाए जैसे कपड़े बहुत भारी हों, उसने अपने एक एक उत्तेजक अंग को उन दोनों लड़कों को देखने का पूरा अवसर दिया, चाहे उसके उरोज हों, चूत हो… चाहे चूतड़… कपड़े उठाते वक्त वो उन लड़कों की तरफ़ अपने चूतड़ करके झुकी तो उसकी गांड का छेद और पीछे को निकली हुई चूत भी उन लड़कों ने खूब अच्छे से देखी होगी।

सलोनी अपने कपड़े उठा कर नंगी ही बैडरूम में चली गई। हजारों गर्मागर्म सेक्स कहानियाँ हैं अन्तर्वासना डॉट कॉम पर…

कहने को तो सलोनी उन लड़कों की आँखों से ओझल हो गई थी लेकिन वे अभी तक मदहोश थे, मेरी कोई बात उनके पल्ले नहीं पड़ रही थी, वे तो अभी तक बैडरूम के दरवाज़े पर पड़े पर्दे को ही देख रहे थे।

मैंने तेज आवाज में बात की, तब कहीं वे होश में आए, मैंने उनको सारा सामान दिखाया जो पैक करना था। दोनों बोले- हो जाएगा साब…

तभी मुझे सिगरेट की बहुत तेज तलब लगी, मैंने सलोनी को बाहर से ही आवाज़ लगाई- मैं अभी आता हूँ सलोनी, इन लड़कों को काम बता दिया है… इन्हें अगर कुछ जरूरत हो तो देख लेना!

मैं लोअर और टीशर्ट में था, कह कर मैं बाहर निकल गया। लगभग 20 मिनट बाद मैं लौटा तो दरवाजा लॉक था… मुझे हैरानी हुई कि सलोनी ने दरवाजा क्यों लॉक किया?

और मुझे कुछ समय पहले नज़ारा याद आया… सलोनी का नंगा बदन और उन दोनों लड़कों के निक्कर में खड़े लंड! वैसे भी सिगरेट पीने के बाद मेरा दिमाग़ काम करने लगा था, मेरे दिमाग़ में फिर से शक का कीड़ा जाग गया… क्या अब भी सलोनी ने इस अवसर का लाभ उठा लिया होगा? या ऐसे ही उसने दरवाजा लॉक कर लिया?

एक आशंका यह भी हुई कि कहीं उन दोनों लड़कों ने ही? हो सकता है कि सलोनी को अकेली देख कर वो गलत काम करने पर उतारू हो गए हों… क्या वे सलोनी के साथ जबरदस्ती कर रहे होंगे? यह विचार मेरे मन में आते ही मैं कांप गया। और जल्दी से मैंने जेब में हाथ डाला, दूसरी चाबी मेरे पास ही थी… विगत समय के हालातों को देख कर अब एक चाबी मैं हमेशा अपनी जेब में रखता था।

मैंने चुपचाप जेब से चाबी निकाल कर ताला खोला… और बिना आवाज़ किये दरवाज़ा खोलकर अन्दर झांका। यह क्या?? कमरे में कोई नहीं था और सारा सामान वैसे ही बिख़रा पड़ा था, कोई पैकिंग होना तो दूर… किसी सामान को हिलाया तक नहीं गया था।

कहाँ गए वे दोनों लड़के? चले गये क्या? या वे अन्दर हैं मेरे बैडरूम में? जहाँ अभी कुछ मिनट पहले नंगी सलोनी अपने कपड़े लेकर गई थी।

अंदर हैं तो क्या कर रहे होंगे? जबरदसी तो नहीं ही हो सकती क्योंकि कोई चीख आदि की आवाज नहीं आ रही थी। आखिर पिछले कुछ मिनटों में हुआ क्या यहाँ और अभी क्या हो रहा है?

कहानी जारी रहेगी।

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