मामी की गोद हरी कर दी -2

अब तक आपने पढ़ा.. मैं और मामी भी एक-दूसरे को देखने लगे, शरीर में एक अजीब ही सनसनी हो रही थी, उसे बताना मेरे लिए असम्भव है। मुझे बड़ा मजा आ रहा था और मेरे लंड में अजीब सा कम्पन महसूस हो रहा था। मैं सिर्फ मामी को देख रहा था.. मामी भी मुझे देखकर हंस रही थी। अब आगे..

मुझे उस दृश्य को देखकर बड़ा मजा आ रहा था और साथ ही मेरा लण्ड भी तनतना जा रहा था।

उस समय मैं पूरी तरह वासना का शिकार हो गया और यह भी भूल गया था कि मामी मेरे पास ही खड़ी हैं लेकिन यह बात लण्ड महाराज को कौन समझाए.. वह तो बाहर निकलने के लिए अपना पूरा जोर लगा रहा था।

लौड़ा शायद क्रान्ति का बिगुल बजा चुका था, मन कर रहा था कि कहीं दूर जाकर मुठ मारकर आ जाऊँ। मेरी हालत खराब होने लगी।

तभी मैंने देखा कि मामी कि नजरों में मेरा खड़ा हुआ लण्ड आ गया और वे मुस्कराने लगीं। दोस्तो, उस समय मुझे शर्म भी आ रही थी और मजा भी।

लेकिन ऐसे हालातों में मैं कर भी क्या सकता था। मैंने सोचा कि कहीं दूसरी जगह चलते हैं क्योंकि लण्ड भाईसाहब का ऐंठना मुझसे सहन नहीं हो रहा था। साहब युद्ध क्षेत्र में जाने के लिए पूरी तैयारी में थे।

मैं जैसे ही आगे बढ़ा.. तो मेरी चप्पल कीचड़ में उलझ गई और यह देख मामी मुझे संभालतीं.. इससे पहले ही मेरा बैलेंस बिगड़ गया और मैं मामी के ऊपर जा गिरा.. जिसके कारण मामी भी गिर गईं..

मामी मेरे नीचे गिरी थीं और हम दोनों ही ऐसे गिरे कि मेरा लण्ड मामी की ठीक चूत के ऊपर ही था। मेरी और मामी की नजरें एक-दूसरे से टकराईं और हम मानो कहीं खो से गए। पता ही नहीं चला मैं कब मामी के ऊपर ही कमर से नीचे के हिस्से को हिलाने लगा, बड़ा अच्छा महसूस हो रहा था।

मामी चुप थीं.. उनकी आँखों में भी वासना की डोरे नजर आ रहे थे। तभी मुझे शांति मिल गई और मैंने हिलना बंद कर दिया। उस समय ऐसा लगा.. मानो मैं स्वर्ग में बैठा हूँ। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

तभी मामी बोलीं- ऐसे ही पड़े रहोगे या उठोगे भी? मैं उठ कर जाने लगा तो मामी ने पूछा- कहाँ जा रहे हो? मैं बोला- पेशाब आ रही है।

जब मैं पेशाब करने की तैयारी में था तो मुझे मेरी चड्डी गीली लगी.. मैंने चड्डी को ऊँचा करके देखा तो दोस्तो, पता नहीं कौन से देश का नक्शा बना हुआ था.. समझ नहीं आया।

मैं पेशाब करके मामी के पास जाकर बैठ गया। मेरी नजरें झुकी हुई थीं और मैं और मामी एक-दूसरे से काफी देर तक नहीं बोले। तब तक पाड़ा भी अपना काम पूरा कर चुका था। वह भी दूर हट गया।

तभी मैंने बोला- मामी.. भैंस को ले आऊँ? तो मामी बोलीं- नहीं.. अभी रहने दो एक बार और.. और मामी चुप हो गईं।

मामी चुप थीं.. जिसके कारण मेरी गांड फट रही थी कि अब मामी.. मामाजी को सारी बात बता देंगी और और मेरी गांड ढंग से कुटेगी.. मेरी तो अब खैर नहीं। तभी मैंने सोचा कि मामी को ‘सॉरी’ बोल देता हूँ.. शायद मान जाएं.. और मेरी गांड कुटने से बच जाए।

मैंने धीरे से बात स्टार्ट की और बोला- मामी मुझझे गलती हो गई.. मुझे ऐसे हिलना था।

मामी तब भी कुछ नहीं बोलीं और दूसरी तरफ देखने लगीं.. मुझे लगा कि मामी बहुत गुस्सा में है, मेरे दिमाग से वासना का सारा भूत उतर गया।

भैंस भी शायद पाड़े को पटाने के लिए उसे जगह-जगह चाट रही थी.. लेकिन पाड़ा मादरचोद उसकी ओर देख भी नहीं रहा था। वो स्थिति ऐसी थी कि मैं मामी को मना रहा था और भैंस, पाड़े को.. लेकिन कोई भी मानने को तैयार नहीं था।

मैं मन ही मन सोच रहा था कि अब यहाँ से घर को चला जाऊँगा तो भी मामाजी सारी बात घरवालों को बता ही देंगे.. तो मेरा क्या होगा.. राम ही जाने। मेरा सारा भेजा खराब हो गया।

मैं उठकर जाने लगा.. तो मामी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और पूछने लगीं- कहाँ जा रहे हो? मैंने कहा- मामी कितनी बार माफी मांग ली। यह सब गलती से हो गया.. उस समय पता ही नहीं चला.. कब मैं हिलाने.. अब तो मामाजी मेरी.. मामी मेरी बात को बीच में ही काटते हुए बोलीं- कोई बात नहीं.. बैठ जाओ ऐसे हालातों में और ऐसी उम्र में.. ऐसा हो जाता है.. मैं तुम्हारे मामाजी से कुछ नहीं कहूँगी।

मेरी तो जान में जान आई और मैं चुपचाप मामी के पास बैठ गया। हम दोनों चुप थे।

थोड़ी देर बाद मेरी नजरें मामी के ऊपर गईं.. तो मामी की आँखों से आँसू बह रहे थे। मुझे लगा कि मामी अभी तक शांत नहीं हुई हैं। उनको मुझ पर अभी भी गुस्सा आ रहा है और आए भी क्यों नहीं.. मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था।

तभी मैं मामी से बोला- मामी ऐसे चुप मत बैठो.. मुझे अपनी गलती का अहसास है.. अब माफ भी कर दो। तो मामी बोलीं- नहीं लाला.. मैं आपसे नाराज नहीं हूँ.. मामी और भांजे के बीच ऐसा मज़ाक तो चलता रहता है.. यह रिश्ता है ही इतना प्यारा.. और हम तो वैसे भी लगभग हमउम्र हैं.. मामी-भांजे के बीच तो मजाक चलता ही रहता है। बुरा मानने वाली कोई बात नहीं.. तुम शान्त हो जाओ।

तब मैं पूरी तरह निश्चिंत हो गया।

मैंने पूछा- तुम चुप क्यों हो.. और तुम्हारी आखों में आँसू? मामी बोलीं- कुछ नहीं.. बाद में बात करते हैं। उन्होंने अपने आँसू पोंछे और हल्की सी मुस्कुरा दीं।

फिर उन्होंने कहा- मैंने तो तुम्हारा सारा मूड ही बिगाड़ दिया। हम दोनों हँसने लगे।

हम ऐसे ही इधर-उधर की बात करते रहे और एक-दूसरे से खुलने लगे।

तभी पाड़े महाराज ने जोर मारा और फिर से अपने हथियार को तान लिया और चढ़ बैठा अपनी भैंस रानी के ऊपर।

उनका मिलन देखकर मेरे मन में फिर से गुदगुदी होने लगी और मेरे लण्ड महाराज रह-रह कर फन निकालने लगा।

मैं कभी भैंस की तरफ़ देखता.. तो कभी मामी की तरफ.. जैसे ही मैं मामी की तरफ देखता.. तो मामी शरम के मारे अपना सिर मुस्कुराकर नीचे कर लेतीं।

थोड़ी ही देर में पाड़ा भैंस से अलग हो गया.. शायद वह अपना काम पूरा कर चुका था। अब वो भैंस से दूर जाने लगा.. तो भैंस उसकी तरफ अभी भी जा रही थी मानो जैसे भैंस अभी संतुष्ट नहीं हुई हो और उससे कह रही हो कि ‘मादरचोद गाण्ड दिखाकर कहाँ जा रहा है.. मेरी तो अभी प्यास भी पूरी नहीं हुई।’

उस समय मैं और मामी उस दृश्य को देख रहे थे तो हमारी हँसी नहीं रूकी।

फिर अंत में हम भैंस को लेकर आ गए.. मामी ने भैंस को बाँधते हुए कहा- अब समझे कि नहीं.. हरी करना। हम दोनों फिर जोर से हँस पड़े।

घर पहुँचकर मामी ने खाना बनाया और खाना खाने के बाद मामी ने कहा- अब पढ़ाई कर लो.. तुम्हारा सारा दिन खराब हो गया।

मैं अपने कमरे में चला गया और सोचा थोड़ी देर कमर सीधी करके पढ़ाई करूंगा.. तो मैं चारपाई पर लेट गया। अब मुझे बारी-बारी से दिन की सारी घटना याद आने लगीं.. तो मन को एक अजीब का सुकून सा था और अपने आपको गलत भी मान रहा था कि मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था, वह मेरी मामी हैं।

ये सब सोचते हुए पता ही नहीं चला कि कब नींद आ गई।

तभी एक आवाज से मेरी आँख खुली मैं हड़बड़ाहट में उठा.. तो मामी बोलीं- मैं हूँ.. मैंने पूछा- मामी क्या हुआ? तो मामी बोलीं- लाईट चली गई है और आने का कोई चांस नहीं है.. इसलिए गर्मी में क्यों सो रहे हो.. मैंने छत पर बिस्तर लगा दिए हैं वहाँ चलकर सो जाओ।

हम दोनों छत पर चले गए.. वहाँ दो बिस्तर लगे थे, एक पर मैं और दूसरे पर मामी सो गईं। मैंने अपने मोबाइल में टाईम देखा तो करीब 11 बजे थे।

तारों भरी चॉदनी रात थी.. चारों और गीले खेत होने के कारण ठण्डी हवा चल रही थी। मामी और मैं एक-दूसरे से लेटे-लेटे बात करने लगे।

मैंने पूछा- मामी अब बताओ.. तुम्हारी आँखों में आँसू क्यों आ रहे थे? मामी बोलीं- कुछ नहीं.. सो जाओ। लेकिन मेरे जोर दिया तो मामी की आँखों से फिर से आँसू निकल आए।

मैंने मामी के आँसू पोंछे और पूछा-आपको मेरी कसम.. बताओ बात क्या है? तब मामी ने बताया- हमारी शादी के दो साल तक हमने बच्चे पैदा न करने का मन किया था.. लेकिन जब हमने बच्चों के बारे में सोचा.. तो एक दिन तुम्हारे मामाजी कुएं पर इंजन सही कर रहे थे कि उनका पैर पिसल गया और वे कुएं में जा गिरे.. जिसके कारण उन्हें कई जगह चोट आई और कमर के निचले हिस्से में चोट लगने के कारण वे अपनी पिता बनने की शक्ति को खो बैठे हैं।

यह बात सुन मेरे रोंगटे खड़े हो गए.. मैंने मामी से पूछा- मामी क्या तुम सेक्स नहीं कर पाती हो? मामी ने कहा- नहीं बस एक-दूसरे से ऊपर पड़ लेते हैं और कुछ नहीं।

अजीब सी कामोत्तेजना का आलम था.. मामी के लिए मन में सम्मान भी था और लण्ड की प्यास भी मुझे भड़का रही थी।

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