मेरा गुप्त जीवन- 149

मैं अपने खड़े लंड को हाथ में पकड़ कर धीरे से लाजो की गांड की तरफ बढ़ा और आहिस्ता से पलंग पर चढ़ गया और पीछे से लंड का निशाना बना कर चूत के मुंह पर रख दिया। एक हल्का धक्का ही मारा और लंड एकदम गीली चूत के अंदर घुस गया। लाजो सब महसूस कर रही थी, उसने भी एक ज़ोर का धक्का अपनी गांड का पीछे की तरफ मारा और मेरा पूरा लंड अपने अंदर लील गई।

जब मैंने देखा कि भाभी की चूत अब ऊपर उठ रही थी तो मैं समझ गया कि वो छूटने के करीब थी और भाभी भी देख रही थी कि मैं लाजो के साथ मस्त चुदाई में व्यस्त था। लाजो का मुंह भाभी का चोदन कर रहा था और उसकी चूत मेरे लंड का दोहन कर रही थी।

मेरे लंड के धक्कों के कारण लाजो के मुख चोदन की प्रक्रिया तेज़ होती जा रही थी और उसका मुंह भाभी की चूत को काफी तेज़ी से चूस और रगड़ रहा था जिस कारण भाभी अब काफी उछल उछल कर लाजो से चुदवा रही थी।

भाभी यह दोहरा लुत्फ़ ज़्यादा देर बर्दाश्त नहीं कर सकी और जल्दी ही हिलते हुए स्खलित हो गई।

अब मैंने लाजो की चुदाई तेज़ कर दी और पूरी स्पीड से धक्के मारना शुरू कर दिया और थोड़ी देर की मेहनत के बाद ही लाजो भी छूट गई, छूटते हुए वो अत्यंत तीव्र गति से हिलने लगी और उसकी चूत से एक बहुत गाढ़ा पदार्थ निकला जो शायद उसकी चूत का था।

जब मैं उठा तो सबसे पहले लाजो ने मुझको कस कर अपनी बाहों में बाँध लिया और बड़ी ही कामुक चुम्मी मेरे लबों पर दे दी और अपने गोल और मोटे मुम्मे मेरी छाती से रगड़ने लगी। मैंने भी झुक कर उसके लबों को चूमा और फिर उसके मुम्मों को भी चूमा।

भाभी जैसे ही उठी, मैंने उसको पकड़ लिया और उसके होटों पर एक मस्त चुम्मी जड़ दी और उसकी चूत में हाथ डाला तो वो पूरी तरह से गीली हो चुकी थी और मेरे लंड का बेसब्री से इंतज़ार कर रही थी।

मैंने भाभी के मुम्मों को चूसते हुए उसको पुनः बेड पर लिटा दिया और उसकी टांगों में बैठ कर लंड को अंदर चूत में डाल कर थोड़ी देर के लिए रुक गया ताकि भाभी लौड़े को ज़रा महसूस कर सके। लौड़े की सख्ती से तो वो वाकिफ थी इस लिए मैं आज भाभी को चुदाई के नए तरीके बताने वाला था।

कुछ धक्के मैंने हल्के से मारे ताकि भाभी की चूत को मुंह चुदाई के बाद लंड का स्वाद भी आने लगे। लाजो अब हमारे पास आ कर भाभी के मुम्मों के साथ खेलने लगी और वो भाभी के होटों पर अपनी जीभ फेरने लगी जिससे भाभी का आनन्द और भी बढ़ जाए।

मैं स्वयं बिस्तर पर लेट गया और भाभी को उठा कर मैंने उसको उसकी साइड पर लिटा दिया और उसकी टांगों को सिकोड़ कर उसकी ठुड्डी तक लगा दिया। फिर मैंने साइड से अपना लंड भाभी की गीली चूत में डाला और धीरे धीरे से धक्के मारने लगा।

भाभी शायद पहली बार इस पोज़ में चुदी थी सो बहुत अधिक आनन्द लेते हुए चुदवा रही थी। जैसे ही मैंने चुदाई की स्पीड तेज़ की, भाभी ने अपनी गांड का धक्का मार कर यह इशारा किया कि अभी तेज़ी नहीं… और मैं भी अब भाभी को आहिस्ता धक्कों से चोदने लगा।

फिर मैं एकदम रुक गया और उसके मुम्मों के साथ खेलने और उसकी मोटी लेकिन फैली हुई गांड पर हाथ फेरने लगा और तभी लाजो भी मेरे पीछे बैठ कर मेरे अंडकोष को चूसने लगी जिससे मुझको बेहद मज़ा आ रहा था। अब मुझ से रहा नहीं गया और मैंने भाभी को सीधा लिटा दिया और उसके ऊपर चढ़ कर ज़ोरदार चुदाई शुरू कर दी।

इस ज़ोरदार चुदाई का कारण यह भी था कि मेरे अंडकोष में इतने दिनों से वीर्य को रोक रखने के कारण दर्द होने लगा था और मेरी कोशिश थी कि मैं भाभी की सेफ चूत में अपना वीर्य स्खलन कर दूँ।

मैंने सांस रोक कर भाभी की ज़ोरदार चुदाई शुरू कर दी और कुछ ही मिनटों में मेरा वीर्य पिचकारी की तरह भाभी की चूत में छूट गया और जैसे ही मेरा वीर्य छूट रहा था कि बैडरूम का दरवाज़ा अचानक खुला और रति धड़धड़ाती हुई कमरे के अंदर आ गई।

कमरे का नज़ारा देख कर वो भौंचक्की रह गई और उसका मुंह आश्चर्य से खुला का खुला ही रह गया। ऐसा लगा कि वो गुस्से में पागल हो रही थी और वह ज़ोर से चिल्लाई- भाभी यह क्या कर रही हो? सोमू, तुम तो भाभी से ज़बरदस्ती कर रहे हो? उफ़ यह मैं क्या देख रही हूँ?

यह कह कर वो फर्श पर बिछे कारपेट पर बैठ गई और गुस्से में अपने बाल नोचने लगी और ज़ोर ज़ोर से रोने लगी। मैं गीले लंड को लिए हुए ही भाभी के ऊपर से उठा और जाकर रति को कस कर अपनी बाहों में जकड़ लिया ताकि वो अपने आप को ज़्यादा नुकसान ना पहुंचा सके।

लेकिन वो मुझे देख और भी बिफर गई और मुझ पर अपने हाथों से मुक्के मारने लगी। रति ने उस समय केवल नाइटी ही पहने हुए थी और वो मेरे साथ धींगा मुष्टि में एकदम ऊपर हो गई और उसकी चूत और मुम्मे एकदम नग्न हो गए। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

मेरा भी लंड उसके सारे शरीर को छू रहा था और फिर मैंने फूर्ति से उसको अपने सामने कर लिया और उसके उफनते होटों पर अपने होंट रख दिए और मेरा लंड उसकी चूत के ऊपर रगड़ा मार रहा था। जब वो थोड़ी ढीली पड़ी तो मैंने उसको नीचे कारपेट पर लिटा दिया और फ़ौरन उसकी जांघों में बैठ कर अपना गीला अकड़ा हुआ लंड उसकी चूत में डाल दिया।

वो अभी भी अपने हाथ छुड़ाने की कोशिश कर रही थी लेकिन मैंने उसको ऊपर से ऐसा दबा दिया कि वो हिल ही ना सकी।

जैसे ही उसकी सूखी चूत ने मेरे लंड की गर्मी महसूस की, वो मेरे लंड को लपकने लगी। जैसे ही लंड लाल ने अंदर बाहर होने की प्रक्रिया शुरू की तो रति का गुस्सा धीरे धीरे शांत होने लगा और उसकी बाहें मेरे शरीर को अपने से जकड़ने लगी।

मैंने उसकी आँखों में झाँक कर देखा तो उनमें गुस्सा धीरे धीरे गायब होने लगा और उसके होंट मेरे लबों से अपने आप चिपक गए। आगे बढ़ कर उसकी भाभी ने उसके शरीर पर अभी ऊपर हुई नाइटी को उतार दिया और उसके मुम्मे चूसने शुरू कर दिए और दूसरी तरफ से लाजो ने भी वही काम शुरू कर दिया।

लाजो ने अपनी ऊँगली से उसकी चूत में भग को भी मसलना शुरू कर दिया।

अब रति की कमर उछल उछल कर मेरे लंड का स्वागत कर रही थी और मेरी तीव्र धक्का शाही के बाद वो कुछ धक्कों में ही धराशायी हो गई।

जब उसका हिलना बंद हुआ तो मैं उसके ऊपर से हटा और उसके साथ ही कारपेट पर लेट गया।

भाभी अब उसके लबों पर गर्म चुम्बन दे रही थी और लाजो उसके मुम्मों के चूचुकों को चूस रही थी। मैं भी रति की चूत पर मुंह से चुसाई करने लगा और इस सामूहिक चोदन से रति का मूड एकदम बदलने लगा और वो भाभी को और लाजो को भी कामुकता से चूमने लगी।

मेरा मन अब कुछ शांत हुआ और मैं रति को फिर तैयार करके उसको आराम से चोदने की सोचने लगा लेकिन रति को शायद कुछ ख्याल आ गया और वो फिर उद्विग्न हो कर उठ कर बैठ गई।

रति मेरी तरफ देख कर बोली- सोमू, तुम्हारा भाभी के साथ कब से चक्कर चल रहा है? और यह लाजो को कब से पटाया है तुमने? जवाब दो वरना मैं चिल्ला कर सारे मोहल्ले को सर पर उठा लूंगी।

इससे पहले कि मैं कुछ बोलता, भाभी बीच में आ गई और रति को समझाने लगी- देख रति, सोमू की नौकरानी कम्मो मेरा इलाज कर रही है ताकि मैं माँ बन सकूँ। इसी सिलसिले में कम्मो ने बताया था कि मैं हमेशा खुश रहूं और कभी अकेली ना रहूँ। आज तुम्हारे भैया रात के लिए बाहर जा रहे थे तो मैंने सोचा मैं सोमू को यहाँ रात बिताने के लिए राज़ी कर लेती हूँ ताकि हम किसी तरह भी अकेली ना हों और सोचा कि वो कुछ तुम्हारा भी काम कर देगा और तुम्हारी भी पूरी तसल्ली हो जाएगी।

रति बोली- वो तो ठीक है लेकिन आप कैसे सोमू के साथ चुदाई कर रही थी?

भाभी बड़ी मासूमियत से बोली- वो मैं इधर से गुज़र रही थी कि सोमू के कमरे से कुछ आवाज़ें आ रही थी सो मैं इस कमरे के अंदर आ गई यह देखने के लिए सोमू को शायद कुछ चाहिये होगा? यह देख कर हैरान हो गई कि सोमू तो लाजो के साथ चुदाई में बिजी था लेकिन मुझ यह देख और भी अचरज हो रहा था कि सोमू की आँखें तो बंद थी और वो लाजो की चुदाई यह कह कर कर रहा था- रति तुम कितनी सुंदर हो, तुम्हारा शरीर कितना सुन्दर है रति, मेरी डार्लिंग रति, आज मैं तुम को छोड़ूंगा नहीं, सारी रात चोदता रहूंगा।

तभी लाजो बोल पड़ी- रति दीदी, भाभी ठीक कह रही हैं। यकीन मानिए, दरअसल सोमू साहिब मुझको रति समझ कर चोद रहे थे और बार बार आप का ही नाम लेते जा रहे थे। क्या आपका और सोमू साहिब का कोई चकर चल रहा है?

अब बोलने की मेरी बारी थी- सॉरी रति डार्लिंग, मुझको रात में चलने की आदत है और मुझको पता ही नहीं रहता कि मैं क्या कर रहा हूँ? मैं सपने में तो तुमको चोद रहा था। मुझ को बिल्कुल पता नहीं चला कि मैं लाजो को चोद रहा हूँ और फिर कब मैं भाभी पर चढ़ बैठा, मुझ को कुछ याद नहीं।

यह कहानी सुनाते हुए भाभी और लाजो एकदम सीरियस थी और मेरे हाथ रति की चूत और मुम्मों पर भटक रहे थे। रति कुछ सोच ही रही थी कि मैंने लपक कर उसके होटों पर कामुक चुम्बन देने शुरू कर दिए। भाभी उसकी चूत को चाटने लगी और लाजो ने उसके मुम्मों को चूमने और चूसने का प्रोग्राम शुरू कर दिया।

मैंने भी अपना खड़ा लंड उसके मुंह के पास लाकर उसके लबों पर फेरना शुरू कर दिया और फिर रति अपने आप को रोक नहीं सकी और उसने मुंह खोल कर मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर ले लिया और गपागप चूसने लगी।

तब मैंने भाभी और लाजो की तरफ देखा और दोनों ने इशारा किया कि मैं रति को फिर एक बार चोद दूँ ताकि उसका मुंह सदा के लिए बंद हो जाए और हम सबका भांडा ना फोड़ सके।

जब रति काफी गर्म हो गई तो मैंने उसको घोड़ी बना दिया और फिर पीछे से अपने मोटे लंड को उसकी गीली चूत में डाल दिया और कभी पूरा अंदर और कभी पूरा बाहर निकाल कर उसकी शाही चुदाई शुरू कर दी।

थोड़ी देर में रति का ज़ोरदार स्खलन हो गया और वो कांपते हुए बिस्तर पर पसर गई।

जब वो कुछ संयत हुई तो मैं उसके कान के पास जा कर हल्के से फुसफुसाया- रति, अगर तुम इजाज़त दो तो मैं भाभी और लाजो को भी एक एक बार चोद दूं। दोनों ही लंड की प्यासी हो रही हैं तुमको चुदती देख कर, क्या कहती हो?

रति ने धीरे से हाँ में सर हिला दिया और मैं भाभी को लेकर मस्त चुदाई करने लगा और वो भी रति के साथ कारपेट पर लेट कर! भाभी ने रति का हाथ पकड़ कर अपने मस्त मोटे मुम्मों के ऊपर रख दिया और वो उनको दबाने लगी और चूचुकों के साथ खेलने लगी।

मैं भाभी के ऊपर चढ़ा हुआ सरपट घोड़े दौड़ाता हुआ भाभी को छूटने के मुकाम पर ले आया और भाभी खूब ज़ोर से कांपती हुई झड़ गई और एकदम रति के साथ लिपट गई। दोनों आपस में एक प्रगाढ़ आलिंगन में बंधी हुई एक दूसरे को चूमने लगी।

अब मैंने लाजो की ओर ध्यान दिया, वो अपनी चूत में ऊँगली डाल कर कुछ आनन्द लेने की कोशिश रही थी, मैं भाभी की चूत से निकले गीले लंड को ले कर लाजो के पीछे खड़ा हो गया और उसको बेड पर हाथ टेक कर खड़ा कर दिया और एक ही झटके में उसकी फूली हुई चूत में लंड को डाल कर तीव्र धक्कों के साथ लाजो को चोदने लगा।

लाजो भी अत्यंत गर्म हो चुकी थी सो वो भी जल्दी ही धराशायी हो गई। फिर रति के कहने के मुताबिक हम चारों कार्पेट पर ही चादरें बिछा कर एक दूसरे की बाहों में सो गए और रात को मुझको याद पड़ता है कि रति और भाभी ने मुझको एक दो बार शायद चोदा था।

कहानी जारी रहेगी। [email protected]