रवीना के बदले में राजेश की गांड मारी

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इस कहानी की शुरुआत फेसबुक से हुई थी। मैं नकली नाम से एक फेसबुक अकाउंट चलाता था जिस पर सेक्स रिलेटेड पोस्ट्स और फ्रेंड्स होते थे। उस अकाउंट पर मेरी एक लड़की से दोस्ती हो गई, उसने अपना नाम रवीना बताया।

हम रोज चाट किया करते, शुरू शुरू में नॉर्मल बाते ही हुई, पर बाद में हम दोनों सेक्स चाट करने लगे। वक्त बीतता गया वक्त के साथ हम दोनों की दोस्ती भी गहरी होने लगी, वो रोज मेरे साथ सेक्स चाट करके अपना पानी निकलवाती थी वही हाल मेरा भी था।

जब उसे यकीन हो गया कि मैं अब उससे चाट किये बिना नहीं रह पाऊँगा तब उसने मुझे एक जोर का झटका दिया, उसने बता दिया के वो लड़की नहीं, लड़का है और उसका नाम राजेश है।

उसके द्वारा धोका किये जाने से मैं नाराज हो गया, मैंने उससे बातें बंद कर दी। वो फिर भी मुझे ‘सॉरी, माफ़ कर दो…’ के मैसेज भेजता रहा पर मैं जवाब नहीं देता था।

एक दिन मैंने उसे पूछा कि उसने ऐसा क्यों किया? तब उसने बताया कि वो एक गे लड़का हैं और स्ट्रेट लड़कों से लड़की बनकर चाट करता है, पर मेरे साथ वो सबसे ज्यादा बातें करता था, उसे मेरे साथ बातें करना अच्छा लगता था।

उसने मुझे पूछा- क्या हम दोस्त बने रह सकते हैं? मैंने कहा- हाँ, पर मैं स्ट्रेट हूँ और गे चाट नहीं करूँगा। उसने मेरी शर्त स्वीकार कर ली।

हम फिर बातें करने लगे, कभी किसी फोटो पर बात करते, कभी वीडियो पर, किसी पोस्ट पर तो किसी कहानी पर हम फिर से सेक्स रिलेटेड बातें करने लगे। अब हम सेक्स के अलावा भी बहुत सारी बातों पर चर्चा करने लगे।

ऐसे ही एक दिन बातों बातों में उसने एकांत में बसे समुंदरी चौपाटियों की बात शुरु की। मैंने उसे कहा कि मुंबई में एकांत मिलने वाली चौपाटी मिलना तो मुश्किल है।

इस बात के कुछ ही दिनों बाद मेरे एक दोस्त से बातचीत में पता चला कि उसके गाँव में उसके घर के सामने ही समंदर हैं, जिसकी विशाल चौपाटी पर उसके घर वालों के अलावा और कोई नहीं जाता। उसके घर का समंदर वाला हिस्सा एक तरह से गाँव की नजरों से दूर होता है। बाकी गाँव वाले जिस चौपाटी का इस्तेमाल करते हैं वो गाँव से सटी हुई है और इसकी प्रॉपर्टी जिस चौपाटी पर है, वो निर्जन हैं, सिवाय उसके घर वालों के वहाँ कोई नहीं जाता।

मैंने यह सारी बातें राजेश को बता दी। राजेश मेरे पीछे ही पड़ गया- प्लीज आप अपने दोस्त को कहिए कि हमें वो चौपाटी दिखाए। मैं उनका गाँव और निर्जन चौपाटी देखना चाहता हूँ।

उसके जोर देने से मैंने मेरे दोस्त से बात की, दोस्त मान गया। पर दिक्कत यह थी कि मैं और राजेश एक ही राज्य के नहीं थे कि फट से कहीं भी आ जा सकते थे, साथ ही मेरे दोस्त को भी हमारे लिए छुट्टी मिलनी जरूरी थी।

पर जैसे तैसे काम बन गया, मेरे दोस्त को छुट्टी भी मिली और राजेश को आने का मौका भी मिला। पर जिस रोज हमने दोस्त के गाँव जाने की योजना बनाई थी, उसके कुछ दिनों पहले ही दोस्त की माँ की तबियत बहुत ख़राब हो गई। उसे मुंबई के एक बड़े हॉस्पिटल में ऐडमिट कराने की नौबत आ गई। अच्छा यह था कि उसके माँ बाप गाँव में ही रहते थे।

राजेश मेरे दोस्त के गाँव जाने के लिए मेरे शहर आ गया, कमाल का हसीन लड़का था, सफ़ेद दूधिया रंग का बदन, भूरे बाल, नीली आँखें, गुलाबी होंठ… जबरदस्त खूबसूरत, काश वो लड़की होता!

मेरे दिमाग में उसे देखते ही उसके वो किस्से याद आने लगे जब वो मुझसे लड़की बनकर चाट किया करता था। सेक्स चाट तो हमने लड़के वाला राज जाहिर होने के बाद भी किया था पर उसमें वो बात नहीं थी।

हम तीनों दोस्त के गाँव चले गए। प्लान यह था के हम दोनों दोस्त के घर रहेंगे और दोस्त अपने माँ बाप को लेकर मुंबई लौटेगा। यानि हमें जितने दिन वहाँ रुकना था, हर काम खुद करना था, साथ ही उनका घर और प्रॉपर्टी भी संभालनी थी।

गाँव काफी छोटा सा था, बहुत कम लोग थे उस गाँव में, इसीलिए उसकी प्रॉपर्टी वाली चौपाटी पे कोई आता जाता नहीं था। दूर दूर तक इंसान तो क्या जानवर भी नहीं दिखते थे वहाँ पर।

मेरा दोस्त उसी दिन रात को अपने माँ बाप को लेकर मुंबई लौट गया जिस दिन वो हमारे साथ गाँव आया था। मतलब यह कि उस प्रॉपर्टी में सिवाय मेरे और राजेश के कोई नहीं था। हमने रात को साथ लाया हुआ खाना खाया और इधर उधर की बातें करते हुए सो गए।

दिन रात फेसबुक पर सेक्स चाट करने वाले हम लोग, जब सामने आये थे तो इधर उधर की बातें करते रहे। ना उसने, ना मैंने सेक्स या सेक्स विषय का जिक्र किया।

सुबह जब हम उठे तो नहाने के लिए समंदर पर चले गए। जैसे ही बीच पर जाकर हमने कपड़े उतारे, राजेश का अधनंगा सफ़ेद लड़कियों जैसा गोरा और मुलायम बदन देख कर मेरे लंड में हरकत होने लगी, यकायक ही वो सारी बातें दिमाग में याद आने लगी जो हम सेक्स चैट के जरिये किया करते थे।

हम दोनों सिर्फ अंडरवीयर पहने हुए थे वो भी कट वाली जो सिर्फ लंड और गांड को ढकने का काम करती हो। राजेश की अंडरवीयर तो इतनी कट थी कि उसमें से उसके आधे से ज्यादा नितंब बाहर झलक रहे थे, जिन्हें देख कर मन पहली बार लड़के पर फ़िदा हो गया था।

पानी में जैसे जैसे हम आगे बढ़ने लगे, लहरों की थपेड़ों से राजेश डरने लगा, एक बार तो वो पानी में गिर भी गया। उसके बाद वो डरते डरते आगे बढ़ रहा था, उसने मेरा हाथ पकड़ा था और बिल्कुल मुझसे सटकर चल रहा था जिससे मेरे जिस्म में कुछ कुछ होने लगा था।

हम कंधे की ऊंचाई तक पानी में अंदर गए हुए थे। जब बड़ी लहर आती तो राजेश मुझसे चिपक जाता और मेरे पैरों पर पैर रखकर ऊपर उठने की कोशिश करता। उसकी इस कोशिश में कितनी ही बार उसने मुझे आलिंगन दे दिया था, अनेकों बार हम दोनों के लंड आपस में टकरा गए थे।

‘ओ माय गॉड…’ करके उसने मुझे जोर से कसकर पकड़ा, एक बड़ी लहर हम दोनों की तरफ चली आ रही थी। जैसे ही वो लहर हमसे टकराई हम दोनों ही नीचे पानी में गिर गए। जैसे तैसे एक दूसरे को सहारा देते हुए हम उठ खड़े हुए।

आउच ! राजेश के मुख से निकला। क्या हुआ? मैंने चौंक कर पूछा। ‘लगता हैं अंडरवीयर में कुछ घुस गया है!’ राजेश ने हाथ कूल्हों पर ले जाते हुए कहा। ‘तो देख लो ना क्या गया है, शायद किसी मछली ने नया घर ढूंढ लिया हो?’ मैंने उसका मजाक उड़ाते हुए कहा।

वो हँसा- अरे यार सच में कुछ चुभ रहा था, लेकिन कुछ मिल नहीं रहा है। उसने अंडरवीयर में हाथ फेरते हुए कहा।

‘अंडरवीयर निकालकर देख ले ना!’ मैंने कहा। ‘कोई देख लेगा!’ उसने शर्माते हुए कहा। ‘यहाँ कोई नहीं हैं हमारे अलावा, और दूर से कोई देख भी लेगा तो उसे बस पानी में खड़े दो लकड़ी जैसे जिस्म दिखाई देंगे! निकाल दे।’ मैंने उस पर दुबारा जोर डाला।

मेरे जोर डालने पर उसने अपनी अंडरवीयर निकाल दी और उसमें कोई कीड़ा या कंकर फंसा है क्या। देखने लगा। मैं पास में खड़ा उसके दूधिया नंगे बदन को देखकर उत्तेजित हो रहा था।

‘कुछ दिख तो नहीं रहा!’ उसने मेरी तरफ देखते हुए कहा- शायद निकल गया हो पर अभी भी जलन हो रही है। ‘कहाँ?’ ‘यहाँ…’ कहते हुए उसने मुझे अपनी गांड दिखा दी। ‘शायद खरोंच आई हो, थोड़ा लाल लाल दिख रहा है।’

आपने अगर कभी सफ़ेद रंग के लोगों को देखा होगा तो आपको पता होगा कि उनको जोर से पकड़ लेने से भी लाल निशान पड़ जाते हैं। राजेश भी वैसा ही था। लहरों की थपेड़ों में जब हम कही बार गिरे थे, उस वक्त उसे किसी चीज से खरोंच आई होगी।

‘कहाँ? मुझे कुछ दिख नहीं रहा है?’ वो पीछे मुड़कर अपनी ही गांड को देखने की असफल कोशिश कर रहा था। ‘यहाँ…’ कहते हुए मैंने उसके गांड के उस हिस्से को ऊँगली से छुआ जो लाल था।

‘ज्यादा लाल है?’ ‘नहीं हल्का है…’ थोड़ी देर में ठीक हो जायेगा। ‘और कहीं कुछ लगा है क्या?’ मैं समझ गया कि वो मुझे अपनी गांड देखने को कह रहा है।

‘तुम्हें जलन हो रही है क्या और कहीं?’ मैंने उससे पूछा। ‘नहीं, पर बाद में पता चले, इससे अच्छा है कि अभी चेक करें।’ ‘हाथ घुमा कर देख!’ मैंने सलाह दी।

‘यहाँ देख… यहाँ…’ कहते हुए वो मुझे अपनी गांड दिखाने लगा। पानी एकदम साफ़ सुथरा था, इसलिए उसका नंगा बदन बिल्कुल साफ़ दिखाई दे रहा था।

मैं उसे परख ही रहा था कि फिर एक बड़ी लहर आई और वो लड़खड़ाया। मैंने उसे गिरने से बचाने के लिए दबोच लिया जिससे मेरा अधनंगा बदन उसके नंगे बदन से सट गया।

‘एक काम करते हैं किनारे की तरफ चलते हैं।’ मैंने सुझाव दिया। ‘यहाँ पानी में ही मजा आ रहा है।’ उसने किनारे पर चलने से इंकार किया। दरअसल वो मुझसे दूर नहीं होना चाह रहा था।

तभी और एक बड़ी लहर आई और उसकी अंडरवीयर उसके हाथ से छूट गई। मैंने झट से उसे पकड़ लिया वर्ना वो पानी में बह जाती। ‘चल इसे रेत पर रखते हैं और फिर अंदर आते हैं।’ मैंने कहा। हम दोनों बाहर आये, उसकी अंडरवेअर मैंने दूर रेत पर जहाँ हमारे कपड़े पड़े थे वहाँ हमने रख दी।

‘तू भी अपनी निकाल ले ना?’ उसने मुझे कहा। ‘क्यों?’ मैंने पूछा।

‘ये कैसा लग रहा है? मैं अकेला नंगा हूँ और तुम कपड़ों में? उसने कुछ इस अंदाज में कहा कि मैंने हसकर अपनी अंडरवीयर निकाल दी। वो मेरे तने हुए लंड को निहार रहा था। ‘चल अब अंदर चलते हैं!’ कहकर हम दोनों फिर नंगे बदन समंदर की तरफ भागने लगे।

वो मुझसे आगे भाग रहा था, आगे जाकर उसने गीली रेत उठाई और मेरे ऊपर फेंकी। अबे साले, कीचड़ उछालता है? रुक!’ मैं उसे पकड़ने के लिए भागा।

जैसे ही वो पानी में थोड़ा अंदर घुसा मैंने भागकर उसे दबोचा और पानी में पटक कर उसके ऊपर बैठ गया। किनारे की गीली रेत को अपने हाथों में लेकर मैं उसके बदन पर मलने लगा। ‘और लगाऊँ? बोल और लगाऊँ?’ कहकर मैंने ढेर सारी रेत उसके सीने पर और पेट पर लगा दी।

वो भी मस्ती में ढेर सारी गीली रेत को मेरे बदन पर लगा रहा था। इस मस्ती में मेरा लंड उसकी कमर के आसपास के इलाके पर और पेट पर रगड़ खा रहा था।

मैं और थोड़ी रेत लगाने ही वाला था कि वो कोशिश करने लगा कि मुझे गिरा कर वो खुद मेरे ऊपर सवार हो जाये। लेकिन मैंने ऐसा होने नहीं दिया, पर उसकी कोशिश और छटपटाहट से वो पलटी हो गया, मैंने उसी अवस्था में उसे दबोचा और उसके ऊपर लगभग लेट गया ताकि वो मेरे ऊपर आने के लिए ताकत ना लगाए।

वो छटपटाने लगा जिससे उसकी गांड मेरे लंड से रगड़ खाने लगी। ‘अबे साले, क्या कर रहा है?’ इतना हिल मत नहीं तो मेरा लंड तेरी गांड से रगड़ खाकर झड़ जाएगा।’ मैंने उसकी कमर पकड़ कर कहा। बस सिर्फ रगड़ से ही झड़ जाएगा? मुझे तो लगा था कि दम होगा थोड़ा तो?’ उसने मुझे चिड़ाने के लिए कहा।

पर मुझे उसकी यह बात अच्छी नहीं लगी, मैंने उसके बाल पकड़े और गांड पर दो चार चमाट मारे जिससे उसकी गांड लाल हो गई। गांड पर चमाट पड़ते ही उसने मेरा लंड पकड़ा और जोर से मरोड़ा। ‘आ आ अ अ…’ मारे दर्द के मैं कराहा। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

उसकी इस हरकत से मैं ऑफ़ बॅलेन्स हुआ जिसका फायदा उठाकर उसने खुद को मेरे चंगुल से छुड़ा लिया। अब हम दोनों एक दूसरे के ऊपर सवार होने की कोशिश में पानी में एक दूसरे को लिपट कर ऊपर नीचे हो रहे थे, कभी मैं जोर लगाकर उसके ऊपर चढ़ जाता, कभी वो मेरे ऊपर चढ़ जाता। काफी देर हम दोनों ए खेल खेलते रहे।

‘बस बस स्टॉप… अब मैं थक गया हूँ!’ कहकर राजेश मेरे ऊपर लेट गया। हम दोनों के लंड आपस में सटे हुए थे।

‘बड़ा मजा आया यार… कभी सोचा नहीं था इतना मजा ले पाऊँगा समंदर का!’ कहते हुए वो मेरे सीने पर हाथ फेरने लगा। मैं भी अब इतना गर्म हो चुका था कि सेक्स किये बगैर नहीं रह सकता था, मैंने उसकी पीठ सहलाते हुए कहा, आज तुम्हारे साथ समंदर का मजा मुझे भी आया। ‘सच?’ कहते हुए उसने मेरे होठों पर अपने होंठ रख दिए।

मैंने भी उसका साथ देते हुए उसको चूमना शुरू किया। मेरा समर्थन मिलने से वो खुश हो अपनी कमर हिलाने लगा, हमारे सटे हुए लौड़े अब घर्षण से और ज्यादा जोश में आ गए थे। मैं भी उसको कसकर अपनी कमर हिलाने लगा। ऐसे ही घर्षणों में हम दोनों ने अपना पानी छोड़ दिया।

हम थोड़ी देर यों ही पड़े रहे, फिर मैंने उसे अपने नीचे लेकर पेट के बल लिटाया और उसे चूमने चाटने लगा। थोड़ी ही देर में मेरा लंड फिर से टाइट हो गया, मैंने अपने लंड को उसके गांड की छेद पर रखा और दो तीन शॉट में पूरा लंड अंदर कर दिया।

मेरा लंड गांड में डलवाकर उसे काफी सुकून महसूस हो रहा था। जैसे जैसे लहरें आकर टकराती, मेरा लंड भी उन लहरों की तरह उसकी गांड पर थपेड़े मारता। उन समुंदरी लहरों थपेड़ों में मैं फिर एक बार उसकी गांड में झड़ गया।

हम जब तक वहाँ रहे हमने ऐसे ही मजे किये।

याद रहे कि कहानी काल्पनिक है इसलिए फालतू संदेश भेजकर मेरा और अपना समय बर्बाद न करें। कहानी को लेकर आपके कोई सुझाव हो तो मुझे नीचे दिए गए मेल पर संपर्क करें। [email protected]

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