माशूका गौरी के संग हनीमून

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हैलो दोस्तो.. मैं दिलीप पिछले पाँच वर्षों से लगातार अन्तर्वासना की कहानियाँ पढ़ता आ रहा हूँ। मुझे भी लगा कि मैं भी एक कहानी लिखूँ। यह मेरी पहली कहानी है.. अगर लिखने में कुछ भूल हुई हो.. तो प्लीज़ अनदेखा कर दें।

बात उन दिनों की है.. जब मैं 12वीं पास कर चुका था.. उन्हीं दिनों मुझमें सेक्स का कीड़ा पैदा हुआ। किसी भी स्त्री को देख कर लन्ड खड़ा हो जाता था।

एक दिन मैंने एक लड़की को देखा.. वो देखने में सीधी-साधी.. लेकिन थी एकदम बम टाइप की। उसके चूतड़ों को देखकर लोगों का लन्ड खड़ा हो जाता था, उसका नाम गौरी था, उसकी एक दुकान भी है। गौरी अभी वो 12वीं में पढ़ रही थी और दुकान का काम भी देखा करती थी।

मैं रोजाना उसकी दुकान पर अखबार पढ़ने और उसे लाइन मारने जाया करता था। मैं कभी-कभी आँख भी मार दिया करता था.. लेकिन वो बस हँस दिया करती थी, मैं और उत्साहित हो जाता था। अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था.. लेकिन मैं डरता था कि वो कहीं भड़क ना जाए।

बहुत हिम्मत करके मैंने उसे एक दिन लेटर दिया। वो लेटर देख के मुझपर भड़क गई और अपने पापा को बताने की धमकी देने लगी। मुझे गुस्सा आ गया और मैं घर आ गया। दूसरे दिन वो स्कूल चली गई, मैं रास्ते में उसकी इंतजार कर रहा था.. तभी मुझे गौरी सबसे पीछे आती हुई दिखाई दी।

मैं झट से उसके पास गया और बोला- मुझसे प्यार करती हो या नहीं? उसने कुछ जवाब नहीं दिया, मुझे गुस्सा आ गया और मैंने उसे पकड़ कर चूमना-चाटना शुरू कर दिया, लगभग 5 मिनट तक मैं उसे चूमता रहा। फिर उससे पूछा- बोलो प्यार करती हो या नहीं? उसने डर कर ‘हाँ’ में जवाब दिया। फिर मैंने उसे जाने दिया।

अगले दिन उसके घर गया। घर में वो अकेली थी.. मैं झट से दरवाजा बन्द करके कमरे में चला गया। अन्दर गौरी गुमसुम बैठी थी। मुझे देखकर गौरी चौंक गई और बोली- तुम यहाँ क्यों आए हो? मैंने कहा- हनीमून मनाने आया हूँ। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

गौरी शर्मा गई और मुस्कुरा कर बोली- इतनी जल्दी? मैंने कहा- जल्दी से कपड़े खोलो.. कोई आ जाएगा। उसने भी जल्दी से कपड़े उतार दिए। मैं भी नंगा हो गया।

गौरी की चूत देखकर मेरा लन्ड सलामी दे रहा था। मैंने जल्दी से गौरी को सीधा लिटा दिया और लन्ड को चूत के मुहाने पर टिका कर एक झटका मारा.. चूत इतनी कसी हुई थी कि लन्ड फिसल गया।

गौरी बोली- दुकान से तेल लेकर आ जाओ। मैं दुकान से मूंगफली का तेल लेकर आया और मेरे लन्ड में और गौरी की चूत में लगा दिया।

फिर चूत में लन्ड का सुपारा टिका कर एक जोर से झटका मारा.. अब की बार आधे से ज्यादा लौड़ा चूत में अन्दर चला गया। गौरी छटपटाने और रोने लगी और लन्ड निकालने के बोलने लगी.. लेकिन मैं कहाँ मानने वाला था, मैं और जोर-जोर से चोदने लगा। कुछ देर बाद गौरी शांत हुई और चूतड़ उठा-उठा कर मेरा साथ देने लगी। मैं झटके पर झटका जोर-जोर से लगाने लगा।

थोड़ी देर बाद गौरी झड़ गई.. लेकिन मैं अब भी जोर-जोर से चोदे जा रहा था। लगभग 15 मिनट के जोर-जोर से चोदने के बाद मैं भी उसकी चूत में ही झड़ गया। उसकी चूत लबालब भरी हुई थी। मैं बहुत थक चुका था.. इसलिए गौरी के ऊपर ही लेट गया।

थोड़ी देर बाद वीर्य को रूमाल से पोंछा और कपड़े पहनकर मैं घर आ गया। घर में खाना खाकर सो गया। सुबह उठकर नाश्ता करके मैं कोचिंग के लिए बिलासपुर चला गया। उसके बाद सिर्फ हम दोनों फोन सेक्स ही करते हैं।

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