मेरी कलाइंट ने अपने पति से मुझे चुदवा दिया -2

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दोस्तो, अब तक आपने पढ़ा.. मेरे दिल्ली वाले दोस्त की ब्यूटीशियन बीवी दीपिका की ग्राहक दीप्ति ने अपने सामने दीपिका से अपने पति की विदेशी अंदाज में ब्रा-पैन्टी पहन कर मालिश करने को कहा। अब आगे दीपिका की जुबान से..

मैंने उसकी बॉडी मसाज करने के लिए जैसे ही आयल उसकी बॉडी पर लगाया.. तो उसकी बॉडी में हलचल होने लगी और उसका खड़ा लंड झटके खाने लगा। मैंने सुनील की पूरी बॉडी को आयल लगा दिया था। सुनील इसी बात का फायदा लेकर कभी मेरे चूतड़ों को हाथ लगा देता और कभी ब्रा के ऊपर टच कर देता। मेरे चूतड़ सिर्फ एक हल्की सी पैंटी पहने होने की वजह से बिल्कुल नंगे ही थे।

सामने दीप्ति बैठी ये सब देख कर मंद-मंद मुस्करा रही थी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

मेरी चूत जो पहले से ही थोड़ा गीली थी.. सुनील की ऐसी हरकतों से और गीली हो गई। मेरी चूत की हालत काफी खराब हो चुकी थी.. मेरा शरीर अकड़ने लगा था और मैं उनकी इन हरकतों से काफी हॉट हो गई थी।

मैंने जैसे-तैसे करके उसकी मसाज पूरी की.. फिर वो हुआ जो मैंने सोचा नहीं था। सुनील ने एकदम से अपनी निक्कर उतार दी और उसका तना हुआ लंड सामने आ गया.. मैंने देखा कि सुनील का लण्ड संजय के लंड से कुछ मोटा था.. पर साइज़ कुछ-कुछ बराबर ही था।

वो अपना लंड हिलाते हुए बोला- इसकी भी मसाज करो.. ये भी तो बॉडी का पार्ट ही है। मैंने घबराते हुए दीप्ती की ओर देखा तो वो बोली- हाँ यार दीपिका.. इसमें शर्माने की क्या बात है.. ये भी तो बॉडी का एक पार्ट ही है। फिर हम तीनों के अलावा यहाँ और तो कोई है भी नहीं।

मैंने पहले तो उन्हें मना किया.. परन्तु उन दोनों ने मुझे मना लिया और अन्दर से मेरा भी मन अब इस मौके का फायदा उठाने का था.. क्योंकि हर रोज़ तो हम खुद इनका नाम लेकर चुदाई करते थे और आज ये मौका खुद मुझे मिल रहा था।

इसी बीच दीप्ति ने मेरे पास आकर सुनील का लंड मेरे हाथ में पकड़ा दिया। उसके मोटे लंड को पकड़ते ही मेरी चूत और भी गीली हो गई.. क्योंकि मैंने आज तक संजय के अलावा और किसी का लंड नहीं पकड़ा था।

मैंने लंड की मसाज शुरू कर दी.. मैं जैसे जैसे सुनील के लंड को ऊपर-नीचे कर रही थी.. तो उसके मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थीं। वो ‘उन्ह आं..ह उ..ई अ..ह.. अह..’ कर रहा था। इधर मेरी भी हालत खराब हो चुकी थी.. मेरी चूचियाँ एकदम टाईट और चूत एकदम गीली हो चुकी थी।

सुनील मेरे चूतड़ों पर हाथ फिरा रहा था और मेरी चूचियों को भी छू रहा था, मैं उसे मना नहीं कर पा रही थी, पता नहीं क्यों मुझे भी ये सब अन्दर ही अन्दर अच्छा लग रहा था और मज़ा आ रहा था, मैं उसकी गांड से लेकर गोटियों तक आयल की मसाज दे रही थी, फिर लंड से गोटियों तक बार सहला-सहला कर बार-बार ऐसा कर रही थी.. जिससे सुनील की हालत ज्यादा खराब हो रही थी और वो भी मेरे शरीर को सहलाने लग गया था, उसके मुँह से सिसकारियाँ पहले से भी ज्यादा निकल रही थीं।

‘उ.न्ह… आह.. आह.. सीसी.. सी..सी.. उफ़..’ सुनील के मुँह से लगातार ऐसी आवाजें आ रही थीं।

फिर मैंने सुनील को उल्टा करके उसके कूल्हों पर काफी आयल लगा कर उसकी गांड की मसाज की जैसा कि अक्सर काफी लड़कियाँ और औरतें मुझ से ऐसा करवाती रहती थीं। इससे सुनील को काफी मज़ा आ रहा था।

तभी सुनील भी मेरी चूत में एक उंगली और दो उंगलियाँ मेरी गांड में डाल कर.. मेरी गांड और चूत मसाज करने लगा था.. जिससे मैं काफी उत्तेजित हो गई थी और आखिर उसने मेरी चूत का पानी निकाल ही दिया। मैं उसे छोड़ कर ज़ल्दी से बाथरूम में घुस गई। इस सबके दौरान दीप्ति वहीं खड़ी रही.. वो मुस्करा रही थी।

जैसे ही मैं बाथरूम से बाहर निकली तो दीप्ति ने मुझसे कहा- यार दीपिका, आज तूने सुनील को बहुत गर्म कर दिया है तुम अब इसका लंड चूस कर इसे शांत और करो। मैंने कहा- यार अब और नहीं हो पाएगा मुझसे.. बस अब रहने दो.. पहले ही कुछ ज्यादा हो गया है। तो दीप्ती बोली- सोच ले अगर छोड़ कर जाएगी.. तो लाइफ में ऐसा मज़ा पता नहीं कब नसीब होगा और अगर मान जाओगी तो हो सकता है हमारी दोस्ती बहुत ज्यादा बढ़ जाए।

तो मेरे दिमाग में एक आइडिया आया.. मैंने उनके सामने एक शर्त रख दी। ‘मैं एक शर्त पर कर सकती हूँ.. वो ये कि जैसा मैं तुम्हारे पति के साथ करूँगी.. तुम्हें भी वैसा ही सब मेरे पति के साथ करना होगा?’ तो वे दोनों जैसे पहले से ही इस मौके की तलाश कर रहे थे.. उन दोनों ने एक साथ ही कहा- पक्का.. हम तो कब से ऐसा मौका ढूँढ रहे हैं।

उनके ये सुनते ही मेरे तो होश उड़ गए.. अब मेरे पास कोई और रास्ता नहीं था। मैं सुनील के पास गई और एक बार उसके नंगे लंड को निहारा और मुझे इस हालत में देखकर सुनील मुस्कुराने लगा। मैंने उसके लंड को पकड़ लिया और सहलाने लगी, फिर अपना मुँह उसके लंड के बिल्कुल करीब ले गई और अपनी जीभ उसके लंड पर चलाने लगी।

अब सुनील का लंड मेरे मुँह में था.. मैं अलग-अलग ढंग से उसका लंड चूस रही थी.. जिससे सुनील को बहुत मज़ा आ रहा था और वो अपने मुँह से सिसकारियाँ निकाल रहा था।

तभी दीप्ती सुनील से बोली- अरे चुसवा लो.. चुसवा लो.. अपना लंड ही मत चुसवाते रहो.. जरा इसकी चूत भी देखो.. कैसे गर्म लग रही है.. देखते हैं इसकी चूत को संजय ने कैसे बनाया है।

फिर उसने मेरी गर्म चूत पर हाथ लगा कर देखा और फिर बोली- अरे जानू.. इसकी चूत भी तो जरा चूस लो.. देखो कैसे जवानी का रस टपका रही है।

दीप्ति ने कब का मेरी चूत को नंगा कर दिया था और दीपिका अपने हाथ से मेरी चूत को सहला रही थी। मुझे भी अब बहुत मज़ा आ रहा था। सुनील ने तुरंत मेरी चूत को अपने होंठों में ले लिया और लपक कर मेरी चूत चूसने लगा। वो अपनी जीभ मेरी चूत में डाल कर मेरी चूत से गिर रहा मेरी जवानी का रस चूस रहा था और मैं उसके लंड को अपने मुँह में लेकर चूस रही थी।

तभी मेरे आगे आकर दीप्ति ने मेरे साथ से सुनील का लंड पकड़ा और मुझे उठने का इशारा किया। मैं उसका इशारा पाकर तुरंत वहाँ से उठी और घूम कर सुनील के लौड़े पर आ गई और धीरे-धीरे अपनी चूत को उसके लंड के ऊपर किया और उसके लंड पर बैठने लगी।

तभी मेरे सामने आकार दीप्ति ने ताली बजाई और बोली- हाँ.. ऐसे ही कटवा ले अपनी जवानी का केक.. मेरे हसबैंड से.. मेरी चूत तो इतनी गर्म थी कि मैं खुद चाहती थी कि मेरी अब चुदाई हो जाए बस..

तभी नीचे से सुनील ने एक झटका लगाया और सुनील ने अपना पूरा का पूरा लंड मेरी गर्म चूत में डाल दिया। वो क्या सीन था.. जैसे ही उसका लंड मेरी चूत में गया तो आगे से दीप्ति ने मेरे दोनों मम्मों को अपने होंठों में लेकर पकड़ लिया और मेरे मम्मे चूसने लगी।

वाऊ.. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.. नीचे चूत चुद रही थी और आगे से मेरे मम्मे चुस रहे थे, मेरी जवानी मेरे सर चढ़ कर बोल रही थी। मैंने भी अपनी जवानी का खूब मज़ा लूटा।

दीप्ति ने भी मुझे मस्त कर रखा था और सुनील नीचे से जोरदार धक्के लगा रहा था, उसका पूरा लंड मेरी चूत में पिला हुआ था और हर बार उसका लंड मेरी बच्चेदानी को टच करके वापिस आता था। मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थीं, सुनील मुझ पर गालियों की बरसात कर रहा था और कह रहा था- उन्ह.. ले.. सा..ली.. मादरचोदी.. च..चु..द.. चु…दा.. भैन की लौड़ी.. खा.. लौड़ा.. कुतिया.. अहह… अपनी बहन के सामने… चुद.. चुदव ले अपन जवानी मर्द के लौड़े से खेल मादरचोदी.. चुद.. हरामिन.. चुद।

उसकी इन गालियाँ ने मेरा जोश और बढ़ा दिया था और मेरे मुँह से सिसकारियों के साथ-साथ गालियाँ भी निकल रही थीं- आ..ह.. .साले कुत्ते.. चोद दे अपनी साली.. को.. ओह्ह.. दीप्ति.. तेरे खसम का लौड़ा तो बड़ा मस्त है रे.. साल मस्त चोदता है.. आह्ह.. कुत्ता.. चोद भड़वे.. ले मेरी चूत खा.. मादरचोद.. कुत्ते.. चो..द अपनी.. जवान.. साली.. को..

साली क्या मस्ती थी.. मैं ऐसे ही चुद रही थी। इस तरह हमने अपनी चुदाई की.. आखिर वो वक्त भी आ गया जब मेरी चूत ने उसके लंड पर अपना रस छोड़ दिया। मैं पूरे जोर के साथ झड़ी तभी मैंने उसके लंड को चूत से बाहर निकाला और सुनील के लण्ड को दीप्ति के मुँह में ठूंस दिया। दीप्ति ने उसका लण्ड जैसे ही अपने मुँह में लिया.. तो सुनील के लंड ने अपना रस छोड़ दिया और दीप्ति का मुँह सुनील की जवानी के रस से भर गया।

इस तरह हम दोनों जबरदस्त झड़ चुके थे, हम दोनों को बहुत मज़ा आया।

अब संजय तुम तैयार हो जाओ.. क्योंकि मेरे साथ किया हुआ वादा दीप्ति निभाने आ रही है.. वो भी बहुत ही ज़ल्द.. यह बोल कर दीप्ति ने मुझे जोरदार किस किया और मेरे खड़े हो चुके लौड़े को बाहर निकाल कर किस किया। उसके बाद हमने एक बार चुदाई की.. और खाना खाने लग गए।

दोस्तों.. बहुत ज़ल्द दीप्ति हमारे घर पर आ रही है.. उसकी चुदाई की कहानी बहुत जल्द आपको बताएँगे।

दोस्तों आपको मेरी ये कहानी कैसी लगी.. मेल जरूर करना। इसी तरह अन्तर्वासना के साथ जुड़े रहें..। मैं अपनी अगली कहानी ज़ल्द ही लेकर आऊँगा पक्का वादा। आप सभी दोस्तों के मेल्स का इंतज़ार रहेगा। [email protected]

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