मैं अपने जेठ की पत्नी बन कर चुदी -3

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अन्तर्वासना के पाठकों को आपकी प्यारी नेहारानी का प्यार और नमस्कार। अब तक आपने पढ़ा..

मैं जैसे ही जेठ के बाहुपाश से छूटी.. सीधे अपने कमरे की तरफ भागी और अन्दर जाकर मैंने दरवाजा बंद कर लिया। जेठ जी मेन गेट खोलने चले गए.. मैंने अन्दर पहुँच कर कपड़े और चेहरे को ठीक किया.. फिर बाहर की आहट लेने लगी।

तभी मुझे पति की जेठ जी से बात करने की आवाज सुनाई दी। मैं सीधे जाकर बिस्तर पर लेट गई ताकि लगे कि मैं आराम कर रही थी.. ऐसा ना लगे कि मैं उनके बड़े भाई से बुर चुदाने की कोशिश कर रही थी। मैं नहीं चाहती थी कि मेरे पति को मेरे और जेठ के बीच जो हुआ.. या होगा.. उसका पता चले। तभी पति ने दरवाजे पर दस्तक दी।

अब आगे..

मैं नहीं चाहती थी कि मेरे पति को मेरे और जेठ के बीच जो हुआ या होगा.. उसका पता चले। तभी पति ने दरवाजे पर दस्तक की। मैंने उठकर दरवाजा खोला.. सामने पति खड़े थे.. मैं मुस्कुरा कर बगल को हो गई और जैसे ही पति अन्दर आए.. मैंने दरवाजा बंद कर दिया और उनसे लिपट गई। मेरी चूत तो पहले से ही जेठ जी के छूने और रगड़ने से गरम थी.. मुझे चुदाई की चाहत हो रही थी। मैं उन्हें किस करते हुए उनका लण्ड पैंट के ऊपर से दबाने लगी।

‘अरे मेरी जान.. बड़ी सेक्सी मूड में हो.. क्या बात है?’

मैं बोली- जानू.. मुझे बड़ी चुदास लग रही है.. एक बार मेरी बुर पर चढ़ाई कर दीजिए और कस कर मेरी बुर चोद दो.. जानू.. पति बोले- नेहा यह आगरा नहीं है.. यह घर है और भाई जी बाहर बैठे हैं। यह सब काम अभी नहीं हो सकता और अभी रात में तेरी चूत को दो बार चोदा है न.. और अभी दोपहर में ही तुम फिर चुदासी हो उठीं..

मैं उन्हें कैसे समझाती कि यह मेरी चूत की चुदास आपके भाई साहब की ही देन है.. पर मैं बात बना कर बोली- जानू.. जब से आगरा से आई हूँ.. मेरी चुदने की इच्छा बढ़ती जा रही है.. मैं क्या करूँ.. मेरी क्या गलती है.. तुम तो जानते हो.. वहाँ कितने लोगों के साथ एक ही दिन में मेरी बुर चुद जाती थी और अब तो केवल आप ही चोद रहे हो शायद एक से अधिक मर्द से चुदने कि आदत पड़ गई है.. आपकी चूत को.. इसी लिए इस टाईम मेरी चूत की चुदास बढ़ गई है।

‘मत घबराओ मेरी जान.. आज रात मैं जम कर चोदूँगा और देखो अभी भाई जी बाहर बैठे हैं.. मुझे जाना भी है.. बस तुम जल्दी से लन्च करा दो और वादा करता हूँ कि रात में तुम्हारी चूत की सारी गरमी अपने लण्ड से चोदकर निकाल दूँगा।’ यह कहते हुए पति मुझे अलग करके कपड़े निकाल कर फ्रेश होने बाथरूम में चले गए।

मैंने रसोई में जाने के लिए जैसे ही दरवाजा खोला.. सामने जेठ जी बैठे दिखाई दिए। मेरा जेठ जी से सामना होते ही मुझे शरम आ गई और मैं निगाह नीचे किए हुए रसोई में चली गई, मैंने खाना गरम करके खाने की टेबल पर लगा दिया। मैंने नोटिस किया कि जेठ की निगाहें अब भी मेरे जिस्म का मुयायना कर रही थीं।

तभी पति भी बाहर आ गए और एक साथ सब बैठ कर लन्च करने लगे। मैं और पति एक तरफ थे और जेठ जी सामने बैठे थे और जेठ जी इस मौके का भी पूरा फायदा उठा रहे थे। वह टेबल के नीचे मेरे पैर से पैर सटाकर सहलाने लगे और मैं उनकी इस हरकत से डर रही थी कि कहीं पति को पता ना चल जाए.. इसलिए मैं बिलकुल शांत दिखना चाह रही थी..

पर जेठ की ढिठाई कुछ ज्यादा ही बढ़ गई थी, इतना सब हो जाने पर भी मैं जेठ जी से चुदना नहीं चाहती थी.. भले मेरी चूत में गैर का लण्ड लेने की इच्छा बढ़ रही थी.. परन्तु मैं अपनी ईज्जत घर में नीलाम नहीं करना चाहती थी.. बाहर अगर कोई चोदता है.. तो उससे कोई लेना-देना नहीं रहता.. बस चूत चुदाओ और वह अपने रास्ते.. मैं अपने.. पर यहाँ तो जेठ की नीयत मेरे पर ठीक नहीं थी।

पता नहीं कब से.. पर उनकी हिम्मत कभी नहीं हुई लेकिन इस सबका कारण मैं थी.. मैंने क्यों उनको अपने जिस्म को देखने दिया.. क्यों मैंने अपना बदन नहीं ढका.. और फिर मैं भी तो वासना के नशे में चूर हो कर उनकी हरकतों का कोई विरोध नहीं कर पाई।

जेठ जी तो वाईफ के न रहने के बाद से अब तक बेचारे चूत के लिए तरस रहे थे, पता नहीं कितनी बार मुझे चुदते देख कर या मेरी कल्पना करके मेरे नाम की मुठ मार चुके होगें.. पर कभी मेरे साथ छेड़खानी नहीं की थी।

इसमें जेठ जी का दोष नहीं है.. उनको भी एक जनाना जिस्म और चूत की जरूरत है.. पर मैं अपनी चूत कैसे दे सकती हूँ। यह काम मैं नहीं कर सकती.. मेरी कल्पना को शायद पति ने ताड़ लिया था। पति बोले- क्या हुआ.. किस सोच में डूबी हो.. हम लोग खाना खा चुके हैं.. और तुम अभी वैसे ही बैठी हो। मैं हकलाते हुए बोली- ककक..कुछ.. नननन..हहीं.. बस ऐसे ही..

और मैं खाना खत्म करके बर्तन लेकर रसोई में चली गई, फिर साफ-सफाई करके मैं बेडरूम में आकर लेट गई, पति पहले से ही बिस्तर पर लेटे थे, मैं उनके बगल में लेट गई। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

कुछ देर बाद पति ने कहा- ज्यादा मन हो रहा है चुदने का? मैं जानबूझ कर बोली- कुछ खास नहीं.. वह बोले- लेकिन तुम खाने के दौरान गहरी चिंता में थीं.. बताओ क्या बात है? मैं बोली- कुछ नहीं.. तब पति बोले- मुझे पता है..

पति के इतना कहते ही मैं कांप गई.. क्या पता है.. कहीं मेरे और जेठ के बीच की बात तो नहीं? मैं- क्या पता है आपको? ‘यही कि तुम्हारी इतनी चुदाई हो चुकी है कि तुम्हारी चुदने की इच्छा बढ़ गई है।’

मैंने सिर्फ ‘हाँ’ मैं सर हिला दिया और पति मुझे सहलाते हुए मेरे लहंगे को ऊपर उठाकर मेरी चूत सहलाते हुए मेरी पैन्टी को नीचे करके मेरी चूत पर मुँह लगा कर मेरी बुर चूसने लगे। मेरी तपती चूत पर पति का मुँह पड़ते मेरी ‘आह.. उफ.. सीसी ईई..’ निकलने लगी।

कुछ देर तक मेरी चूत को पीने के बाद बोले- नेहा.. तुम्हारी चूत तो चुदने के लिए उतावली हो रही है। पति ने मेरी पैन्टी पैर से बाहर निकाल दी और बोले- जान… अभी मैं तुम्हारी चूत में लण्ड घुसाकर कुछ राहत दे देता हूँ.. पर पूरी चुदाई रात में करूँगा।

पति ने मेरी बुर पर अपना सुपारा रख कर एक जोर का शॉट मारा और लण्ड पूरा चूत के अन्दर एक ही शॉट में घुसता चला गया। पति अपना पूरा लण्ड मेरी बुर में डाल करके शॉट पर शॉट देने लगाने लगे। मैं ‘आहहह आहहहह.. सिईईईई.. आहहह..’ करने लगी।

अभी आठ-दस शॉट दिए.. तभी पति का फोन बज उठा और पति ने लण्ड बुर से बाहर खींचकर फोन उठा कर ‘हैलो’ कहा और फोन रख कर बोले- नेहा मुझे जाना है.. तुम आराम करो.. कुछ राहत तो मिल ही गई होगी।

मैं बोली- आपका लण्ड जाने के बाद मेरी बेचैनी और चूत की प्यास और बढ़ गई है.. मेरी चुदाई पूरी करो.. ऐसे प्यासी पत्नी को छोड़ कर नहीं जाया जाता। मेरी चूत चुदने के लिए फड़फड़ा रही है। ऐसे में किसी ने मेरी वासना का नाजायज फायदा उठा लिया तो.. मेरी बात को पति ने मजाक में ले लिया और बोले- तब तो मेरी प्यासी रानी की चूत की प्यास बुझ जाएगी और रात मुझे तुम्हारी चूत मारने की मेहनत कम करनी पड़ेगी मेरी जान..

पति हँसते हुए चले गए और मेरी चूत चुदने के लिए चुलबुलाती रह गई। पति के जाने के बाद मैं वैसे ही बिस्तर पर पड़ी रही, कुछ देर बाद मुझे नींद आ गई और मैं सो गई। जब मेरी नींद खुली तो मुझे ध्यान आया कि मैं वैसे ही सो गई हूँ.. जिस हालत में पति चूत में लण्ड घुसाकर गए थे.. बिलकुल खुली चूत..

मैं अपनी प्यारी चूत को अपने हाथों से मसकते हुए ‘आहसीईई..’ कह कर उठी और बाथरूम चली गई। मैं फ्रेश होकर आई तो मैं अपनी पैन्टी खोजने लगी.. लेकिन मेरी पैन्टी कहीं दिख ही नहीं रही थी। आखिर मेरी पैन्टी गई कहाँ.. यहीं तो पति ने निकाल कर फेंकी थी। काफी खोजने पर भी नहीं मिली.. तो मैं फिर यूँ ही चाय बनाने चली गई। यह सोच कर कि शायद पति मुझे सताने के लिए साथ ले गए हों..

मेरे प्यारे मित्रो.. क्या आप पैन्टी खोजने में मेरी मदद करोगे.. कि मेरी पैन्टी गई कहाँ.. पति ले गए कि कहीं छिपाकर गए हैं.. या फिर मेरे सोने के बाद जेठ जी आए और वो ले गए.. या कोई और तो नहीं आया था.. जेठ से मिलने जो कि बाथरूम गया हो और लौटते वक्त दरवाजे के झिरी से मुझे नंगा देख कर और मेरी चूत सहला कर पैन्टी ले गया हो। आप मुझे मेल करके जरूर बताइएगा और सही बताने वाले को नेहा रानी आप को इनाम भी देगी। बाय.. [email protected]

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