मेरी अन्तर्वासना चूत चुदाई की मेरी सेक्स स्टोरी -2

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अब तक आपने पढ़ा.. कुसुम ने उसके बॉयफ्रेंड को मोबाइल किया- हितेश क्या तुम फ्री हो? आज प्रोग्राम का इरादा है.. तुम आ सकते हो क्या? ‘कहाँ आना है जानू?’ बीस मिनट तक हम दोनों ने खूब चूत चूसाई की, बीस मिनट बाद दरवाजे की घन्टी बजी, मैंने अपने कपड़े संवारे और दरवाजा खोला। एक सत्ताइस साल का बांका नौजवान सामने खड़ा था, उन्तीस साल की कुसुम का सत्ताइस साल का बॉयफ्रेंड? मुझे फिर अंदेशा हुआ क्या ये भी कुसुम और मेरे पति की चाल थी। मेरे पति को मालूम था कि मैं चुदवाये बिना नहीं रह सकूंगी तो उसने शायद इन दोनों को उसके लिए बुक किया था। लेकिन मुझे सामने देखकर वो आश्चर्यचकित हो गया था।

अब आगे..

अन्दर से कुसुम बाहर आई.. उसने कहा- हितु आज तुझे दो चूतें.. दो गाण्ड और चार मम्मे मिलेंगे.. चोदना चाहते हो? हितेश ने हँसते हुए कहा- रानी, अँधा क्या मांगे.. एक आँख.. यहाँ तो दोनों आँखें मिल रही हैं लेकिन साली तू पूरे कपड़ों में क्यों है.. चल उतार कपड़े।

यह कहते हुए वो कुसुम की तरफ बढ़ा, उसने कुसुम का गाउन खींच निकाल दिया। कुसुम कहती रही कि रुको.. रुको.. लेकिन हितेश ने उसे बाँहों में लेकर उसके बदन पर चुम्मियों की बरसात कर दी। कुसुम हँसते हुए मेरी तरफ देख रही थी- क्यों मैडम.. कैसा है मेरा बॉयफ्रेंड.. अभी तो शुरुआत है.. थोड़ी देर के बाद ये जानवर बन जाएगा। ऐसा चोदता है कि बदन के कसबल ढीले हो जाते हैं मेरे..

उसका परफोर्मेंस देख कर मुझे मेरे पति की चुदाई की याद आ रही थी। कुछ ऐसा ही चोदना था उसका.. लेकिन अभी मैंने इसका लंड देखा नहीं था।

कुसुम ने उसके कपड़े उतारे.. जब अण्डरवीयर उतारने लगी.. तो उसने मुझे पुकारा- मैडम क्या इसका भारी लंड देखना चाहोगी? एक काम कीजिये इसकी चड्डी आप ही उतार दीजिये। मुझे पहले तो थोड़ी झिझक हुई.. लेकिन उसके कच्छे के सामने वाले भाग को मैंने हाथ लगाया।

‘हाय यह लंड है या डंडा..?’ मेरे पति का लंड साढ़े पांच इन्च का है.. ये मैं बता चुकी हूँ लेकिन इसका लौड़ा तो कम से कम साढ़े सात इन्च का होगा ही। क्या मेरी चूत और गाण्ड की हालत ठीक रहेगी आज? यह सोचकर मैं परेशान हो गई लेकिन सर दिया ओखली में तो ये मूसल लंड से क्या डरना। मैंने उसकी चड्डी उतारी.. तो उसका लंड फुंफकारता हुआ मेरे सामने आ गया।

अब मुझे पता चला.. मेरा पति क्यों इससे गाण्ड मरवाता था, क्यों कुसुम इससे ही चुदवाती थी.. आज तो मेरी चूत और गाण्ड का भोसड़ा होना निश्चित था।

कुसुम तो रोज चुदवाती थी.. लेकिन मैं तो नई थी। मैंने कुसुम से कहा- पहले तुम चुदवाओ फिर मैं घुसवा लूँगी। मेरे मन में विचार आया कि हे भगवान इतना बड़ा लौड़ा.. कुसुम कैसे सहन करती होगी अपनी चूत में।

फिर हितेश पूरा नंगा हुआ.. उसका लंड जैसे फुंफकार मारने लगा, कुसुम ने बड़े प्यार से लंड को देखा.. वो झुकी और अपने होंठों के बीच उसने लौड़े का सुपाड़ा फंसा लिया। इतने प्यार से वो लंड चूस रही थी.. जैसे कोई बालक लॉलीपॉप चूसता है। उसका यह चूसना देख कर मेरी चूत में चुनचुनी होने लगी, मेरा बदन आग में तपने लगा, दोनों मम्मों को दवबाए जाने की प्यास बढ़ने लगी।

फिर हितु ने कुसुम को झुकने के लिए कहा, दीवार पकड़ कर खड़ी कुसुम के पीछे से हितु ने अपना साढ़े सात इंची का लौड़ा चूत में घुसाया। अचानक हुए इस हमले से कुसुम दीवार से सट गई- आराम से कर ना भड़वे.. क्यों माँ चुदा रहा है? ‘साली रांड… तेरी माँ की चूत.. क्यों नखरे कर रही है? क्या आज तक मेरा लंड अन्दर नहीं गया तेरे?’ ‘आज एक मेहमान भी है ना.. चूत के लौड़े.. उसको भी चोदना है तेरे को मादरचोद..’ ‘उसकी चूत का और गाण्ड का बाजा नहीं बजाया.. तो किसी भी औरत को चोदना छोड़ दूँगा। साली छिनाल.. पहले तू तो चुद ले..’

‘आह आह.. स्स्स्स्स्स हाँ.. चोद भड़वे चोद.. और घुसा तेरा ये मोटा सांप.. अन्दर.. हाँ.. ले.. मेरी गाण्ड भी मारेगा ना तू?’ ‘आज तू चूत ही चुदवा ले.. गाण्ड तो मैं इसकी मारूंगा.. ए भोसड़ी की आ ना.. चूस इसके मम्मे।’

हितु ने मुझे भी गाली दी और कुसुम के चूचे चूसने के लिए कहा। कुसुम के वो गोल-मटोल मम्मे मैं चूसने लगी। क्या आदमी था.. बिल्कुल मेरे पति की तरह गालियाँ दे दे कर चोद रहा था, चोदते-चोदते कुसुम के कूल्हों पर झापड़ भी लगा रहा था। उसका साढ़े सात इंची का लंड जैसे कुसुम की धोबी जैसे धुलाई कर रहा था।

‘ले.. साली रांड.. मेरी छिनाल.. जितना चाहे चुदा ले.. तेरी मर्जी.. भैन की लवड़ी..!’ उधर कुसुम भी गालियों से ही बात कर रही थी ‘चल मेरे भड़वे.. चोद जोर-जोर से मादरचोद साले..’ गालियाँ जैसे किसी नदी की तरह बह रही थीं।

मैंने कुसुम के मम्मे चूस-चूस कर लाल कर दिए। हितु ने अचानक कुसुम की चूत में से लंड बाहर निकाला और मेरी तरफ आने लगा। उसके लंड का वो विकराल रूप देख कर मेरी तो रूह कांप गई।

उसने मेरे कन्धों को पकड़ा और नीचे दबाया, मैं नीचे बैठ गई, जैसे ही मैं बैठी… उसने अपना वो चूतरस से भरा लौड़ा मेरे मुँह में डाल दिया। आज तक मेरे मुँह में मेरा ही रस या फिर पति का वीर्य ही गया था.. लेकिन इस रस का टेस्ट कुछ अलग था। थोड़ा नमकीन सा लगने वाला ये रस मुझे भा गया।

हितु मेरे मुँह को चोद रहा था, उसने अपने लंड का पहला पानी मेरे मुँह में डाला, मैं वो सारा पानी बड़े ही चाव से पी गई। ‘अब क्या..?’ ‘आज मैं तुम्हारे साथ एक खेल खेलूंगा..’ उसने कहा।

फिर उसने बाजू में रखी अपने पैंट से एक बोतल निकाली, उसमें शहद था ‘आज मैं तुम्हारी चूत को शहद डालकर चाटूंगा छिनाल..’ उसने ऐसा कहते हुए मेरे बदन से मेरे कपड़े उतार दिए। फिर मेरे ब्रेसियर के ऊपर से ही मेरे मम्मों को दबाते हुए वो मेरे होंठों को चूसने लगा। उसका चूमने का अंदाज बिल्कुल अलग था। जैसे कोई आम चूसता है.. बिल्कुल उसी तरह वो मेरे होंठ चूम रहा था।

मेरे बदन में चींटियां सी दौड़ने लगीं, उसका मम्मे दबाना.. फिर होंठ चूमना.. जैसे मुझे जन्नत के द्वार तक लेकर जा रहा था। मेरे पति ने भी आज तक इस तरह मुझे चोदा नहीं था, वो सिर्फ गालियाँ दे-दे कर घनघोर चुदाई करता था, जब वो मुझे चोदता था.. तो मेरे बदन के सारे कसबल निकल जाते।

यहाँ तो मेरा शरीर जैसे रूई की तरह हल्का हो रहा था, जैसे हवा में उड़ रही थी मैं… धीरे से मेरे बदन से मेरी पैन्टी हटाते हुए उसने मेरी चूत पर शहद की बूँदें टपकाना शुरू किया। तीन-चार बूंदों के टपकाने के बाद उसने अपनी जुबान की नोक से मेरी चूत के छेद को कुरेदना शुरू किया। मेरी सभी भावनाएँ वासनाएँ भड़क उठीं, अब मुझे चूत और गाण्ड में लंड चाहिए ही चाहिए था।

उसने मुझे नीचे दरी पर लिटाया, फिर मेरे बदन पर शहद की बूँदें टपकाते हुए.. चाटते हुए वो मेरे मम्मों के निप्पल के पास पहुँचा। उसने कुसुम को देखकर उससे कहा- ए रांड.. जाकर फ्रिज में से बर्फ का एक टुकड़ा लेकर आ। आज इसको पूरा गर्म करके चोदना है। साली अभी तक सिर्फ अपने पति से ही चुदी है ना?

कुसुम मुझे देखकर हँसी- आज तो आपका पूरा बैंड बजाने वाला है हितु.. ये चीज उसने जब मेरे साथ की थी.. तो मैं इतनी चुदासी हो गई थी कि इसने मुझसे जो भी कहा.. मैं करने के लिए तैयार हो गई थी।

कुसुम अपनी कमर मटकाते हुए जाकर फ्रिज में से बरफ का टुकड़ा लेकर आई। यह चीज मेरे लिए नई थी… क्या करने वाला था वो..? उसने वो आइस का टुकड़ा अपने मुँह में पकड़ा और धीरे-धीरे मेरे मम्मों के निप्पल के पास लाने लगा। मैंने आँखें बंद कर लीं.. मैं समझ गई कि अब मेरी उत्तेजना चरम पर पहुँचने वाली है। उसने मेरे निप्पल के चारों ओर वो बरफ का टुकड़ा फिराया।

मैं कसमसाई.. कुनमुनाई- स्स्स्स हाँ.. बस करो ना..? कितना तरसाते हो.. क्यों तुम्हारा लंड पानी नहीं मांगता?

मेरी बातें सुनकर कुसुम चुदासी होने लगी थी, उसने हितु का लंड मुँह में लिया.. तो मैंने नाराज होकर उसे लंड से बाजू हटाया- अभी मेरा हक़ है इसके ऊपर.. साली चल तू मेरी चूत चाट..!! मैंने कहा.. तो कुसुम घोड़ी बनकर मेरी चूत चाटने लगी।

ऊपर हितु का आइस का टुकड़ा घुमाना.. नीचे जीभ से कुसुम का मेरी चूत चाटना.. मेरे बदन की आग जैसे सीमा से बाहर हो गई थी।

मैंने हितु के बाल पकड़े और उसे अपने ऊपर खींच लिया- साले.. मादरचोद.. चूत के बाल.. तेरी माँ की चूत.. भोसड़चोदे.. आ तेरी माँ को चोद.. हरामी.. डाल दे लंड.. मेरी फुद्दी में.. कूट दे साली को.. जब तक कूट तब तक तेरा मन है.. मादरचोद..

मेरी ये बातें सुनकर उसने कुसुम को दूर किया, अपना लौड़ा मेरी चूत पर सैट किया और पहला झटका मारा। मेरी घुटी-घुटी सी चीख मेरे मुँह से बाहर निकली।

‘हे भगवान.. अब नहीं बचने वाली मैं..’ उसने फिर दूसरा शॉट लगाया.. कुसुम मुझे ढांढस बंधा रही थी। ‘मैडम जी.. बस थोड़ा और.. थोड़ा और.. आधा गया है अभी..’ मेरी बच्चेदानी पर उसका लौड़ा लग रहा था। अब क्या करूँ.. मेरी समझ में ही नहीं आ रहा था।

‘ले मादरचोदी.. तेरे पति की गाण्ड तो मारता ही हूँ मैं.. आज तेरी चूत-गाण्ड भी बजाऊँगा। साली क्या हुमच-हुमच कर चुदवाती है रांड.. तेरी माँ की चूत.. मादरचोदी.. ले.. और ले.. ले और ले..’

हाय.. कुछ देर तो मुझे बड़ी तकलीफ हुई लेकिन थोड़ी देर में उसका लंड जैसे मुझे जादू का डंडा लगने लगा। क्या मस्त चोदना था उसका.. दोबारा मैं झड़ी, एक बार फिर उसने मुझे ही गर्म करना शुरू कर दिया।

‘अबे तो क्या उसको ही चोदेगा.. मेरी बारी कब आएगी चूत के लौड़े..??’ कुसुम ठुमकाई। ‘साली रांड.. तुझे तो रोज पेलता हूँ.. आज इसका बैंड तो बजा लूँ.. बाद में तेरी बारी आएगी। अब इसकी गाण्ड का भरता बनाना है ना रानी..’ ‘मैडम जी अब आएगा सही मजा आपको।’ ‘ए मादरचोदी.. इसकी गाण्ड में वैसलीन लगा.. नहीं तो मेरे बम्बू से इसकी गाण्ड फट जाएगी।’

हितु ने ऐसा कहा तो मेरे आँखों की गोटियाँ कपाल में सरक गईं, मैं सोचने लगी कि हाय.. अब यह साढ़े सात इंची बम्बू मेरी गाण्ड के छेद में घुसेगा? आकाश में उड़ने वाले पतंग को सुत्तर से डर थोड़े ही लगता है.. पतंग को कटना है तो किसी भी मांजे से कटती है। फिर चाइनीज क्यों न हो। आज हितु का बम्बू मेरी गाण्ड का बाजा बजाने वाला था.. तो ठीक ही है।

कुसुम ने मुझे घोड़ी बनने को कहा। फिर उसने मेरी गाण्ड के छेद में वैसलीन लगाई.. अन्दर तक अपनी ऊँगली डाली.. पहले चक्र.. दूसरे चक्र तक उसने वैसलीन चुपड़ी। हितु पीछे से मेरे कूल्हों के पास बैठा.. उसने मेरे पुठ्ठे फ़ैलाए अपने लंड का सुपारा मेरी गाण्ड के छेद पर रखा।

मैंने आँखें बंद कर लीं.. अब मेरी गाण्ड फटने वाली थी.. आज तक जिस गाण्ड की मालिश मेरे पति ने की थी.. उसकी जबरदस्त ठुकाई होने वाली थी।

अभी सुपारा गाण्ड के छेद में लगने का एहसास मुझे हुआ नहीं हुआ था कि एक जोरदार झटका मेरी गाण्ड पर लगा.. गाण्ड परपरा गई। मेरे होंठों से एक तेज चीख निकली.. आँखों से पानी बहने लगा।

कुसुम मेरी चूत में ऊँगली करने लगी। ‘निsssss काsss ल.. मादरचोद.. मेरी गाण्ड से अपना लौड़ा निकाल.. आह.. स्स्स्स.. मादरचोद ने मेरी गाण्ड फाड़ डाली रे..’ ‘क्यों री छिनाल.. मरद का लौड़ा बड़ी ख़ुशी-ख़ुशी लेती है.. मेरा बड़ा लगता है तेरे को..?’ ‘हाँ कमीने.. तेरा बम्बू मेरे मरद से बड़ा है रे.. साले कितना डाला रे अन्दर?’ ‘रांड.. अभी तो आधा ही गया है.. जानू अभी पूरा बाकी है।’

उधर कुसुम मेरे मम्मे पीती हुई मेरी चूत में ऊँगली कर रही थी। क्या घनघोर चुदाई थी। मैंने एक रात में तीन बार चूत चुदवाई और दो बार गाण्ड मरवाई.. लेकिन ये रात मेरे जिन्दगी की सबसे हसीन रात थी। एक औरत अपने मर्द से जो चाहती है.. वो सब हितु ने और कुसुम ने मुझे उन दिनों में दिया।

हितेश.. कुसुम.. मैं और मेरे पति में कैसे छनी.. हितु ने पति की गाण्ड पहली बार कब मारी.. कुसुम को मेरे पति का लंड चूसने का चस्का कब लगा..? ये फिर कभी बताऊंगी।

फिलहाल अपने लौड़े और चूत में पानी की बौछार को संभालिए दोस्तो.. कहानी अच्छी लगी.. या नहीं, अपने कमेंट कहानी के नीचे ही कीजिये.. पर्सनल ईमेल न करें।

यह कहानी एक काल्पनिक कहानी है.. किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति से इस कहानी के किसी भी पात्र का सरोकार नहीं है, हानिरहित आनन्द के लिए ये कहानी लिखी गई है। आपका चूतचोदू

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