मेरा गुप्त जीवन- 115

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सरपट घोड़े को भगाते हुए उसको चोदने लगा और चंद मिनटों में रूबी ‘हाय हाय मी जातोस मी जातोस रे…’ कहते हुए ढेर हो गई। मैंने अपना लंड रूबी की फड़कती चूत से निकाला और कम्मो ने उसको तौलिये से साफ़ कर दिया और रूबी की चूत को भी साफ़ कर दिया।

शाम की चाय हम सबने बैठक में पी और वहीं बैठ कर सारे इंतज़ामों के बारे में चर्चा भी की मधु और रूबी मैडम से। रात के खाने के बाद मैं दोनों मैडमों को हवेली के बगीचे में घुमाने ले गया, दोनों मेरी साइड में चल रही थी और दोनों ने मेरा हाथ पकड़ा हुआ था, दोनों ही कोशिश कर रही थी कि उनके सॉलिड चूचे मेरे बाजुओं से टकरा जाएँ और मेरे हाथ अक्सर उनके गोल और मोटे चूतड़ों के ऊपर से बार बार फिसल जाते थे।

एक अँधेरे स्थान पर मैंने पहले मधु मैडम और फिर रूबी दोनों का मुंह अपनी तरफ करके उनके लबों पर एक गर्म चुम्बन दे दिया। मधु मैडम बोली- सोमू यार, मैंने कभी खुले में नहीं किया सेक्स। क्या यहाँ लॉन में पॉसिबल है यह सब? रूबी मैडम भी बोली- हाँ हाँ, मैंने भी कभी नहीं फक करवाया खुले में यानि पब्लिक प्लेस में! मैं बोला- पॉसिबल तो है लेकिन उसके लिए थोड़ा मन पक्का रखना होगा। वैसे यह लॉन तो बहुत सेफ है क्योंकि हवेली के गेट पर तो चौकीदार होता है, वो किसी को अंदर नहीं आने देगा लेकिन आपका नाज़ुक जिस्म में घास वगैरह चुभ सकता है, इसका ध्यान रखना पड़ेगा आप दोनों को! मधु और रूबी एकदम बोल पड़ी- हमें तो कोई फर्क नहीं पड़ता। मैं बोला- तो चलिए फिर मेरे साथ, बिल्कुल सेफ जगह है जहाँ किसी की नज़र नहीं पड़ सकती।

और मैं उनकी कमर में अपने दोनों हाथ डाले चल पड़ा और रास्ते में उनके गोल चूतड़ों को भी सहलाता जाता था। उन दोनों ने भी मेरे लंड को पैंट के ऊपर से अपने हाथों से सहलाना शुरु कर दिया था।

चलते चलते हम एक ऐसी जगह पहुँच गए जहाँ घर में जल रही लाइट का कोई असर नहीं पड़ रहा था और जो घने पेड़ों के झुरमुट में छुपी हुई थी। मैंने दोनों मैडम से कहा- कैसी है यह जगह? दोनों ने घूम घूम कर देखा और मुलायम घास को परखा और फिर बोली- हाँ, यह ठीक जगह है और नीचे घास भी काफी सॉफ्ट है।

मुझको घेर लिया उन दोनों ने और मुझको लबों पर एक के बाद बड़ी कामातुर चुम्मियाँ करने लगी दोनों बॉम्बे की हसीनाएँ! मैं भी उनके सॉफ्ट मुम्मों को अपने हाथों में लेकर मसलने लगा और उनकी ब्रा और ब्लाउज़ में छुपे चूचुकों को मसलने लगा।

और उनकी साड़ी या फिर सलवार सूट के बाहर से चूत में हाथ डालने लगा और दोनों जल्दी ही चुदाई लिए तैयार हो गई लेकिन वो जगह ऐसी थी कि कपड़े उतारने का तो सवाल ही नहीं था तो मैंने मधु को एक पेड़ को पकड़ कर रखने को कहा और उसको थोड़ा झुका कर और पैंट से अपने एकदम से अकड़े लंड को निकाला और मधु मैडम के पीछे से चूत के मुंह पर रख कर एक ज़ोर का धक्का मारा तो लंड सीधा उसकी गीली चूत के अंदर पूरा चला गया।

रूबी मैडम अपने हाथ से मेरे लंड को मधु मैडम की चूत में जाते हुए महसूस कर रही थी और हर बार जब वो गीला होकर निकलता था उसको बड़ा आनन्द आ रहा था। रूबी कभी मेरे अंडकोष को छेड़ रही थी और कभी लौड़े को फील कर रही थी और कभी फिर मेरे चूतड़ों के साथ खेल रही थी।

अब मैंने महसूस किया कि मधु मैडम अब छुटने के लिए तैयार है तो मैंने धक्कों की स्पीड एकदम तेज़ कर दी और उसके चूतड़ों को दोनों हाथों में पकड़ कर ज़ोरदार लंड का अटैक जारी रखा। इस धुआँदार अटैक के कारण मधु एकदम से अकड़ी और फिर ढीली पड़ गई और मैं समझ गया कि मैडम का काम हो गया है। थोड़ी देर लंड को मधु मैडम की कांपती चूत से नहीं निकाला और उसको जब निकाला तो वो एकदम से गीलेपन से तरबतर हो चुका था।

रूबी तैयार बैठी थी, उसने झट से मेरे गीले लंड को अपने मुंह में ले लिया और उसको लपालप चूसने लगी और उसने यह समझ के चूसना शुरू किया था कि शायद मेरा लंड मैडम को चोद कर बैठ जाएगा और वो रह जायेगी। थोड़ी देर चूसने के बाद भी जब उसने देखा कि मेरा लंड अभी भी अकड़ा हुआ था तो उसने चूसना छोड़ दिया और घास पर बैठ गई, वो यह देख कर हैरान रह गई कि मेरा लंड लाल अभी भी लहलहा रहा था।

अब मैं भी बैठ गया और उसके गोल लेकिन छोटे मुम्मों के साथ उसकी कमीज के बाहर से खेलने लगा और फिर उसको घोड़ी बनने के लिए कहा। घोड़ी बनते ही मैंने उसकी सलवार को एकदम से नीचे किया और फिर अपने लौड़े के साथ उसकी चूत पर टूट पड़ा और लंड को अंदर डालने के बाद कभी धीरे कभी तेज़ रूबी मैडम को चोदने लगा। क्योंकि उसने सिर्फ अपनी सलवार ही नीचे की थी तो उसके गोल और सख्त चूतड़ों को मैं देख सकता था और उनको फील कर सकता था।

रूबी मैडम मेरे लंड से अब काफी वाकिफ हो चुकी थी, वो चुदाई का पूरा मज़ा ले रही थी और मधु मैडम अपनी साड़ी को अभी भी ऊपर करके धीरे धीरे ऊँगली कर रही थी। क्यूंकि हम खुले में चुदाई कर रहे थे तो ज़्यादा समय ना लेते हुए मैंने रूबी मैडम की चुदाई की स्पीड एकदम तेज़ कर दी और साथ में उसकी भग को भी रगड़ना शुरू कर दिया जिससे वो अब छूटने के करीब हो गई थी।

रूबी के चूतड़ों पर हल्की सी थपेड़ मारते हुए मैंने चुदाई जारी रखी और तेज़ धक्काशाही के कुछ मिन्ट बाद ही रूबी मैडम एकदम से कांपने लगी और उसकी चूत में सिकुड़न शुरू हो गई और वो बहुत ही धीरे से फुसफुसाती हुई बोली- मार दे सोमू यार, उफ्फ मी गयाला रे!

फिर वो वहीं घास पर लेट गई और मैंने अपना गीला लौड़ा निकाल कर उसको रुमाल से पौंछा और पैंट के बटन बंद करते हुए चलने के लिए तैयार हो गया। रूबी मैडम भी अपनी ड्रेस ठीक करके चल पड़ी और हम तीनो कुछ ही क्षणों में अपने कमरों में पहुँच गए।

थोड़ी देर बाद कम्मो आई, मेरे लिए स्पेशल दूध जिसमें छुवारे बादाम और पिस्ता इत्यादि पड़े हुए थे, कमरे में छोड़ कर जाने लगी तो मैंने उसको रोक कर एक ज़ोर की जफ्फी डाली और एक हॉट किस उसके होटों पर जमा कर उसकी साड़ी उठा कर उसकी बालों भरी चूत को सहला दिया।

अगले दिन सुबह कोई 10 बजे के करीब एक मिनी बस हवेली के बाहर आ कर रुकी और उसमें से 10-12 लड़कियाँ निकली।

कहानी जारी रहेगी। [email protected]

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