मेरा गुप्त जीवन -97

सुबह उठते ही मम्मी का फ़ोन आया- दशहरे के त्यौहार की छुटियाँ कब हो रही हैं कॉलेज में? मैंने बताया कि शायद अगले हफ्ते होंगी 15 दिनों की छुटियाँ। तब मम्मी बोली- ये छुट्टियाँ तुझको गाँव में बितानी हैं, अभी से कोठी बंद करके आने की तैयारी करनी शुरू कर लेना। उन्होंने यह भी कहा कि कम्मो को साथ ले कर आऊँ और पारो को 15 दिन की छुट्टी दे दूँ और इन दिनों की तनख्वाह देकर उसके गाँव भेज दूँ और यह भी कह दूं कि वो छुट्टी खत्म होते ही वापस आ जाए।

मैंने कम्मो को बुलाया और मम्मी जी की सारी बातें बताई और कहा- अगले हफ्ते गाँव जाने की तैयारी शुरू कर दो।

कॉलेज में सब लड़के लड़कियाँ अपने घरों को जाने की तैयारी में जुट गए थे और कॉलेज में इसी कारण से अच्छी चहल पहल हो रही थी। दिल्ली आगरा ट्रिप की लड़कियाँ जो हमारे ग्रुप में थी लंच ब्रेक में मेरे पास आईं और बोली- सोमू यार, सुना है तुम 15 दिनों के लिए गाँव जा रहे हो तो तुम्हारे पीछे हमारा क्या होगा? हम किसके सहारे रहेंगी?

इन सबमें से आगे जस्सी और जेनी थी। जस्सी कहने लगी कि मेरे पेरेंट्स तो हल्द्वानी के पास एक गाँव में रहते हैं और जेनी बोली कि मेरे पेरेंट्स तो अल्मोड़ा में रहते हैं, हम दोनों का गाँव जाना मुश्किल होगा। मैं बोला- तो फिर आप दोनों क्या चाहती हैं?

दोनों एक दूसरे का मुख देखने लगी और अब मैं उनकी दुविधा समझ गया, शायद वो चाहती थी मेरे साथ मेरे गाँव जाना… लेकिन मेरी प्रॉब्लम यह थी कि मैं उन दोनों के साथ प्रेमालाप कर चुका था और मैं नहीं चाहता था कि गाँव में जाकर मेरे माता पिता को हमारे बारे में कोई शक पड़ जाए या फिर हमसे कोई गलती हो जाए जिससे सारा भेद खुल जाए!

मैंने उन दोनों को कहा- मैं आप दोनों की प्रोब्लम को समझता हूँ लेकिन मैं आज फ़ोन पर अपनी मम्मी से बात करता हूँ, अगर उनको कोई ऐतराज़ नहीं हुआ तो तुम दोनों भी हमारे साथ चल पड़ना। क्यों ठीक है? सब लड़कियाँ ख़ुशी खुशी चली गई।

कॉलेज से लौटने के बाद मैंने सारी बात कम्मो को बताई और उससे पूछा कि क्या करना चाहिए मुझको? कम्मो कुछ देर सोचती रही और फिर बोली- इन दोनों को ले जाने में तो कोई दिक्क्त नहीं है लेकिन थोड़ा खतरा है कि कहीं इन लकड़ियों के मुख से कोई ऐसी बात ना निकल जाए जिससे हम सबकी पोजीशन खराब हो जाए। मैं सोचती हूँ अगर हम इन दोनों को सारी बात खोल कर समझा देंगे तो शायद कोई ऐसी गलती होने की सम्भावना कम हो जायेगी। मैं बोला- ठीक कह रही हो तुम, मैं कल इन दोनों को यहाँ खाने और चोदने के लिए बुला लेता हूँ तब सारी बात कर लेंगे इन दोनों से!

यह कह कर मैंने कम्मो से कहा कि वो खाना खाकर आ जाए तो आगे की सारी बात भी कर लेंगे। जब खाना खत्म करके कम्मो आई तो मैं बोला- तो तुम समझती हो कि इन दोनों के साथ चलने से और वहाँ 15 दिन रहने से कोई प्रॉब्लम नहीं होगी ना? कम्मो बोली- कल आने दो दोनों को, फिर सोचेंगे और मम्मी जी से भी तभी बात करेंगे… क्यों ठीक है?

मैंने कम्मो के शरीर से खेलते हुए कहा- तुम कभी गलत हो ही नहीं सकती जानम, तभी तो तुम्हारी लेता हूँ, उठते बैठते लेता हूँ, जब चाहे ले लेता हूँ और तुम भी दे देती हो कभी मांगने पर और कभी बिना मांगे अपनी… …नेक सलाह!

रात को फिर मैंने अपने हरम में रहती दोनों रानियों को मस्त मलंग बन कर चोदा कभी उल्टा और कभी सीधा चोदा।

अगले दिन कॉलेज में जेनी और जस्सी को कैंटीन में लंच ब्रेक मैं बुला कर खुल कर बात की और पूछा कि आगे की बात करने के लिए क्या वो दोनों मेरे घर आने के लिए तैयार हैं छुट्टी के बाद। दोनों तैयार हो गई और पूछने लगी कि वहाँ सिर्फ बातचीत ही होगी या फिर कुछ और भी होगा? मैं बोला- कुछ और होना तो तुम दोनों के हाथ में है अगर तुम दोनों का हाथ चाहे तो कुछ क्या, बहुत कुछ हो सकता है!

दोनों हंसने लगी तो मैं संजीदा हो गया और उनके कान के पास मुंह ले जाकर कहा- अब सब तुम्हारे हाथ की मर्ज़ी है वो चाहे तो कुछ भी हो सकता है और वो और चाहे तो बहुत कुछ भी हो सकता है।

दोपहर में छुट्टी के बाद हम तीनों रिक्शा पकड़ कर मेरी कोठी में आ गए। पहले हम तीनों ने जम कर खाना खाया और फिर हम सब मेरे कमरे में चले गए, जहाँ कम्मो ने बात शुरू की और उनको समझाया कि गाँव जाने में कोई प्रॉब्लम नहीं है सिवाए इसके कि अगर हम सब अपना मुंह बंद रखेंगे तो हम सबकी भलाई है वरना हम सब मुसीबत में पड़ सकते हैं।

तब जस्सी बोली- कम्मो आंटी, हम सब आपकी बात समझते हैं और यह भी जानते हैं कि ज़रा सी गलती भी अगर हमसे हो जाती है तो बहुत बड़ी मुसीबत में पड़ सकते हैं। इस लिए हम दोनों आपको विश्वास दिलाती है कि हम वहाँ चुप ही रहेंगी और कोई ऐसी हरकत या बात नहीं होने देंगी। आप यकीन रखिये।

बात खत्म हो गई और कम्मो को भी तसल्ली हो गई तब मैंने कम्मो से कहा- ये लड़कियाँ अपना कुछ करवाना चाहती हैं अगर तुम्हारी आज्ञा हो तो हम कुछ या बहुत कुछ करें या फिर नहीं? कम्मो हँसते हुए बोली- कुछ तो आप कर सकते हो लेकिन बहुत कुछ करने से पहले सोच लेना। मैं बोला- अब कहो, आप दोनों की क्या मर्ज़ी है? थोड़ा या फिर बहुत? दोनों ही बोली- बहुत और बहुत ही ज़्यादा होना चाहिए। मैं भी खुश हो कर बोला- तो फिर चलो ‘गुरु हो जा शुरू…’

मैंने दोनों लड़कियों को कस कर आलिंगन में ले लिया और उनके लबों पर गरमा गरम चुम्बन दे दिए। और फिर मैंने एक हाथ जस्सी की चूत में और दूसरा जेनी की चूत में उनकी सलवार के ऊपर से ही डाल दिया। उन दोनों की चूत के बाल ऊँगली में महसूस हो रहे थे और फिर थोड़ा चूत का गीलापन भी उंगलियों में लगने लगा। मैंने उन दोनों को साइड बाई साइड खड़ा करके दोनों के कपडे उतारने शुरू कर दिए।

पहले जेनी और फिर जस्सी के कपड़े एक एक कर के उतरने लगे और उनके खूबसूरत जिस्म सामने आने लगे।

दोनों का ही जिस्म का रंग सफेदी लिए हुए था और दोनों की चूत पर छाये काले घने बाल चाँद में लगे दाग के समान थे, यह देख कर मेरा खड़ा लौड़ा हिलौरें मारने लगा था और बिगड़े घोड़े की तरह भाग कर उन दोनों की चूत में एंट्री मारना चाहता था।

अब मैं लेट गया और जस्सी को कहा कि वो अपनी चूत को लेकर मेरे मुंह पर बैठ जाए और जेनी को कहा वो मेरे लौड़े को मुंह में ले कर चूसे और अपनी चूत वाली साइड मेरी तरफ कर दे ताकि मैं उसकी चूत में उंगली डाल कर उसकी भग को मसल सकूँ और इस तरह हम तीनों एकदम एक दूसरे में बिजी हो गए।

सबसे पहले जस्सी, जिसकी चूत को मैं चूस रहा था, वो अपने पर कंट्रोल नहीं कर सकी और मेरे मुंह में ही झड़ गई और उसके बाद जल्दी ही जेनी जिसकी चूत में मेरी ऊँगली थी और जिसके मुंह में मेरा लंड था वो झड़ गई। फिर हम तीनों थोड़ी देर के लिए विश्राम करने लगे।

अब मैंने जेनी से पूछा- कैसे चुदवाना पसंद करोगी तुम? उसने जवाब में कहा- मैं खड़ी हो जाती हूँ और आप पीछे से मेरी चूत में लंड डाल कर मेरी चुदाई करो, यह पोज़ मुझको सबसे अधिक पसंद है। मैंने जस्सी से पूछा- तुमको कौन सा पोज़ बहुत पसंद है यार? वो बोली- घोड़ी बन कर चुदवाना मुझको बहुत ही अच्छा लगता है।

मैं बोला- जेनी अभी तुम भी घोड़ी बन कर चुदवा लो तो दोनों को साथ साथ ही चोद दूंगा और बाद में मैं तुमको खड़े पोज़ में भी चोद दूंगा। क्यों ठीक है ना?

मैंने दोनों को घोड़ी बनाया और पहले जेनी के पीछे बैठ कर अपना लंड उसकी गीली चूत में डाला और थोड़ी देर धक्के मारने के बाद उसकी चूत से लंड को निकाल कर मैंने उसको जस्सी की तड़फ रही चूत में डाल दिया और कुछ देर लंड के धक्के मारने के बाद वापस जेनी की चूत में लंड को डाला और उसको भी दोबारा बहुत देर तक धक्के मारने के बाद लंड को तभी निकाला जब वो छूट गई और फिर मैंने इत्मीनान से जस्सी को पीछे से चोदा, कभी धीरे और कभी तेज़ और साथ ही उसकी भग को भी मसला तो जस्सी भी हाय हाय करती हुई छूट गई।

मैं उन दोनों के बीच लेट गया और दोनों के सर अपनी बाजुओं के ऊपर रख कर मस्ती से आराम फरमाने लगा। दोनों ही मेरे लौड़े को हाथ में लेकर उसके साथ खेल रही थी।

फिर मैंने अपने हाथ उनके सरों के नीचे से निकाले और दोनों को कहा- कौन मुझको ऊपर से बैठ कर चोदना चाहता है? दोनों ने अपना हाथ खड़ा कर दिया तो मैंने कहा- पहले मेरे दाईं तरफ वाली पार्टी मुझको ऊपर से चोदेगी और दूसरी पार्टी कि जैसे मर्ज़ी वैसे कर लेंगे। क्यों ठीक है न? दोनों बोली- ठीक है मेरे मालिक!

सबसे पहले जेनी ने मुझको मेरे ऊपर बैठ कर चोदा और जब वो जल्दी ही थक गई और साथ ही छूट गई तो मुझको जस्सी ने भी ऊपर बैठ कर चोदा। दोनों अब चुदाई में काफी माहिर हो गई थी और मेरे और कम्मो के सिखाये हुए तरीकों को समझ चुकी थी तो उनको मेरे साथ चुदाई का आनन्द ज़्यादा आता था।

जेनी के मोटे नितम्बों को देख कर मैं बार बार जोश में आ जाता था और अपने खड़े लंड की प्यास बुझाने की कोशिश करता था और उधर जस्सी के नितम्ब सामन्य और गोल थे लेकिन उसके मुम्मों का कोई जवाब ही नहीं था। वो ना सिर्फ मोटे और गोल थे लेकिन काफी बड़े भी थे जैसे कि शादीशुदा और बच्चों वाली औरतों के होते हैं।

उसके मम्मों के बीच सर रख कर सोने में बहुत मज़ा आएगा, यह मैं जानता था लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सकता था क्यूंकि जस्सी किसी लड़की के साथ एक कमरा शेयर करती थी और जेनी भी किसी के साथ शेयर करती थी। मैंने दोनों को कहा- तुम दोनों कि दो दो चीज़ें बहुत ही सुंदर बन पड़ी हैं, मैं चाहता हूँ कि इनका नाप ले लिया जाए अगर तुमको ऐतराज़ ना हो तो? दोनों ने कहा कि उनको कोई ऐतराज़ नहीं है और तब मैं कम्मो को बुला लाया जो साथ वाले कमरे में ही लेटी हुई थी। उसने नाप वाले फीते के साथ दोनों के पहले मम्मे नापे और फिर उनके चूतड़ों को भी नापा। नाप के मुताबक जेनी के मुम्मे और नितम्बों का नाप यूँ था:- 34-25-36 और जस्सी के नाप यूँ था- 36-26-34.

अभी तक नाप की कॉपी में यह नाप सबसे बड़ा था और दोनों ही प्राइज की हकदार थी तो कम्मो ने दोनों को छोटे छोटे टॉयज दिए जो उन दोनों को बहुत पसंद आये। तब जस्सी बोली- सोमू के लंड का भी नाप लो न कम्मो आंटी? देखें तो सही यह कितना बड़ा है?

तब कम्मो ने मेरे खड़े लौड़े का नाप लिया जो निकला 7.5 इंच और तब उन लड़कियों को मेरे पिछले नाप भी दिखाए गए जिसमें वो ख़ास दवाई खाने के बाद का नाप भी था जो 8 इंच का था जो अभी तक सबसे बड़ा था।

तब दोनों लड़कियों ने कपड़े पहनने लगी तो मैंने जेनी को रोक दिया और कहा- जेनी डार्लिंग तुमको अभी पीछे से खड़ा कर के चोदना तो रह गया न… चलो तुम्हें तुम्हारे फेवरिट पोज़ में भी चोद देते हैं अभी! जेनी बोली- नहीं सोमू राजा, अब मैं बहुत चुद चुकी हूँ और चुदवाने की इच्छा नहीं है, फिर कभी सही!

दोनों ने कपड़े पहन लिए लेकिन मैंने उससे पहले ही दोनों के मुम्मों और चूतड़ों को थोड़ी देर चूमा चाटा था, मेरी इच्छा भी पूरी हो चुकी थी। जाने से पहले जस्सी बोली- मेरी एक सहेली है जो अभी तक कुंवारी है और उसकी बड़ी इच्छा है कि उसकी सील कोई जानकार और भरोसेमंद लड़का ही तोड़े। मैं चाहती हूँ कि सोमू जी महाराज तुम उसकी सील तोड़ो।

मैं कुछ जवाब देता उससे पहले ही जेनी भी बोल पड़ी- मेरी भी जो रूममेट है न, वो भी कुंवारी है और उसकी भी इच्छा थी कि उस की भी सील तोड़े कोई उसकी पसंद का लड़का! क्या कहते हो सोमू राजा? मैंने कहा- यह सब बातें तुम कम्मो आंटी से ही कर लो पहले और फिर जैसे वो कहेगी उसके मुताबिक़ ही कर देना तुम दोनों।

यह कह कर मैं बाथरूम में चल गया और जब निकला तो कम्मो बोली- यही तय हुआ है कि दोनों अपनी सहेलियों को यहाँ लाएँगी और हम सब बात भी कर लेंगे और एक दूसरे को देख भी लेंगे। क्यों ठीक हैं न? मैं बोला- कम्मो रानी, बिलकुल ठीक है। चलो मैं तुम दोनों कुंवारी लड़कियों को छोड़ आऊँ अपने अपने घर! दोनों बोली- नहीं सोमू, हम चली जाएँगी, तुम रेस्ट करो! उनके इंकार करने के बावजूद मैं उनको उनके घरों तक छोड़ कर आ गया।

कहानी जारी रहेगी। [email protected]