मेरा गुप्त जीवन-59

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शाम को घर पहुंचा तो विनी बैठक में मिल गई और बोली- मेरी फ्रेंड्स आ रही हैं आज शाम को। मैं बोला- अच्छा है, कौन कौन हैं वो? विनी बोली- वही जो पिछली बार भी आई थी, छवि और सोनाली। वो दोनों भी आप से अपने इंजन की सर्विस करवाना चाहती हैं, ठीक है?

मैं सोच में पड़ गया, यह बार बार वाला चक्कर ठीक नहीं शायद! मैं बोला- क्या वो रात रहेंगी? विनी बोली- हाँ हाँ रहेंगी, तभी तो अपनी कार में सर्विस करवा सकेंगी न? मैं बोला- कम्मो आंटी से पूछ लो, फिर कन्फर्म करना उन दोनों को! विनी बोली- ठीक है।

थोड़ी देर में कम्मो आई मेरे पास और बोली- वो विनी कह रही थी कि उसकी दो सहेलियाँ यहाँ आ रही हैं रात रहने के लिए, उसको क्या जवाब दूँ? मैं बोला- तुम बताओ क्या करना चाहिए? अगर इंकार करते हैं तो विनी-गीति नाराज़ हो जाएंगी और वो छवि और सोनाली भी बुरा मानेंगी।

कम्मो बोली- वो फिर क्यों आ रहीं हैं? अभी तो रह कर गई हैं। मैं बोला- वही तो, विनी कह रही थी कि वो अपनी कार की सर्विस करवाने आ रही हैं। कम्मो बोली- सर्विस करवाने? मैं समझी नहीं? मैं बोला- अरे वही चुदवाने आ रहीं हैं और क्या! कम्मो बोली- आपकी क्या मर्ज़ी है?

मैं बोला- देखो कम्मो अगर हम इंकार करते हैं तो दोनों बहनें भी बुरा मानेंगी और छवि और सोनाली भी बुरा मान जाएँगी। मैं सोचता हूँ मेरे कालेज के दो दोस्त हैं वो भी चुदाई के शौक़ीन हैं, उनको बुला लेते हैं, उन दोनों के साथ विनी और गीति को भिड़ा देते हैं और मैं छवि और सोनाली के साथ हो जाता हूँ। कम्मो बोली- नहीं छोटे मालिक, बाहर के लड़कों के आने से हमारी कभी भी बदनामी हो सकती है। मैं बोला- तो फिर क्या करें? कम्मो बोली- आप छवि और सोनाली को आने दो। मैं बोला- तो फिर ठीक है तुम विनी और गीति को बतला दो और कह दो कि आज वो दोनों आ जाएँ अपनी कार लेकर क्योंकि आज वर्कशॉप खुली हुई है। कम्मो बोली- ठीक है छोटे मालिक।

शाम होते ही छवि और सोनाली दोनों आ गई और बैठक में मुझ से मिली। आज दोनों ने सलवार सूट पहन रखे थे और काफी सुंदर लग रही थी। देखने में छवि ज्यादा सेक्सी लगती थी और सोनाली भी सुंदर थी लेकिन उसकी शारीरिक बनावट इतनी अच्छी नहीं लग रही थी। आज पारो ने मटन कोरमा बना रखा था जो निहायत ही लज़ीज़ था और साथ में तंदूरी कुलचे थे और शाही पनीर की सब्ज़ी थी। मीठे में मुग़लई फिरनी थी।

खाने के बाद थोड़ी देर गपशप चलती रही और छवि मेरे नैनीताल ट्रिप के बारे में पूछती रही और कोशिश करती रही कि वहाँ जो कुछ भी हुआ था उसको बताओ लेकिन मैंने भी ऐसा पोज़ किया कि वहाँ ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था।

फिर मैं अपने कमरे में आ गया और वो दोनों सहेलियाँ बाद में कम्मो के साथ आ गई। आते ही दोनों मेरे साथ लिपट गई और मुझ को होटों पर ज़बरदस्त किस करने लगी।

मैंने मज़ाक में कहा- वो विनी कह रही थी कि आपने कार में सर्विस करवानी है इसलिए आप दोनों अपनी कारें लेकर आ रहीं हैं? पर मुझको तो कोई कार वॉर नहीं दिख रही? छवि और सोनाली ज़ोर से हंस दी।

फिर छवि बोली- वो क्या है सोमू, हमने मज़ाक में यह कहा था विनी से ताकि वो कुछ गलत न समझे। हमारा मतलब था वहाँ की सर्विस करवाने का? मैं समझ तो गया फिर भी ऐसा जताया मैं नहीं समझा हूँ, मैं बोला- कहाँ की सर्विस करवानी है आप दोनों को खुल कर बताओ न?

छवि अब कुछ हिचकने लगी और उसकी और सोनाली की यह हालत देख कर मैं और कम्मो दोनों ही हंस रहे थे मन ही मन! मैं बोला- खुल कर बताओ कि किसकी सर्विस करवानी है और कौन सी मशीन की? और वहाँ तेल लगेगा या सूखी ही सर्विस होगी?

अब छवि और सोनाली शर्म से लाल हो रही थी लेकिन मैं भी अड़ा हुआ था कि सर्विस के बारे में पूरी जानकारी लेकर काम शुरू करेंगे। मैं बोला- भई जल्दी बताओ, कौन सी सर्विस और कौन से पार्ट की सर्विस करवानी है आप दोनों ने?

वो दोनों को चुप बैठा देख कर कम्मो बोली- छवि और सोनू शर्म मत करो साफ़ बता दो किस तरह की सर्विस और किस पार्ट की सर्विस करवानी है आप दोनों ने? वर्कशॉप के मालिक जो पूछ रहे हैं वो बता दो ना?

दोनों अभी भी चुप बैठी थी और उनके मुँह झुके हुए थे, मुझको और कम्मो को बड़ा मज़ा आ रहा था। मैंने कम्मो से कहा कि वो स्टोर से मोटा और बड़ा रेंच और पेंचकस ले आये शायद उनकी ज़रूरत पड़ सकती है सर्विस करते हुए!

कम्मो उठ कर जाने लगी और जाते जाते बोली- वो बड़ी अलमारी वाला या छोटी अलमारी वाला? मैं बोला- दोनों ही ले आओ।

जैसे ही कम्मो उठ कर जाने लगी तो छवि ने उसको पकड़ लिया और उस के कान में कुछ खुसर पसर की और वो वापस आकर बैठ गई और बोली- इन दोनों को वहीं की सर्विस करवानी है जहाँ की आपने पिछली बार की थी।

मैं बोला- पिछली बार तो मैंने इनकी चूत की सर्विस की थी अपने लौड़े से, कहीं वहीं की सर्विस तो नहीं करवानी इन दोनों ने? दोनों एक साथ बोल पड़ी- वहीं की… वहीं की। मैं हँसते हुए बोला- चुदाई का नाम सर्विस करवाना आपने अच्छा रखा।

छवि हँसते हुए बोली- वो हम पड़ोसी के घर से फ़ोन कर रही थी न तो उसके सामने हमको थोड़ा सोच समझ कर बोलना पड़ा। मैं बोला- वाह, क्या हाज़िर जवाबी है। अच्छा तो फिर तैयार हो जाओ दोनों सर्विस करवानी के लिए! लेकिन एक प्रॉब्लम है कम्मो? कम्मो बोली- अब क्या परेशानी आ गई? मैं बोला- वो मेरा नीचे वाला भैया शायद सर्विस करवाने का मतलब नहीं समझता है तो छवि को उसको समझाना पड़ेगा। क्यों छवि समझा सकोगी उसको?

छवि बड़ी मुश्किल में पड़ गई। कम्मो ने उसको तसल्ली देते हुए कहा- मत घबराना छवि, उसको ज़रा मुंह में ले कर बता देना कि कैसे सर्विस होती है। बस काम हो जाएगा। छवि के चेहरे से लग रहा था कि वो काफी परेशान है।

फिर कम्मो ने सबको कपड़े उतारने के लिए कहा। जैसे ही सब कपड़े उतार बैठी तो सब का ध्यान मेरे लौड़े की तरफ ही था।

जब मैंने कपड़े उतारे तो वाकयी में लंड ढीला पड़ा हुआ था और उसका सर लटका हुआ था। मैंने घबराहट की एक्टिंग करते हुए कहा- छवि या सोनू, प्लीज इसको बताओ सर्विस क्या होती है? नहीं तो यह कुछ ना कर पायेगा।

अब तो कम्मो भी हैरानी से लंड को देख रही थी जो सच्ची में बैठा हुआ था। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

उसने छवि को कहा- इसको अपने लबों के पास ले जाकर बताओ कि सर्विस का क्या मतलब है? हो सके तो एक दो चुम्मियाँ भी कर देना। और सोनू तुम भी तो इसके साथ हो, तुम भी मुंह में लेकर इसको समझाओगी तो शायद मान जाएगा।

दोनों मेरी तरफ बढ़ी और पहले छवि ने लंड को मुंह में ले जाकर उसको ज़रा ज़ोर से कहा- सर्विस का मतलब है चुदाई… कर दो प्लीज। अब सोनू भी बैठ गई और अब उसने लंड को मुंह में लिया और बोली- प्लीज हमारी चुदाई कर दो, बड़ी आस ले कर आई हैं हम दोनों।

जैसे ही सोनू ने यह कहा कि बहुत आस ले कर आई हैं तो लंड टन से उसके मुंह में ही खड़ा हो गया और उसको चूसना पड़ा।

अब छवि ने भी फिर उसको अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया और वो अपने पूरे जोबन में आ गया।

कम्मो मुझ को बड़े अचरज से देख रही थी, तभी मैंने उसको आँख मारी और वो समझ गई कि यह सब मेरी शरारत है। तब कम्मो बोली- चलो चलो लड़कियों पहले कौन चुदवायेगा? वो एकदम सामने आ जाए! छवि जल्दी से मेरे सामने आ गई और उसने मुझको एक जफ़्फ़ी मारी और होटों पर किस की।

मैंने भी उसके लबों को चूमना शुरू कर दिया और उसके उरोजों को हाथों में तोलने लगा। काफी चूमा चाटी के बाद मैंने उसकी चूत में ऊँगली डाली तो वो लबालब सुगंधित द्रव्य से भरी हुई थी।

मैंने उसके चूतड़ों के नीचे हाथ रख कर एकदम से उठा लिया और अपने लौड़े के निशाने पर बिठा कर एक ज़ोर का धक्का मारा और फ़च्च से सारा का सारा लंड उसकी टाइट चूत में चला गया। अब मैं कमरे में घूमते हुए छवि को चोद रहा था।

कम्मो भी सोनू के साथ बिजी थी, कभी उसके मम्मों को चूसती थी और कभी मुंह चूत में डाल कर उसकी भग को चूस रही थी। सोनू के चूतड़ कम्मो के मुंह में घुसे हुए थे। जब छवि अपने चूतड़ों को आगे पीछे करने लगी तो मैंने उसको कस कर अपनी बाँहों में जकड़ लिया और खुद चूतड़ों को आगे पीछे करने लगा क्यूंकि इस तरह से मेरा अपना कंट्रोल बना रहा। एक चक्कर और कमरे का लगाया और तभी मुझको लगा कि छवि का छूटना शुरू हो गया है और उसका ज़ोर से मेरे साथ चिपकना इस बात का सबूत था।

जब वो छूट गई तो मैंने छवि को पलंग पर लिटा दिया और सोनू को उठा कर पलंग के किनारे पर सीधा लिटा दिया ताकि उसकी टांगें ज़मीन पर थी और बाकी शरीर बेड पर ही था।

फिर मैंने उसकी टांगें चौड़ी करके उसकी चूत को उभार दिया और झट से मैंने लंड को बहुत ही गीली चूत में डाल दिया और गहरे और हल्के धक्के मारने लगा और साथ ही मैं उसके होटों पर एक गर्म चुम्मा दे दिया।

उधर छवि थकी हुई लेटी थी हमारे साथ ही वो देख रही थी कि सोनू की चुदाई कैसे हो रही थी।

सोनू की टांगें मेरी कमर को घेरे हुए थी और लंड का चूत पर पूरा कब्ज़ा बना हुआ था। मैंने धीरे धीरे से अपनी चुदाई की स्पीड तेज़ कर दी, सोनू इतनी ज्यादा गर्म हो चुकी थी कि वो अपने आप ही अपनी कमर उछाल रही थी, धक्के का जवाब कमर को उछाल कर दे रही थी।

मुझको लगा कि उसको छुटाने में ज्यादा टाइम नहीं लगेगा लेकिन वो काफी कड़ियल लड़की थी और उसके मम्मों को चूमने के बावजूद और कम्मो का उसको लबों पर किस देने के बाद भी वो मैदान ऐ जंग में डटी हुई थी।

फिर मैंने उसके भग को उंगली से मसलना शुरू किया और वो चंद मिनटों में ही छूट कर कांपने लगी। तब मैंने सोनू को घोड़ी बना दिया और उधर छवि को भी कम्मो ने घोड़ी बनाया ताकि दोनों की चुदाई साथ साथ हो सके। दोनों को एक साथ घोड़ी बना कर कम्मो ने उनकी चूतों पर थोड़ी सी पॉण्ड्स क्रीम लगाई ताकि मेरे लंड को चोदने में आराम रहे।

अब मैंने पहले छवि से शुरू किया और उसको आहसिता आहिस्ता चोदने लगा, पूरा अंदर डाल कर फिर पूरा बाहर निकाल कर फिर पूरी फ़ोर्स से धक्का मारना बहुत जल्दी ही लड़कियों को हरा देता था।

एक के साथ शुरू करके दूसरी की साथ भी यही करने से एक लंड से दो चूतें चुद जाती थी। यह तरीका मेरा बहुत बार आजमाया हुआ था तो मुझ को लंड से चूतें चोदने का थोड़ा बहुत एक्सपीरियंस तो था।

थोड़े ही समय में दोनो काफी पानी छोड़ती हुई धराशायी हो गई और वहीं लेट गई।

क्यूंकि उनके चूतड़ एकदम उभरे हुए थे, मैंने उनके गोल परन्तु छोटे चूतड़ों को चूमने के बाद हल्के हल्के थपकी देनी शुरू कर दी जिस के कारण दोनों के मुंह से आअह उह्ह जैसी आवाज़ निकलने लगी।

शायद उनको बहुत आनन्द आ रहा था इन थपकियों से, दोनों दो दो बार छूट चुकी थी अब और उनके मन में और चुदाने की इच्छा नहीं थी। कम्मो उनको कपड़े पहनने में मदद करने लगी और फिर वो दोनों मुझको किस करके जाने लगी। मैंने उनको छेड़ते हुए कहा- जब भी आप दोनों की कार को सर्विस की ज़रूरत हो तो हमारी इस छोटी सी वर्कशॉप में ले आना। फ्री सर्विस और फ्री ओइलिंग हो जायेगी।

हम सब बहुत हँसे और खासतौर पर छवि और सोनू भी। कहानी जारी रहेगी। [email protected]

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