एक भाई की वासना -37

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सम्पादक – जूजा जी

हजरात आपने अभी तक पढ़ा.. फैजान ने अपने शॉर्ट्स को नीचे खींचा और अपने लंड को बाहर निकालते हुए बोला- देख.. तेरी जवानी को देख कर क्या हालत हो गई है इसकी!

जाहिरा एक अदा के साथ बोली- तो मैं क्या करूँ भाई.. जाओ भाभी के पास और उन्हें इसकी यह हालत दिखाओ।

फैजान ने जाहिरा का हाथ पकड़ा और उसे अपने लंड पर रखने की कोशिश करने लगा। फैजान की कोशिशों के वजह से जाहिरा का हाथ अपने भाई की अकड़े हुए लंड से छुआ भी.. और एक लम्हे के लिए उसकी मुठ्ठी में उसका लंड आ भी गया। जाहिरा- भाई यह तो बहुत गरम हो रहा है और सख़्त भी.. फैजान उसका हाथ अपनी लंड पर रगड़ते हुए बोला- हाँ.. तो थोड़ा ठंडा कर दे ना इसे.. अब आगे लुत्फ़ लें..

जाहिरा इठलाते हुए बोली- जाओ भाभी से कहो ना.. इसे ठंडा कर दें.. मैं क्यों करूँ.. फैजान- इसमें आग तूने लगाई है.. तो ठंडा भी तो तुझे ही करना होगा ना मेरी जान.. आज तू मेरे साथ कॉलेज चल, फिर रास्ते मैं तुझे बताऊँगा.. देखना तू..

जाहिरा जोर-जोर से हँसने लगी, जाहिरा की एक चूची अभी तक नंगी थी और अब वो उसे छुपाने की कोशिश भी नहीं कर रही थी। फैजान अब भी बार-बार अपनी बहन को अपने जिस्म के साथ चिपका कर चूम रहा था।

मैंने अब दोनों को ब्रेक देने का फ़ैसला किया और अन्दर से ही आवाज़ लगाई- अरे जाहिरा.. यार कहाँ चली गई हो.. अभी तक चाय ही नहीं बनाई यार तुमने? जाहिरा और फैजान जल्दी से एक-दूजे से अलग हुए और जाहिरा अपने टॉप को ठीक करते हुए बोली- भाभी बस चाय लेकर आ रही हूँ.. आप जल्दी से भाई को उठा दें।

उसके इस झूठ पर मैं हैरान भी हुई और मुस्करा भी दी कि उसका भाई उसके पास खड़ा उसके साथ छेड़छाड़ कर रहा है और वो मुझसे छुपाते हुए शो कर रही है कि उसे पता ही नहीं कि उसका भाई कहाँ है। यही सोचती हुई मैं बिस्तर पर आ गई और थोड़ी देर में बाथरूम का दरवाज़ा खुला और फैजान अन्दर आ गया।

थोड़ी देर में ही जाहिरा भी चाय लेकर आ गई, उसके चेहरे पर एक शरारती और सेक्स से भरी हुई मुस्कान थी। मैंने देखा कि वो मेरी नज़र बचा कर बड़ी अदा के साथ अपने भाई की तरफ देख रही थी।

जब वो बिस्तर पर चाय रखने लगी.. तो काफ़ी ज्यादा ही झुक गई.. जिससे उसकी दोनों चूचियों बिल्कुल जैसे बाहर को निकलते हुए उसके भाई को नज़र आने लगीं। जाहिरा ने एक नज़र उठा कर उसी हालत में ही अपने भाई को देखा और कटीली अदा से मुस्करा कर सीधी होकर बैठ गई।

मैं उन दोनों की हरकतों को नजरंदाज कर रही थी.. जैसे कि मुझे कुछ पता ही ना हो।

चाय पीने के बाद फैजान उठा और बोला- चलो जाहिरा.. जल्दी कर लो.. कॉलेज को देर हो जाएगी.. तैयार हो जाओ.. जाहिरा ने एक शरारती मुस्कराहट से अपने भाई की तरफ देखा और बोली- नहीं भाई.. आज मैं कॉलेज नहीं जा रही हूँ।

फैजान जो कपबोर्ड के पास खड़ा था.. चौंकते हुए मुड़ कर अपनी बहन की तरफ देखने लगा और बोला- क्यों.. आज क्यों नहीं जाना तूने? जाहिरा मुस्करा कर बोली- बस भाई आज घर पर ही कुछ काम कंप्लीट करना है.. इसलिए..

फैजान ने एक मायूस सी नज़र अपनी बहन पर डाली और अपनी तैयारी करने लगा।

मैं धीरे से मुस्कराई और उठ कर बाथरूम में जाते हुई बोली- चल ठीक है जाहिरा.. आज अपने भाई को नाश्ता भी तू ही करवा दे। जाहिरा मुस्करा कर अपने भाई की तरफ देखते हुई बोली- जी भाभी.. वो तो करवा भी दिया। मैं- क्या कहा.. करवा भी दिया.. कब?? जाहिरा घबरा कर बोली- नहीं.. मैंने कहा है कि वो भी करवा देती हूँ।

मैं उसकी बात सुनी अनसुनी करते हुए वॉशरूम में दाखिल हो गई। लेकिन दरवाज़ा लॉक करके भी मैं एक झिरी से बाहर का नजारा देखने लगी।

मेरे अन्दर जाते ही फैजान बिस्तर की तरफ बढ़ा और अपनी बहन पर झपटा और उसे बिस्तर पर गिराते हुए.. उस पर झुक गया और उसके गाल को चूमते हुए बोला- क्यों नहीं जा रही तू आज.. डर गई है क्या? जाहिरा हँसते हुए बोली- जी भाई.. अपने भाई की बुरी नज़र से डर गई हूँ.. मेरी इज़्ज़त को आप से ख़तरा पैदा हो गया है।

फैजान अपना हाथ जाहिरा के बरमूडा में डाल कर उसकी चूत को अपनी मुठ्ठी में लेकर दबाते हुए बोला- घर में रह कर तेरी इस चूत को ख़तरा कम नहीं होगा.. अब तू देखना.. तेरी इस कुँवारी चूत को मैं ही अपने लंड से फाड़ूँगा।

जाहिरा ‘खीखी.. खीखी..’ करते हुए हँसने लगी और अपना हाथ फैजान के हाथ के ऊपर रख तो दिया.. लेकिन उसका हाथ चूत के ऊपर से बाहर नहीं खींचा।

फैजान ने अपने होंठ अपनी बहन के होंठों पर रख दिए और उसके होंठों को चूमने लगा। उसने जाहिरा का हाथ पकड़ा और अपने शॉर्ट के अन्दर घुसा दिया और अपना लंड पकड़ा दिया। जाहिरा ने भी अपना हाथ अपने भाई के शॉर्ट्स में से बाहर खींचने की कोशिश नहीं की।

अब फैजान अपनी बहन की चूत को सहला रहा था और जाहिरा अपने भाई के शॉर्ट्स में हाथ डाले हुए उसके लण्ड से खेल रही थी। जाहिरा बोली- भाई अब छोड़िए.. भाभी आ जाएंगी।

फैजान ने एक नज़र बाथरूम के दरवाजे पर डाली और फिर एक बार किस करके उठ गया। फिर वहीं उसके पास खड़े होकर अपना शॉर्ट भी उतार दिया।

जाहिरा बोली- भाई कुछ तो शरम करो अपनी बहन की सामने ही नंगे हो गए हो.. अगर भाभी ने देख लिया तो क्या सोचेंगी।

फैजान ने अपना अकड़ा हुआ लंड अपने हाथ में पकड़ा और उसे जाहिरा के चेहरे के पास लाते हुए बोला- अपने इन प्यारे प्यारे होंठों से.. एक किस तो कर दो प्लीज़.. जाहिरा सिर हिलाते हुए बोली- नहीं भाई.. मैं नहीं करूँगी। फैजान बोला- मैं भी फिर तुम्हारे सामने ऐसे ही खड़ा रहूँगा..

जाहिरा हँसी और फिर फैजान का लंड अपने हाथ में पकड़ कर उसकी नोक पर अपने होंठ रख कर उसने एक चुम्मी कर दी। फैजान- थोड़ा सा मुँह के अन्दर लेकर चूस तो सही यार.. जाहिरा ने अपने भाई का लंड छोड़ा और उठते हुए बोली- नहीं.. बस अब और कुछ नहीं होगा भाई..

और फिर वो अपने भाई को मुस्करा कर अंगूठा दिखाते हुई कमरे से बाहर निकल गई। फैजान अपने कपड़े पहनने लगा और मैं भी वॉशरूम से बाहर आ गई। अब मैं दोबारा बिस्तर पर लेट गई ताकि जाहिरा ‘अच्छी’ तरह से फैजान को नाश्ता करवा सके।

फैजान ने तैयार होकर मेरे पास आकर मेरे होंठों पर एक किस किया और फिर कमरे से बाहर निकला.. तो मैं भी फ़ौरन ही बाहर को देखने लगी।

जाहिरा पहले ही फैजान के लिए नाश्ता टेबल पर लगा चुकी थी। फैजान वहीं बैठ गया और फिर रसोई से जाहिरा उसकी लिए चाय लेकर आ गई और उसके पास ही बैठ गई।

अब टेबल पर बैठ हुए वो दोनों मेरे सामने दिख रहे थे। फैजान- आओ तुम भी नाश्ता कर लो.. जाहिरा- नहीं.. आप कर लो.. मैं भाभी के साथ कर लूँगी.. फैजान- अपना यह टॉप तो नीचे करो थोड़ा..

जाहिरा- शरम करो भाई.. भाई तो अपनी बहनों के जिस्म ढकने के लिए कहते हैं.. और आप हो कि मुझे अपना जिस्म एक्सपोज़ करने के लिए कह रहे हो?

फैजान मुस्कराया और खुद ही हाथ आगे बढ़ा कर उसके कन्धों से उसके टॉप की डोरी को नीचे खींचते हुए उसकी चूची को नंगा करते हुए बोला- तेरे जैसी गर्म बहन हो.. तो भाई खुद ही बहनचोद बन जाता है डार्लिंग..

जाहिरा हँसने लगी और बोली- भाई जल्दी से नाश्ता करो और चाय पी कर निकलो.. आपको बहुत देर हो गई है! फैजान- लेकिन आज तो मैं चाय नहीं दूध पीऊँगा.. जाहिरा- तो जाओ अन्दर जाकर पी आओ.. भाभी अन्दर ही हैं.. फैजान- लेकिन मैं तो आज तेरी इन चूचियों का दूध पीऊँगा..

फैजान ने जाहिरा की चूची से खेलते हुए कहा और फिर झुक कर अपनी बहन की चूची के निप्पल को अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगा। जाहिरा ने उसके बालों में हाथ फेरा और फिर बोली- आह्ह.. बस करो.. भाई क्या आपने एक ही दिन में सारे के सारे मजे लूट लेना हैं..

आप सब इस कहानी के बारे में अपने ख्यालात इस कहानी के सम्पादक की ईमेल तक भेज सकते हैं। अभी वाकिया बदस्तूर है। [email protected]

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