हस्पताल में लगवाए दो दो टीके- 1

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न्यू अन्तर्वासना कहानी में पढ़ें कि मेरी सास को अस्पताल में दाखिल होना पड़ा और मैं उनकी सेवा के लिए रात को वहीं रुकती. ऐसे में मेरी चूत लंड लंड पुकार रही थी.

यह कहानी सेक्सी आवाज में सुन कर मजा उठायें.

दोस्तो, मैं आपकी प्यारी कोमल भाभी, आपकी सेवा में फिर से अपनी चुदाई की एक और न्यू अन्तर्वासना कहानी लेकर हाजिर हूँ. आपने मेरी पिछली कहानी ऑटो ड्राइवर ने सारी रात चोदा को बहुत पसंद किया.

दोस्तो, आप मेरे बारे में तो जानते ही हो, मेरे पति आर्मी में हैं और मैं जालंधर के पास ही एक गाँव में अपने सास-ससुर के साथ रहती हूँ. मैं इतनी सुंदर, सेक्सी और हॉट दिखती हूँ कि आस पड़ोस के सारे मर्द (जवान और बूढ़े) मुझे चोदने के लिए बेकरार हैं.

मेरे गोल मटोल मोटे मोटे और कसे हुए मम्मे (बूब्स) दबाने के लिए हर जवान और बूढ़े के हाथ मचलते हैं. और मेरे गोल मटोल चूतड़ और मदमस्त गांड में हर मर्द अपना फनफनाता लंड पेलना चाहता है. मेरे लंबे काले गांड तक लहराते मेरे खूबसूरत बालों की पोनी को पकड़ कर हर कोई मुझे घोड़ी बना कर मेरी सवारी करना चाहता है.

ऐसा मैं नहीं कहती, यह सब तो उन मर्दों की आँखों में पढ़ लेती हूँ, जो मुझे घूर घूर कर अपने लंड को हाथ से दबाने लगते हैं.

मुझे भी यह सब देखकर बहुत मज़ा आता है और मन ही मन मैं उनके लंड की तस्वीर अपने दिल में बना लेती हूँ. मुझे भी अलग अलग लौड़ों से अपनी फुद्दी (चूत) चुदवाने में बहुत मज़ा आता है और अब तक बहुत सारे मर्दों ने मेरी फुद्दी और गांड की ताबड़तोड़ चुदाई भी की है.

अब मैं अपनी न्यू अन्तर्वासना कहानी मतलब चुदाई के किस्से पर आती हूँ.

यह बात तब की है जब मेरी सासू माँ बहुत बीमार थी. उनको जालंधर के ही एक निजी हस्पताल में दाखिल करवाना पड़ा. इसलिए मुझे भी सासू माँ के साथ ही हस्पताल में रुकना पड़ा.

दिन में तो ससुर जी भी साथ ही थे, मगर रात को उनका रुकना ज़रूरी नहीं था. इसलिए मैं अकेली ही सासू माँ के साथ रुक गयी.

हम अलग कमरे में थे, मुझे दवाइयाँ लेने के लिए नीचे मेडिकल स्टोर में जाना पड़ता था.

मेरा हॉट और सेक्सी बदन देखकर बहुत सारे मर्द मुझे घूर घूर कर देख रहे थे. कुछ एक दो ने तो आँख भी मारी.

मैं मन में बहुत खुश हो रही थी कि आज रात को मेरी फुद्दी पेलने वाला कोई ना कोई लंड मुझे मिल ही जाएगा. क्योंकि सासू माँ तो ज़्यादातर दवाइयों के कारण बेहोशी की हालत मैं ही सोती रहती थी. रात को दवाई खाने के बाद वो पूरी रात सोती थी.

खैर, मैं दवाइयाँ लेने नीचे गयी तो खिड़की पर बहुत सारे लोग खड़े थे क्योंकि हसपताल के अंदर वो एक ही स्टोर था और आस पास भी कोई स्टोर नहीं था.

मैं वहीं एक साइड में खड़ी हो गयी.

तभी मेरे सामने खड़े एक लड़के ने मुझे देखा और उसने मुझे आगे आ जाने के लिए कहा. मैं उसके आगे आ गयी और वो मेरे पीछे खड़ा हो गया.

मगर अभी भी बहुत सारे लोग मेरे आगे खड़े थे. मेरे पीछे वाला लड़का कभी कभी मेरे साथ टच हो जाता, मगर मुझे कोई दिक्कत नहीं थी. बल्कि मैं तो चाहती थी कि वो मुझसे अच्छी तरह से टच हो जाए क्योंकि वो दिखने में काफ़ी हेंड्सॅम और जवान था.

मेरी साइड पर खड़े एक बूढ़े की कोहनी मेरे पेट के साथ छू रही थी, और वो बड़ा ही अनजान बनने का नाटक करते हुए मेरे बूब्स को छूने की कोशिश कर रहा था. मैं भी चुपचाप उसकी इस हरकत को देखे जा रही थी.

फिर एक बार उसने अपनी जेब से कुछ निकालने के बहाने मेरे बूब्स पर अपनी कोहनी रगड़ ही दी.

बूढ़े को पता नहीं कितना मज़ा आया होगा मेरे बूब्स के साथ अपनी कोहनी रगड़ कर!

फिर मैंने बूढ़े को थोड़ा और मज़ा देने के बारे में सोचा. मैं भी अनजान बनते हुए उस बूढ़े की तरफ और सरक गयी और खुद ही अपने बूब्स को उसके कंधे से रगड़ दिया.

इससे बूढ़े की धड़कन तेज हो गयी, उसके शरीर में जैसे करंट दौड़ने लगा हो! उसके हाथ मुझे छूने के लिए मचलने लगे थे. और लोगों की हिलजुल में उसकी उंगलियाँ मेरी जाँघ को छूने भी लगी थी.

मुझे भी अच्छा लग रहा था क्योंकि पीछे वाला लड़का भी अब मेरे चूतड़ों को धक्का लगा रहा था. अब मेरी न्यू अन्तर्वासना कहानी बनने ही वाली थी. और कभी कभी तो अपने हाथ से मेरी कमर को टच कर रहा था.

मैंने उसकी तरफ मुस्कराते हुए पीछे देखा और फिर से आगे की तरफ देखने लगी.

वो समझ गया था कि मेरी तरफ से हरी झंडी है.

अब तक उस लड़के के पीछे भी और लोग खड़े हो चुके थे. जिनके धक्कों का फ़ायदा उठाते हुए उसने मेरी गांड से अपने लंड को अच्छे से सटा लिया.

उधर बूढ़ा भी मेरी जाँघ पर अपना हाथ लगा लगा कर यह देखने की कोशिश कर रहा था कि कहीं मैं उसका विरोध तो नहीं करती.

मगर मैंने उसे भी ग्रीन सिग्नल देने के लिए थोड़ी देर के लिए अपना हाथ उसके कंधे पर रखा और फिर से उठा लिया.

बूढ़े को अभी भी अपनी किस्मत पर विश्वास नहीं हो रहा था. उसने फिर से डरते हुए मेरी जाँघ पर अपना हाथ रखा और बिना हिलजुल किए हाथ वहीं रहने दिया.

मैं बिना कुछ किए चुपचाप खड़ी रही.

बूढ़े का हौसला बढ़ रहा था. उसने धीरे धीरे मेरी जाँघ पर हाथ रगड़ना शुरू किया, मुझे मज़ा आ रहा था.

वो लड़का भी पीछे से अपने लंड का कमाल दिखाने लगा था. उसका सख्त लंड मुझे अपनी गांड की दरार के बीच रगड़ता हुआ महसूस हो रहा था. मैं भी कभी कभार हिलजुल कर उसके लंड का मज़ा ले रही थी. मगर फिर भी वो बड़ी सावधानी से अपने लंड को मेरे चूतड़ों के बीच सैट कर रहा था.

बूढ़े के हाथ ने भी अब तेज़ी पकड़ ली थी. उसने एक बार तो मेरी जाँघ को अपने हाथ में भींच लिया और फिर उसका हाथ मेरी जाँघ से उपर की तरफ बढ़ने लगा.

उसका हाथ जल्दी ही मेरी फुद्दी के आस पास की जगह तक पहुँच गया.

दो-दो मर्द मुझे आगे पीछे से गर्म करने में लगे हुए थे.

मन तो मेरा कर रहा था कि लपक कर उन दोनों के लंड पकड़ लूँ और उनको एक साथ फुद्दी और गांड में डाल लूँ.

मगर फिर भी मैंने अपने आप पर कंट्रोल बनाए रखा और वो दोनों मेरे जिस्म से खेलते रहे.

अब तक मैं और वो बूढ़ा खिड़की के पास पहुँच गये थे. खिड़की के सामने जाते ही बूढ़े ने अपना हाथ पीछे खींच लिया,.

दवाई लेकर मैं वहाँ से बाहर निकली तो वो बूढ़ा भी मेरे साथ ही बाहर आ गया और मुझसे बात करने लगा. कि कहाँ से आई हो, क्या करती हो, किस के साथ हो, वगेरह वगेरह.

उसने कुछ अपने बारे में भी बताया.

उसके बाद बूढ़े ने मेरा फोन नंबर लिया और हम दोनों एक स्माइल के साथ अलग हो गये.

मैं अपने रूम में चली आई और वो किसी और वार्ड में चला गया,

अपने रूम में आकर मैं बैठ गयी और थोड़ा सा दरवाजा खुला रहने दिया. क्योंकि मैं जानती थी कि वो लड़का भी मुझे ढूँढते हुए जरूर आएगा.

उसी दौरान बूढ़े का फोन भी आ गया और मैं उससे बात करने लगी.

वो मेरे हुस्न और बदन की तारीफ करने लगा, पूछने लगा कि अपनी फुद्दी के दर्शन कब करवा रही हो. मगर मैंने उसे मना करते हुए कहा- आज तो नहीं … फिर किसी दिन किसी रूम का इंतज़ाम कर लेना और मेरी फुद्दी के साथ जितना मर्ज़ी खेल कूद कर लेना!

इस बात पर वो बूढ़ा मान तो गया, मगर अपनी फुद्दी की तस्वीरें दिखाने के लिए कहने लगा.

मगर तभी रूम के बाहर वो लड़का भी मंडराने लगा और मुझे बाहर बुलाने के इशारे करने लगा.

मैंने बूढ़े से बाद में बात करने के लिए कहा और बाहर चली गयी. मैं उस लड़के से बात करने लगी. उसने भी मेरा नंबर लिया और फिर चला गया.

फिर वो मेरे साथ चैट करने लगा और वो भी मुझे बाहर मिलने के लिए बोलने लगा. मगर मैं सासू माँ को छोड़ कर बाहर रात नहीं बिता सकती थी इसलिए मैंने उसे बाहर जाने के लिए मना कर दिया और फिर किसी दिन मिलने को कहा.

मगर वो बहुत ज़िद करने लगा और बोला- चाहे थोड़ी देर के लिए ही मिल लो! मन तो मेरा भी कर रहा था मिलने के लिए! और चुत में खुजली भी बहुत हो रही थी.

मैंने सासू माँ की तरफ देखा तो वो बेहोशी की हालत में ही सो रही थी. बस कभी कभी बेहोशी में ही हाथ पावं हिला देती और कुछ बड़बड़ा देती.

अभी रात के 10 बजे थे और सासू माँ को लगाया हुआ ड्रिप भी ख़त्म होने वाला था.

मुझे पता था कि अभी एक दो बार नर्स सासू माँ का ड्रिप बदलने और दवाई देने के लिए आएगी. उसके बाद 2-3 घंटे तक रूम में कोई नहीं आएगा.

मैंने उस लड़के को सारी बात समझाई और कुछ देर के बाद कमरे में बुलाने के लिए कहा.

करीब 11 बजे तक नर्स ने सासू माँ की ड्रिप उतार दी और दवाइयाँ भी दे दी.

फिर भी मैंने नर्स से पूछा- अगर अब कोई और दवाई नहीं देनी तो मैं दरवाजा अंदर से बंद करके सो जाऊँ? तो वो बोली- अब कोई दवाई नहीं देनी है, आप सो जाओ. अगर कोई दिक्कत होती है तो हमें बता देना. और फिर वो नर्स चली गयी.

नर्स के जाने के 10 मिनट बाद ही मैंने उस लड़के को अपने रूम में बुला लिया. सासू माँ को कुछ भी पता नहीं था.

मैंने रूम को अंदर से बंद कर दिया और लाइट भी बंद कर दी.

तो दोस्तो, आपको मेरा यह चुदाई का किस्सा, न्यू अन्तर्वासना कहानी कैसा लग रही है? मुझे ज़रूर बताना! मेरी मेल आइडी है [email protected]

न्यू अन्तर्वासना कहानी का अगला भाग: हस्पताल में लगवाए दो दो टीके- 2

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