सुधा के साथ वो रात

नमस्ते दोस्तो, अन्तर्वासना पर आती हर एक कहानी मैं हर रोज पढ़ता हूँ। और आज मैं आप लोगों को अपनी एक कहानी बताने जा रहा हूँ। मेरा नाम आर्यन है, मैं गुजरात का रहने वाला हूँ।

बात उन दिनों की है जब मैं 12वीं पास करके कॉलेज करने गया था।

हमारा कॉलेज नया था इसलिए कॉलेज एक स्कूल में चल रहा था, यह दो मंजिल का स्कूल था और वो कुछ O आकार का था। और तो और यहाँ स्कूल में ही हॉस्टल था लेकिन हॉस्टल के सिर्फ दो ही हाल थे, एक लड़कियों का और एक लड़कों का…

यहाँ पर 12 लड़कियाँ और 10 लड़के थे, और एक रूम में सर और उनकी पत्नी यहाँ हमारी देखरेख और खाने पीने का ध्यान रखते थे यानि लड़कियों को सर की पत्नी और लड़कों को सर देखते थे।

लड़कों का हाल दूसरी मंजिल पर कोने में था और लड़कियों का हाल नीचे सामने वाले कोने पर था और वहाँ पास में ही सर का रूम था।

हमारे हॉस्टल में एक लड़की थी उस नाम सुधा था। सुधा एक खूबसूरत लड़की थी, उसकी फिगर 34-26-36 थी।

उसके दूध देखते ही सब लड़के लोगों का लंड खड़ा हो जाता था। पर सुधा का केरेक्टर थोड़ा चालू था, वो जब भी नहाने आती तो वो जोर जोर से दूसरी लड़कियों के साथ बातें किया करती थी।

लड़कियों का बाथरूम हमारे हाल की खिड़की के पीछे था, वो नहाने आती तो सबको पता चल जाता था।

एक दिन हमारे हाल के सब लड़के बाहर थे, मैं हाल में था।

सुधा नहाने आई और मैं खिड़की के पास जाकर झांकने लगा।

वो नहा रही थी और वो तौलिया बाहर भूल गई, वो सिर्फ नीचे की लेगी पहन के बाहर निकली, तौलिया लिया, फिर उसने ऊपर खिड़की की ओर देखा.

तब मैं उसके चूचे देख रहा था और वो मुझे देख कर शरमा गई और वापस अन्दर बाथरूम में चली गई।

मैं तब भी वहाँ खड़ा होकर ये देख रहा था और वो जब बाहर निकली तो उसने ऊपर देखा, मैंने स्माइल दी तो वो भी स्माइल देकर चली गई।

उसके चूचों ने तो मेरे लंड को खड़ा ही कर दिया था, मैंने उसके नाम की मुट्ठ मारी। तभी मन में सोच लिया इसे मैं चोद के ही रहूँगा।

फिर भगवान को प्राथना करने लगा- प्लीज सिर्फ़ एक बार मुझे अकेले में इससे मिला दे।

लगभग 15 दिन के बाद हमारे हॉस्टल में किसी त्योहार की वजह से दस दिन की छुटी मिली, हम लोग घर चले गए।

छुट्टियाँ ख़त्म हो गई, मैं वापस कॉलेज जाने के लिए घर से निकल पड़ा और कॉलेज पहुँचा तो देखा कि सिर्फ सुधा ही थी, और कोई नहीं आया था, सर और उनकी पत्नी भी नहीं आए थे, इसलिए हॉस्टल भी बंद था।

तब मुझे आते देख कर सुधा ने आवाज दी- आर्यन…!!

मैं खुश हो गया।

वो बोली- कोई नहीं आया, सर भी नहीं आए… प्लीज तुम सर को फोन करो और पूछो कि कब आ रहे हैं।

मैं भगवान से प्राथना करने लगा कि ‘आज कोई न आए।’ फिर मैंने थोड़ी दूर जाकर सर को फ़ोन लगाया।

सर- हेलो… मैं- सर आप कब कॉलेज आ रहे हो? सर- मैं कल सुबह दस बजे तक आ जाऊँगा। मैं- ओके सर!

मैंने फ़ोन रख दिया।

सुधा ने मुझसे पूछा- कब आ रहे हैं? मैंने बोला- आज तो नहीं पर कल सुबह दस बजे आयेंगे। सुधा- मैं घर भी नहीं जा सकती!

मैं- क्यों नहीं जा सकती? सुधा- बुद्धू, पौने चार हो गए हैं, कौन सी बस मिलेगी? मैं फट से बोला- सेम टू यार, मैं भी नहीं जा सकता!

सुधा- तो क्या आज सिर्फ हम दोनों ही अकेले ही रहेंगे? मैं- हाँ सिर्फ हम दोनो ही रहेंगे!

मैंने पूछा- डर लग रहा है? सुधा- नहीं यार! मैं- टेन्शन मत लो, मैं हूँ ना, चलो हम ऊपर जाते हैं। सुधा- क्यों ऊपर? मैं- चलो न, मैं बाद में बताता हूँ।

फिर मैंने उसका बैग लिया और उसका हाथ पकड़ के ऊपर ले गया।

फिर हम दोनों ने सामान रखा और फिर हम दोनों एक दूसरे के पास बैठ कर बातें करने लगे, वो थोड़ा डर रही थी। मैंने बोला- चिंता मत करो, मैं तेरा जबर चोदन नहीं करूँगा!

तभी वो बोली- इसी बात का तो डर है, नहीं करोगे? और तुम बहुत ही गंदे हो, तुम मुझे नहाते देखा रहे थे उस दिन!

मैंने कहा- आँखें देखने के लिए तो हैं। फिर क्या… वो अपनी औकात पर आ ही गई और बोली- तो क्या हाथ छूने के लिए दिए? मैं बोला- हाँ बिल्कुल!

फिर मैंने देर न की और उसका मुँह पकड़ के लिप-किस कर ही दी, वो भी मजे से मेरा साथ देने लगी।

मैंने दस मिनट तक लिप किस किया और तब मैंने अपना एक हाथ उसके ड्रेस के अंदर डाल दिया और जोर जोर से उसके चूचे दबाने लगा.

वो सिसकारियाँ ले रही थी.

तभी मैंने उसे वहाँ नीचे लिटा दिया और ऊपर का ड्रेस का टॉप निकाल दिया और ब्रा भी निकाल दी. साथ में मैंने अपनी शर्ट भी निकाल दी और फिर उसके ऊपर टूट पड़ा, पूरे गले पर, कंधे और पेट पर खूब चाटा।

फिर उसने बोला- मेरे बॉल चूसो ना!

मैं उसके चूचे चूसने लगा।

मैंने उसका नाड़ा खोल कर उसका पायजामा निकाल दिया, फिर मैंने अपनी पैंट भी निकाल दी और वो मेरे लंड को देख कर बोली- वाह, आज तो मजा आ जायेगा।

वो मेरे लण्ड को पकड़ के मुँह में लेकर चूसने लगी जैसे लोलीपोप चूस रही हो।

मैंने 15 मिनट तक चूसने दिया, फिर मैं 69 पोजीशन में आ गया और मैंने उसकी टाँगें चौड़ी की और उसकी चूत को चाटने लगा।

करीब आधे गंटे तक हमने यह किया, फिर मैंने उसे लिटाया और टांगें चौड़ी की और मैंने लंड को उसकी चूत पे सेट किया और जोर का झटका मारा पूरी ताकत से और पूरा लंड सिर्फ एक ही बार में उसकी चूत फाड़ के अंदर बच्चेदानी से जाकर टकराया।

और वो जोर से चिल्लाई, वो मुझे गाली देने लगी- साले मादरचोद धीरे धीरे धीरे डाल लंड… मैं सात महीनों से नही चुदी हूँ।

फिर उसका दर्द कम हुआ और मैंने फिर से लंड पूरा निकाला और फिर से एक ही झटके में उसकी चूत में डाल दिया। इस बार वो थोड़ा कम चिल्लाई। फिर मैंने झटके देना शुरू किया और मैंने अपनी धीरे धीरे स्पीड बढ़ा दी।

वो मुझे ‘मादरचोद चोद मुझे… चोद… और कई गालियाँ दे रही थी और साथ में ‘आ आह आई आ ईईईई…’ तरह तरह की लगातार आवाज निकालती जा रही थी। उसकी गालियाँ सुन कर मुझे जोश आया और मैंने जोर जोर से उसे चोदा, जोर जोर से झटके मारे, वो इतनी देर में कई बार झड़ चुकी थी। फिर अब मैं भी झड़ने वाला था, मैंने स्पीड और बढ़ा दी और फिर मैंने लंड निकाल कर उसके मुँह में पूरा घुसेड़ दिया।

वो लेटी हुई थी और मैं ऊपर से लण्ड के झटके उसके मुँह में मारने लगा।

वो ‘उफ़ उम्म… उफ़…’ करके लण्ड निकालने को बोल रही थी पर मेरे ऊपर भूत सवार था, जब तक मैं नहीं झड़ा, तब तक लंड नहीं निकाला और मेरे वीर्य से उसका पूरा मुँह भर गया, वो पी गई और हमने देखा कि रात हो गई है।

फिर मैंने बोला- मैं रूम का लॉक तोड़ता हूँ और हम पूरी रात अंदर चुदाई करेंगे।

वो खुश हो गई। फिर मैं नीचे ग्राउंड में जाकर बड़ा पत्थर ले आया और लॉक पर मारा तो लॉक टूट गया फिर हम अंदर गए। मैंने बेड ठीक किया और वहाँ हम दोनों लेट गए। उसने बोला- मुझे भूख लगी है।

मैं बोला- तुम रुको, मैं बाहर जाकर खाने के लिये कुछ ले आता हूँ। तभी उसने बोला- मेरे लिए इ-पिल ले आना मेडिकल से और तू अपने लिए वियेग्रा गोली लाना। मैं बोला- मुझे नहीं चाहिये!

वो बोली- मुझे पूरी रात चुदाना है, और तुम्हारे लंड को अब कल सुबह ही आराम मिलेगा। मैंने बोला- ठीक है।

बाकी की बात अगली कहानी में कहूँगा। दोस्तो, आपको कैसी लगी मेरी कहानी, जरूर बताना, मेल करना! [email protected]