चॉकलेटी चूत वाली आंटी की चुदाई

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यह कहानी आज से कुछ महीने पहले की है.. बात कुछ ऐसी है कि मैं रोज़ जब भी घर से निकल कर अपने जॉब पर जाता हूँ.. तो मेरे घर के थोड़ा फासले पर एक स्कूल है.. वहीं से होकर मेरा रोज़ आना-जाना रहता है।

जैसे ही में स्कूल के पास पहुँचता हूँ.. तो एक आंटी अपने बच्चे को स्कूल छोड़ने आती हैं और तकरीबन रोज़ ही मेरा और उनका आमना-सामना हो जाता था और हम दोनों एक दूसरे के चेहरे को देखते थे।

वो अक्सर मुझे देख कर मुस्कान भी देती थीं। वो स्कूटी से आती थीं और जब वो गाड़ी खड़ी करके अपने बच्चे को स्कूल में अन्दर ले जाती थीं.. तो मैं वहीं पर खड़े होकर उनका इन्तजार करता रहता।

इस तरह कई दिन ऐसे ही गुज़र गए.. मुझे आंटी की गाण्ड देखने में बहुत मज़ा आता था। आंटी की उठी हुई बड़ी सी गाण्ड बड़ी मस्त लगती थी.. और उनके मम्मे भी बड़े-बड़े थे।

मैं उनको कई बार प्यासी नजरों से देखता था.. मुझे वो एक बहुत ही मस्त चोदने लायक माल नजर आती थीं।

जब मेरा लौड़ा खड़ा हो जाता तो मैं उनको चोदने का प्लान बनाने लगता.. और अब तो मैं रोज़ ही उनके आने से पहले ही स्कूल के पास पहुँच कर उनका इन्तजार करने लगा था।

कई बार मैंने उनसे बात करनी चाही.. लेकिन मेरी फटती थी.. हिम्मत नहीं होती थी।

फिर एक दिन मैंने हिम्मत की कि आज उनसे कुछ बात जरूर करूँगा.. सो मैं अच्छी तरह तैयार होकर स्कूल के पास जाकर खड़ा हो गया और उनका इन्तजार करने लगा।

ठीक समय पर जैसे ही आंटी आईं.. तो मैं उनको घूर-घूर कर देखने लगा.. वो मुझे कातिल नजरों से देखती हुई अन्दर चली गईं.. कुछ ही पलों में वो अपने बच्चे को स्कूल में छोड़ कर वापस आईं और अपनी स्कूटी स्टार्ट करने लगीं.. लेकिन कई बार किक मारने के बाद भी उनकी स्कूटी स्टार्ट नहीं हो रही थी। फिर आंटी थक कर इधर-उधर देखने लगीं और फिर उन्होंने मुझे आने का इशारा किया।

मैं- क्या हुआ आंटी? आंटी: पता नहीं.. क्यों गाड़ी स्टार्ट नहीं हो रही है ज़रा तुम देखो.. मैं- ओके..

मैंने अच्छी तरह गाड़ी के प्लग को साफ़ किया और फिर किक मारी.. चोक भी दिया.. मगर गाड़ी स्टार्ट नहीं हुई।

फिर मैंने पूछा- आप कहाँ रहती हो? वो बोली- मैं कैम्प में रहती हूँ..

मुझे मालूम था कि कैम्प इधर से काफी दूर है.. तो मैंने उनसे कहा- आप आओ.. मेरा घर पास में ही है.. आप वहीं रुक जाओ.. मैं आपकी गाड़ी गैरेज से ठीक करवा कर ला देता हूँ। तो वो बोलीं- ठीक है।

फिर गाड़ी को साइड में खड़ी करके मैं आंटी को ले कर अपने घर ले आया और उन्हें अपनी मम्मी से मिलवाया। ‘मम्मी.. ये मेरे फ्रेंड की मम्मी हैं।’ मैंने झूठ बोल दिया और आंटी ने मुझे देख कर बस एक कंटीली मुस्कान दे कर रह गईं।

फिर मैं उनकी गाड़ी गैरेज में ले गया और उधर मिस्त्री ने चैक किया और बताया- इंजिन में कोई प्रॉब्लम है इसमें समय लगेगा.. आज नहीं हो पाएगा..

मैंने घर जाकर आंटी को बताया, वो बोलीं- ठीक है.. मम्मी ने कहा- जा.. आंटी को उनके घर ड्राप कर दे।

मैंने अपनी बाइक पर आंटी को बिठाया और उनके घर की तरफ चल दिया। रास्ते में आंटी बार-बार अपने मम्मों को मेरी पीठ पर टच कर रही थीं। मुझे उनके दूधों के टकराव से बहुत मज़ा आ रहा था। घर पहुँच कर आंटी ने मुझे चाय ऑफर की.. तो मैं जानबूझ कर नाटक करने लगा।

आंटी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और अन्दर चलने को कहने लगीं, मुझे अन्दर जाना पड़ा.. वैसे मेरा मन तो था ही।

आंटी का घर बहुत बड़ा और बहुत खुबसूरत था.. मैंने उनके घर की तारीफ की.. तो उन्होंने ‘थैंक्स’ कहा और रसोई में चाय लेने चली गईं। मैं एक सोफे पर बैठ गया और जब आंटी चाय लेकर आईं.. तो मैंने पूछा- आंटी घर में आप अकेली रहती हो क्या?

आंटी- हाँ.. ऐसा ही समझो.. मेरे पति हर दूसरे दिन आउट ऑफ़ सिटी जाते हैं वो एक कम्पनी चलाते हैं और इसी वजह से वो अक्सर सिटी से बाहर ही रहते हैं।

जब आंटी ये सब बोल रही थीं.. तब मेरी नजर उनके मम्मों पर टिकी थी.. क्योंकि पहली बार मैं उनके रसीले मम्मों को बहुत पास से देख रहा था। उनके मम्मे बिल्कुल गोल और सख्त थे।

यह बात आंटी ने नोटिस कर ली थी.. फिर वो अपनी चिर-परिचित कटीली मुस्कान देते हुए बोलीं- क्या देख रहे हो? मैं शर्मिन्दा होकर मुस्कराने लगा.. पर आंटी ने फिर पूछा- बताओ न.. क्या देख रहे थे? मैं बोला- जो देखने की चीज थी उसे देख रहा था.. आंटी बोलीं- छूना चाहोगे?

मैंने खुश होकर उनकी जाँघ पर हाथ रख दिया। आंटी ने अपने होंठों को मेरे होंठों पर रख दिया और हम चूमा-चाटी करने लगे.. साथ ही मैं अपना हाथ उनके मम्मों पर रख कर.. उनके मम्मों को जोर-जोर से मसलने लगा।

आंटी अपनी जीभ मेरे मुँह के अन्दर तक घुसेड़ कर चुसवाने लगीं.. और एक हाथ से मेरे लण्ड को मसलने लगीं। मेरा लण्ड जो कि साढ़े सात इंच का है.. वो अकड़ गया और पूरे जोश में आ गया। अब तक मैंने आंटी के सारे कपड़े उतार कर फेंक दिए थे।

वो बोलीं- चलो.. बेडरूम में चलते हैं.. बेडरूम में जाकर आंटी ने मुझसे बोला- एक मिनट इन्तजार करो.. मैं अभी आई.. वो अपनी गाण्ड मटकाती हुई रसोई में चली गईं.. और उधर से चॉकलेट ले आईं। अब उन्होंने अपनी अनुभवी ठरक दिखाई और मुझे पूरा नंगा करके मेरे लण्ड पर आधी चॉकलेट गिराकर चूसने लगीं..

‘याआआ येस्स्स्स..’ यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.. और फिर मैं उनके मुँह में ही झड़ गया और वो मेरे माल की साथ सब चॉकलेट भी चाट गईं.. और फिर वो मुझे उठाकर एक लम्बी चुम्मी करते हुए बेड पर अपनी चूत खोल कर लेट गईं और टाँगें फैला कर अपनी चूत पर चॉकलेट लगाकर मुझे चूत चाटने का कहा..

मैंने उनकी चूत को चाटने के लिए अपना मुँह उधर को बढ़ाया तो उन्होंने मेरा सर अपनी चूत पर रख दिया और मैं खूब जोर-जोर से चूत को चाटने लगा। मैं उनकी ‘जी-स्पॉट’ को जुबान से मसलने लगा।

वो भी मस्त होकर अपनी गाण्ड उठा-उठा कर चूत चुसवाने लगीं और फिर ‘आह्ह्ह…’ करती हुई झड़ गईं.. तो मैंने भी उनका पूरा पानी चाट लिया।

फिर आंटी ने बोला- प्लीज.. अब अपने लण्ड को मेरी चूत में डाल दो.. मैंने अपने लण्ड को उनकी चूत पर रख कर घिसने लगा.. तो वो नागिन की तरह मचलने लगीं और बोलीं- अब डाल भी दो..

मैंने लण्ड को चूत से सटा कर एक झोरदार झटका मारा.. आंटी की चीख निकल गई।

‘आह्हह्ह.. आआअह ह्ह मर गई.. भोसड़ी के.. जरा धीरे से.. तेरा लण्ड है या हथौड़ा.. बहुत तेज धक्का दे दिया.. रे तूने.. हरामी..’

फिर मैं लौड़े को चूत में सैट करके धक्के लगाने लगा और कुछ ही देर में मैं पूरी स्पीड में धक्के मारने लगा।

अब वो भी अब मजे ले कर अपनी गाण्ड उठा-उठा कर चुदवाने लगीं।

वे चुदाई की मस्ती में बोल भी रही थीं- और तेज़.. और तेज़ य्य्य्यीआ.. य्य्य्यीस.. कम ऑन.. फ़क मी हार्ड यययइस..

वे ऐसी कामुक आवाजें निकाल रही थीं.. फिर उन्होंने मुझे नीचे गिरा कर अपनी चूत मेरे लण्ड पर रख कर उछलने लगीं और मैं उनके मम्मों को जो कि बहुत मजे से झूल रहे थे.. पकड़ कर मसलने लगा।

फिर कुछ देर बाद उन्हें मैं डॉगी स्टाइल में चोदने लगा। अब तक आंटी का दो बार पानी निकल चुका था और अब मैं भी झड़ने वाला था। मैंने आंटी से बोला.. तो वो हाँफते हुए उठ कर मेरे लण्ड को मुँह में लेकर चूसने लगीं और बोलती जा रही थीं- आह्ह.. ये लण्ड नहीं हथौड़ा है.. अन्दर सब दीवारें तोड़ दीं इसने..

मैं उनके मुँह में झड़ गया और आंटी ने चाट-चाट कर मेरा लवड़ा चमका दिया। इसके बाद तो आंटी मेरी पक्की चूत की जुगाड़ बन गई थीं.. कुछ समय बाद वे शहर छोड़ कर चली गईं। तो यह थी मेरी सबसे यादगार चुदाई। आप सभी के कमेन्टस का स्वागत है। [email protected]

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