बेवफ़ा शौहर दगाबाज सहेली-2

मैंने एक बार सोचा कि क्यों ना इससे अपनी प्यास बुझा लूँ। मेरे शौहर की बेवफाई ने मुझे पागल कर दिया था, मेरे सर पर गुस्सा और सेक्स एक साथ सवार थे।

जवाब में मैं हल्के से मुस्कुराई।

मेरे अंदर का डर और समझ सब गायब हो चुके थे, मैं बस सेक्स करना चाहती थी… जी भर कर सेक्स, मुझे मेरी योनि में गर्माहट महसूस हो रही थी ऐसा लग रहा था जैसे हजारों चीटियाँ मेरी योनि में काट रही हों।

आसिफ मेरी मनोस्थिति समझ चुका था। वह काउन्टर से अंदर आया और मुझे लगभग पकड़ते हुए बोला- भाभीजान, ऐसा हो जाता है जोश में।

मैं समझ गई वह किस बारे में बात कर रहा था, उसने भी मेरे शौहर और नगमा की रासलीला देख ली थी या फिर शायद वह पहले से ही उनके बारे में जानता हो।

उसका हाथ धीरे धीरे सरक कर मेरे कूल्हों तक जा रहा था। मेरी आँखे बंद होने लगी और मेरे हाथ अनायास ही उसके कंधों पर चले गये।

वह अचानक उठा और एक झटके में दुकान का शटर गिरा दिया। अब मैं समझ गई थी कि क्या होने वाला है और मैं खुद यही चाहती थी।

आसिफ हल्के हल्के दबाव के साथ मेरे उरोज दबाने लगा और मेरे कंधों पर बोसे लेने लगा, मेरी योनि में तो जैसे आग लग रही थी।

मैं हल्के से उसके उसके कान में फुसफुसाई- प्लीज जल्दी से डाल दो।

उसने मुझे कालीन पर लिटाया और मेरी साड़ी जांघ तक ऊपर कर दी और हल्के हल्के चूमने लगा।

‘ऊह ऊह आआआअह् आअह अआसाहा… ओ आः अहह्ह्हा आ आ आह…’ मेरी सिसकारियाँ तेज होने लगी।

जैसे ही वह योनि तक पहुँचा उसने अपनी जीभ योनि में फिराई। मुझे जैसे जन्नत मिल गई और हल्की सी चीख के साथ मेरा सारा पानी बह गया। मैं शांत हो गई थी। और अब मुझे अपनी गलती का आभास हो रहा था।

मैं धीरे से उठने की कोशिश करने लगी और हल्के से गिड़गिड़ाई- प्लीज आसिफ, मुझे छोड़ दो।

पर तब तक शायद देर हो चुकी थी आसिफ अपना 8 इंच का लिंग अपने हाथ में लिए खड़ा था वह झुका और ब्रा खोलकर मेरी चूचियों पर रगड़ने लगा। मैं हल्के से प्रतिवाद करने लगी पर मुझे पता था कि अब काफी देर हो चुकी है।

उसने मेरी टाँगें चौड़ी की और उसके बीच मैं आ गया। मैं हल्की सी उचकी पर उसकी मजबूत बाहों ने मुझे थाम लिया। उसने अपने लिंग को मेरी योनि के मुख पर टिकाया।

‘ठक ठक…’ तभी शटर पर आवाज हुई, हम दोनों अवाक रह गये। आसिफ चुपचाप मेरे ऊपर लेट गया। आवाज एक बार और हुई और फिर बंद हो गई।

‘शायद को सामान खरीदने आया था।’ आसिफ हल्के से बोला। ‘ह्म्म्म…’ मैंने सहमति में सर हिलाया।

अब मेरा भी फिर से सेक्स का मूड हो रहा था। उसने हल्के से लिंग अंदर डाला। ‘आअय्याअ ह्ह्ह आह…’ मेरी सिसकारी निकल गई।

उसने एक बार हल्का सा बाहर निकला और फिर पूरी ताकत के साथ अंदर को धकेल दिया। आआअह उसने अपना हाथ कसकर मेरे मुँह पर रख दिया। मेरा दर्द आँखों के रस्ते छलक पड़ा।

वह कुछ देर तक मेरी चूचियाँ चाटता रहा, मैं समान्य होने लगी, मेरे नितम्ब हल्के हल्के ऊपर की ओर उठने लगे। आसिफ ने हल्के हल्के रफ्तार बढ़ानी शुरू कर दी, मैं बस आँखें बंद कर जन्नत का मजा लेने लगी।

15 मिनट के असीम सुखद पलों के पश्चात् मेरी योनि ने जवाब दे दिया, मैंने योनि से आसिफ़ के लिंग को कसकर जकड़ लिया और टांगों को उचका-उचका कर स्खलित होने लगी।

आसिफ ने अपनी स्पीड बढ़ा दी और 20-25 झटकों के बाद वह मेरी योनि में ही स्खलित हो गया।

हम 5 मिनट तक ऐसे ही लेटे रहे, फ़िर मैंने हल्के से हिलकर आसिफ को उठने का संकेत दिया। पर वह फिर से मेरे उरोज मसलने लगा।

मैं अचानक से उठी और अपने कपड़े व्यवस्थित किये, आसिफ मेरे पीछे से आकर मुझे फिर से चूमने लगा, उसकी नाक से गर्म गर्म सांसें मेरे कंधे पर महसूस हो रही थी।

मैं घूमकर उससे लगभग दर्ख्वास्त करते हुए बोली- प्लीज चले जाओ, मेरे शौहर आते ही होंगे। पर उसने मेरी बात को अनसुना कर दिया और मेरे कूल्हों के बीच दरार ढूंढने लगा।

मैं उसकी मंशा समझ चुकी थी, मैंने झटके से उसे हटाया और शटर की ओर जाने लगीं पर उसने मुझे फिर कसकर पकड़ लिया और मेरी साड़ी ऊपर करने लगा। मैं चिल्ला भी नहीं सकती थी।

उसने मेरी कमर से मुझे पीछे की ओर खींचा जिससे मेरे नितम्ब पीछे को फ़ैल गये, मैं उसपर धीरे से चिल्लाई पर तब तक उसका लिंग मेरे पीछे वाले छेद से छेड़खानी करने लगा।

मैं एकदम से हटने लगी और कसाव के कारण नीचे को झुक गई और हल्के से जमीन पर गिरी।

आसिफ ने तुरंत मेरे नितम्ब फैलाये और लिंग को गुदाद्वार के छेद पर सेट कर एक भरपूर प्रहार किया।

‘आआ आह… आआअह… आह आया यवह आ या अल्लाह…’ मेरी जैसे सांस अटक गई, मैंने अपने दोनों नितम्ब सख्ती से भींच लिए। दर्द चरम पर था पर वह दरिंदों की तरह अंदर घुसाता ही चला गया, वह मेरी बिल्कुल नही सुन रहा था, लगातार उसके झटके तेज हॉट चले गये। ‘आह आह ऊइ आह याह्ह आआ आआआअह…’

मेरा दर्द धीरे धीरे आनन्द में परिवर्तित होने लगा।

15 मिनट बाद उसने अपनी गति बढ़ा दी और जोर की आह आह की आवाज के साथ मेरी गुफा में सारा लावा बहा दिया।

वह तुरंत उठा और अपने कपड़े ठीक कर पैंट में लण्ड को सेट किया ताकि उसका उभार को देख न सके, एक बार फिर मेरी तरफ देखा उसकी आँखों में संतुष्टि के भाव थे, फिर तेज कदमों से शटर खोलकर बाहर निकल गया।

मैं दो मिनट लेटी रही और पूरे घटनाक्रम को फिर से सोचा और फिर उठी और मेरे कूल्हे दर्द कर रहे थे, योनि में भी जलन हो रही थी। कमरे मैं गई और ठंडे पानी से नहाया।

मेरी आँखों में न गलती की परवाह थी ना ही मेरे शौहर की बेवफाई का गम। मेरी आँखों में बस एक ही भाव थे संतुष्टि के भाव।

क्या मैं गलत थी? दोस्तो, मैंने वही किया जो मेरे शौहर ने मेरे साथ किया और आगे भी करूँगी। आपके विचार आमंत्रित हैं। [email protected]