कालू बन गया चोदू-1

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000

दोस्तो, मैं अमित दुबे… आपने मेरी कहानियाँ पढ़ी और पढ़ कर मुझे जो मेल किए उसके लिए मैं दिल से आभारी हूँ।

पर सबसे बड़ा आभारी मैं अन्तर्वासना की सम्पादन टीम का हूँ जिन्होंने मेरी कहानियाँ प्रकाशित की।

दोस्तो, बात बहुत पुरानी है, मेरा चेहरा कुछ लम्बा सा और मैं साँवला सा था, घर में सब मुझे ‘कालू-कालू’ बोलते थे। उस समय मुझे पता नहीं था कि आज का कालू… किसी के धोखे से इतना बड़ा चोदू अमित दुबे बन जायगा।

दोस्तो, बात है गर्मी के मौसम की छुट्टियों में हमारे घर मेरी बुआजी और मामा जी के लड़के लड़कियाँ और हम 3 भाई, कुल मिला कर 8-10 जनों का ग्रुप बन जाता था।

पर दोस्तो, पता नहीं क्यों पर मुझे मेरी बुआजी की ननद की लड़की नेहा का ही इंतजार रहता था, शुरू से ही उसके प्रति एक लगाव सा था और क्यों ना हो, पूरा बचपन साथ खेल कर बीता था, पर जब इस बार वो आई तो पता नहीं क्यों बार बार उसके पास जाने और उसके साथ रहने का मन करता था।

जब हम घर घर खेलते थे तो पता नहीं क्यों… बस उसका नेहा का पति बनने में ही मजा आता था, और उसके हाव-भाव से भी लगता था कि वो भी मेरे साथ अच्छा महसूस करती है।

जब हम सभी आँखों में आँखें डाल कर एक टक देखने वाला खेल खेलते तो मन करता कि बस नेहा की आँखों में देखता ही रहूँ।

मैं उसे साइकल पर बिठा कर पूरे शहर में घूम लेता और मुझे बिल्कुल थकान नहीं होती।

इस तरह छुट्टियाँ बीत जाती और मैं अगली छुट्टियों का इंतजार करने लगता।

हम कभी कभी बीच में किसी पारिवारिक कार्यक्रम में मिलते तो बस एक दूसरे से बात करने में ही पूरा वक्त गुजरता !

दोस्तो, बस यही लगता कि यही लाइफ है, यही सब कुछ है। बस एक ही गाना याद आता कि तेरा साथ है तो मुझे क्या कमी है, अंधेरों से भी मिल रही रोशनी है…

पर धीरे धीरे दोस्तों से और टीवी से पता चलने लगा कि लड़की के होंठ चूसने-चूमने और उसे गले लगाने में आनन्द मिलता है।

और ना चाहते हुए भी मेरा ध्यान उसके उरोज और उसके फिगर पर जाने लगा।

पर मेरे मन में गलत कुछ भी नहीं था क्योंकि बस मैं उसी को अपना मानता था और किसी लड़की पर मरी नजर भी नहीं जाती थी।

पर मुझमें ऐसा कुछ भी खास नहीं था कि नेहा जैसी लड़की मेरी तरफ आकर्षित होती।

हाँ, हम बहुत अच्छे दोस्त थे, वो भी शायद इसलिए क्योंकि मैं उसकी हर बात मानता था।

इस बार गर्मी में सबके बिस्तर छत पर बिछाये गए और किस्मत मेरे साथ थी कि नेहा और हम एक ही बिस्तर पर पास पास सोये।

मेरी तो मानो लॉटरी लग गई, आगे क्या हुआ, फिर कभी पर इस बात में कोई शक नहीं है कि मैं उसे बहुत प्यार करता था।

तो आलम यह था कि नेहा और हम छत पर एक ही बिस्तर पर सोये थे और एसा नहीं था कि इससे पहले हम एक बिस्तर पर ना सोये हों।

कई बार हम एक ही बिस्तर पर सोते थे पर इस बार मेरे मन में एक चोर था इसलिए बस यही सोच रहा था कि क्या किया जाए…

दोस्तो, गाण्ड भी फट रही थी कि कुछ करूँ और ऐसा ना हो कि नेहा जाग जाए।

रात के एक बजे तक मैं जागता रहा और सोचता रहा कि क्या करूँ, कैसे करूँ…

और वो मस्ती से नींद निकाल रही थी।

बीच में एक दो बार मैंने उसके बाल और चेहरे पर प्यार से हाथ लगाया भी… पर इससे ज्यादा कुछ करने की हिम्मत ही नहीं हुई।

पता नहीं कब मेरी आँख लग गई और सुबह हो गई, मुझे बहुत अफ़सोस हुआ कि मैं कुछ नहीं कर पाया।

पर मैंने सोचा कि कल रात कुछ भी हो जाये, मैं अपनी नेहा जान को एक बार उसके होंठ पर चुम्मा तो जरूर दूँगा।

पूरा दिन खेल कूद के बाद जब रात आई और फिर से हम बिस्तर पर आ गए।

मुझे आज भी अच्छे से याद है कि उस दिन नेहा ने एक लेगी और अमरेला फ्राक पहन रखा था।

तो मैंने सोच रखा था कि मैं नेहा के अधरों का रसपान जरूर करुँगा।

जब सब सो गए, उसके बाद मैं नेहा के करीब खिसका और धीरे धीरे उसके होंठों की तरफ बढ़ता गया पर मेरे दिल की धड़कन राजधानी एक्सप्रेस की रफ़्तार से चल रही थी।

क्या अहसास था यार… जब उसकी और मेरी साँस मिली तो जैसे मैं उसकी सांसों में खो सा गया।

पर दोस्तो, कहते हैं ना कभी कभी खड़े लंड पर चोट हो जाती है।

मेरे और उसके होंठ जैसे ही मिलने वाले थे, पता नहीं क्या हुआ, वो एकदम से हिली और मेरी गांड फटी के रह गई।

पर दोस्तो, उसमें थोड़ी सी हलचल हुई और वो पलट कर सो गई।

अब उसकी पीठ मेरी ओर थी और मेरा अपने ऊपर काबू नहीं था।

पहली बार मैंने अपने शरीर में सेक्स की गर्मी महसूस की थी, मेरा मासूम सा कुंवारा लण्ड कड़क हो चुका था।

अब मैंने सोचा कि नेहा के होंठ ना मिलें, ना सही, इसकी पीठ पर ही हाथ लगाया जाए।

मेरे बचकाने मन ने बोला मुझे कि होंठ पर किस करो या नग्न पीठ पर हाथ लगाओ, बात तो बराबर है।

उसकी फ्राक में जो पीठ की ओर चेन थी, मैंने उसे पकड़ा और धीरे धीरे खोलने लगा।

दोस्तो, अब की लाइफ में देखा जाए तो कई लड़कियों के कपड़े पलक झपकते खोल चुका हूँ पर उस टाइम नेहा की फ्राक की चेन खोलने का मजा ही कुछ और था।

मैं बड़ी सावधानी से उसकी चेन नीचे करता जा रहा था।

करीब चौथाई घन्टे की मशक्कत के बाद मैंने चेन पूरी खोल दी।

जब उसकी नग्न पीठ के दर्शन हुए तो मैं देखता रह गया।

नेहा बहुत ही गोरी थी।

फिर मैंने उसकी पीठ पर अच्छे से हाथ फेरा।

दोस्तो, बता नहीं सकता वो अहसास… आज की चुदाई से भी मस्त था क्योंकि उस टाइम पर मेरा किशोर मन चुदाई के बारे में जानता भी नहीं था।

दोस्तो, ऐसे ही वो रात भी गुजर गई, अब मैं दिन में भी कोई मौका नहीं छोड़ता, कभी पति पत्नी के खेल में उसे पकड़ लेता और कभी छुपन छुपाई के खेल में… वो जहाँ जा के छुपती, वहाँ जाकर उससे चिपकने की कोशिश करता।

इस रात मेरे मन में डर नाम की कोई चीज नहीं थी, जैसे ही सब सोए और नेहा को भी नींद लगी, मैंने भी उसी के तकिये पर अपना सर रख लिया और उसकी सासों में खो गया।

जैसे ही अपने होंठ उसकी तरफ बढ़ाए और उसके और मेरे होंठ स्पर्श हुए और ‘ऊऊम्म म्म… म्म… म्मम्म्म्हा…’ क्या अहसास था…

बस मैं उसके होंठ चूसता रहा।

बीच बीच में मैं रुक जाता और उसे साँस लेने देता और फिर उसके होंठ चूसता।

दोस्तो, नेहा करीब 30 दिन मेरे यहाँ रुकी और शायद ही कोई दिन ऐसा गया हो जिस दिन मैंने रात को उसके होंठ ना चुसे हों।

कई बार मैं उसके कपड़े भी इधर उधर कर देता।

इससे ज्यादा क्या करते हैं, इसकी समझ तो मुझे थी नहीं !

तो आज मैं अपनी कलम को यहीं विराम देता हूँ।

आप कहानी के अगले भाग का इंतजार करें और मुझे मेल करते रहें।

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000