मेरे ससुर ने मुझे चोदा-6

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प्रेषिका : रत्ना शर्मा सम्पादक : जूजाजी

‘रत्ना रंडी.. मेरी जान तूने अपने ससुर का लंड बहुत बार लिया है.. रंडी बता और किस-किस का लंड अपनी चूत में खाया है। रत्ना मादरचोदी बहुत सती सावित्री बनती है तू घूँघट निकालती है रण्डी.. साली सब मोहल्ले की गाँव की औरतें तुझे सीधी समझती हैं और तू रंडी साली एक बहुत ही चुदासी औरत है। तू और तेरी चूत आह.. ओह्ह..ले..’

‘सुरेश जी.. आह.. ऐसी बातें मत कीजिए प्लीज़.. मेरी चूत में खुजली हो रही है…’

‘अहह.. ओह्ह रत्ना आह मेरी रंडी.. आह आह ले मेरा लंड अब तुझे मैं रोज चोदूँगा।’

‘हाँ.. सुरेश आहह हाँ.. रोज चुदवाऊँगी.. बस अहह.. बहुत मज़ा आ रहा है आह..’

सुरेश ने मुझे लगभग 20 मिनट तक धकापेल चोदा।

‘आह रंडी रत्ना.. मेरा..पानी निकलने वाला है किधर निकालूँ?’

‘आह मेरे बोबों पर आह..’

‘आह.. ले आज उउउमा ले आह ले आह…’

सुरेश और मैं दोनों ही झड़ गए और एक-दूसरे के ऊपर निढाल होकर लेट गए।

‘आह रत्ना बहुत खुश कर दिया तूने..’

फिर मैं भी उठ गई।

‘सुरेश जी मुझे बहुत देर हो गई, घर जाना है.. नहीं तो बाबू जी को मुझ पे शक हो जाएगा कि मैंने आपके साथ कुछ किया होगा तो देर हो गई है।’

‘अरे कुछ नहीं कहेगा तेरा ससुर.. बस तुझे चोदेगा और क्या.. मेरी रंडी।’

‘क्या सुरेश जी अब तो मुझे रंडी मत बोलो ना.. आपने जो बोला वो मैंने किया। अब तो कुछ नहीं कहोगे ना मेरे पति को प्लीज़?’

‘हाँ.. नहीं कहूँगा.. लेकिन मैं जब भी बोलू तब मुझसे चुदाई करवानी होगी।’

‘हाँ.. ठीक है मैं आ जाऊँगी.. बस अब जाऊँ?’

‘नहीं.. अभी एक राउंड और चोदूँगा।’

यह कर सुरेश ने मेरे पपीतों को जोर से अपने मुँह में भर लिया।

‘आह प्लीज़.. आराम से.. आह बोबों को काटो मत ना.. अभी घर जाऊँगी तो मेरे ससुर जी इन मम्मों को कटा हुआ देख कर मुझसे हजार सवाल पूछेंगे।’

अभी हम अपनी चुदाई में ही लगे थे कि मेरे ससुर मुझे ढूँढ़ते हुए यहाँ आ गए और खिड़की से हमको चुदाई करते हुए देख लिया। वे एकदम से अन्दर आ गए।

‘ओह्ह सुरेश तुम बहुत बदमाश हो, तुमने मेरी बहू को खराब कर दिया।’

‘साले बालू तुम भी तो पापी हो, मेरी रानी को उसके पति के होते हुए चोदते हो।’

मेरे ससुर जी चुप हो गए और सुरेश भी चुप हो गया।

फिर अचानक सुरेश मुझसे मुखातिब होकर बोला- साली तू पापिन है, तू ही अपने ससुर और पति के दोस्त के साथ चुदाई कर रही हो?

‘मैं क्या करूँ.. इसमें मेरा क्या कसूर? जब मेरा पति मेरी चूत का ख्याल नहीं रखता तो और नहीं चोदता है, तो दूसरे तो चोदेंगे ही ना मुझे.. मैं ही ऐसी तो वो क्या करें।’

मेरी बात सुनकर वे दोनों हँसने लगे।

सुरेश ने अपना लंड हवा में लहराया और कहा- ले चूस मेरा लंड रत्ना..

मैं भी अपने चूतड़ मटकाती हुई गई और सुरेश के लौड़े को अपने मुँह में ले लिया।

‘आहहह मुआ उमाम्मा आह.. अब चल दीवार के सहारे खड़ी हो जा.. आईने के सामने चल रत्ना।’

‘आह्ह मार क्यों रहे हो.. प्लीज़ दर्द होता है।’

सुरेश ने मुझे दीवार के सहारे खड़ा करके मेरी चुदाई शुरू कर दी।

‘वाह मेरी बहू रानी.. मैं सोच रहा हूँ वहाँ सुरेश के घर पर खाना खा रही होगी तू यहाँ उल्टा सुरेश को खाना और दुद्दू पिला रही है। अब बहू मैं भी आ गया हूँ ना तुझे और तेरी लेने। बहू क्या मस्त लग रही है मेरी जान।’

‘हाँ.. बाबू जी आपकी बहू तो बहुत हो सेक्सी माल है बिल्कुल एक रंडी है इसको आज हम दोनों चोदते हैं..’

‘हाँ सुरेश मैंने भी एक बार सोचा कि बहू को दो लौड़ों से चुदवाऊँ.. आज वो आस भी पूरी हो जाएगी।’

दोनों भूखे कुत्ते की तरह मुझ पर टूट पड़े।

‘आहझहह बाबू जी… आह बाबू जी।’

‘नहीं बालू बोल बहू रानी।’

‘आह सुरेश प्लीज़ धीरे ना.. तुम तो दो बार चुदाई कर चुके हो ना..’

‘आह रत्ना रंडी.. लेकिन तू है ही ऐसी चीज़ कि छोड़ने का बिल्कुल मन नहीं करता। आज रात तेरी सुहागरात है रत्ना!’

‘हाँ.. बहू रानी आह ओह्ह..’

एक ने मेरी गाण्ड में और दूसरे ने मेरी चूत में अपने-अपने लौड़े पेल दिए।

दोनों ज़ोर-ज़ोर से मेरी चुदाई करने लगे।

उस रात में 5 बार दोनों ने मिल कर मेरी चुदाई की।

चुदाई के बाद हम तीनों ऐसे नंगे ही सुरेश के घर पर सो गए। सुबह मेरी 7 बजे नींद खुली, वो दोनों अभी तक सो ही रहे थे। मैं उठ कर फ्रेश हुई, रसोई में चाय बनाने लगी। तभी दोनों ने पीछे से नंगे ही आकर मुझे उठा लिया। मैं डर गई कि अब पीछे से कौन आ गया।

‘ओह्ह रत्ना रानी तुम नंगी बहुत ही खूबसूरत सेक्सी औरत लग रही हो।’

‘चुप करो बाबू जी.. अब चलो घर.. नहीं तो मोहल्ले वाले सोचेंगे कि हम ससुर-बहू सुरेश के घर पर क्या कर रहे हैं।

‘हाँ.. बहू चलते हैं।’

‘नहीं रत्ना और बाबू जी आज रुक जाओ ना बाद में चले जाना।’

‘नहीं बाबा.. अब और नहीं चुदवाना.. मुझे तो पूरा रंडी बना दिया आप दोनों ने।’

‘हाँ.. बहू तू तो है ही हमारी रंडी.. अब से रोज मैं और सुरेश दोनों चोदेंगे।’

‘अच्छा बाबू जी चोद लेना.. पर अभी तो चलो।’

‘हाँ.. किसी को बाहर पता नहीं चलना चाहिए, नहीं तो और बाहर से भी गाँव के, मोहल्ले के लोग आ जायेंगे। रंडी खाना बन जायगा आपका घर।’

‘तो उसमें क्या हुआ बहू? क्या पैसे तो देंगे ना वो सब।’ सुरेश और ससुर जी जोर-जोर से हँसने लगे।

फिर मैं और बाबू जी घर पर आ गए और बस तब से यह मस्ती चालू है जो अभी तक मेरे साथ चल रही है। अब इसमें मेरी कुछ ग़लती हुई हो तो आप बताओ। जो कुछ हुआ सब हालत की वजह से हुआ। मेरी पूरी कहानी में कोई यकीन करे ना करे लेकिन मेरी यह आपबीती है जो अभी भी चल रही है, मुझे आपकी राय दीजिए कि मैं आगे अपनी ज़िंदगी में क्या करूँ? आपके विचार मुझे लिखें।

इससे आगे की कहानी: स्कूल के गुरू जी ने मुझे चोदा

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