मेरी दीदी का सत्ताईसवां लण्ड-4

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मेरी दीदी का सत्ताईसवां लण्ड-1 मेरी दीदी का सत्ताईसवां लण्ड-3

दीदी बोली- तुम्हारा दिमाग़ तो खराब नहीं है.. मैं उसके सामने अपने भाई से कैसे चुदाई करूँगी. तब मैं बोला- यह सब मुझ पर छोड़ दो. ऐसा कुछ नहीं होगा तुम समय से उसको कमरे में ले जाना, बाकी मेरा काम है, बस मैं तुझे एक रण्डी की तरह दो लौड़ों से चुदते देखना चाहता हूँ. यह बोलकर मैं मुन्ने के पास जाकर सो गया.

फिर जब मैं उठा तो दीदी खाना बना रही थी. मैं चुपके से रसोई में गया और दीदी को पीछे से पकड़ लिया और लंड गाण्ड में दबा दिया. दीदी बोली- ज़रा सब्र करो मेरे भैया-सैंया मैं यहीं हूँ.. ज़रा खाना तो बना लूँ. मैं बोला- मुझसे रुका नहीं जाता, लेकिन अगर तुम कहती हो तो रुक जाता हूँ. लेकिन आज तुम्हें जन्नत की सैर कराऊँगा, तुम्हें इतना मजा कभी नहीं मिला होगा, जितना आज रात को मिलने वाला है.

रात को दस बजे गेट खुला लेकिन मैं चुपचाप लेटा रहा, वो आदमी अन्दर आया और सीधा दीदी के कमरे में गया. लेकिन मैंने दीदी को बोल रखा था कि कमरे की सिटकनी ना लगाना अन्दर से. मैं 20 मिनट तक यूँ ही लेटा रहा फिर जाकर देखा तो उन्होंने चुदाई कार्यक्रम शुरू कर दिया था. मैंने दरवाजा खोला और बोला- दीदी, यह सब क्या है? और उस आदमी की तरफ देखते हुए बोला- तुम कौन हो बे? मैं अभी पुलिस को बुलाता हूँ.

दीदी मेरी एक्टिंग समझ रही थीं लेकिन वो आदमी डर गया, वो मुझसे माफी माँगने लगा. मैंने नाटक करते हुए बोला- एक शर्त पर तुम दोनों की करतूत नहीं बताऊँगा… अगर इस खेल में मुझे भी शामिल करो तो ! यह सुन दीदी बोली- नहीं.. यह नहीं हो सकता. लेकिन वो बोला- वक्त की नज़ाकत को समझते हुए मान जाओ.

दीदी नाटक करती रही और आख़िर में ‘हाँ’ बोल दिया. अब मैं भी अपने कपड़े उतार कर बिस्तर पर आ धमका था. मैंने अपना लंड निकाल कर दीदी के हाथ में दे दिया.

जीजू के बॉस ने भी लंड दीदी के हाथ में दे दिया. अब दीदी ने मेरा लंड मुँह में ले लिया और बॉस का लंड हाथ से सहलाने लगी. मैंने दीदी के मुँह में अपना पूरा लंड दे दिया.

दीदी मेरे लंड को लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी. फिर दीदी ने मेरा लंड हाथ में लिया और बॉस का लंड चूसने लगी.

लगभग 20 मिनट तक दीदी लंड बदल-बदल कर चूसती रही और फिर बोली- चलो अब दोनों अपनी-अपनी पोज़िशन लो और मुझे दो लौड़ों से एक साथ चुदने में कैसा मजा आता है वो मुझे दो. मैं दीदी की बेकरारी पर हैरान था कि दीदी चुदने को कितनी उतावली है. दीदी बोली- मुझे बड़ा लंड अपनी गाण्ड में लेना है सो बॉस आप मेरी गाण्ड मारना और भाई तुम मेरी चूत में डालो.

फिर मैं नीचे लेट गया और दीदी को अपने ऊपर झुका लिया. मैंने अपना पूरा लंड दीदी की चूत में डाल दिया, जिसको दीदी बड़े आराम से निगल गई, कुतिया ने ‘उफ़’ तक नहीं की.

मुझे मालूम था कि दीदी बहुत लौड़ों से चुद चुकी है और मेरे लंड से भी बड़ा बॉस का लंड उसकी चूत में ना जाने कितनी बार जा चुका था, इसलिए दीदी ने चुद-चुद कर अपनी चूत का भोसड़ा बना लिया था. अब ऊपर से बॉस ने दीदी की गाण्ड पर थूक लगाकर लंड गाण्ड पर रखा और एक जोरदार धक्का मारा, जिससे आधे से ज़्यादा लंड दीदी की चूत में पहुँच गया.

दीदी की मुँह से चीख निकल गई, दर्द के मारे दोहरी हो गई और आँखों में आँसू आ गए लेकिन दीदी ने कहा- प्लीज़ रुकना नहीं, डाल दो एक ही धक्के में पूरा लंड.

मैं यह सुन कर हैरान था कि इतने दर्द के बाद भी दीदी लंड लेना चाहती थी.

फिर बॉस ने एक और धक्का मारा और पूरा लंड गाण्ड में जा चुका था.

अब बॉस एक मिनट रुके तो दीदी बोली- रूको मत.. दोनों अपनी स्पीड बढ़ाओ.. मुझे बहुत मजा आ रहा है. आज तक मुझे चुदने में ऐसा मजा कभी नहीं आया. अगर मुझे पता होता कि दो लंड से चुदने में इतना मजा आता है तो मैं कब की चुद लेती. लेकिन तुम दोनों फाड़ डालो मेरी चूत और गाण्ड को. आज सारी रात रुकना नहीं.. ऐसे ही चोदते रहना मुझे, आज मुझे स्वर्ग की सैर करा दो. हम दोनों पूरी दम से दीदी को चोदे जा रहे थे. अब दीदी को भी मजा आ रहा था और दीदी गाण्ड को कभी नीचे तो कभी ऊपर उछाल-उछाल कर चुद रही थी.

यह देखकर मैं बहुत खुश था कि मैं अपनी बहन को रंडी की तरह चुदते देख रहा हूँ और मेरे दिल की तमन्ना आज पूरी हो गई कि मैं अपनी ही बहन को चोद सकूँ और उसको एक रंडी बना दूँ.

अब दीदी इतने मज़े चुद रही थी कि उसको कुछ होश नहीं था कि वो क्या बोल रही है.

उसके मुँह से ‘उहह.. ह.. चोदो मेरे कुत्तों चोदो मुझे… फाड़ डालो अगर कोई और लंड आस-पास हो तो उसको भी बुलाओ और दे दो मेरे मुँह में. आह भाई.. भर दो अपनी बहन की चूत में अपनी जवानी का रस.. बना दो मुझे अपनी औलाद की माँ. अब तुम्हारे जीजा में वो बात नहीं है की वो मेरी कोख भर सके… वो साला हिजड़ा बन गया, अब तो तुम ही मेरे भैया हो और तुम ही सैंया हो. अबे सालों रुक क्यों रहे हो.. मैं जाने वाली हूँ मादरचोदों.. स्पीड और तेज करो.’

मैं नीचे से दीदी की झूलती हुए चूचियाँ भी साथ ही पी रहा था और बॉस गाण्ड पर थप्पड़ मार-मार कर चोद रहे थे.

दीदी बोली- आअहह मैं गई..! यह बोल कर दीदी मुझसे चिपक गई लेकिन अभी मेरा नहीं निकला था. अब हम दोनों ने अपनी स्थिति बदली और मैंने दीदी की चूत से लंड निकाला तो दीदी की चूत से फव्वारा सा निकला.

अब मैं पीछे गया और बॉस नीचे लेट गया. उसने दीदी को अपने लंड पर बिठा लिया. अब दीदी अपने आप ही चुद रही थी, दीदी मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी. दीदी ‘उहह आह’ करती रही और लंड पर ऊपर-नीचे होती रही.

मैं झड़ने के करीब था, मैंने बोला- दीदी मेरा निकलने वाला है. तो दीदी और भी तेज़ी से अपना मुँह मेरे लंड पर चलाने लगी, मेरे लंड से पिचकारी निकली और सीधी दीदी के हलक में जाकर लगी. मेरे रस से दीदी का मुँह भर गया और रस मुँह से बाहर निकलने लगा.

दीदी ने मेरे लंड को जीभ से साफ किया और सारा रस पी गई और डकार लेकर बोली- वाह.. भाई तुम्हारा रस बहुत स्वादिष्ट लगा.

वो साथ ही लंड पर ऊपर नीचे होते हुए झटके मार रही थी. नीचे से बॉस भी जोरदार शॉट लगा रहे थे. अब तक हमारी चुदाई से दीदी दो बार झड़ चुकी थी और तीसरी बार झड़ने के करीब थी.

दीदी बॉस से बोली- मैं गइईईईईई अहह.. मस्त कर दिया आज तुम दोनों ने… मेरी ऐसी चुदाई आज तक नहीं हुई थी. मुझे आज पता चला कि चुदाई क्या होती है.

फिर दीदी बाथरूम में गई और फ्रेश होकर रसोई से दूध लेकर आई और आकर हमारे बीच लेटते हुए बोली- आज सारी रात मैं तुम लोगों को सोने नहीं दूँगी.

वो अपने हाथों में दोनों लंड लेकर सहलाने लगी. दोनों लंड फिर तैयार हो गए. दीदी सारी रात हमसे चुदती रही, पूरी रात में दीदी 6 बार चुदी.

सुबह बॉस चला गया और मुन्ने के जाने के बाद मैंने और दीदी ने साथ ही नहाना-धोना किया और नंगे ही दोनों बिस्तर पर आ गए.

दीदी बोली- भाई मुझे तुमसे चुद कर बहुत मजा आया. अब जब मुन्ना घर होगा तब ही कपड़े डालूँगी नहीं तो जब तक तुम्हारे जीजा नहीं आते ऐसे ही नंगी रहूँगी.

मैंने दीदी को दिन में भी दो बार चोदा. रात को बॉस फिर आ गए और उनके आते ही हम तीनों कमरे में पहुँच गए और कल वाला सेशन फिर चालू हो गया रात भर हम दोनों दीदी को मन लगा कर चोदते रहे.

सुबह मैंने देखा कि दीदी के चेहरे पर अपार संतुष्टि के भाव थे लेकिन दीदी कुछ नाराज़ भी लग रही थी. जब मैंने पूछा- दीदी क्या बात है? तो दीदी बोली- आज तुम्हारे जीजा जी आ जाएँगे और तुमसे नहीं चुद पाऊँगी. मैं क्या करूँ.. कैसे रह पाऊँगी मैं?

मैंने दीदी को तसल्ली देकर थोड़ा सामान्य किया और बोला- दीदी जब तक मैं यहाँ हूँ मैं दिन में तुम्हारी चुदाई करूँगा और अगर रात को जीजा के सोने के बाद मौका लगा, तो रात को भी चुदाई कर सकते हैं.

तब दीदी सामान्य हो गई. रात को जीजा जी आ गए उस रात में कुछ नहीं कर पाया, लेकिन अगले दिन से दिन के वक्त मैंने दीदी को फिर दो बार चोदा.

जब तक मैं वहाँ रहा, मैंने दीदी की दिल से चुदाई की. फिर मैं घर आ गया लेकिन मेरा मन नहीं लगता था, यही हाल दीदी का भी था. हम दोनों घंटों फोन पर बातें करते थे. दीदी को जब भी मौका लगता तो बॉस को बुला कर चुदाई करवा लेती थी.

दो महीने बाद दीदी के भोपाल में इम्तिहान थे, जीजू साथ नहीं जा सकते थे, उन्होंने मुझे बोला तो मैं झट से तैयार हो गया.

मैं और दीदी ट्रेन से भोपाल पहुँचे, हम दोनों चुदाई के भूखे थे, रात में मैंने दीदी को ट्रेन के टॉयलेट में ही चोद दिया, फिर भोपाल पहुँच कर मैंने होटल में कमरा लिया तो वहाँ मैंने एड्रेस में हम दोनों को पति-पत्नी बताया और दस दिन तक मैंने दीदी की वहाँ खूब चुदाई की.अब मेरी दीदी जब भी घर आती है या मैं वहाँ जाता हूँ तो मौका मिलते ही हम चुदाई शुरू कर देते हैं. मेरी दीदी इतनी चुदक्कड़ है कि आज तक मैंने इतनी बड़ी चुदक्कड़ औरत नहीं देखी.

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