हाय रे मेरा नामर्द मुकद्दर..!

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पूनम मेरा नाम पूनम है। मेरी ऊम्र 28 साल है। मैं तलाकशुदा हूँ। मेरे पति नामर्द थे इसीलिए मैंने उनसे पीछा छुड़ा लिया। मैं एक कोचिंग में बायोलॉजी पढ़ाती थी। हमेशा कोई न कोई कुत्ते की तरह मेरे भरे हुए बदन को घूरा करता था। चाहे वो मेरे छात्र हों या फिर चपरासी या साथी या फिर कोई और..! जवान अकेली औरत हमेशा सबके लिए कलमी आम की तरह होती है, जिसे सब चूस कर खाना चाहते हैं। शुरुआत में ख़राब लगता था, पर अब मजा आता था, जब कोई मुझे नजरों से ही चोदने लगता था। मैं भी वक्ष-दर्शना चोली और नाभि-दर्शना साड़ी पहन कर सबको ललचाती थी। अकेलापन और जवानी मुझे खाए जा रहा था और अच्छे बुरे का फर्क ख़त्म होने लगा था। रात होते ही मैं इन्टरनेट पर नंगी फोटो और वीडियो देखा करती थी और मेरी ठरक बढ़ती ही जा रही थी। अपने को शांत करने के लिए मैं हस्त-मैथुन करती थी और नंगी सोती थी पर मेरी आग बढ़ती ही जा रही थी और वासना के साथ गंदगी और जानवरपन बढ़ता जा रहा था। मुझे वो वीडियो अच्छे लगते थे जिसमें सबके सामने खुलेआम चुदाई होती थी या कई मर्द मिलकर एक लड़की को चोदते थे, लड़की की चूत, मुँह, गाण्ड हर जगह लण्ड घुसे रहते थे, वो वीर्य और थूक में सरोबार रहती थी, पिटती भी थी और मजा भी करती थी। लेकिन असल जिंदगी में ये सब नहीं होता। पर वासना ने मुझे बेशर्म बना दिया था, मुझे मर्द जानवर लगता था, गंदे, ताकतवर मर्द जो मुझे रौंद सकें.. उत्तेजित करते थे। शहर के बाहरी इलाके में मेरा एक प्लाट था जिसमें दो कमरे बने थे, पीछे का हिस्सा खाली पड़ा था। महीने में दो बार मैं वहाँ सफाई करने जाती थी। एक दिन मैं घर से झाड़ू, पौंछा और सफाई का सामान, एक जोड़ी साडी-ब्लाउज, पेटीकोट लेकर निकली। सफाई करके वहीं पर आँगन में नहा-धो कर आराम करती थी, फिर वापस आती थी। घर से निकल कर चौराहे पर रिक्शा ढूँढने लगी। मैंने देखा कोने में एक लम्बा-चौड़ा गन्दा सा रिक्शे वाला बीड़ी पी रहा था। दाढ़ी हल्की बढ़ी थी और लग रहा था कई दिन से नहाया नहीं है। एक आदमी उसके पास आ कर कुछ बात करने लगा, अचानक वो उखड़ गया और उसको दो तमाचे जड़ दिए। बोला- मादरचोद, तेरी माँ-बहन को चौराहे पर नंगा करके चोदूँगा। वो आदमी तो पिटकर चला गया पर मेरे बदन में चींटियाँ रेंगने लगी थी। मैं उसके पास गई और बोली- शुक्लागंज चलोगे? उसने कुत्ते की तरह मेरे को ऊपर से नीचे घूरा, मैं मुस्करा दी। बोली- कितना लोगे? वो बोला- नहीं जाना है। मेरे मुँह पर बीड़ी का भभका लगा। मैंने छाती थोड़ी से साड़ी उठाई और बोली- किराया भी मिलेगा और पैसे अलग से भी दूँगी, मालकिन ने वहाँ घर में सफाई करने भेजा है, अकेले मेरे से नहीं होगा इसलिए मजदूर करना है, वो पैसा ले लेना, 100 दूँगी, अच्छा लगा तो 50 और दूँगी। वो तैयार हो गया। मैं रिक्शे पर चढ़ने के लिए आगे झुकी तो मेरा साड़ी का पल्लू गिर गया और मेरे गहरे ब्लाउज से गोरे-गोरे भरे हुए दूध झाँकने लगे। उसकी नजरें भूखे भेड़िये की तरह मेरे ब्लाउज में घुस गईं, मैंने उसकी ओर नजरें उचका कर बोला- खा जायेगा क्या? और मैं मुस्करा दी। उसने दांत पीसे और मुझे लेकर चल पड़ा। मैंने कहा- तेज चलो..! तो वो रुका उसने जेब से एक बोतल निकाली, एक घूँट पिया। मैंने पूछा- यह क्या? वो बोला- देसी है… अब ताकत देखो..! और फिर उसने रिक्शा उड़ा दिया। मैं बोली- इतना घूर क्यों रहा था… कभी अपनी औरत को नहीं देखा क्या? वो बोला- कुतिया को मार-मार कर भगा दिया… साली रात में नाटक करती थी। एक दिन नंगी करके सबके सामने जूते से मारा, कुतिया को औकात पता चल गई। मेरी अब हालत ख़राब होने लगी थी। रोमांच भी आ रहा था और डर भी रही थी। फिर वासना डर पर हावी हो गई। मकान पर पहुँच कर ताला खोला और रिक्शा अन्दर खड़ा करवा लिया। फिर गेट बंद करके उसे लेकर अन्दर चली गई। समझ नहीं आ रहा था अब क्या करूँ? मैं बोली- मैं झाड़ू लगाती हूँ तुम पानी डालो, धुलाई कर लेते हैं। वो पानी डालने लगा और मैं बैठ कर झाड़ू लगाने लगी। मैंने साड़ी घुटनों तक उठा ली थी और धीरे से पल्लू कंधे से गिरा दिया। मेरी चूचियाँ आधी से ज्यादा बाहर निकल आईं। उसकी लार टपकने लगी, पर मैं बेपरवाह झाड़ू लगाती रही। मैं उससे चुद सकती थी, पर आज मैं अपनी हवस मिटाना चाहती थी। मैं उसकी ओर देख कर गुस्से से बोली- कमीने अपना काम कर। साला छाती में घुसा जा रहा है? उसका चेहरा तमतमा गया, वो बोला- साली नौकरानी… औकात में रह..! मैं बोली- अबे जा जा… मैं तेरी औरत की तरह नहीं.. जो आसानी से मार खाकर चुद जाऊँ। मेरा इतना बोलना था कि वो मेरे पास आया और मेरे बाल पकड़ कर जोर से खींचे। मैं कराह उठी। वो बोला- साली बताऊँ? मैं हल्का सा मुस्करा कर बोली- क्या बताएगा हरामी? तभी एक भन्नाता हुआ तमाचा मेरे गाल पर पड़ा। मेरा सर हिल गया। वो बोला- साली रांड जानता था, तेरे को गर्मी चढ़ी है कुतिया…! फिर वो मेरे होंठों पर झुक गया। दारू और बीड़ी का स्वाद मेरी जुबान पर आ गया। मैंने कहा- छोड़ कुत्ते। उसने कस कर मेरे सर को पकड़ा और अपनी जुबान मेरे मुँह में घुसा दी। उसकी थूक मेरे मुँह में भर गई। मैंने उसका सर हटाया और उसके ऊपर थूक दिया। बोली- सूअर कहीं के.. मार-मार कर तेरी हालत ख़राब कर दूँगी। उसने एक लात मेरे सीने पर रखी और मुझे धकेला। मैं पीठ के बल गिर पड़ी। वो झुका और दोनों हाथों से मेरा ब्लाउज बीच से पकड़ कर फाड़ दिया। फिर मेरी ब्रा में हाथ डाल कर मेरी एक चूची बाहर निकाली और भींचता हुआ बोला- कुतिया यही दिखा रही थी…! मैं दर्द से चिल्ला उठी। फिर उसने मेरी दूसरी चूची भी बाहर निकाली और मसलने लगा। मैंने उसके हाथ पकड़ लिए तो वो मेरा गला दबाता हुआ बोला- देख.. क्या सलूक करता हूँ? उसने रस्सी निकाली और मेरे दोनों हाथ ऊपर करके अपने रिक्शे के पीछे बाँध दिए। मैं आनन्द में गोते लगा रही थी। मेरी वासना पूरी हो रही थी। वो बोला- रांड को मजा आ रहा है? अभी मजा निकलता हूँ। कहते हुए वो मेरे मुँह पर थूक दिया। मेरा चेहरा उसकी थूक से भर गया। फिर उसने मेरे बाकी के कपड़े फाड़ डाले। अब मैं उसके सामने नंगी बंधी पड़ी थी। मैं हँसने लगी। वो बोला- अभी तेरी हँसी निकलता हूँ! उसने मेरी चड्डी उठा कर मेरे मुँह में भर दी जिससे मैं जोर से चिल्ला न सकूं, फिर उसने झाड़ू उठाई और मेरी गांड पे मारी। दर्द के मारे मैं उछल पड़ी। उसने अगला झाड़ू का मार मेरी चूचियों पर किया। दर्द के मारे मेरी आँखें बाहर निकल आईं। फिर उसने बिना रुके पांच-छह झाड़ू मेरी गांड, चूची पर दनादन मारीं। मेरे गोरे बदन पर लाल-लाल निशान पड़ गए। दर्द के मारे बुरा हाल था। वो मेरी चूची नोंचता हुआ बोला- साली, गर्मी निकली या नहीं? मैंने उसे गुस्से से घूरा, तो उसने मेरे मुँह पर थूका और मेरी चूत पर जोर से झाड़ू मारी। मैं उछल पड़ी और मेरा पेशाब निकलने लगा। वो बोला- कुतिया मार खाकर मूतने लग गई? फिर उसने मुझे खोल दिया मैं वहीं बैठ गई। उसने मेरे मुँह को फैले पड़े मेरे पेशाब में डाल दिया और बोला- कुतिया चाट..! मैं अब और मार खाने की हालत में नहीं थी इसलिए मैं जुबान निकाल कर अपना पेशाब चाटने लगी। मुझे पेशाब का नमकीन स्वाद अच्छा लग रहा था। तभी मेरे सर पे पानी की धार पड़ी। मैंने मुँह उठा कर देखा तो वो मेरे मुँह पर मूत रहा था। क्या काला लम्बा लण्ड था उसका..! वो बोला- कुतिया मुँह खोल जुबान निकाल..! मैं भी आज्ञाकारी कुतिया की तरह घुटने के बल बैठ गई और जुबान निकाल कर मुँह उसके सामने कर दिया। उसकी पेशाब की धार मेरे मुँह के अन्दर गई और वो मुझे अपने पेशाब से नहलाने लगा। फिर वो आगे आया और बोला- चूस कुतिया। अब मैं सारा दर्द भूल गई और पागलों की तरह उसका लण्ड मुँह में भरकर चूसने लगी। वो मेरे ऊपर झुका और पीछे से अपनी उंगली मेरी गांड में घुसा दी। अब मैं आनन्द में गोते लगा रही थी। मैंने कहा- अब तो चोद दे राजा! वो बोला- कुतिया अभी फाड़ता हूँ! मैं कुतिया की तरह बन गई, वो मेरे पीछे आया और अपना लण्ड मेरी चूत में डाल दिया। मैं आनन्द से चिल्लाई। उसने मेरी ब्रा उठाई और मेरे मुँह के बीच में डालते हुए उसके पट्टी पीछे से पकड़ ली जैसे मुँह पे ब्रा की लगाम लगा दी हो। फिर वो जोर-जोर से झटके मारने लगा। मुझे मजा आने लगा, तभी मुझे अपनी चूत में गीला-गीला सा लगा। वो कमीना झड़ गया था। मैं गुस्से से भर उठी और बोली- मादरचोद यही है तेरी मरदानगी? वो खींसे निकालने लगा। मैं सर पकड़ कर बैठ गई। वो उठा, दो घूँट दारु के लगाए और रिक्शा लेकर चला गया। मैं निराशा में भरी हुई वैसे ही जमीन पर नंगी पड़े-पड़े सो गई। हाय रे मेरा नामर्द मुकद्दर..! 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