वो लड़की भीगी सी-2

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000

प्रेषक : इमरान ओवैश

मैंने उसका आशय समझ कर अपने कपड़े उतारने में देर नहीं लगाई। चूँकि मैं एक अच्छे कसरती शरीर का स्वामी था इसलिए उसे पसंद न आने का सवाल ही नहीं था… बाकी मेरा पप्पू ज़रूर मेरे हिसाब से छोटा था लेकिन वो उसके साथ संतुष्ट थी तो ठीक ही था। मैं उसके पास ही बैठ गया।

“कुछ खाओगे?”

इस हालत में भी खाना?

“हाँ ! तुम्हें।”

उत्तर तो देना ही था और सुन कर वो मादक अंदाज़ में हंस पड़ी।

अब मेरा एक हाथ उसके एक कंधे पर था और दूसरा स्पंजी चूचियों को सहला रहा था और उसने मेरे पप्पू को अपने हाथ से पकड़ कर अंगूठे से टोपी को रगड़ना शुरू कर दिया था।

“मैं अभी आती हूँ।” कह कर वो उठी और चली ही गई।

लेकिन दो मिनट में ही वापस लौट आई, अब उसके हाथ में एक फाइबर का कटोरा था जिसमें कोई लिक्विड था।

“यह क्या है?”

“लिक्विड चॉकलेट है… यह मस्त है, मेरी बनाई।”

और उसने उंगली से थोड़ी लेकर मेरे होंठों पर फिराई, मैंने उसकी उंगली अन्दर ले ली और उसे चूसने लगा। फिर उसने उंगली से थोड़ी और लेकर अपने एक चुचूक पर लगाई और मुझे उसे मुँह में लेने के लिए और पास खिसकना पड़ा। एक हाथ मैंने दूसरी चूची के साथ लगा दिया और होंठों से दूसरे के निप्पल से चॉकलेट का स्वाद लेने लगा। उसके मीठे स्वाद के साथ उसके जिस्म से उठती भीनी भीनी खुशबू भी रल-मिल रही थी।

इधर की चॉकलेट ख़त्म हुई तो उसने दूसरे निप्पल पर लगा दी। मैं उसका रसपान करने लगा… अब मैं खाली पड़ा हाथ उसकी ऊपर से लकीर सी दिखती मुनिया पे ले गया और उसे उंगली से खोदने लगा जो पानी से चिपचिपी हो रही थी। वो अपने हाथ से मेरा सर सहला रही थी। दोनों चूचियाँ इस चुसाई से कठोर हो गई थीं और उनकी घुन्डियाँ भी तन कर कड़ी हो गई थीं।

कुछ देर बाद उसने मुझे आहिस्ता से अलग किया और मेरे एकदम टाईट खड़े पप्पू को सहलाने लगी.. फिर खुद पीछे खिसक कर अधलेटी सी हो गई और कटोरे से चॉकलेट लेकर मेरे लंड को उसमें लपेट दिया और जब लंड पूरी तरह लिक्विड से सन गया तो उसने मुँह खोल कर सुपारे को अन्दर ले लिया और बड़े मस्त अंदाज़ में चूसने लगी।

मैंने सोफे की पुष्ट से टेक लगाई, अपना हाथ उसकी मस्त उभरी हुई गाण्ड पर फिराने लगा और उंगली से उसके छेद को खोदने लगा।

कुछ मिनट की चुसाई में लंड बिल्कुल साफ़ तो हो गया लेकिन इस ज़बरदस्त अनुभव के बाद ऐसा लगा जैसे पानी अब छूटा कि अब छूटा।

“सॉरी ! लगता है निकल जाएगा।” मैंने कराहते हुए कहा।

“हम्म… ऐसे न वेस्ट करो… एस-होल में निकाल दो.. वो भी गीला होता रहेगा। मुझे अच्छा लगता है जब मर्द का रस योनि या एस-होल से धीरे धीरे बहता रहता है।” कहते हुए वो सोफे पे ही घुटने के बल बिल्ली जैसी पोजीशन में आ गई और उसने अपने चूतड़ मेरे सामने कर दिए।

इस रगड़ा-रगड़ी से और मेरे खोदने से गुदा का छेद भी दुपदुपाने लगा था। मैंने ढेर सा थूक उसमें डाला और छेद को अंगूठों के दबाव से फैलाया, थोड़ा थूक अन्दर गया और थोड़ा बाहर फैल गया।

मैंने सुपारे को छेद पे टिका के दबाया, उसकी चटाई से वो गीला और चिकना हो चुका था… चुन्नटें फैली और वो आराम से गहराई में उतर गया। उसके मुँह से एक मस्ती भरी धीमी सिसकारी छूटी।

“अभी गेम बाकी है, थोड़ा कंट्रोल करके !” उसने गर्दन घुमा कर मुझे देखा।

मुझे पता था, मैंने दो चार धक्के लगाये, अन्दर के कसाव और गर्मी ने एकदम से निचोड़ना चाहा और मैंने ध्यान ऐसा हटाया कि पहली पिचकारी में ही बस हो गया। फिर कुछ बुज्जे छूटे… वो पैर सीधे करके औंधी ही लेट गई और मैं भी उसी पोजीशन में लंड घुसाए घुसाए उस पर लेट गया।

दो मिनट में लंड ढीला होकर बाहर निकल आया और फिर हम उठ बैठे।

उसने लंड को खास अंदाज़ में भींचना शुरू किया और चूंकि वो पूरी तरह स्खलित नहीं हुआ था इसलिए वापस खड़ा होने लगा तो उसने चॉकलेट का कटोरा मुझे थमा दिया।

उसका मंतव्य समझ कर मैंने उसमें से चॉकलेट लेकर उसके पेट, नाभि और योनि पे लगा दी… उसकी कलिकाएँ छोटी ही थी और गीली हो चुकी कली जैसी चूत बड़ी प्यारी लग रही थी। वो सोफे पर ही सुविधाजनक अंदाज़ में टाँगे फैलाये लेट गई और मैं उसके जिस्म से चॉकलेट को चाटने लगा… चूत चाटते वक़्त मैंने बीच की उंगली अन्दर डाल दी जो पानी पानी हो रही थी और क्लिटारिस हुड को जुबां से छेड़ते वक़्त उंगली से उसे बाकायदा चोदने लगा।

वो बुरी तरह ऐंठने लगी।

जब उसे लगा कि वो झड़ जायेगी तो उसने दोनों हाथों से मेरे सर को अपनी बुर पर ऐसे दबा दिया कि मेरे लिए सांस लेना मुश्किल हो गया। वो जोर से कांपी और बुर से नमकीन पानी उबल कर बाहर आया पर मैंने उसे भी ग्रहण कर लिया और फिर वो ढीली पड़ गई तो मैं ऊपर आ गया।

उसने मेरा इशारा समझा और लंड को फिर मुँह में ले लिया और सिर्फ दो मिनट में खास अंदाज़ में चाट कर तैयार कर दिया।

फिर सोफे पे ही अधलेटी अवस्था में आकर उसने एक टांग नीचे लटका ली और दूसरी पुष्ट पर चढ़ा ली। प्यार से अपनी चूत को थपथपाया और मैं उसकी टांगो के बीच में आ गया, लंड को चूत के छेद पर सटाया तो उसे गीली और चिकनी चूत में अन्दर जाने में बहुत मेहनत नहीं करनी पड़ी… आराम से अन्दर उतरता चला गया।

वो सेक्सी अंदाज़ में होंठ चबाते हुए मुस्कराई और मैंने धक्के लगाने शुरू कर दिया।

उसकी ‘आह… ओह्ह… आह… आह…’ चालू हो गई जो मेरे कानों में रस घोल रही थी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

थोड़ी देर के धक्कों के बाद उसने मुझे रोक दिया और मुझे अलग करके सोफे से टिकते नीचे फर्श से पीठ टिका ली और दोनों खुली टांगें हवा में फैला दी… इस तरह उसकी ताज़ी चुदी बुर हल्के फ़ैलाव के साथ अब मेरे सामने थी और मुझे उसे चोदने के लिए अपना लंड नीचे करके उसमे घुसाना पड़ा। एकदम नया स्टाइल था मगर मैं छोटे लंड की वजह से इस आसन को ज्यादा एन्जॉय नहीं कर सका और जल्दी ही वो भी सीधी हो गई।

“एक काम करो… पीछे से करो !”

और वो सोफे पे ही चौपाये की तरह हो गई और कमर अन्दर दबाते हुए अपने चूतड़ ऐसे उभारे कि उसकी चूत निकल कर जैसे मेरे सामने आ गई… मैंने लंड टिका कर अन्दर सरकाया, वो आराम से अन्दर चला आया और मैंने उसके गोरे नितम्ब थपथपाते हुए तेज़ तेज़ धक्के लगाने लगा। वो हर धक्के पर जोर जोर से सिस्कार रही थी। साथ ही लंड के अन्दर जाने के वक़्त अपनी मांसपेशियों को सिकोड़ लेती और बाहर निकलने के वक़्त ढीला छोड़ देती।

“कैसा लग रहा है?” उसने सिसकारियों के बीच में पूछा।

“अमेजिंग !” मेरे मुँह से निकला।

“फक्क माय एस !” उसने मुझे आदेश दिया।

ओह ! यह तो मेरा फेवरिट आइटम है, मैंने ख़ुशी ख़ुशी लंड बाहर निकाल कर मेरे ही वीर्य से गीले हो कर बह रहे गुदा द्वार में ठेल दिया… लंड आराम से अन्दर उतरता चला गया और अन्दर की चिकनाहट में ज़रा भी परेशानी नहीं हुई और आराम से अन्दर बाहर होने लगा।

अब वो कुतिया सी बनी हुई थी और मैं उसकी कमर पकड़े जोर जोर जोर से उसे चोद रहा था।

हाल में जैसे गर्म बेतरतीब सांसों का तूफ़ान आ गया और उसकी उत्तेजक सिसकारियों के साथ हमारे संगम की फच्च-फच्च की आवाजें आग भर रही थीं। वो चरम पर पहुँचने लगी तो जोर जोर से किसी रांड की तरह गन्दी गन्दी गलियों के साथ मुझे उकसाने लगी, मैं और भी उत्तेजित होकर उसके साथ ही गालियाँ बकते हुए उसे और तेज़ चोदने लगा।

और जल्दी ही एक तेज़ कराह के साथ वो अकड़ गई… अंतिम पलों में उसने अपनी मांसपेशियों को ऐसे सिकोड़ा कि मेरे पप्पू का दम भी साथ ही निचुड़ गया और मैंने उसे कस कर थाम कर पूरी ट्यूब अन्दर ही खाली कर दी।

फिर दोनों अलग हो कर सोफे ही पर पड़े पड़े बुरी तरह हांफने लगे।

यहाँ से उसके मुझे यूज़ करने की शुरूआत हुई जो करीब 3 महीने चली, जब तक कि उसे मुझसे बेहतर ऑप्शन नहीं मिल गया।

कहानी कैसी लगी, मुझे ज़रूर बताएँ…

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000