पगली वो या हम?

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उम्र यही कोई 20-22 साल, बाल गन्दे, उलझे, लेकिन चेहरा सुन्दर है, ख़ास कर उसकी आँखें, फटे हुए वस्त्रों में से उसका बदन बाहर झांकता रहता है जिसे मैं और मेरे साथियों के अलावा सभी देख पाते हैं।

मुझे मालूम है कि युवाओं से लेकर अधेड़ तक व मेरे कई साथी उसकी देहयष्टि पर मोहित हैं लेकिन उसके हुलिए की वजह से लोग उससे दूर रहना ही पसंद करते हैं। शिक्षा के माध्यम से ओढ़ा हुआ सभ्यता का झीना आवरण भी उन्हें अपने लिहाफ़ से बाहर नहीं आने देता। हालांकि मानसिक तौर पर सभी उसे भोग रहे हैं, और मैं भी कोई अपवाद नहीं, ना चाहते हुए भी मेरी निगाहें उसके फ़टे कमीज के अन्दर घुसती सी चली जाती हैं।

इस दैहिक शोषण के लिए अभी कोई कानून बना भी नहीं जो उन्हें रोके पाए।

हम सभी उसे पिछले कई दिनों से जानते हैं, ऑफ़िस के आसपास ही घूमती रहती है, किसी को कुछ नहीं कहती, कोई नुकसान नहीं पहुँचाती।

नींद मेरी आँखों से कोसों दूर है, सोने की लाख कोशिश करने के बाद भी आँखें बंद करते ही शाम की घटना आँखों के सामने तैरने लगती है।

घटना आज शाम की है, मैं घर आने के लिए बस स्टॉप पर खड़ा था, पास ही वो हर रोज की तरह कचरे में से कुछ बीन रही थी।

तभी चार पाँच युवाओं का एक समूह वहाँ से गुजर रहा था कि उनमें से एक की नजर उस पर पड़ ही गई।

उसने उसकी तरफ़ उंगली से इशारा करते हुए अपने बाकी साथियों को बताया।

और शुरू हो गया छेड़खानी का दौर !

जवान खून की हवस गरीब-अमीर, खूबसूरत-बदसूरत गंदे या साफसुथरे में फर्क करना नहीं जानती, उसे गर्म जिन्दा मांस को नोचने में ही संतुष्टि मिलती है, जबानी शरारत से होते हुए कुछ देर बाद ये हरकतें शारीरिक छेड़खानी तक पहुँच गई।

सभ्यता के लबादे में लिपटा मैं उनके पचड़े में नहीं पड़ा।

कमजोर हो तो शरीफ कहलाना, डरपोक कहलाने से अच्छा होता है।

कुछ देर तक तो लड़की ने उन तथाकथित सभ्य समाज के इस हिस्से की इन हरकतों को सहन किया लेकिन फिर अचानक ख़ूँख़ार हो कर एक बड़ा सा पत्थर हाथों में उठाये वह इन लड़कों की तरफ बढ़ी और सीधा उसके सर पर दे मारा जो उससे छेड़खानी कर रहा था। खून का फव्वारा उस लड़के के सर से फूट पड़ा।

पहले तो वे सभी हक्के-बक्के रह गए कि हुआ क्या यह !

फिर अचानक वह लड़का जिसका सर फूटा था, मां-बहन की गालियों के साथ आक्रामक तरीके से उस लड़की की ओर लपका।

घटना से घबराए उसके साथियों ने जैसे तैसे उसे पकड़ा और बोले, “जाने दे यार ! पागल है साली !”

… और वहाँ से चल दिए।

पागल कौन है? यह सोच कर ही मुझे नींद नहीं आ रही।

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