छप्पर फाड़ कर

प्रेषिका : रिया रॉय

चूत के सभी पुजारियों को रिया रण्डी का मुठ भरा परिणाम !

प्रिय दोस्तो, यह मेरी पहली कहानी है जो एक सच्ची घटना है !

बात आज से करीब दो महीने पहले की है जब हमारे कॉलेज का ट्रिप गया था। समय रहते कक्षा के सभी विद्यार्थियों ने ट्रेन में आरक्षण करवा लिया पर मैं चूक गई। फिर आखिर में मुझे भी एक वेटिंग का टिकट मिल ही गया।

मैं काफी परेशान थी कि दो दिन का सफ़र वेटिंग में कैसे कटेगा।

तभी मेरी एक सहेली जिसका नाम ज़ीनत है, आपको याद होगा कि ज़ीनत की कहानी अन्तर्वासना में पहले भी आ चुकी है

उस कहानी का नाम ही ज़ीनत था।

तो ज़ीनत ने कहा- तू अपनी टिकट मेरे साथ करवा ले क्योंकि मेरा तो फर्स्ट क्लास का है, कोई चिंता वाली बात नही है !

मैंने तुरंत हाँ कर दी!

शाम को हॉस्टल आकर मैं बहुत खुश थी क्योंकि सीट का जुगाड़ हो गया था।

वो दिन आ गया जिस दिन हमें ट्रेन पकड़नी थी आखिर !

ट्रेन हमेशा की तरह दो घंटे देरी से चल रही थी मैंने और ज़ीनत ने सोचा कि कुछ सामान खरीद करके ले आ जाते हैं।

तो उसने कुछ वही लड़की वाली चीज खरीद ली, मैंने भी एक लिप ग्लो ले लिया।

ट्रेन का समय भी होने को आया था, हम दोनों स्टेशन पर आ गये। थोड़ी ही देर में गाड़ी आ गई और हम दोनों अपने केबिन में आ गईं। हम दोनों ने एक ही सीट पर अपना सामान रख दिया।

तभी एक लड़का भी हमारे ही केबिन में आ गया, उसकी सीट ऊपर थी, उसने अपना सामान सीट पर रखा और ऊपर अपनी सीट पर चला गया।

मेरी दोस्त के मन में मस्ती शुरू हो गई और हम दोनों बात करते करते समय बिताने लगी।

रात हो गई तो हमने सोचा कि कपड़े बदल लेते हैं। जब मैं टॉयलेट में गई तो वो बहुत गन्दा था, फिर हमने सोचा कि केबिन में ही कपड़े बदल लेते हैं पर केबिन में आकर ध्यान आया कि एक लड़का भी ऊपर वाली सीट पर है।

हमने देखा तो वो सो रहा था। यह अच्छा मौका था, मैंने और ज़ीनत ने कपड़े उतारने शुरु कर दिए। हम दोनों बस पैंटी में थी, दोनों ने अपनी अपनी ब्रा भी उतार रखी थी कि तभी लड़का जग गया।

हम दोनों को कुछ समझ में नहीं आया और एकदम से घबरा गई। वो लड़का भी एकदम से सन्न रह गया जैसे कोई भूत देखा लिया हो।

इतने में उसका लण्ड खड़ा हो गया और पैंट में से बाहर आने को होने लगा।

लड़का : ओह्ह ! मुझे माफ़ कर दो !

ज़ीनत : कोई बात नहीं ! अब तो तुम्हें हिसाब देना होगा।

लड़का : कैसा हिसाब….?

ज़ीनत : तूने हमें कपड़े बदलते देखा है ! अब तुझे भी नंगा होना पड़ेगा नहीं तो तेरे लिए बहुत बुरा होगा।

यह सुन कर लड़का घबरा गया, उसने अपने कपड़े उतारने शुरु कर दिए।

अब वो भी सिर्फ़ कच्छे में था,

लड़का: लो बस? अब तो हिसाब बराबर ?

ज़ीनत: अरे ऐसे कैसे हिसाब बराबर? यह जो है, इसे भी उतार !

मैं भी यह सब देख कर उत्तेजित हो रही थी पर मैंने कुछ कहा नहीं, बस शांति से देख रही थी कि जल्दी कुछ अच्छा हो !

लड़के का खड़ा लण्ड साफ़ नजर आ रहा था, मुझे तो लगा कि तुरन्त अपने मुँह में ले लूँ पर ऐसे करना अभी सही नहीं था क्योंकि लड़के को शायद डर लग रहा था।

ज़ीनत: जल्दी उतार इसे भी !

लड़के ने तुरंत अपना कच्छा उतार दिया।

अब वो पूरा नंगा था, मेरा तो मन बस चुदने को कर रहा था और मुझे ज़ीनत की बकचोदी पर गुस्सा आ रहा था !

लड़का: अब तो हिसाब बराबर ?

ज़ीनत उसका लण्ड पकड़ कर हिलाने लगी और बोली- अरे रुक जा ! कहाँ की जल्दी है तुझे !

यह देख कर मैं भी शुरु हो गई और मैं भी उसको सहलाने लगी !

लड़का ज़ीनत की चूची को जोर जोर से मसलने लगा ! मैं लड़के की गाण्ड चाटने लगी, अब तो बस लड़का पागल हो गया उसने तुरंत मेरी ब्रा फाड़ दी और एक हाथ से मेरे और दूसरे से ज़ीनत के चूचे दबाने लगा।

ज़ीनत ने अपनी पैंटी उतार दी और वो लण्ड पर अपनी चूत रगड़ने लगी। यह देख मेरी चूत से पानी आ गया !

अब मुझसे रुका नहीं जा रहा था।

लड़के ने अपना आठ इंच का लंड ज़ीनत की चूत में डाल दिया, ज़ीनत तुरन्त आनन्द से चीखने लगी !

ज़ीनत: आह… आह… आह ! बहन के लौड़े बस इतना ही दम है क्या ? चोद मेरी चूत को ! आज मुझे कुतिया बना दे ! बड़े दिनों से मेरी यह चूत सूखी थी, इसमें सावन का पेड उगा दे !

लड़का : थोड़ा रहम कर रंडी, तेरी चूत है या सुलगा हुआ तंदूर !! मेरा लंड भभक रहा है ! यह ले ! और ले साली कुतिया !!

यह देख कर मैंने ज़ीनत से कहा : ज़ीनत, अब बस भी कर ! मेरा भी नंबर आने दे सारा मजा तू ही लगी क्या !!??

लड़का : क्या बात है? सही कहा है किसे ने ! भगवन जब भी देता है छप्पर फाड़ कर देता है !!

आप ज़ीनत से बात करना चाहेंगे?

ज़ीनत का फ़ोन नम्बर यहाँ है।