सोनिया की मम्मी के बाद-2

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प्रेषक : राज कार्तिक

अँधेरा हो चुका था। मैंने अँधेरे में ही सोनिया का हाथ पकड़ा और अपनी तरफ खींचा तो सोनिया एकदम से मेरी बाहों में आ गई। मैंने सोनिया का चेहरा अपने हाथों में पकड़ कर अपनी तरफ किया और चूमने की कोशिश की तो सोनिया एकदम से मुझ से छुट कर भाग गई..

मैं भी उसके पीछे भागा। चारों तरफ ज्वार के खेत थे। अचानक सोनिया एक खेत में घुस गई। मैं भी सोनिया के पीछे ही था और कुछ दूर जाकर मैंने सोनिया को पकड़ लिया तो सोनिया एकदम से मेरे गले से लिपट गई और उसने अपने होंठ मेरे होंठो पर रख दिए।

कुछ पल के लिए तो मैं हैरान हुआ, पर चाहता तो मैं भी यही था।

मैंने भी सोनिया को अपनी बाहों में भर लिया और मस्त हो कर सोनिया के रसीले होंठ चूसने लगा। कुछ देर होंठो की चुसाई के बाद सोनिया बोली- अब घर चलो ! रात हो गई है, सब लोग हमें तलाश कर रहे होंगे।

पर मेरा तो लण्ड खड़ा हो कर लोहे की छड़ बन चुका था, मैं भला कैसे सोनिया को बिना चोदे घर ले जाता।

पर बात सोनिया की भी सही थी कि रात होने के कारण सब लोग हमें ही तलाश कर रहे होंगे। सो मैंने भी सोचा जहाँ इतने दिन इंतज़ार किया है आज की रात और सही।

मैंने चलने से पहले एक बार उसकी मस्त चूची को देखने की इच्छा बताई तो सोनिया बोली- देख तो चुके हो तुम… अब क्या देखोगे.. वही तो है !

मैंने पूछा- मैंने कब देखी?

तो बोली-उस दिन सुबह जब तुम मुझे जगाने आये थे, तब तुमने मेरा कमीज़ ऊपर करके देखी तो थी।

“ओह्ह तो तुम उस समय जाग रही थी ?”

“हाँ…”

“तुमने तब से अब तक कहा क्यों नहीं कि तुम भी वही चाहती हो, जो मैं चाहता हूँ ???”

“तुमने ही मेरी आँखों को नहीं पढ़ा… मैं तो जब तुम्हें एक साल पहले मिली थे तब से चाहती हूँ !”

“हे भगवान ! मैं भी कितना बुद्धू हूँ.. एक स्वप्न सुन्दरी मुझे प्यार करती है और मुझे पता ही नहीं…”

सोनिया हंस पड़ी।

मैंने एक बार फिर से सोनिया को अपनी बाहों में भर लिया और अपने होंठ सोनिया के रसीले होंठों पर रख दिए। मेरा एक हाथ अब सोनिया की मस्त चूची को मसल रहा था। जिस कारण अब सोनिया गर्म होने लगी थी। अब वो मुझे पागलों की तरह चूम रही थी। और मेरा अनुभव मुझे बता रहा था कि एक औरत या लड़की ऐसा तभी करती है जब उसकी चूत में चुदाई का कीड़ा उछल कूद मचाने लगे।

“मुझे कुछ हो रहा है राज.. प्लीज़ कुछ करो… नहीं तो मैं मर जाऊँगी।”

मैंने एक हाथ से उसकी चूत को सहलाया तो देखा उसकी पेंटी ही नहीं बल्कि सलवार भी बिल्कुल गीली हो गई थी उसकी चूत के रस से।

जहाँ हम खड़े थे वहाँ नज़दीक ही टयूबवेल का कमरा था। मैं सोनिया को लेकर वहाँ चला गया। खेत में कोई नहीं था। तसल्ली करने के बाद हम दोनों कमरे के अंदर गए तो देखा अंदर एक चारपाई बिछी हुई थी। यानि सोनिया की और मेरी सुहागसेज़ तैयार थी।

मैंने कमरे के अंदर जाते ही सोनिया को फिर से चूमना शुरू कर दिया और वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी। फिर मैंने सोनिया की कमीज़ को उतारा तो नीचे ब्रा में कसी उसकी खरबूजे के आकार की चूचियाँ मेरे सामने आ गई। कमीज़ उतरने से सोनिया एक दम शरमा गई और उसने अपने हाथों से अपनी चूचियों को छुपाने के नाकाम सी कोशिश की।

मैंने सोनिया की बाहों को पकड़ कर उसके हाथ उसकी चूचियों पर से हटाये और उसकी चूचियों को ब्रा के ऊपर से ही चूमने लगा। मेरी इस हरकत से सोनिया सीत्कार उठी और जोर जोर से सिसकारियाँ भरने लगी।

मैंने ज्यादा देर करना उचित नहीं समझा और सोनिया की ब्रा उतार कर एक तरफ रख दी।

सोनिया की गोरी गोरी चूची देख कर मेरा लण्ड फटने को हो गया। मैं टूट पड़ा सोनिया की चूचियों पर। एक चुचूक को मैंने अपने होंठों में दबा लिया और दूसरी चूची को अपने हाथ में लेकर मसलने लगा। चूची को चूसने में बहुत मज़ा आ रहा था। मैं बीच बीच में चुचूक को दाँत से काट लेता था जिसके कारण सोनिया चिंहुक उठती थी और उसके मुंह से सीत्कार निकल जाती।

समय ज्यादा नहीं था तो मैंने जल्दी से अपने लण्ड की भूख मिटाने की तैयारी करनी शुरू कर दी। मैंने सोनिया की सलवार का नाड़ा खोला तो सलवार सोनिया के क़दमों में नतमस्तक हो गई । सोनिया ने गुलाबी रंग का अंडरवियर पहन रखा था जिस पर उसकी चूत के पानी का एक बड़ा सा धब्बा पड़ चुका था यानि सोनिया की चूत भरपूर पानी छोड़ रही थी। सोनिया की चूत लण्ड लेने के लिए फड़फड़ा रही थी। चूत से गर्म गर्म तपिश का एहसास हो रहा था।

मैंने ज्यादा देर न करते हुए सोनिया के पेंटी भी उतार कर एक तरफ़ फेंक दी। सोनिया अब मेरे सामने बिल्कुल नंगी खड़ी थी।

“तुमने मुझे तो पूरा नंगा कर दिया पर अपना एक भी कपडा नहीं उतारा?” सोनिया बोली।

मैंने भी झट से अपने सारे कपड़े उतार दिए और अपना मस्त कलंदर सोनिया के सामने कर दिया। मेरा साढ़े सात इन्च का लंबा लण्ड देख कर सोनिया की आँखें खुली की खुली रह गई।

“राज.. मैं इतना मोटा कैसे ले पाउंगी???”

“क्यों डर लग रहा है??” मैंने पूछा।

“अरे तुम्हारा है ही इतना मोटा की डर तो लगेगा ही !”

मैंने अपना लण्ड सोनिया के हाथ में पकड़ा दिया। सोनिया एकटक मेरे लण्ड को देखे जा रही थी। फिर उसने लण्ड को धीरे धीरे सहलाना शुरू किया तो सोनिया के कोमल हाथों के एहसास से लण्ड के मुँह में पानी आ गया। मैंने सोनिया को पास में पड़ी चारपाई पर लिटाया और उसकी टाँगें खोल कर अपनी जीभ सोनिया की चूत पर रख दी। जो लोग मुझे पहले से जानते है उन्हें पता है कि मैं चूत चाटने का कितना दीवाना हूँ।

चूत एक दम कोरी थी और उस पर हल्की रेशमी झांटें उगी हुई थी। चूत से पानी की नदी बह रही थी। सोनिया पूरी गर्म हो चुकी थी। मैंने सोनिया को अपना लण्ड चूसने के बोला तो वो धीरे धीरे मेरे लण्ड को चाटने लगी। मेरा लण्ड अब दर्द करने लगा था। सो मैंने अपना लण्ड सोनिया के मुँह से निकाल कर उसकी चूत के मुँह पर रख दिया।

लण्ड का एहसास होते ही सोनिया चिंहुक उठी। मैंने सोनिया की चूत के पानी से अपने लण्ड को गीला किया फिर थोड़ा सा थूक सोनिया की चूत पर लगा कर एक हल्का सा धक्का लगा दिया। चूत तंग थी सो लण्ड साइड में फिसल गया। अगली बार मैंने लण्ड को सही से टिकाया और एक थोड़ा जोर से धक्का लगा दिया तो लण्ड का सुपारा फक्क के आवाज के साथ सोनिया की चूत में फंस गया। सोनिया एकदम से दर्द के मारे चीख पड़ी।

मैंने अपने होंठ सोनिया के होंठों पर रख दिए और उसका मुँह बंद कर दिया। इससे पहले कि सोनिया और कुछ करती, मैंने एक और धक्का सोनिया की चूत पर लगा दिया और दो इंच लण्ड सोनिया की चूत में सरका दिया। सोनिया थोड़ा और छटपटाई पर मैं भी कोई कच्चा खिलाड़ी नहीं था। मैंने सोनिया की चूचियों को सहलाते हुए एक जोरदार धक्का लगा दिया तो लण्ड सोनिया की चूत की शील भंग करता हुआ चार पांच इंच तक अंदर घुस गया।

मैंने रुकना ठीक नहीं समझा और बिना रुके दो तीन धक्के और लगा दिए। लण्ड पूरा जड़ तक सोनिया के चूत में समां गया। पूरा लण्ड घुसाने के बाद मैंने सोनिया को संभाला तो देखा उसका बुरा हाल था दर्द के मारे। चूत खून से लाल हो चुकी थी। आँसुओं की दो मोटी धार सोनिया की आँखों से बह रही थी। मैंने उसके आँसू पोंछे और उसके होंठ चूमने लगा और उसकी चूचियाँ सहलाने लगा। फिर उसको थोड़ा समझाया कि पहली बार में दर्द होता है, अब कभी दर्द नहीं होगा और सिर्फ मज़ा ही मज़ा आएगा।

सोनिया बोली- वो तो मुझे मालूम है, पर दर्द भी तो सहन नहीं होता। सच बहुत दर्द हो रहा है।

मैं सोनिया की चूची को मुँह में लेकर चूसता रहा जिससे सोनिया को बहुत आराम मिल रहा था तभी तो कुछ ही देर के बाद सोनिया का रोना बंद हो गया और फिर कुछ ही देर में सोनिया की गांड भी हल्के से उछलने लगी। इशारा मिलते ही मैंने भी धक्के लगाने शुरू कर दिए। पहले धीरे धीरे और फिर गति बढ़ती चली गई।

ज्यूँ ज्यूँ धक्के लगने लगे, सोनिया की मस्ती भी बढ़ती चली गई। आखिर थी तो वो एक मस्त चुदक्कड़ माँ की बेटी।

अब तो सोनिया के मुँह से गालियों की बौछार शुरू हो गई- बहन के लौडे..जोर जोर से चोद मुझे…बहुत दिन से इस चूत को फड़वाना चाहती थी पर कोई तेरे जैसा लण्ड मिल ही नहीं रहा था .. चोद भोसड़ी के चोद मुझे… मेरी माँ की जैसे फाड़ी थी वैसे ही मेरी भी फाड़ बहनचोद..!!

सोनिया के मुँह से यह सुन कर मैं हैरान हो गया। क्या सोनिया को मेरी और किरण की चुदाई का पता है??

पर मुझे इससे क्या लेना, मुझे तो सोनिया की चूत चाहिए थी सो मिल गई थी।

“आज तो तेरी चूत को ऐसे फाड़ दूँगा जैसे तुम्हारी माँ की फटी हुई है… साली की चूत बहुत करारी है.. मेरा तो लण्ड निहाल हो गया तेरी और तेरी माँ की चूत में जाकर…”

“बहनचोद बोल मत बस जोर जोर से धक्के मार..सारी खुजली मिटा दे इसकी..” सोनिया मस्ती में चीख रही थी।

मैं भी मस्ती में जोर जोर से धक्के लगा कर सोनिया की कुंवारी चूत का भुर्ता बना रहा था।

“ओह्ह.. मेरे राजा….जोर से… और जोर से… आईईई…फाड़ दे बहन चोद……”

मैं बिना कुछ बोले अब धक्कों की गति पर ध्यान दे रहा था।

सोनिया अब मस्त गांड उठा उठा कर मेरा लण्ड ले रही थी अपनी चूत में।

करीब दस मिनट के बाद सोनिया का शरीर अकड़ने लगा और वो चिल्ला उठी- मैं तो गईईई.. मेरे राजा…मेरा तो निकाला…जोर से मार.. आह्ह्ह.. गईईइ …ऊम्म्म्म्म… निकल गया…

और इसी के साथ सोनिया झड़ गई।

मेरा अभी नहीं निकला था सो मैं धक्के लगाता रहा। पानी निकलने के बाद सोनिया थोड़ी सुस्त सी हुई पर थोड़ी ही देर के बाद वो फिर से गांड उठा उठा कर मेरा साथ देने लगी।

मैंने अपना लण्ड बाहर निकाला और सोनिया को घोड़ी बना कर पीछे से लंड सोनिया की चूत में डाल दिया। कमरे में अँधेरा हो गया था क्यूंकि सूरज छिप गया था। मैं अँधेरे में ही सोनिया की चूत पेलता रहा।

लगभग अगले पन्द्रह मिनट के बाद मुझे लगा कि अब मेरा भी निकलने वाला है तो मैंने भी जितनी तेज कर सकता था अपनी गति उतनी तेज कर दी। उधर सोनिया भी अब दुबारा से झड़ने को तैयार थी और मस्ती में गालियों से मेरे लण्ड से निकलने वाले अमृत का स्वागत कर रही थी।

“भर दे मेरे राजा अपने अमृत से मेरी चूत.. बहुत दिन इंतज़ार किया है इस पल का… बहन के लण्ड जल्दी जल्दी जोर जोर से चोद.. मेरा होने वाला है..”

“मैं भी आ रहा हूँ मेरी जान…” और फिर मैं भी पूरे जोर से झड़ने लगा सोनिया की चूत में। सोनिया की चूत से भी गंगा-जमना बह रही थी और सोनिया ने मुझे बुरी तरह से अपनी बाहों में जकड़ लिया था। मैं भी सोनिया के नाजुक बदन से लिपटा हुआ अभी खत्म हुई चुदाई के एहसास का मज़ा ले रहा था। घड़ी में समय देखा तो होश उड़ गए आठ बज चुके थे, गांव के माहौल के हिसाब से बहुत देर हो गई थी।

कहानी जारी रहेगी।

आपकी मेल का इंतज़ार रहेगा।

आपका राज

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