महाकाय लिंग का आनन्द

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लोग मुझे लावण्या कहते हैं, और मैं आपसे झूठ नहीं बोलूंगी। मुझे पता है कि मैं काफ़ी कामुक हूँ, लेकिन मैं हर किसी के लिए अपनी सुन्दर जांघें नहीं फ़ैलाती।

अब तक सभी लोग मुझे कहते आए हैं कि मैं बहुत सुन्दर हूँ। तो आपको उन सभी लोगों से बेहतर तरीके से मेरी सुन्दरता का बखान करना होगा।

आपको मुझे विश्वास दिलाना होगा कि आप मेरी जैसी शेरनी पर काबू कर पाएँगे।

अरे मुझे ज्यादा कुछ नहीं चाहिए- बस एक ऐसा पुरुष जो अपने लौड़े से मुझे इतना भर दे कि मैं दर्द चिल्ला पड़ूँ! और जिसमें रात भर इसे जारी रखने की पर्याप्त क्षमता हो।

क्योंकि एक बार अगर मैं शुरु हो गई तो जब तक बिस्तर की चादर पसीने से भीग ना जाए, मुझे चैन नहीं पड़ता।

मैं आपको एक आप बीती सुनाती हूँ!

मेरी सहेली है यवनिका! उसके बहुत सारे लड़के दोस्त हैं। वो कोई काम धाम नहीं करती और अकेली रहती है ठाठ से! अपने दोस्तों के सिर पर ऐश करती है। उनसे उपहार लेती है और बदले में उन्हें खुश रखती है अपने बदन की महक से!

एक बार तो ऐसा हुआ कि उसका एक दोस्त रोहित अपने एक और मित्र हिमेश को लेकर उसके घर आ गया। दो को एक साथ यौनानन्द देना उसके लिए कोई बड़ी बात नहीं थी।

लेकिन हिमेश का लौड़ा देख कर तो उसकी गाण्ड ही फ़ट गई। दस इन्च का लम्बा-मोटा लौड़ा! उसने अपनी जिन्दगी में इतना बड़ा लौड़ा कभी नहीं देखा था। हिमेश के लौड़े को देख कर उसे मेरी याद आई।

मैं उससे अक्सर कहा करती थी कि काश मुझे किसी महालण्ड से चुदने का मौका मिले। यवनिका ने तुरन्त मुझे फ़ोन किया। संयोगवश मैं उस दिन ऑफ़िस नहीं गई थी क्योंकि मेरी तबीयत कुछ नासाज़ थी।

जब उसने मुझे हिमेश के लौड़े के आकार के बारे में बताया तो बताया कि मैंने इस सुअवसर खोना नहीं चाहा और उसके घर पहुँच गई।

जब मैं वहाँ पहुंची तो देखा कि यवनिका रोहित के सामने घोड़ी बन चुद रही थी और हिमेश उनके नीचे लेटा अपना लण्ड चुसा रहा था उसे!

हिमेश का लण्ड देख कर ही मेरी तो बांछें खिल गई। मैंने भी पहली बार इतने विशाल लण्ड के दर्शन किए थे। मेरी एक दीर्घकालीन मनोकामना आज पूर्ण होती दिख रही थी।

मुझ पर नज़र पड़ते ही तीनों मुस्कुरा उठे। यवनिका के मुँह में हिमेश का लौड़ा था तो उसने आँखों की पलके झुका कर मेरा स्वागत किया और आँखों के इशारे ही मुझे अपने पास बुलाया।

मैं उसके पास पहुँची तो उसमे लौड़े को मुँह से निकाला, मेरे कंधे को पकड़ कर अपनी ओर झुकाया और अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए।

लेकिन मेरी निगाहें तो हिमेश के लण्ड से हट ही नहीं रही थी। मैंने यवनिका के होंठ छोड़े और अपने होंठ हिमेश के लण्ड पर टिका दिये।

इतनी देर में हिमेश के हाथ मेरे कूल्हों पर विचरण करने लगे थे। मैं अब हिमेश को लण्ड को अपने मुख में लेकर मजे से चूसने लगी थी। हिमेश ने मुझे बिस्तर पर खींच लिया और अपने ऊपर घोड़ी की भान्ति कर लिया।

अब स्थिति यह थी कि मैं और यवनिका आमने सामने घोड़ी बनी हुई थी थी, हिमेश मेरे नीचे लेटा था और उसका लण्ड हम दोनों लड़कियों के चेहरे के बीच में था जिसे हम दोनों मिलकर चूस चाट रही थी, बीच भीच में आपस में एक दूसरे को चूम भी लेती थी और रोहित यवनिका के पीछे से उसकी चूत में लण्ड की धक्कम-पेल में लगा था।

हिमेश के हाथ मेरी जीन्स को खोलने में व्यस्त थे। जल्ही ही उसने मेरी जीन्स मेरी टांगों से अलग कर दी और मेरे कूल्हों को पकड़ कर मेरी पैन्टी के ऊपर से मेरी चूत में अपना नाक घुसा कर उसकी खुशबू का आनन्द लेने लगा।

उसके नाक की नोक मेरी भग्न पर रगड़ कर मेरी अन्तर्वासना को और भड़का रही थी। मैंने अपना एक हाथ अपनी पैन्टी पर ले जाकर उसे जांघ से एक तरफ़ सरकाया और हिमेश से कहा- चाट ले मेरी चूत! मेरे दाने को चूस!

हिमेश को शायद पैंटी के कारण कुछ परेशानी हो रही थी तो उसने उसे भी मेरी टांगों से निकाल बाहर किया। अब हिमेश की जीभ मेरी चूत को कुरेदने लगी और मेरे मुख से आनन्द भरी सिसकारियाँ फ़ूटने लगी।

मेरी गाण्ड का छेद हिमेश की आँखों के सामने था, उसने हाथों मेरे कूल्हों को खोल कर एक ऊँगली मेरी गाण्ड में घुसाने की कोशिश की लेकिन गाण्ड सूखी होने के कारण ऊँगली अन्दर नहीं गई तो उसने जीभ से मेरी गाण्ड के छेद पर थूक लगाया और फ़िर पूरी ऊँगली मेरी गाण्ड में घुसा दी।

अब मेरे तीनों छेद हिमेश ने भर रखे थे, मेरे मुँह में उसका लौड़ा, मेरी चूत में उसकी जीभ और गाण्ड में ऊँगली।

इतने में रोहित और यवनिका साथ साथ झड़ गए और अलग होकर एक तरफ़ बैठ गए और हम दोनों का खेल देखने लगे।

उसके बाद हिमेश ने मुझे अपने नीचे लिया और अपना महाकाय लिंग मेरी योनि में प्रवेश कराने लगा। दर्द और आनन्द मिश्रित चीख मेरे मुख से निकली और मेरी योनि ने हिमेश के लिंग को अपने अन्दर समाहित कर लिया।

हिमेश काफ़ी देर तक मुझे चोदता रहा और इस बीच मुझे कई बार परम आनन्द प्राप्त हुआ।

शायद आप भी वही आनन्द मुझे दे सकते हैं जो हिमेश ने दिया?

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