हिंदी सेक्सी स्टोरी: तीन भाभियों की किस्मत मेरे हाथ-1

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000

इस हिंदी सेक्सी स्टोरी में मैं आपको हमारे खानदान की सबसे अन्दर की बात बताने जा रहा हूँ मेरे हिसाब से मैंने कुछ बुरा किया नहीं है हालांकि कई लोग मुझे पापी समझेंगे। कहानी पढ़ कर आप ही फ़ैसला कीजिएगा कि जो हुआ वो सही हुआ है या नहीं?

कहानी कई साल पहले की है जब मैं अठारह साल का था और मेरे बड़े भैया काशी राम चौथी शादी करने की सोच रहे थे।

हम सब राजकोट से पचास किलोमीटर दूर एक छोटे से गाँव में ज़मीदार हैं एक सौ बीघा की खेती है और लंबा चौड़ा व्यवहार है हमारा। गाँव में चार घर और कई दुकानें है। मेरे माता-पिताजी जब मैं दस साल का था तब मर गए थे। मेरे बड़े भैया काशी राम और भाभी सविता ने मुझे पाल-पोस कर बड़ा किया।

भैया मुझसे तेरह साल बड़े हैं, उनकी पहली शादी के वक़्त में आठ साल का था। शादी के पाँच साल बाद भी सविता भाभी को संतान नहीं हुई। कितने ही डॉक्टरों को दिखाया लेकिन सब बेकार गया। भैया ने दूसरी शादी की चम्पा भाभी के साथ! तब मेरी आयु तेरह साल की थी।

लेकिन चम्पा भाभी को भी संतान नहीं हुई। सविता और चम्पा की हालत बिगड़ गई, भैया उनके साथ नौकरानियों जैसा व्यवहार करने लगे। मुझे लगता है कि भैया ने दोनों भाभियों को चोदना चालू रखा था संतान की आस में।

दूसरी शादी के तीन साल बाद भैया ने तीसरी शादी की सुमन भाभी के साथ। उस वक़्त मैं सोलह साल का हो गया था और मेरे बदन में फ़र्क पड़ना शुरू हो गया था। सबसे पहले मेरे वृषण बड़े हो गये बाद में कांख में और लौड़े पर बाल उगे और आवाज़ गहरी हो गई। मुँह पर मूछें निकल आई, लौड़ा लंबा और मोटा हो गया, रात को स्वप्न-दोष होने लगा, मैं मुठ मारना सीख गया।

सविता और चम्पा भाभी को पहली बार देखा तब मेरे मन में चोदने का विचार तक आया नहीं था, मैं बच्चा जो था। सुमन भाभी की बात कुछ और थी। एक तो वो मुझसे चार साल ही बड़ी थी, दूसरे वो काफ़ी ख़ूबसूरत थी, या कहो कि मुझे ख़ूबसूरत नज़र आती थी। उनके आने के बाद मैं हर रात कल्पना किए जाता था कि भैया उसे कैसे चोदते होंगे और रोज़ उसके नाम पर मुठ मार लेता था। भैया भी रात-दिन उसके पीछे पड़े रहते थे, सविता भाभी और चम्पा भाभी की कोई क़ीमत रही नहीं थी।

मैं मानता हूँ कि भैया बदलाव के वास्ते कभी कभी उन दोनों को भी चोदते थे। ताज्जुब की बात यह है कि अपने में कुछ कमी हो सकती है ऐसा मानने को भैया तैयार नहीं थे। लंबे लण्ड से चोदे और ढेर सारा वीर्य पत्नी की चूत में उड़ेल दे, इतना काफ़ी है मर्द के वास्ते बाप बनाने के लिए, ऐसा उनका दृढ़ विश्वास था। उन्होंने अपने वीर्य की जाँच करवाई नहीं थी।

उमर का फ़ासला कम होने से सुमन भाभी के साथ मेरी अच्छी बनती थी, हालांकि वो मुझे बच्चा ही समझती थी। मेरी मौजूदगी में कभी कभी उनका पल्लू खिसक जाता तो वो शरमाती नहीं थी। इसीलिए उनके गोरे-गोरे स्तन देखने के कई मौक़े मिले मुझे। एक बार स्नान के बाद वो कपड़े बदल रही थी और मैं जा पहुँचा। उनका अर्धनग्न बदन देख मैं शरमा गया लेकिन वो बिना हिचकिचाहट के बोली- दरवाज़ा खटख़टा कर आया करो।

दो साल यूँ ही गुज़र गए। मैं अठारह साल का हो गया था और गाँव के स्कूल में 12वीं में पढ़ता था। भैया चौथी शादी के बारे में सोचने लगे। उन दिनो में जो घटनाएँ घटी, आपके सामने बयान कर रहा हूँ।

बात यह हुई कि मेरी उम्र की एक नौकरानी बसंती, हमारे घर काम पर आया करती थी। वैसे मैंने उसे बचपन से बड़ी होते देखा था। बसंती इतनी सुंदर तो नहीं थी लेकिन दूसरी लड़कियों के मुकाबले उसके स्तन काफ़ी बड़े-बड़े और लुभावने थे। पतले कपड़े की चोली के आर-पार उसकी छोटी-छोटी चूचियाँ साफ़ दिखाई देती थी। मैं अपने आप को रोक नहीं सका, एक दिन मौक़ा देख मैंने उसके स्तन थाम लिए। उसने ग़ुस्से से मेरा हाथ झटक डाला और बोली- आइंदा ऐसी हरकत करोगे तो बड़े सेठ को बता दूँगी।

भैया के डर से मैंने फिर कभी बसंती का नाम ना लिया।

एक साल पहले बसंती को ब्याह दिया गया था। एक साल ससुराल में रह कर अब वो दो महीनों के वास्ते यहाँ आई थी। शादी के बाद उसका बदन और भर गया था और मुझे उसको चोदने का दिल हो गया था लेकिन कुछ कर नहीं पाता था। वो मुझसे क़तराती रहती थी और मैं डर का मारा उसे दूर से ही देख लार टपकाता रहता था।

अचानक क्या हुआ क्या मालूम!

लेकिन एक दिन माहौल बदल गया। दो चार बार बसंती मेरे सामने देख मुस्कराई। काम करते करते मुझे गौर से देखने लगी। मुझे अच्छा लगता था और दिल भी हो जाता था उसके बड़े-बड़े स्तनों को मसल डालने को। लेकिन डर भी लगता था। इसी लिए मैंने कोई प्रतिभाव नहीं दिया। वो नखरे दिखाती रही।

एक दिन दोपहर को मैं अपने कमरे में पढ़ रहा था। मेरा कमरा अलग मकान में था, मैं वहीं सोया करता था। उस वक़्त बसंती चली आई और रोनी सूरत बना कर कहने लगी- इतने नाराज़ क्यूं हो मुझसे मंगल?

मैंने कहा- नाराज़? मैं कहाँ नाराज़ हूँ? मैं क्यूँ होने लगा नाराज़?

उसकी आँखों में आँसू आ गये, वो बोली- मुझे मालूम है उस दिन मैंने तुम्हारा हाथ जो झटक दिया था ना? लेकिन मैं क्या करती? एक ओर डर लगता था और दूसरे दबाने से दर्द होता था। माफ़ कर दो मंगल मुझे।

इतने में उसकी ओढ़नी का पल्लू खिसक गया, पता नहीं कि अपने आप खिसका या उसने जानबूझ कर खिसकाया। नतीजा एक ही हुआ, गहरे गले की चोली में से उसके गोरे-गोरे स्तनों का ऊपरी हिस्सा दिखाई दिया। मेरे लौड़े ने बग़ावत की पुकार लगाई।

मैं- उसमें माफ़ करने जैसी कोई बात नहीं है, मैं नाराज़ नहीं हूँ, माफ़ी तो मुझे मांगनी चाहिए थी।

मेरी हिचकिचाहट देख वो मुस्करा गई और हंस कर मुझसे लिपट गई और बोली- सच्ची? ओह, मंगल, मैं इतनी ख़ुश हूँ अब। मुझे डर था कि तुम मुझसे रूठ गये हो। लेकिन मैं तुम्हें माफ़ नहीं करूंगी जब तक तुम मेरी चूचियों को फिर नहीं छुओगे।

शर्म से वो नीचे देखने लगी, मैंने उसे अलग किया तो उसने मेरी कलाई पकड़ कर मेरा हाथ अपने स्तन पर रख दिया और दबाए रखा।

छोड़, छोड़ पगली, कोई देख लेगा तो मुसीबत खड़ी हो जाएगी।

तो होने दो मंगल, पसंद आई मेरी चूची? उस दिन तो ये कच्ची थी, छूने पर भी दर्द होता था। आज मसल भी डालो, मजा आता है।

मैंने हाथ छुड़ा लिया और कहा- चली जा, कोई आ जाएगा।’

वो बोली- जाती हूँ लेकिन रात को आऊँगी। आऊँ ना?

उसका रात को आने का ख़याल मात्र से मेरा लौड़ा तन गया, मैंने पूछा- ज़रूर आओगी?

और हिम्मत जुटा कर बसन्ती के स्तन को छुआ।

विरोध किए बिना वो बोली- ज़रूर आऊँगी। तुम ऊपर वाले कमरे में सोना। और एक बात बताओ, तुमने किस लड़की को चोदा है?’ उसने मेरा हाथ पकड़ लिया मगर हटाया नहीं।

नहीं तो! कह कर मैंने स्तन दबाया। ओह, क्या चीज़ था वो स्तन!

उसने पूछा- मुझे चोदना है? सुनते ही मैं चौंक पड़ा। ‘उन्न..ह..हाँ..! लेकिन? ‘लेकिन वेकिन कुछ नहीं। रात को बात करेंगे।

धीरे से उसने मेरा हाथ हटाया और मुस्कुराती चली गई।

रात का इंतज़ार करते हुए मेरा लण्ड खड़ा का खड़ा ही रहा, दो बार मुठ मारने के बाद भी। क़रीब दस बजे वो आई।

सारी रात हमारी है, मैं यहाँ ही सोने वाली हूँ! उसने कहा और मुझसे लिपट गई, उसके कठोर स्तन मेरे सीने से दब गये। वो रेशम की चोली, घाघरी और ओढ़नी पहने आई थी। उसके बदन से मादक सुवास आ रही थी।

मैंने ऐसे ही उसको अपने बाहुपाश में जकड़ लिया।

‘हाय दैया, इतना ज़ोर से नहीं! मेरी हड्डियाँ टूट जाएंगी। वो बोली।

मेरे हाथ उसकी पीठ सहलाने लगे तो उसने मेरे बालों में ऊँगलियाँ फिरानी शुरू कर दी। मेरा सर पकड़ कर नीचा किया और मेरे मुँह से अपना मुँह मिला दिया।

उसके नाज़ुक होंठ मेरे होंठों से छूते ही मेरे बदन में झुरझुरी फैल गई और लौड़ा अकड़ने लगा। यह मेरा पहला चुंबन था, मुझे पता नहीं था कि क्या किया जाता है। अपने आप मेरे हाथ उसकी पीठ से नीचे उतर कर उसके कूल्हों पर रेंगने लगे। पतले कपड़े से बनी घाघरी मानो थी ही नहीं। उसके भारी गोल-गोल नितंब मैंने सहलाए और दबोचे। उसने नितंब ऐसे हिलाए कि मेरा लण्ड उसके पेट साथ दब गया।

थोड़ी देर तक मुँह से मुँह लगाए वो खड़ी रही। अब उसने अपना मुँह खोला और ज़बान से मेरे होंठ चाटे। ऐसा ही करने के वास्ते मैंने मुँह खोला तो उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी। मुझे बहुत अच्छा लगा। मेरी जीभ से उसकी जीभ खेली और वापस चली गई। अब मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाली। उसने होंठ सिकोड़ कर मेरी जीभ को पकड़ा और चूसा।

मेरा लण्ड फटा जा रहा था। उसने एक हाथ से लण्ड टटोला। मेरे लण्ड को उसने हाथ में लिया तो उत्तेजना से उसका बदन नर्म पड़ गया। उससे खड़ा नहीं रहा गया। मैंने उसे सहारा देकर पलंग पर लेटाया।

चुंबन छोड़ कर वो बोली- हाय मंगल, आज पंद्रह दिन से मैं भूखी हूँ! पिछले एक साल से मेरे पति मुझे हर रोज़ एक बार चोदते हैं लेकिन यहाँ आने के बाद मैं नहीं चुदी। मुझे जल्दी से चोदो, मैं मरी जा रही हूँ।

मुसीबत यह थी कि मैं नहीं जानता था कि चुदाई में लण्ड कैसे और कहाँ जाता है। फिर भी मैंने हिम्मत करके उसकी ओढ़नी उतार फेंकी और पाजामा निकाल कर उसकी बगल में लेट गया। वो इतनी उतावली हो गई थी कि चोली-घाघरी निकाल ही नहीं रही थी, फटाफट घाघरी ऊपर उठाई और…

शेष हिंदी सेक्सी स्टोरी अगले भाग में! [email protected]

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000