मेरी नौकरानी सरोज-2

प्रेषक : रॉकी

पहले भाग से आगे….

अब मैं निश्चिंत होकर उसके ऊपर आ गया और उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया। उसकी चड्डी चूत-रस से गीली हो चुकी थी और अपनी मादक खुशबू से मुझे पागल किये जा रही थी।

मैंने उसकी चड्डी भी उतार दी और खुद भी पूरा नंगा हो गया ! अब हम दोनों नंगे थे। उसकी चूत फ़ूल चुकी थी- क्या गोरी चूत थी उसकी ! और ऊपर से सुनहरे रोयेंदार बाल !

मुझे तो ऐसा लग रहा था जैसे मैं अंजेलिना जोली या करीना कपूर की चूत देख रहा हूँ !

उसकी चूत का दाना और फांके मुझे जानवर होने पर मजबूर कर रहे थे।

मैंने धीरे से एक उंगली सरोज की चूत के अन्दर डाल दी और उंगली से उसे चोदने लगा।

वो तड़प उठी और सिसकारने लगी। फिर मैंने उसकी चूत के अन्दर अपनी जीभ घुसेड़ दी और उसकी चूत चाटने लगा। सरोज उचक-उचक कर तड़पने लगी और सिसकारने लगी, उईईइ अह्ह्ह्हह की आवाज़ें निकलने लगी।

मैंने भी उसको जीभ से चोदने की गति बढ़ा दी और उसकी चूत को पागलों के जैसे चूसने और चाटने लगा। अचानक उसे मुझे जकड़ लिया और मेरा मुँह अपनी चूत के ऊपर और जोर से दबा दिया !

वो झड़ गई थी !

मैंने उसके चूत-रस का स्वाद चखा ! बड़ा ही रसीला और मादक था। जैसे मुझ पर नशा चढ़ गया, उसे भी बहुत आनंद आ रहा था और मुझे ख़ुशी हो रही थी कि अब मैं इस कुँवारी चूत को तरीके से चोद सकता हूँ।

सरोज एकदम से बेसुध होकर बिस्तर पर ही लेटी हुई थी परम-आनन्द के नशे में ! वो जन्नत की सैर कर रही थी !

पर अब तो असल चुदाई शुरू होने वाली थी क्योंकि अब मेरे लंड महाराज की बारी थी जो बहुत देर से अकड़ कर खड़े थे।

मेरा लंड इतना अकड़ चुका था कि अगर मैं उसकी प्यास जल्दी नहीं बुझाता तो मेरा लंड बम की तरह ही फ़ट जाता।

अब मैंने सरोज को सीधा लिटाया और उसकी दोनों टांगें फैला दी। अब सरोज होश में आ रही थी, उसने मेरा मोटा और लम्बा लंड देखा तो डर सी गई।

मैंने उसे समझाया- कुछ नहीं होगा ! अब तुझे असली जन्नत की सैर कराता हूँ !

वो भी चुदना चाहती थी !

अब मैंने फिर से उसकी चूत में अपनी जीभ डाल दी और उसकी चूत को अच्छे से पूरा गीला कर दिया लंड अन्दर डालने के लिए !

मैंने अपने लंड का सुपारा उसकी कोमल चूत के ऊपर रखा और उसके चुचूक और होंठ चूसते हुए एक जोर का धक्का मारा। मेरा लंड उसकी चूत की झिल्ली फाड़ते हुए आधे से ज्यादा घुस गया। सरोज को जोर का दर्द हुआ क्योंकि उसकी चूत फट गई थी। उसके चीखने से पहले ही मैंने उसके होंठों को अपने होंठों से दबा दिया और थोड़ी देर के लिए रुक गया। मुझे लग रहा था कि उसकी चूत से गर्म-गर्म खून निकल रहा है। वो रोती जा रही थी और तड़प रही थी। में उसे जोर से चूम रहा था और उसके स्तन सहलाता जा रहा था ताकि वो सामान्य हो जाये !

थोड़ी देर बाद वो शांत हो गई, उसका दर्द कम हो गया था। सो मैंने धीरे-धीरे लंड को अन्दर-बाहर करना शुरु किया।

अब वो अपनी गांड उठा-उठा कर मेरा साथ दे रही थी पर लंड पूरा अन्दर नहीं गया था। फिर से मैंने उसको जोर से चूमते हुए एक झटका मारा और मेरा पूरा लंड उसकी चूत में घुस गया !

वो तड़पने लगी पर अब मैं कहाँ रुकने वाला था, मैं उसे पागलों की तरह चूसते-चाटते जोर जोर से चोदने लगा !

अब वह भी उचक-उचक कर चुदवा रही थी, सिसकारियाँ लेकर- उईईई आहऽऽ आईईई !

मैं तो जंगली बन चुका था और उसे बेतहाशा चोदे जा रहा था। अचानक एक बार फिर उसने मुझे जोर से जकड लिया। मैंने अपनी गति और तेज कर दी, पूरा कमरा मेरे लंड के अन्दर-बाहर होने की फच्च्क फच्च की आवाज़ों से भरा हुआ था।

अब सरोज फिर से झड़ गई थी और निढाल होकर लेट गई। अब मेरी झड़ने की बारी थी, मैं तेज-तेज़ उसे चोदे जा रहा था और मैं भी उसकी चूत में ही झड़ गया।

उसकी चूत मेरे वीर्य से भर गई !

मैं सरोज के ऊपर ही लेट गया !

थोड़ी देर बाद मैं उठा, पर सरोज नहीं उठ पा रही थी। अचानक उसकी नज़र चादर पर पड़ी और खून देखकर उसके होश उड़ गए ! वो डर गई और जोर से रोने लगी और कहने लगी- मैं सबको बता दूंगी !मैं डर गया और उसे मनाने लगा ! उसे अपनी जिंदगी की दुहाई दी ! आगे कभी ऐसा नहीं होगा- कहकर उसके पैरों में गिर गया, जिससे वो मन जाये, क्योंकि वो पैसों की लालची नहीं थी। वो बहुत अच्छी थी इसलिए उसने मुझे माफ़ कर दिया।

मैं उसे उठा कर बाथरूम में ले गया। उसने अपने को साफ किया। चादर भी धो दी। मैंने उसे दर्द की गोली दी ताकि उसे दर्द न हो और किसी को पता न चले।

मैं उसे चोद कर बहुत खुश था !

वो चली गई ! उसने किसी को कुछ नहीं बताया !

कुछ दिन लगे उसे मेरे साथ सामान्य होने में !

बाद में मैंने उसे और भी कई बार चोदा जब घर पर कोई नहीं होता था।

कुछ साल बाद हमने वो कालोनी छोड दी ! और उसकी भी किसी गाँव में शादी हो गई !

आज तक मुझे सरोज जितना मज़ा किसी और लड़की ने नहीं दिया ! वो सर्वोत्तम थी !

ये थी मेरी असली और सबसे प्यारी कथा ! कुछ और भी असली किस्से हैं, बाद में आपके सामने लेकर आऊंगा।

मेरी दास्ताँ कैसी लगी, मुझे जरुर मेल करें ! धन्यवाद !

[email protected]