रेलगाड़ी में मिले बढ़िया लौड़े

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000

लेखक : तरुण वर्मा

सभी अंतर्वासना पढ़ने वाले लोगों को मेरा यानि तरुण वर्मा का कोटि कोटि प्रणाम, गुरु जी को भी मेरा प्रणाम, नमस्कार !

और सबसे ज्यादा अंतर्वासना के एक बहुत चर्चित और बहुत गुणी लेखक सनी को भी शुक्रिया क्यूंकि उसकी चुदाई के तजुर्बे पढ़ने के बाद मैंने भी उसी की तरह से अपने गांड की खुजली मिटवाने के लौड़े ढूंढ लिए हैं, मुझे गांड मरवाने का बहुत बड़ा चस्का लग चुका है, ऊपर से कोर्ट की मान्यता मिलने पर हम लोगों को हक मिल जायेगा, डर ख़तम होगा !

खैर मुद्दे पर आकर बात करते हैं !मेरी उम्र बीस साल है मैं एम.बी.ए फर्स्ट इयर का छात्र हूँ। मैं वैसे तो जालंधर का रहने वाला हूँ लेकिन अपनी डिग्री आगरा यूनीवर्सिटी से कर रहा हूँ। मुझे गांड मरवाने का चस्का स्कूल से लग गया था। चिकना होने के वजह से स्कूल में कुछ बड़ी क्लास के लड़के मुझे टोंटिंग करते थे, मेरी तरफ से चुप्पी साध लेने के बाद उनके हौंसले और बढ़ गए। मुझे उनका यह सब करना अच्छा लगता था।

एक दिन मुझे एक लड़के ने कहा- तुझे म्यूजिक वाले सर म्यूजिक रूम में बुला रहे हैं !

वो हॉल अलग सा है, जब मैं गया वहां राजू नाम का और विशाल बारहवीं क्लास के छात्र थे। मैंने सर के बारे पूछा तो बोले- साले चिकने ! हम सिखा देते हैं म्यूजिक !

कुछ कुछ मैं समझ गया लेकिन अनजान सा बन गया। राजू बोला- इधर आ और मेरी जिप खोल के हाथ डाल मेरा लौड़ा सहला दे !

विशाल ने खुद ही पास आकर अपनी जिप खोल अपना लौड़ा निकाल मुझे पकड़ा दिया, मुझे अच्छा सा लगा, क्यूंकि मैं हमेशा लड़कों के फूले हुए हिस्से देख देख कर खुश होता था। दोनों ने मेरे से मुठ मरवाई और मुँह में डाल के चुसवाये। उसके बाद मेरी गांड नंगी कर सहलाने लगे। दोनों एक साथ छूटे, सारा माल मेरी गांड पे डाल दिया और लौड़े मेरे मुँह में डलवा साफ़ करवा कर चले गए। उसके बाद कई बार यही कुछ होने लगा लेकिन गांड किसी ने अभी तक न मारी।

चलो खैर छोड़ो !

फिर स्कूल से बाहर चालीस साल के करीब दो बन्दों से वास्ता पड़ा और उन दोनों ने मुझे बहुत ठोका। उनके परिवार इंडिया से बाहर थे और वो सिर्फ यहाँ बिज़नेस के लिए आते थे। अब मुझे चूसने के इलावा उनसे गांड मरवाने का चस्का डल गया और मेरी तलाश अब नये नये लौड़े की रहती। मेरे पर्स में हमेशा तीन चार कंडोम रहते थे, न जाने कब कोई मिल जाये और मरवानी पड़े ! लेकिन फिर मेरी गांड को सूखा पड़ गया, वो दोनों वापस कनाडा चले गए।

स्कूल से कॉलेज आ गया, यहाँ लौड़े मिलने मुश्किल से लगने लगे कि तभी मैंने सनी की कहानी पढ़ी (कैसे बना मैं चुदक्कड़ गांडू)।

ट्रेन का सफ़र तो मैं अक्सर करता सा था क्यूंकि मैं आगरा से जालंधर आता ही रहता था। मैं हमेशा रिज़र्वेशन करवा के सीट कन्फर्म करवा कर बैठता था, लेकिन इस बार रिज़र्वेशन करवाने के बाद मैंने अपना सामान वहीं बर्थ के ऊपर रख दिया, खुद जनरल डिब्बे में चला गया।

काफी भीड़ थी, मैं बीच में फंस सा गया और कई लौड़े मेरी गांड पर चुभने लगे। बाहर तेज़ बारिश हो रही थी मेरे पीछे एक मूछों वाला मर्द खड़ा था, हट्टा कट्टा था, बोला- चिकने तू कैसे फंस गया ऐसे डिब्बे में?

मैंने कहा- गाड़ी चल पड़ी थी, भाग कर पकड़ी है!

मेरी गांड बहुत गोल मोल सी है, पोली-पोली सी, मेरी छातियाँ भी नरम-नरम हैं।

वो बोला- कहाँ जा रहा है?

जालंधर !

मैंने उसके लौड़े पर दबाव सा दिया गांड पीछे धकेलते हुए। इतनी भीड़ थी कि नीचे किसी का ध्यान नहीं था। उसने चुटकी काटी गांड पे शरारत भरी, मैंने नीचे वाला हाथ उसके लौड़े की तरफ किया और उस पर अपना हाथ फेरना शुरु किया। उसने मेरा हाथ पकड़ ठीक जगह रख दिया और जिप खोल दी। मैंने हाथ अन्दर डाल दिया और उसका लौड़ा मसलने लगा। वो आंखें बंद कर आनंद ले रहा था।

इतनी जल्दी कामयाबी मिलेगी सोचा नहीं था। मैंने मजे से उसका लौड़ा पकड़ रखा था, रात का सफ़र था। मैंने उसके कान के पास कहा- मेरी सीट बुक है ए.सी स्लीपर ए-४ बर्थ ३७ !

उसका नंबर लिया और अगले स्टेशन उतर अपने बर्थ में चला गया और उसको फ़ोन किया कि जैसे ही टिकेट चेक हो जायेगी, कॉल करूँगा, यहीं आ जाना !

गोल्डन टेम्पल मेल थी, क्लास ट्रेन ए.सी स्लीपर में केबिन से लगे हुए थे। मैंने बाहर लगी लिस्ट देखी, जिसमें मालूम हुआ कि दिल्ली तक ट्रेन में मेरे साथ वाली बर्थ खाली थी। नई दिल्ली तक फ्री !

जैसे ही टिकट चेक हुआ, मैंने उसको अगले स्टेशन पे ट्रेन रुकते ही आ जाने को कहा। वो वहीं आ गया और दोनों सट कर बैठ गए। मैंने उसके लौड़े को पैंट के ऊपर से मसल दिया। उसने भी मेरी कमर में हाथ डाल मुझे अपनी तरफ खींच मेरे होंठ चूम लिए। हमने बत्ती बुझा दी, केबिन को कुण्डी लगाई और अपनी टी-शर्ट उतार उसको अपने मस्त मस्त मम्मे दिखाए।

वो बोला- यार, तू तो लड़की जैसा है !

उसने मेरे मम्मों पर हाथ फेरा, मुझे अच्छा लगा। वो उन्हें पकड़ कर दबाने लगा। मैंने उसकी पैन्ट घुटनों तक सरका दी और उसको सीट पे बिठा खुद घुटनों के बल उसकी दोनों टांगों के बीच बैठ गया और उसका लौड़ा चूसने लगा। वो हैरानी से मुझे देख रहा था, उसने मेरे बालो में हाथ फेरना चालू किया, कितने दिन बाद मुझे लौड़ा मिला था। मैं आराम से चूसने लगा, खेलने लगा। उसको पूरा आनन्द आने लगा। मैं कभी उसके दोनों टट्टों को चूस देता। वो पूरा गरम था और झड़ने वाला हो गया। उसने मेरे बाल पकड़े और जोर जोर से मेरा सर हिलाने लगा और अपना सारा माल मेरे मुँह में छोड़ दिया। मैंने भी एक एक कतरा साफ़ कर दिया। वो हांफने लगा। मैंने दुबारा मुँह में लेकर उसको खड़ा करने की कोशिश की और करीब दस मिनट की कोशिश के बाद उसका फिर से अकड़ने लगा। वो मेरी गांड सहलाने लगा और अपनी जुबान से मेरे छेद को छेड़ा, जिससे मुझे बहुत मजा आया। कभी किसी ने मेरी गांड नहीं चाटी थी, मैंने कहाँ- राजा, अब मत तड़पाओ ! मुझसे रहा नहीं जा रहा, पेल डाल दो अब आप अपना लौड़ा !

बोला- तू बहुत मजेदार है यार ! ऐसी तो कभी नहीं किसी ने चूसा और मरवाई ! कितने लौड़े लिये हैं?

काफी !

मैंने पास पड़ी पैन्ट में से पर्स से कंडोम दिया यह देख भी वो हैरान रह गया। मैंने अपने हाथों से उसके लौड़े पर चढ़ा दिया और वहीं घोड़ी बन गया। उसने चिकनाई भरे कंडोम को गांड के छेद पे रख लौड़ा घुसाया।

हाय ! थोड़ा आराम से ! काफी दिनों बाद मिला है ! तेरा है भी बहुत सॉलिड !

उसने प्यार से पूरा लौड़ा घुसा दिया और धक्के पर धक्का देने लगा। उसकी एक एक रगड़ से मेरी आंखें बंद हो रहीं थीं, और करो ! वाह मेरे आशिक ! वाह क्या लौड़ा है तेरा ! फाड़ डाल ! मेरी पिछले पन्द्रह दिन की प्यासी गांड को आज अपने मोटे लौड़े से फाड़ डाल !

यह ले मादर-चोद ! गांडू की औलाद ! साले फाड़ रहा हूँ तेरी आज ! इसका भोसड़ा बनेगा रे !

मना कौन कर रहा है सरकार !

वो बोला- सीधा लेट जा ! बीच में आते हुए उसने दोनों टांगे कंधो पर रखवा लीं और पेल दिया। इस एंगल से पूरा घुसता है जिससे मुझे और मजा आता ! हाय हाय ! और कर साले ! दलाल ! मादरचोद फाड़ दे ! फाड़ दे ! उई हुई हुई उई हुई उई उई उई ! हरे राम ! क्या लौड़ा है तेरा रे !

वो तेज़ घोडे की तरह दौड़ने लगा और एक दम से उसने अन्दर कंडोम में बरसात कर दी। एकदम निकाला, कंडोम उतार लौड़ा मुँह में घुसा दिया। मैंने उसको चाट चाट कर साफ़ कर दिया। उस रात चलती ट्रेन में उसने दिल्ली तक मुझे दो बार चोदा। दिल्ली निकलते ट्रेन ने रफ्तार पकड़ी। साथ वाले बर्थ केबिन में केवल औरतें और एक बन्दा था। आधे घंटे में वो सब बत्ती बंद कर सोने लगे। मैंने उसको कॉल किया कि जगाघरी में गाड़ी रुकेगी तो आ जाना ! दिल्ली से आगे ए.सी की कोई रिज़र्वेशन नहीं थी। दिल्ली से निकलते ही टिकट चेकर ने नये लोगों की टिकट देखी और चला गया।

जगाधरी आते ही वो केबिन में आया लेकिन इस बार उसके साथ उसका एक दोस्त भी था। उसने मुझे उससे इंट्रो करवाई। तीनों ने खुश होते हुए बत्ती बंद कर दी।

और फिर क्या हुआ, कैसे हुआ, कितनी बार हुआ – सब अगली भाग में लिखूंगा तब तक के लिए बाय बाय !

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000