जोर लगा के पेलो

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मैं एक नए शहर में जब अकेले घूमने निकला तो मैं चलते चलते एक वेश्याओं की गली में पहुंच गया। मैंने देखा कि बहुत सी लड़कियाँ छोटे छोटे मकानों के सामने खड़ी थी। मैंने समझा कि सभी किसी त्यौहार की तैयारी करके कहीं जाने की तैयारी कर जा रहे होंगी। सभी सजे धजे थे । मुझे कुछ समझ न आया और आगे बढ़ता चला गया। गली में पहुंच कर देखा कि वहाँ सभी इशारों में बुला रहे थे। मैंने देखा कि एक आंटी मुझे बुला रही है। तो मैंने सोचा कि शायद आंटी को किसी प्रकार की मदद चाहिए।

मैं आंटी के पास पहुंचा तो आंटी ने पूछा,”लोगे?”

तब मुझे समझ में आया कि मैं किस गली में पंहुचा हूँ।

मैंने पूछा,”कितना ?”

तो उसने बोला,”१०० रुपए लड़की का और ५० रुपए मेरा !”

मैंने अपने सारे पैसे लगभग ख़त्म कर दिए थे इसलिए मैंने उस आंटी को पेलने का निश्चय किया। उसने मुझे कमरे में बुला लिया मेरा मन उस लड़की पर अटक गया था जो वहाँ थी, वो बिल्कुल जवान और पतली दुबली थी। अफसोस मुझे तो आज उस आँटी को पेलना होगा।

आंटी ने मुझे कपड़े उतारने को कहा तो मैंने तुंरत ही सारे कपड़े उतार दिए और बिल्कुल ही नंगा होकर खड़ा हो गया लेकिन मेरा लिंग जैसे तैयार नहीं था, बिल्कुल मायूस था। मानो जब किसी बच्चे की कोई बात न मानने पर मायूस हो कर बच्चे एक तरफ खड़े हो जाते हैं।

फिर उस आंटी ने अपने अनुभव का इस्तेमाल करते हुए मेरे लिंग को रगड़ना चालू किया जब बात नहीं बनी तो हस्त मैथुन पे चालू हो गई । जैसे ही लिंग में थोड़ा सा कड़कपन आया तो उस पर कंडोम पहनाने लगी। कंडोम पहनाने के बाद आंटी बिस्तर पर जा कर लेट गई और इशारे से मुझे बुलाया।

मैं पैसे वसूल करने के लिए उस पर चढ़ बैठा और पेलना शुरु करा। आंटी के स्तन काफी मोटे व बड़े थे। मैं उन्हें दबाये जा रहा था और हौले हौले पेल भी रहा था। अचानक आंटी को गुस्सा आ गया- यह क्या कर रहे हो?

मैंने सोचा आंटी न जाने किस बात से नाराज हो गई।

आंटी ने फिर कहा,”जोर लगा के पेलो !”

मैं समझ गया कि आंटी को मैं संतुष्ट नही कर पा रहा था और उनका योनि तो घाट घाट का पानी पिया हुआ है। अब मैंने जोर जोर से धक्का मारना शुरु करा तो मेरे लिंग में भी कड़कपन बढ़ गया। मैं लगातार वार पे वार किए जाने लगा अब आंटी को भी मज़ा आने लगा। बैटिंग में लगातार छक्के-सिक्सर मार के अपने-आप को धोनी या युवराज से कम नही समझ रहा था।

और फिर मैं कैच आउट हो गया। और मेरा लिंग पवेलियन लौटने लगा यानि सुकड़ने लगा जैसे कि जब कोई बैटसमैन शतक बनाकर आउट होता है तो उसे खुशी भी रहती है और आउट होने के अफ़सोस में सर नीचे कर पवेलियन जाता है।

उस आंटी ने तो मेरा ही बाज़ा ही बज़ा दिया था।

आप के जीवन में ऐसी आंटी आए तो क्या होगा।

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