एक ही बाग़ के फूल-3

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मैंने भी उसको देख के हाथ हिलाया और फ़ोन में सन्देश के माध्यम से पूछा- कैसा लग रहा है? उसने कहा- पता नहीं … अजीब सा लग रहा है. पर मज़ा बहुत आया। मैंने कहा- ठीक है, अब सो जा। उसने मेरे से पूछा- दोबारा घर आ जाऊं? जो हुआ उसके बारे में बता देते। मैंने कहा- नहीं, अभी सो जा … कल बताऊंगा।

फिर वो गुड नाईट बोल कर सोने चली गयी। मैं भी खाना खाकर सोने चला गया।

उसके अगले दिन वो अपनी मौसी के घर चली गयी। जाते जाते मुझे सन्देश भेजा- आऊंगी, तब बता देना।

उसी शाम उसका भाई मेरे घर आया। कुछ देर बात करने के बाद उसने कहा- मुझे गूगल पर कुछ खोजना है। मैं उठ कर साइड में बैठ गया, वो कुछ खोजने लगा। कभी कभी इंटरनेट पर कुछ अपने आप ही ओपन हो जाती है, वैसा ही हुआ। बड़ा सा काला लंड गोरी लड़की की चूत में जा रहा था, वैसी ही एक फोटो खुल गयी।

वो फोटो देखकर उसकी आँखें भी खुल गयी। बड़े ध्यान से वो उस फोटो को देख रहा था। मैंने कहा- कैसे रुक गया, ज्यादा अच्छी लग रही है क्या? वो शर्मा सा गया।

फिर मैंने उससे पूछा- कोई गर्लफ्रेंड है क्या? उसने कहा- नहीं। मैंने दोबारा पूछा- है तो बता दे, मैं किसी को कुछ नहीं बताऊंगा. या फिर कोई अच्छी लगती हो? ऐसे किसी को देखा है? पहले वो थोड़ा शरमाया फिर बोल ही दिया- है एक … क्लास में एक लड़की पसंद है।

मैंने पूछा- अगर मिल गयी तो क्या करेगा उसके साथ? वो हंसने लगा और कहा- देखेंगे। फिर मैंने पूछा- कभी बिना कपड़ों के किसी को देखा है? या किसी की चूची, गांड या चूत देखी है? पहले वो थोड़ा सोचने लगा, फिर बोला- हाँ देखा तो है … पर सिर्फ मम्मी को।

मैंने पूछा- कैसी लगती है तेरी मम्मी बिना कपड़ों के? वो मुझे देखने लगा। मैंने कहा- अरे बता न … ये बात तेरे और मेरे बीच रहेगी. और हो सकता है जो तू चाहता है, मैं उसमें तेरी मदद कर दूँ।

उसकी आँखों में चमक और लालच आ गया। फिर उसने कहा- मम्मी की छोटी छोटी चूचियाँ है, छोटी गांड है। मैंने पूछा- और चूत कैसी है? उसने कहा- नहीं … मम्मी की चूत नहीं देखी मैंने।

फिर मैंने छाया के बारे में पूछा- छाया कैसी लगती है? कभी देखा है उसको बिना कपड़ों के? या फिर कभी छू कर देखा है उसे? उसने कहा- हाँ कई बार … पर सिर्फ उसकी चूचियों को और कच्छी में देखा है। कई बार सो जाने के बाद उसकी चूचियाँ धीरे धीरे से दबा के देखी हैं। मैंने पूछा- तो कैसा लगता है? लंड खड़ा हो जाता होगा? और पूछा- कहाँ कहाँ हाथ लगाया है?

उसने शर्मा कर कहा- हाँ खड़ा तो हो जाता है। बस सोते समय ही कभी हाथ उसकी गांड पे फेर देता हूँ और खड़ा हो जाता है. लंड को कभी कभी उसकी गांड से छुआ देता हूँ। मेरे कुछ बिना पूछे ही अब वो और बताने लगा- एक बार वो टीवी का रिमोट मेरे से छुपा रही थी, मैंने उससे छीनने के लिए उसे पीछे से पकड़ लिया. जिससे मेरा लंड उसकी गांड से छूने लगा और थोड़ी ही देर में रगड़ खाने से मेरा लंड खड़ा हो गया. उस दिन मुझे बहुत मज़ा आया।

“तो अपनी बहन की चूत चुदाई का मन करता होगा फिर तो?” मैंने उस से ऐसा कहा। पहले वो चौंक गया, फिर बोला- हाँ करता तो है। ऐसे बात करते करते उसका खड़ा हो गया था।

फिर मैंने उससे पूछा- अगर मैंने तुझे छाया को चोदने में मदद की तो मुझे क्या मिलेगा? उसका चेहरा लाल पड़ गया और ऐसा लग रहा था उसकी मन की इच्छा पूरी होने वाली थी। उसने कहा- जो मेरे पास होगा वो दे दूंगा। मैंने कहा- मैं भी छाया को चोदूँगा।

यह सुन कर वो थोड़ा नाराज़ सा हो गया और जाने लगा। मैंने उसे रोक लिया और कहा- देख तू भी चोदेगा और अगर मैं भी चोद दूंगा तो क्या बिगड़ जायेगा? किसी को मालूम थोड़े चलेगा. और वैसे भी मेरी मदद की बिना तू अपनी बहन की चूत कैसे चोदेगा? फिर वो बैठ गया और सोचने लगा। मैं उसे अपने साथ वहीं ले गया जहाँ उस रात एक औरत की गांड चोदी थी। वहाँ कोई नहीं था, फिर मैं उसे और कहीं ले गया।

वह जगह बहुत सुनसान थी। खैर किस्मत अच्छी थी। वहाँ हमें एक जवान लड़की मिल गयी। मैंने बात करके उसे बिठा लिया और उसी गोदाम में ले गया और वहाँ के चौकीदार को सौ रूपए दिए. उसने अंदर एक छोटा सा कमरा दे दिया जहाँ एक कम्बल बिछा हुआ था।

जाते ही लड़की ने अपने कपड़े उतार दिए और नंगी होकर लेट गयी। मैंने उससे पूछा- तू पहले करेगा? उसने कहा- पहले आप करो, फिर मैं करूँगा।

मैंने उस लड़की बैठा दिया, फिर अपना लंड निकाल के उसके मुँह में डाल दिया। वो लॉलीपॉप की तरह मेरे लंड को चूसने लगी।

मैंने मोनू से कपड़े उतारने के लिए कहा। पहले वो थोड़ा शरमाया फिर उसने अपने कपड़े उतार दिए। वो एकदम अपनी बहन की तरह चिकना था। मन कर रहा था इसी की गांड मार लूं। फिर मैंने उसे अपने पास बुलाया और अपना लंड लड़की के मुँह में से निकाल लिया। लड़की भी समझ गयी और उसका लंड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी।

मोनू का लंड ज्यादा बड़ा नहीं था और न ही ज्यादा मोटा था। उसकी आँखें बंद हो गयी।

कुछ देर उसका लंड चूसने के बाद लड़की ने मेरा लंड हाथ में लिया और हिलाने लगी. तभी मोनू की नज़र मेरे लंड पे पड़ी और बोला- भइया, आपका लंड तो बहुत बड़ा है। मैंने मज़ाक में कहा- घबरा मत, तेरी गांड नहीं मारूंगा। वो हंसने लगा और मेरे लंड की तरफ देख रहा था. शायद सोच रहा था इतने मोटे लंड से मेरी बहन की चूत फट ही जाएगी।

फिर वो लड़की मेरे लंड को चूसने लगी और मोनू का लंड हिलाने लगी।

कुछ देर बाद मैंने उसे घोड़ी बना लिया और घुटनों के बल बैठ के उसकी चूत पे लंड फिराने लगा। मोनू भी मेरे पास आया और मुझे देखने लगा। आज मैं आने से पहले दो निरोध जेब में रख के ले आया था। मैंने एक निरोध निकाला और अपने लंड पे लगा लिया। फिर उसकी चूत में अपना लंड घुसाने लगा.

तीन धक्कों में मेरा लंड उसकी चूत में था और फिर मैं उसकी चूत चोदने लगा। कुछ देर चोदने के बाद मैं हट गया और मोनू को निरोध दे दिया और बोला- अब तू कर। उसने भी अपने लंड पे निरोध चढ़ाया और उस लड़की की चूत में लंड डाल दिया और धक्के लगाने लगा।

मैं लड़की के मुँह के पास आया और अपना लंड उसके मुँह में डाल दिया। वो अपने ही रस को जो मेरे लंड (निरोध चढ़ा हुआ) पे लगा हुआ था, बड़े स्वाद से चूस रही थी। मैं उसकी चूचियाँ दबाने में लगा हुआ था।

कुछ देर वो मेरे लंड को चूसने के बाद मेरे आंड चूसने और चाटने लगी। मेरे पूरा लंड उसकी मुँह के थूक से गीला हो गया था। उधर मोनू भी मस्ती में हल्के हल्के धक्के लगा कर उसे चोदे जा रहा था।

फिर मैंने अपना लंड निकाला और लड़की के कान में कुछ कहा. उस लड़की ने मोनू को रोक कर उसे लेटने को कहा और खुद उसके लंड पे बैठ गयी और उछल उछल के चुदने लगी। मोनू उसकी उछलती हुयी चूचियों को ही देख रहा था।

मैं अपना लंड उसकी गांड के पास ले गया और रगड़ने लगा। उसने धीरे से कहा- थोड़ा आराम से करना। ये अभी उसने पूरा कहा भी नहीं था कि मैंने उसकी गांड में लंड घुसा दिया और पहले धक्के में आधे से कम लंड उसकी गांड में चला गया था।

उसके मुँह से आह्हः निकल गयी और उसने उछलना भी बंद कर दिया। फिर मैंने एक और धक्का दिया और आधे से ज्यादा मेरा लंड उसकी गांड में चला गया था। अब मैं उसे ऐसे ही चोदने लगा। कुछ देर बाद उसने भी उछलना शुरू कर दिया। अब वो दोनों तरफ से चुद रही थी।

कुछ ही देर मैं मैंने एक और धक्का दिया और मेरा पूरा लंड उसकी गांड में चला गया और उसी टाइम मोनू भी झड़ गया। मेरे धक्के से वो लड़की मोनू के ऊपर गिर गयी मैं भी उसके पीछे गिर गया और उसकी गांड मारने लगा।

थोड़ी देर बाद मोनू नीचे से हट गया और मैं उस लड़की को घोड़ी बना के उसकी गांड मारने लगा। कुछ देर के बाद मैं भी लड़की की गांड में झड़ गया और उसकी ऊपर ही लेट गया। कुछ देर ऐसे ही लेटा रहा फिर उसकी गांड से अपना लंड निकाला।

मोनू ने अपन निरोध भी नहीं निकाला था। फिर उस लड़की ने दोनों निरोध निकाला। मेरा वीर्य मोनू से ज्यादा था।

फिर हमने कपड़े पहने और लड़की को जहाँ से बैठाया था, वहीं छोड़ दिया और पैसे देकर हम घर आ गए।

अगली शाम मोनू मेरे घर आया. मैंने उससे पूछा- तेरा क्या पहली बार था? उसने कहा- हाँ। मैंने पूछा- फिर इतनी देर तक कैसे चोदता रह गया? उसने कहा- एक तो पोजीशन बदलते वक़्त मैं झड़ने वाला था. अगर उसने नहीं रोका होता तो मैं झड़ जाता. और दूसरा उसी शाम मैं मुट्ठी मार के आया था इसलिए इतनी देर तक कर पाया।

कुछ देर बाद उसने मेरे से पूछा- भइया, क्या आप सच में छाया की चूत मुझे दिलवाओगे? मैंने कहा- हाँ, तुझे भी दिलवाऊंगा और मैं भी चोदूँगा। तू कहे तो तेरी मम्मी को भी चोद दूँ और तुझे भी दिलवाऊं? उसने कहा- नहीं, मम्मी के साथ नहीं। मैंने कहा- क्यों? अपनी मम्मी को देख के तेरा लंड खड़ा नहीं होता? उसने थोड़ी देर में कहा- होता है। कल मैं मम्मी के बारे में ही तो सोच के मुठी मार रहा था। मैंने कहा- चल ठीक है, कोई नहीं … तू नहीं मारेगा तो मैं ही मार लूंगा। तू सिर्फ देख लियो. और मन करे तो देख के मुट्ठी मार लियो या आकर तू भी चोद लियो।

ऐसे ही हम गन्दी गन्दी बातें करने लगे कभी गीता के बारे में तो कभी छाया के बारे में।

कहानी जारी रहेगी. [email protected]

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