दिल मिले और गांड चूत सब चुदी-4

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मेरी गांडू कहानी के तीसरे भाग दिल मिले और गांड चूत सब चुदी-3 में अब तक आपने पढ़ा कि मेरी बहन शैली भी उपिंदर से चुद ली थी. हम दोनों में रजा बन चुकी थी. अब मुझे उपिंदर के डैडी के बर्थडे में जालंधर जाना था. अब आगे:

फिर वो दिन आ गया.

शाम को उपिंदर ने मुझसे कहा- परसों डैडी का जन्मदिन है, अपनी बहन और मम्मी को जालंधर बुला ले. ‘दोनों को? तुम तो कह रहे थे कि डैडी बर्थडे गिफ्ट में मम्मी की लेंगे.’ ‘वो तो ठीक है. पर वहां मैं और राजिंदर भी होंगे, शैली भी रहेगी, तो ज्यादा ठीक होगा.’ ‘ठीक है.’ ‘और सुन, जन्मदिन के फंक्शन का मस्त प्रोग्राम बना, मज़ा आना चाहिए’

मैं मुस्कुरा दी, शैली को फोन करके बता दिया. उसने मम्मी को कहा- मम्मी कल हम दोनों जालंधर जाना है. उपिंदर के डैडी के जन्मदिन के फंक्शन के लिए. ‘उपिंदर … वो अजय का दोस्त, उसके डैडी के जन्मदिन के लिए हम क्यों जाएं?’ ‘मम्मी मुझे सब पता है कामिनी दीदी के बारे में … और जो आपने उपिंदर के साथ किया है, वही मैंने भी किया है.’ ‘ओह, तो मतलब तूने उसका …’ ‘हाँ मम्मी बातें छोड़िए, उसने आपको भी चोदा है और मुझे भी. अब तैयारी कीजिये.’

हम सब जालंधर पहुंच गए. हम तीनों एक कमरे में रुक गए. वहीं तीनों तैयार हुए. मैंने स्कर्ट और ब्रा पहनी, शैली ने एक टाइट टॉप और नीचे सिर्फ पैंटी. मम्मी को पहनाई एक हल्के गुलाबी रंग की साड़ी और कुछ नहीं. न पेटीकोट, न ब्लाउज न ब्रा न कच्छी.

हम हॉल में पहुंचे. वहां उपिंदर राजिंदर उनके डैडी तो थे ही, साथ में उनकी मम्मी भी थीं. तीनों मर्दों ने कुर्ते पाजामे पहने थे और आंटी ने सलवार कमीज.

मुझे आंटी ने अपने पास बुलाया, मुझे बांहों में भरा, मेरे गालों को चूमा और बोलीं- बड़ा अच्छा गिफ्ट लायी है अपने अंकल के लिए, भारी चूतड़, भरी भरी चुचियां, मस्त माल है तेरी मम्मी.

सब बैठ के आराम से शराब पीने लगे और बातें करने लगे. दो दो पैग के बाद उपिंदर ने कहा- कामिनी, अब प्रोग्राम शुरू करवा.

मैंने मम्मी से कहा- आप टेबल पे लेट जाइये. वो लेट गयी. अंकल बोले- चढ़ जाऊं इसके ऊपर? ‘अंकल थोड़ा सब्र कीजिये.’

फिर मम्मी के पेट पे केक रखा.

अंकल ने केक काटा और सबने खाया. मुझे और शैली को अंकल ने केक का पीस अपने मुँह में लेके खिलाया. फिर मैंने मम्मी का पल्लू हटा दिया. मैंने और शैली ने दोनों नंगी चुचियों पे केक लगा दिया.

दोनों भाई शुरू हो गये. एक एक चूची पे लग गए. चूची चूस रहे थे, चाट रहे थे और हाथ मम्मी की जांघों के बीच में ले जाकर चूत को सहला और दबा रहे थे.

‘डैडी आपका गिफ्ट तैयार है, भोग लगाओ.’ ‘एक मिनट अंकल, मम्मी आपको देने ही आयी हैं, बस ज़रा आपके बर्थडे का केक खा लें.’

शैली ने अंकल का पाजामा और कच्छा उतार दिया.

मस्त तना हुआ खूबसूरत लौड़ा.

शैली ने बड़े प्यार से लंड को केक में घुसाया और फिर- मम्मी, जन्मदिन का केक खाओ. मम्मी टेबल से उतरीं. पतली साड़ी कमर में बंधी हुई, चुचियां खुली हुईं. मम्मी अपने घुटनों पे बैठीं और अंकल का लंड मुँह में ले लिया. लंड को बड़े प्यार से चाटा, फिर चूसा. अंकल का लौड़ा तमतमाने लगा. शैली मेरे से बोली- अंकल का क्या तूफानी लौड़ा है, आज मम्मी को मज़ा आ जाएगा.

तभी आंटी ने मम्मी को बुलाया- मालिनी इधर आ. ‘जी.’ ‘अभी तू मेरे पति से चुदवाएगी, उसका बीज अपने अन्दर लेगी.’ ‘जी.’ ‘मेरे पति की हर रखैल पहले मुझे खुश करती है.’ ‘जी मैं समझी नहीं?’

आंटी ने साड़ी खींच के मम्मी को नंगी कर दिया- चीज़ अच्छी है. करतार तेरे को मज़ा आ जाएगा … साली को अच्छे से पेलना. चल मालिनी तू लेट जा. वहीं ज़मीन पे गद्दे लगे हुए थे. मम्मी लेट गईं.

आंटी ने अपनी सलवार और पैंटी उतारी, मम्मी के चेहरे के दोनों तरफ अपने पैर रखे और बैठ गईं. आंटी की चूत मम्मी के होंठों से जुड़ गयी. मम्मी की जीभ चलने लगी. कभी चूत के होंठों पे, कभी चूत के अन्दर. मम्मी की चूत पूरी तेज़ी से चलने लगी थी. आंटी भी अपनी चूत मम्मी के मुँह पे दबाने लगीं. फिर आंटी की चूत गीली हो गयी.

आंटी ने मम्मी की चुचियां दबाईं और कहा- अच्छा मज़ा दिया तूने! अब मेरे पति से चुदवा ले.

अंकल ने अपना कुर्ता उतारा और मेरी माँ को दबोच लिया. उनकी चुचियां मसलीं, जाँघें मसलीं, चूतड़ दबाए.. होंठ चूसे, अपने होंठों का रस पिलाया और फिर जांघें चौड़ी करके खड़े लंड को निशाने पे लगाया. हम सबने कहा- हैप्पी बर्थडे!

अंकल का तूफानी लौड़ा मेरी मम्मी की चूत में अन्दर तक घुस गया. अंकल धुआंधार धक्के मारने लगे. मेरी माँ चुदने लगी. जम के पेलने के बाद अंकल ने मम्मी की भोसड़ी अपने सफेद पानी से भर दी.

फिर आंटी सोने चली गईं. हम सब वहीं बैठ के आराम करने लगे. शराब पीने लगे. अंकल और मम्मी नंगे बाकी सब कपड़ों में थे. उन्हें नशा चढ़ने लगा.

‘मालिनी थकी तो नहीं?’ ‘जी बिल्कुल नहीं.. मज़ा आ गया. आपका लंड एकदम मस्त है.’ शैली बोली- क्यों अंकल, एक और राउंड करना है? ‘नहीं शैली … मैं तो नहीं, पर पापा के जन्मदिन पे बच्चों को भी तो मज़ा आना चाहिए … क्यों मालिनी?’ ‘हाँ जी ज़रूर. मेरी दोनों बेटियां तैयार हैं. हर मज़ा देंगी.’ ‘नहीं मालिनी, आज का गिफ्ट तो तू ही है.. दोनों तेरी ही लेंगे.’

मैंने देखा कि मम्मी की आंखों में चमक आ गयी. ‘कामिनी, शैली … मेरे बेटों को तैयार करो.’ मैंने राजिंदर के और शैली ने उपिंदर के कपड़े उतारे और फिर दोनों के लंड चूसे.

तब अंकल ने दोनों के कान में कुछ कहा. मम्मी अधलेटी सी थीं, दोनों ने काफी सारा केक मम्मी की जांघों के बीच और चूतड़ों के बीच में लगा दिया.

‘बेटों प्रोग्राम शुरू करो.’ ‘मैं तैयार हूँ, आओ पहले कौन लेगा मेरी?’ मम्मी ने चूत पसारते हुए कहा. अंकल बोले- उपिंदर तू नीचे लेट जा.. मालिनी चढ़ जा इसके ऊपर और मेरे बेटे का लौड़ा अपनी भोसड़ी में ले ले. राजिंदर हमारी रखैल के चूतड़ चौड़े करके गांड में अपना पेल दे.’

राजिंदर ने मम्मी की गांड में लंड घुसा दिया और ठोकने लगा. ताबड़तोड़ चुदाई शुरू हो गयी. मैं और शैली अंकल के दोनों तरफ बैठी हुई थीं. हम दोनों ही अब तक कपड़ों में थे. वो हमारे जिस्म से खेल रहे थे. चुचियां जांघें चूतड़ सहला रहे थे, दबा रहे थे.

मम्मी के दोनों छेदों में घमासान चल रहा था.

‘तुम्हारी मम्मी मस्त माल है. देखो कैसे मज़े से दोनों को मज़ा दे रही है, डबल चुदाई करवा रही है.’ ‘अंकल आप सब इतने प्यारे हैं, आपके लंड इतने खूबसूरत हैं कि देखते ही चूत में गांड में आग लग जाती है.’

अच्छे से पेल के दोनों भाइयों ने चूत और गांड को मर्द जल से भर दिया.

‘कामिनी, शैली मुँह मीठा करो. मेरे बेटों का बीज, तुम्हारी मम्मी की चूत का पानी, मेरे जन्मदिन का केक सब है, जांघों और चूतड़ों के बीच में ले.’ हम दोनों ने जी भर के हैप्पी बर्थडे की मिठाई खाई.

अंकल मम्मी को लेके सोने चले गए.

हम चारों एक कमरे में रह गए. ‘उपिंदर प्रोग्राम कैसा था?’ ‘मस्त … डैडी को मज़ा आ गया.’ राजिंदर बोला- भाई, इन दोनों के कपड़े तो अब भी नहीं उतरे. ‘उतरेंगे.’

कमरे में पहुंचते ही हम दोनों के कपड़े उतर गए और फिर एक ही डबल बेड पर प्यार हुआ. राजिंदर मेरे साथ और उपिंदर मेरी बहन के साथ. हमारी चुचियां मसलना, चूसना, होंठ चूसना, जांघें और चूतड़ दबाना, लंड चुसवाना सब साथ साथ चला.

फिर एक ही वक़्त मैंने और शैली ने अपनी टांगें उठाईं और दोनों भाइयों ने लौड़े घुसाए. राजिंदर ने मेरी गांड में और उपिंदर ने मेरी बहन की चूत में. और फिर हमारी रंगीन चुदाई हुई. उसके बाद रात की नींद.

सुबह हमें वापस जाना था. हम तैयार हो गए.. हम तीनों साड़ी में थे. जाने से पहले मम्मी ने अंकल से कहा- हमे आपके साथ बहुत अच्छा लगा, बहुत मज़ा आया, कल की रात हमेशा याद रहेगी. अब जाने से पहले कोई निशानी दे दीजिये. ‘ज़रूर मालिनी आ बिस्तर पे … तुझे गर्भवती कर देता हूँ.’ ‘नहीं नहीं वो नहीं … कोई और.’ ‘ठीक है तुम तीनों को ऐसी निशानी देंगे कि आज शाम तक तुम तीनों खुशबू से महकती रहोगी.’

फिर तीनों मर्द अन्दर चले गए. हम हैरान हो रहे थे कि क्या मिलेगा.

तीनों बाहर आये … साथ में आंटी भी थीं. अंकल के हाथ में 3 अंडरवियर थे.

‘एक एक चुन लो.. जिसे जिसका अंडरवियर मिलेगा, उसे वही मर्द निशानी देगा. तुम तीनों में से जो मेरा अंडरवियर चुनेगी, उसे बोनस भी मिलेगा.’

हमने चुने.

मम्मी को राजिंदर, शैली को उपिंदर और मुझे अंकल का अंडरवियर मिला.

‘तीनों नंगी हो जाओ.’ हमने कपड़े उतार दिए. तीनों मर्दों ने अपने हथियार बाहर निकाले. ‘आओ लंड चूसो.’

हम चूसने लगे. लंड कड़क हो गए. वो हमारा सिर पकड़ के मुँह में अन्दर बाहर करने लगे.

फिर अचानक…

तीनों ने लौड़े बाहर निकाले और हमारी छातियों के बीच में दबाए, हमने अपनी चुचियां के बीच में दबा लिए. मर्दों की कमर हिलती रहीं. बस फिर हमारी चुचियों पे वीर्य की बौछार हो गयी.

‘अब तुम तीनों अपने हाथों से हमारा सफेद पानी अपने जिस्म पे खास खास जगह अच्छे से लगाओ.’ हम तीनों ने अपनी चुचियों, जांघों, चूतड़ों, चूत और गांड पे उनका माल लगा लिया.

‘अब ब्रा पैंटी और पेटीकोट पहन लो.’ हमने पहने.

‘लिपस्टिक लगाओ.’ हमने लगाई.

‘हमने तुम्हें खुशबूदार निशानी दी, अब तुम हमें निशानी दोगी, हमारे लौड़ों पे अपनी लिपस्टिक का निशान.. लंड चूसना नहीं, बस अपने होंठों में पकड़ लो.’ मैंने अंकल का लंड मुँह में लिया और उनके चूतड़ों को अपनी बांहों के घेरे में ले लिया. देखा तो यही हाल मेरी माँ और बहन का भी था.

और फिर…

हमारे होंठों के बीच में सुनहरी पानी बहने लगा.. हम पीने लगे. अचानक तीनों ने लंड मुँह से निकाले और धार हमारे बदन पे पड़ने लगी. ब्रा और पेटिकोट भीग गए.

‘अब साड़ी और ब्लाउज पहन लो.’

हम तैयार हो गए.

‘कामिनी, तेरा बोनस तुझे आंटी देंगी.’ ‘आ जा बैठ नीचे.’

मैं बैठी आंटी के सामने. उन्होंने सलवार और चड्ढी नीचे सरकाई और कहा- लगा मुँह और ले मेरी चूत का प्रसाद.

उन्होंने मुझे अपना पेशाब पिलाया. फिर मुझे सीने से लगा लिया.

‘तू बड़ी प्यारी है और कुछ चाहिए तो बता.’ ‘मैं हाथ उनकी पीठ से नीचे सरका के उनके चूतड़ों पे ले के गयी और फिर एक उंगली से उनकी गांड को छुआ- मैं यहाँ प्यार करना चाहती हूँ. ‘आ जा अन्दर.’

कमरे में वो बिस्तर पे लेट गईं और मैंने जी भर के उनके चूतड़ों की चुम्मियां लीं, उनकी गांड को चाटा, चूम, चूसा. फिर हम तीनों वापस चल दिए.

आपको ये कहानी कैसी लगी, मुझे मेल जरूर करें. [email protected]

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