मम्मी से बदला लिया सौतेले बाप से चुदकर-2

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000

मेरी सेक्स स्टोरी के पहले भाग मम्मी से बदला लिया सौतेले बाप से चुदकर-1

में आपने पढ़ा कि कैसे मेरी मम्मी ने मुझे अपने यार से चूत चुदाई करवाते पकड़ लिया और उसके बाद से मेरी चूत को लंड मिलना बंद हो गया. मैं लंड के तड़प रही थी, मुझे रात को नींद नहीं आ रही थी तो मैं बाहर आकर टहलने लगी. तभी मुझे मम्मी पापा के कमरे से आवाजें सुनाई दी.

अब आगे:

अंदर का नजारा देख कर मैं स्तब्ध हो गयी। अंदर पापा मम्मी को घोड़ी बनाकर चोद रहे थे, उनका लंबा कड़क लंड उनकी चुत के अंदर बाहर हो रहा था। मम्मी की गोरी गोल गोल गांड पर चमाट लगाते हुए पापा अपना मूसल मेरी मम्मी की चुत में पेल रहे थे। एक हाथ से मम्मी की कमर को पकड़ कर तूफानी स्पीड में अपना लंड अंदर बाहर कर रहे थे, तो दूसरे हाथ से मम्मी के बालों को पकड़कर उसको तूफानी स्पीड से चोद रहे थे।

मम्मी की सिसकारियों से पूरा कमरा गूंज रहा था- आह … विक्रम, फ़क मी… यू सन ऑफ अ बीच… ड्रिल माय पुसी! “आह… यू बिच… यह ले… जितना भी चोदूँ… तुम्हारी चुत की आग शांत ही नहीं होती!”

अंदर का नजारा और उनकी कामुक बातें सुनकर मेरी टाँगों के बीच गीलापन महसूस होने लगा। मेरा हाथ मेरी चुत पर घूमने लगा। बाहर का तापमान ठंडा था, फिर भी उनकी चुदाई की वजह से हर तरफ वासना की गर्मी फैली हुई थी।

थोड़ी देर बाद पापा ने अपना लंड बाहर निकाला और मम्मी की गांड पर जोर से चमाट मारी फिर उसको पीठ के बल लेटने को बोला. पापा उनको बहुत तकलीफ दे रहे थे, फिर भी मम्मी उनको रोक नहीं रही थी और हंस कर उनका साथ दे रही थी। मम्मी ने पीठ के बल लेट कर अपनी टांगें फैलाई, पापा मम्मी की टाँगों में एडजस्ट होते हुए अपना लंड मम्मी की चुत पर रखा और एक ही झटके में पूरा लंड अंदर पेल दिया, मम्मी के चेहरे पर दर्द साफ साफ दिखाई दे रहा था।

उनकी चुदाई देख कर मेरी अंदर की गर्मी बढ़ने लगी, गाउन ऊपर कर के मैंने अपनी उंगलियाँ चुत में डाली और अंदर बाहर करके चुत की आग शांत करने लगी। अंदर पापा मम्मी के हिलते हुए स्तनों को हाथों में पकड़कर मसलने लगे, बीच बीच में उनके निप्पल्स को मुँह में लेकर के चूसने लगे तो कभी कभी उनके निप्पल्स को काटकर उन्हें और सताने लगे। मम्मी तो बिना पानी के मछली के तरह तड़प उठी, दोनों की सिसकारियों से पूरा कमरा गूंज रहा था।

कुछ देर बाद दर्द की वजह से मम्मी ने पापा को लंड बाहर निकालने को बोला तो पापा ने उनको गाली देते हुए अपना लंड बाहर निकाल कर उनके मुँह की तरफ ले आये, चुत के रस से सना हुआ उनका लंड ट्यूब लाइट की रोशनी में चमक रहा था। उनके लंड की लंबाई और मोटाई देख कर मेरी चुत में गुदगुदी होने लगी।

पापा अपना लंड मम्मी की मुँह के पास हिलाने लगे, मम्मी ने उसको पकड़ कर उसके सुपारे को अपनी जीभ से चाटा तो अगले ही पल उस चूतरस से सने लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। पापा भी अपनी कमर को हिलाते हुए मम्मी के मुँह को चोदने लगे, मम्मी भी किसी रंडी की तरह मजे से लंड चूस रही थी।

उधर उत्तेजना की वजह से मुझे खड़े रहना भी मुश्किल हो गया था। दबे पाँव मैं बेडरूम में वापस आयी, बेड पर लेटकर पापा के लंड का ख्याल मन में लाते हुए मेरी चुत में लंड अंदर बाहर करने लगी। जैसे जैसे उंगलियों की स्पीड बढ़ती चली गई, वैसे वैसे मेरी सिसकारियाँ बढ़ती गयी। मैने उँगलियों की स्पीड बढ़ाई और अगले ही पल मेरा बांध छूट गया और मैं झड़ने लगी। उत्तेजना से हुई थकावट की वजह से कब सो गई मुझे पता ही नहीं चला।

“पापा को ही अपने जाल में फंसा कर घर में ही लंड का जुगाड़ किया जाए तो?” सुबह उठते ही मेरे दिमाग में यह आईडिया आया, पर यह इतना भी आसान नहीं था। पर मम्मी से बदला लेने का यही तरीका था, मेरे मम्मी के प्रति द्वेष मेरी सोचने की क्षमता पर असर कर रहा था। उसने मेरी सेक्स लाइफ बर्बाद की थी, अब मैं उसकी सेक्स लाइफ बर्बाद करूंगी. यही खयाल मेरे मन में चल रहा था और मैं उस बारे में योजना बनाने लगी।

तभी दरवाजे पर दस्तक हुई, घड़ी में देखा तो सुबह के साढ़े नौ बजे थे। दरवाजा खोल कर देखा तो सामने पापा खड़े थे। “गुड मॉर्निंग नीतू… हो गयी नींद पूरी?” “गुड मॉर्निंग पापा…” “आज छुट्टी लेने का प्लान है क्या?” “प्लान तो नहीं था … पर उठने में देर हो गयी, अब आफिस में लेट नहीं जा सकती तो छुट्टी ही समझो!”

“हम्म ग्रेट… तुम्हारी मम्मी गांव गयी है तुम्हारी दादी की तबियत ठीक नहीं है। अब चार पांच दिन तुम्हें ही घर संभालना है.” “अच्छा… पर मुझे तो कुछ नहीं बोला उन्होंने?” “अरे तुम सोई हुई थी… वह सुबह ही चली गई… और वैसे भी तुम दोनों के बीच…” “हम्म… ईट्स ओके… लीव इट… आपका नाश्ता हो गया?” “यस… तुम भी तैयार होकर कुछ खा लो.” “ओक पापा … हॅव अ गुड डे!” “थेंक्स डार्लिंग… बाय दी वे…कल रात का शो कैसा लगा?”

उनके शब्द सुनकर मैं डर गई। “क… को… कौन सा शो?” मैंने जैसे तैसे जवाब दिया। “ओके … लीव इट … पर तुम सब संभाल लोगी न…” “यस पापा… नाउ गो… मुझे बाथरूम जाना है.” “बाय… टेक केअर…” कह कर वे घर से बाहर चले गए।

उनकी बातों से यह साफ पता चल रहा था कि उन्होंने मुझे खिड़की से देखते हुए पकड़ा था, पहले मुझे अजीब सा लगा; पर बाद में मैंने सोचा कि यही मौका है। मम्मी की गैरमौजूदगी में मैं पापा को अपने हुस्न के जाल में फंसा सकती हूं। दिन भर मेरे दिमाग में वही सब चल रहा था और शाम को पापा घर पर आ गए।

“क्या किया दिनभर?” उन्होंने पूछा। “कुछ भी नहीं… पिज़्ज़ा मंगवाया और दिन भर सोई!” मैंने जवाब दिया। “अरे वाह… मुझे लगा किधर तो घूमने जाओगी.” “मूड नहीं था पापा.” “ओके चलो आज हम मूड बनाते हैं!” “मतलब?” “मतलब चलो कहीं बाहर जाते हैं… बस हम दोनों…” “पर कहाँ?” “हम्म… लॉन्ग ड्राइव… या जहाँ तुम चाहो?” “पब…” “ओके जैसी तुम्हारी मर्जी!” “ओके…मैं तैयार होती हूँ, दस मिनट!”

उनको बोलकर मैं रूम में आ गयी, जो दिन भर सोचा है उसको असल में करने का वक्त आ गया था। आज हम दोनों ही थे तो उन्हें अपने जाल में फंसाना थोड़ा आसान हो गया था। कुछ भी कर के यह करना ही है सोच कर मैं रोमांचित हो गयी थी।

उनको आकर्षित करने के लिए मैंने नहाकर कुछ ही दिन पहले खरीदा हुआ मिनी स्कर्ट पहना और ऊपर मैचिंग टॉप पहना। अंदर रेड कलर की पैंटी और पुशअप ब्रा पहनी हुई थी। बाहर जाने से पहले मैंने अपना रूप आईने में निहारा, स्कर्ट मेरी जांघों को ढकने में असमर्थ था और उसपर छोटी से पैंटी पहनी थी तो लोगों को यही लगने वाला था कि स्कर्ट के अंदर कुछ भी नहीं पहना। और मेरे टॉप के गले से अच्छी खासी क्लीवेज दिख रही थी।

अच्छा सा परफ्यूम लगा कर बाहर आ गयी, पापा पहले से ही जीन्स और टीशर्ट पहन कर तैयार बैठे थे। मुझे देख कर उन्होंने धीरे से सीटी मारी। “कम ऑन पापा, मैंने पहली बार नहीं पहने ऐसे कपड़े!” “हाँ… पर हम पहली बार अकेले घूमने जा रहे हैं ना!”

उनके बोलने से और हावभाव से मुझे लगने लगा था कि उन्हें पटाने में ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी, और वैसे भी उनके वह चोरी चोरी स्पर्श करना और डबल मीनिंग बोलना यही दर्शाता था कि वो भी मुझमें इंटरेस्टेड हैं। मैं बस शर्म की खातिर पहल नहीं करना चाहती थी पर अगर वह पहल करेंगे तो मैं झूठमूठ का भी ना नहीं करने वाली थी।

घर से पब आधे घंटे की दूरी पर था, उस आधे घंटे में कई बार पापा का हाथ गियर से फिसलकर मेरी जांघों पर पड़ जाता, मैं भी विरोध न करते हुए उस स्पर्श से रोमांचित हो रही थी।

आखिर हम पब में दस बजे पहुँच गए, बार कॉउंटर के रास्ते में बहुत सारे लड़के लड़कियां नाच रहे थे, कुछ सिंगल्स कोई ग्रुप में तो बहुत सारे कपल्स भी नाच रहे थे। पब कम डिस्कोथेक होने की वजह से पीकर नाचने वालों की संख्या ज्यादा थी। सब की नजरें मेरे स्तनों पर और नितम्बों पर टिकी हुई थी, भीड़ में चलते हुए बहुत सारे लड़कों ने मेरी गांड पर भी हाथ साफ किया पर मैंने सब को बिना कुछ बोले सिर्फ स्माइल करके घायल किया।

फिर काउंटर पर जाकर हमने वाइन पी, फिर डान्स फ्लोर पर बहुत डांस किया। पापा का स्टैमिना बहुत था, 45 साल के होकर भी जब तक मैं नाच रही थी उन्होंने मेरा साथ दिया। सारे लोग लगभग थक गए थे पर हम दोनों आधी रात तक नाचते रहे।

डान्स फ्लोर पर नाचते हुए हमारे बदन कई बार आपस में टकरा जाते, कभी मेरे स्तन उनके सीने पर तो कभी उनका लंड मेरी गांड पर रगड़ खाता। कभी उनके हाथ मेरे पेट पर तो कभी कभी मेरी गांड पर … पर मैं उस बात पर कोई विरोध न जताते हुए उनको साथ देती रही। कुछ लोगों ने तो नाचना छोड़ कर हमें देखना शुरू कर दिया था; ‘एक कमसिन लड़की एक 45 साल के आदमी के साथ है!; सोच कर वे पापा के नसीब पर जल रहे थे और मैं भी उन्हें ज्यादा जलाने के लिए पापा से और चिपक कर नाच रही थी।

अंततः हम रात डेढ़ बजे अपने घर पहुँचे, नाच नाच कर हम दोनों ही बहुत थक गए थे। बदन पसीने से पूरा भीग गया था और हम दोनों भी डान्स करते समय हुए स्पर्श की वजह से उत्तेजित हो गए थे।

मैं सोच रही थी कि घर आने के बाद पापा अवश्य ही कुछ करेंगे और मैं भी उसके लिए तैयार थी. पर घर आते ही पापा गुड नाईट बोलकर अपने रूम में चले गए और मेरे सारे अरमानों पर पानी फिर गया; मायूस होकर मैं अपने रूम में चली गयी और बिना कपड़े बदले ही बेड पर लेट गयी, सोने का प्रयास करने लगी पर नींद ही नहीं आ रही थी।

पापा के स्पर्श से मैं पागल हो गयी थी, उसकी याद आते ही मैं फिर से उत्तेजित हो गई। और कल रात का मम्मी और पापा का जंगली सेक्स भी याद आने लगा। फिर उत्तेजना में मैंने अपने मोबाइल में एक पोर्न फिल्म लगाई, फ़िल्म के सीन और डिस्कोथीक के प्रसंग को याद करते हुए चुत के ऊपर से पैंटी को हटाते हुए चुत पर उंगली घूमाने लगी।

फ़िल्म का हीरो हिरोइन की चुत में जीभ घुसाकर चाट रहा था, कभी उंगलियों से उसकी पंखुड़ियाँ खोल कर जीभ से उसके दाने को चूसता तो कभी दाने को अंगूठे से छेड़ता, उनकी सिसकारियों से अब कमरा गूंजने लगा। वह सीन देख कर मेरी उत्तेजना बढ़ने लगी और मैं भी उँगलियों से मेरी चुत के दाने को घिसने लगी। मैं अपने काम में इतनी व्यस्त हो गयी थी कि पापा कब दरवाजा खोल कर अंदर आ गए, यह पता भी नहीं चला। मैंने जब आँखें खोली तब मुझे पता चला कि पापा दरवाजे पर खड़े होकर मेरी हरकतें देख रहे थे।

मैंने चकित होकर मोबाइल बंद किया और कम्बल ओढ़कर कमर के नीचे का भाग ढक दिया। “सौ… सौ… सॉरी पापा…” उनको देख कर मैं बोली और अपने कपड़े ठीक करने लगी। “ईट्स आल राइट नीतू… तुम्हारे उम्र में यह सब कॉमन है… इसमें शर्माने की कोई भी जरूरत नहीं!”

मैं थोड़ा रिलैक्स हुई पर उन्होंने मुझे क्या करते हुए पकड़ लिया यह समझने के बाद मुझे खुद की शर्म आ रही थी। “थैंक्स पापा…पर मम्मी को कुछ मत बताना…” “ओके बेटा… पर आइंदा ध्यान रखना… कम से कम दरवाजा तो बंद कर लिया करो।” “सॉरी पापा… ध्यान नहीं रहा… बहुत थक गई थी…” “अच्छा… पर थका हुआ आदमी तो जल्दी सो जाता है पर तुम तो…” “सॉरी पापा… वो … तो…”

“ईट्स ओक… पर तुमने मेरे सवाल का जवाब नहीं दिया.” “कौन सा सवाल पापा?” “वह सुबह का… कल का शो कैसा लगा?” “कम ऑन पापा… मुझे नहीं समझ में आ रहा कि आप क्या पूछ रहे हो?” “ओके… ओके… लीव इट … हमें तो दिखाओ कि तुम क्या देख रही थी?” “पापा प्लीज… मुझे ऐसे अपसेट मत फील कराओ.” “अरे इसमें शर्माने की क्या बात है… आज कल सभी देखते हैं… मैं और तुम्हारी मम्मी भी …” “ईट्स ओके पापा … वह आप की पत्नी है… आप उनके साथ कुछ भी कर सकते हो.” “ईट्स ओके नीतू… तुम अब बड़ी हो गई हो … तुम मुझसे सब शेयर कर सकती हो, मुझे पता है तुम मुझे अपना पापा नहीं मानती … कम से कम हम अच्छे दोस्त तो बन सकते हैं.” “पापा … पर …” “ईट्स ओक… लीव इट!”

कहानी जारी रहेगी. दोस्तो मेरी पापा से चुदाई कहानी कैसी लग रही है? मुझे अपने विचार मेल करें। मेरा मेल आई डी है [email protected]

कहानी का अगला भाग: मम्मी से बदला लिया सौतेले बाप से चुदकर-3

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000