सीनियर मैडम ने मुझे जिगोलो बना दिया

सभी अन्तर्वासना पाठको को यशवंत का नमस्कार! मेरे साथ घटी इस कथा को मैं सभी अन्तर्वासना पाठकों के लिए पेश करना चाहता हूँ। मेरी जिंदगी ने कैसे सेक्स लाइफ में मोड़ लिए इसका परिचय इस कहानी के दौरान करने जा रहा हूँ, सभी पाठकों से विनती है कि कोई भी मुझसे महिलाओं के नंबर की या मुलाकात करवाने की मांग न करे, क्योंकि मैं कोई दलाल नहीं हूँ और उन भाभियों के मेरे प्रति विश्वास को धोखा नहीं दे सकता। मैं औरंगाबाद, महाराष्ट्र से हूँ। मैं 6 फुट का ऊँचा हट्टा कट्टा जवान, 7″ का मेरा लंड।

एक सॉफ्टवेयर कंपनी में मैंने जॉब शुरू की तो मेरी रहने और खाने की बहुत परेशानी हो रही थी क्योंकि पैसे के लिए मैं दो शिफ्ट में जॉब करता था. मेरे ऑफिस में एक ममता नाम की लड़की मेरी सीनियर थी. उस की मस्त फिगर ने मुझे पहले थोड़ा बहकाया था, जब जो चलती तो सारा स्टाफ उसके चूतड़ पीछे से देखने के लिए मरता था. उसकी फिगर क़रीब 38-32-40 की होगी। उसने मुझे काम समझने और डेवलपिंग के बारे में बहुत मदद की. मेरे मन में उसके बारे में कभी गलत ख्याल नहीं आया.

एक शाम 8 बजे की शिफ्ट ख़त्म करके मैं लॉज पे निकला, तो मुझे गाड़ी की हॉर्न सुनाई दिया. पीछे से ममता आवाज दे रही थी. मैं रुका और उसे बात करने लगा।

उसने बातों बातों में ही मुझे खाना ऑफर किया। मैंने मना भी किया लेकिन इसके बावजूद उसने मुझे अपनी गाड़ी में बिठा लिया। हम उसके घर गए तो घर में एक काम वाली के अलावा कोई नहीं था. मैंने उससे उसके पति के बारे में पूछा तो उसने बताया कि वो जॉब के लिए दिल्ली रहते हैं और कभी कभी आते हैं। उन दोनों के बीच जमती नहीं तो ममता ने औरंगाबाद में ही रहना पसंद किया। खाना खाने के बाद हम दोनों गप्पे मारने बैठ गए। मुझे भी समय का पता नहीं चला, काफी देर हो गयी तो उसने मुझे उसके घर ही रुकने को कहा। मैंने भी उसकी यह बात मान ली. बातों बातों में ममता ने मुझसे मेरी शादी के बारे में पूछा तो मैंने ‘अब तक सोचा नहीं!’ में जवाब दिया।

उसने गर्लफ्रेंड के बारे में पूछा तो मैंने उसे नहीं में जवाब दिया तो उसने मजाक में बोल दिया- तो फिर अपनी जवानी कैसे सँभालते हो? मैंने भी हंसते हंसते जवाब दिया- जैसे सब बेचलर सँभालते हैं, वैसे ही! वो हस पड़ी. मैंने पूछा- तुम तो शादीशुदा होकर भी पति से दूर हो, तुम कैसे संभालती जवानी को? तो वह थोड़ा रूककर बोली- जवानी संभालने के लिए नहीं, लुटाने के लिए होती है और मैं मेरे हिसाब से लुटाती हूँ. और वो मेरे पास आकर मेरे सीने पे हाठ रखकर मेरी आँखों में देखने लगी।

मेरे सीने में धड़कन तेज होती उसने महसूस की। मुझे भी पता नहीं चला कि मुझे क्या हुआ, लेकिन एक अलग ही नशा जैसे मुझ पे सवार होने लगा था। उसकी खूबसूरत आँखों में मैं देखता रहा और उसने मेरे होंठों पर अपने ओंठ रख दिये।

पहली बार मैंने किसी औरत को इतने नजदीक से छुआ था। उसकी गर्म सांसों ने मुझे मदहोश कर दिया था। मैं भी उसके होंठों को धीरे धीरे चूसने लगा. मुझे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे मैं मक्खन चाट रहा हूँ। उसने धीरे धीरे मेरे सीने पे हाठ चलाना शुरू किया और मेरे शर्ट को मेरे जिस्म से अलग कर दिया।

मैंने भी एक हाथ उसकी कमर में डाला और एक हाथ से उसके बालों को संवारते हुए किस करता रहा। 15 मिनट हम ऐसे ही चूमते रहे, वो पागलों की तरह मुझे चूमे जा रही थी।

मैंने धीरे धीरे उसकी साड़ी को उसके शरीर से अलग कर दिया। क्या गजब की खूबसूरती थी। वो ब्लाऊज पेटीकोट में गजब की सेक्सी लग रही थी.

मैंने उसकी कमर पे किस करते करते उसका पेटीकोट भी निकाल दिया। उसने झटके से मेरी जींस निकाली और अंडरवीयर के बाहर से ही मेरे लंड को मसलने लगी। मैंने धीरे धीरे से उसकी पैंटी भी उतार दी और उसकी चुत को सूंघने लगा। उसने मेरे सर को झटके से अपनी चुत पर दबा लिया।

मुझे पहले पहले गंदा महसूस हुआ लेकिन बाद में मजा आने लगा। जैसे ही मैंने उसकी चुत में जीभ डाली, वो सिहर उठी और ‘आ आ ईईईम उउउउ…’ सिसकारियां निकलने लगी। उसने मुझे 69 की पोजीशन में सरकाया और वो मेरा पूरा लंड मुँह में लेने की नाकाम कोशिश करने लगी। मुझे इतना अच्छा महसूस होने लगा कि मैं लफ्जों में बया नहीं कर सकता। इसी दौरान मैंने पानी छोड़ दिया।

हम फिर चूमने लगे और उसने मेरा लंड फिर से खड़ा किया और मुझे ऊपर लेकर अपनी चुत पर मेरा लंड सेट किया। मैंने मौका देख कर जोर से धक्का मारा, आधा लंड मेरी चुत में घुसता हुआ अंदर गया, उसने मुझे धक्का देकर धकेल देने की कोशिश की लेकिन मैं कहाँ छोड़ने वाला था। वो कसमसाने लगी।

मैं थोड़ी देर वैसे ही रहा और उसने फिर से धक्का देने की अनुमति दे दी. मैंने इस बार बिना रुके धक्के चालू कर दिए। कुछ देर कसमसाने के बाद उसे भी मजे आने लगे। उसने भी नीचे से क़मर हिलानी शुरू कर दी। धमाधम चुदाई के बाद हम दोनों झड़ गए और एक दूसरे के शरीर से खेलने लगे।

थोड़ी देर बाद मुझे फिर से रहा नहीं गया और मैंने उसे पड़े पड़े ही ऊपर ले लिया। वो भी लौड़े पे कूद कूद के आनन्द ले रही थी। रात भर में हमने 5 राउंड पूरे किये। सुबह हम दोनों तैयार होकर ऑफिस के लिए निकल पड़े।

दोपहर की छुट्टी में उसने मुझे केबिन में बुलाया और अपना सामान लॉज से घर शिफ्ट करने को कहा।

शाम को हम साथ ही लॉज पर सामान लेने गए और सामान लेकर हम उसके घर गए। आठ दिन तक हमारा यही सिलसिला चलता रहा।

एक रात को हम खाना खाने बैठे तो उसने मुझे एक ऑफर दी। उसकी पेशकश सुन कर मैं थोड़ा हैरान हुआ। उसने मुझे कहा- अगर तुम अपनी मैनेजर स्मिता मैडम को खुश कर दोगे तो तुम्हें वो उसके पैसे भी देगी और प्रमोशन अलग से देगी।

मैंने कुछ देर सोच कर उसे हां बोल दिया और उसने तुरंत स्मिता मैडम को फोन करके बुला लिया।

और तब से मैं एक कॉलबॉय की तरह ममता और स्मिता मैडम के फ्रेंड सर्कल में काम करने लगा।

मेरी गर्म सेक्स कहानी कैसे लगी, मुझे अपने विचार जरूर मेल करना! [email protected]