मैं कॉलगर्ल कैसे बन गई-9

मेरी चुदाई की हिन्दी कहानी में अब तक आपने पढ़ा कि मैं पूरी कॉल गर्ल बन गई और एक दिन मेरी कम्पनी के बॉस को मेरे बारे में पता चल गया. अब आगे..

हां तो दोस्तो अब जिंदगी मज़े से चल रही थी. कंपनी में काम भी इज्जतदार था. एमडी या मेरे सिवाये किसी को कुछ नहीं पता था कि मैं क्या क्या करती हूँ. ऑफिस वाले भी मेरी बड़ी इज्जत करते थे. पैसे की भी कोई कमी ना थी. मगर ऊपर वाले की नजरें मुझ पर ठीक नहीं थीं.

एक दिन मैं पूरी तैयारी के साथ किसी अधिकारी से मिलने गई कि उससे काम निकलवा ही लूँगी, मगर बदनसीबी से उसके किसी दुश्मन ने उसे फँसाने का पूरा काम कर रखा था. उसकी शिकायत की जा चुकी थी और पुलिस ने हम दोनों को बंद कमरे में आकर दबोच लिया.

उस अधिकारी को तो पुलिस ने छोड़ दिया क्योंकि उसने किसी खास आदमी से फोन करवा दिया. मगर पुलिस मुझे थाने में ले गई. जब कंपनी के एमडी से पूछा गया तो उसने साफ साफ़ कह दिया मुझे कुछ पता नहीं है कि यह क्या करती है. आप लोग क़ानून के अनुसार इस पर एक्शन लीजिए.

अब मुझे पता लग चुका था कि मैं किसी को भी मुँह दिखाने के काबिल नहीं रही. सिवा आंसू निकालने के मैं कुछ भी नहीं कर सकती थी. मुझे सुबह तक के लिए उन लड़कियों के साथ रख दिया गया.. जो आवारा व जेबकतरी थीं.

तभी आधी रात को एक पुलिस वाला आया और बोला- चलो बड़े साहब ने बुलाया है. मैं उसके साथ चल पड़ी. उसने एक कमरे के आगे जाकर मुझसे बोला- जाओ अन्दर केवल साहब ही हैं.

मैं सोच रही थी कि अब साला ये भी मुझसे चूत की सेवा लेगा. खैर.. मैं जब अन्दर गई तो पहले तो वो एकटक मुझे देखता रहा और बोला- आपको यह सब करते हुए शरम नहीं आती? मैं कुछ कहने लायक नहीं थी, इसलिए चुप रही.

उसने कहा- बैठ जाओ. उसने मेरे लिए पीने का पानी मंगवाया और बोला- तुमने खाना वाना खाया या नहीं? मैंने कहा- साहब यहाँ जान पर पड़ी है, आप खाने की बात कर रहे हैं. मुझे पता नहीं मेरे घर पर क्या हो रहा होगा. उसने कुछ हमदर्दी दिखाते हुए कहा- मुझे पूरी हमदर्दी है तुम्हारे साथ. मैं तुम्हें यहाँ रखना नहीं चाहता और वैसे भी असली मुजरिम तो ऊपर से किसी के दबाव के चलते निकल गया है क्योंकि वो जा चुका है तो मैं आपको किस कसूर में यहाँ रख सकता हूँ. मैं तुम्हें छोड़ता हूँ. पुलिस की गाड़ी तुम्हें घर छोड़ देगी.

मैंने उससे कहा- मैं आपका शुक्रिया शायद जिंदगी में ना चुका पाऊं. मैं आपको किसी रिश्ते से भी नहीं बुला सकती. अगर कभी मेरी किसी तरह की सहायता की ज़रूरत पड़े तो आधी रात को बुला लीजिएगा. मैं तो यह समझ कर आपके कमरे में आई थी कि आप भी मुझसे वही काम करेंगे, जो सब करते हैं, मगर आपने तो मुझे हाथ भी नहीं लगाया. यह सुन कर वो बोला- अगर आप मेरी कोई सहायता करना चाहती हैं तो मेरी बहन बन कर कर सकती हैं. मुझे तो विश्वास ही नहीं हुआ कि यह क्या बोल रहा है. मैं उसके मुँह के तरफ हैरानी से देखने लगी.

तब उसने कहा- मुझ पर कोई केस चल रहा है और जो अधिकारी उस केस की छानबीन कर रहा है, उसके पास जाकर बोलना कि मेरे भाई को छोड़ दीजिए. आप जो कहेंगे मैं करने को तैयार हूँ. वो आपको पूरी रात अपने पास रखेगा और फिर आप जानती ही होगी कि क्या करेगा. मैंने कहा- यह तो मेरे बाएँ हाथ का काम है भाई साहब. बोलिए कब और कहाँ जाना है? वो बोला- मैं तुम्हें कल बता दूँगा.

क्योंकि अब मैं छूट चुकी थी तो मैं सुबह रोज़ की तरह से अपने दफ़्तर गई और वहाँ एमडी से मिली. वो मुझे देखते ही बोला कि सॉरी उस वक़्त मैं कुछ नहीं कर पाया मगर बाद में मैंने पुलिस स्टेशन पर फोन कर तुम्हें छोड़ने की रिक्वेस्ट की थी.

खैर अब इस बात पर कुछ भी बोलना बेकार था. इस तरह से यह बात तो दब गई मगर मुझे अभी छूटने की कीमत अदा करनी थी, जो मैं ही जानती थी.

दो तीन दिनों के बाद मुझे सुबह सुबह फ़ोन आया तो पता चला कि उसी पुलिस अधिकारी का फ़ोन है. उसने कहा- आपसे आज मुझे सहायता चाहिए. मैंने कहा- बंदी हाज़िर है भाई साहब. आप पहले आदमी हैं, जो मेरा चरित्र जानते हुए भी बहन बना कर बात कर रहा है.

तब उसने कहा कि वो अधिकारी आया हुआ है, जिसने मेरे केस की तहकीकात करनी है. आप उसके रेस्ट हाउस में जाकर उससे मिलिए और कहिएगा कि आप मेरी बहन हैं और मैं अकेला ही घर का खर्चा चलाने वाला हूँ और आप मेरी बदमानी सहन नहीं कर पाओगी. अगर मेरे भाई को कुछ हो गया तो मैं जीते जी मर जाऊंगी. मुझे मालूम है कि इसके आगे आप सब संभाल लोगी, वो पूरा अय्याश है.

फिर उसने मुझे उसका पता दिया, जहाँ वो रह रहा था. मैं जब उसके पास गई तो वो शराब पी रहा था और सिर्फ चड्डी पहन कर बैठा हुआ था.

जब मैंने उस के कमरे की बेल बजाई तो वो गालियां देता हुआ बोला- इस वक्त कौन साला बहनचोद आ गया है. जब उसने दरवाजा खोला तो मुझे देख कर कुछ हिचकिचाया और बोला- आपको किससे मिलना है. उस वक्त वो सिर्फ कच्छे में था. मैंने जब बताया, तो बोला- हां वो मैं ही हूँ.. आप बैठिए मैं अभी आता हूँ.

वो दूसरे कमरे में जाकर अपना पजामा और कमीज़ डाल कर वापिस आया और बोला- गर्मी की वजह से मैं आराम से बैठा था. खैर बताइए किस काम से आपका आना हुआ?

जब मैंने उसे बताया अपने आने के मकसद के बारे में तो मुँह में बुदबुदाया कि साले ने अपनी बहन को भेज दिया.

मैंने ऐसे शो किया जैसे मुझे कुछ नहीं सुनाई दिया और मैं कुछ इस तरह से झुक गई ताकि वो मेरे मम्मों के पूरे दर्शन कर ले. मैं कपड़े ही इस तरह के डाल कर गई थी, जिससे उसको यह सब नज़र आ जाए. उसकी कुत्ती नज़रें जब मेरे मम्मों पर पड़ीं तो उसकी हवस भरी आँखें चमक उठीं. इस मैं इतना अधिक झुकी हुई थी कि उसको मेरे मम्मों की घुन्डियां भी दिख गई थीं.

मैंने देखा उस हरामी के पजामे में हरकत होने लगी थी. मैंने सोचा कि लोहा गरम है, इस पर अभी ही अपनी जवानी का गरम हथौड़ा मार देना चाहिए. मैं उससे बोली- देखिए सर मैं बड़ी उम्मीद से आपके पास आई हूँ. आप मुझ पर तरस खाइए और मेरे भाई को बचा लीजिए. वो मेरे मम्मों को घूरता हुआ बोला- उसका काम तो ऐसा है कि उसको बचाना मुश्किल है. मगर मैं उसके लिए कुछ ना कुछ जरूर करूँगा क्योंकि उसकी आप जैसी खूबसूरत बहन, जो मेरे पास चल कर आई है.

मैंने कहा- सर अगर किसी को कुछ लेना देना हो तो खुल कर बता दीजिए, मैं भाई से कह कर सब कुछ करवा दूँगी. उसने कहा- नहीं कुछ नहीं चाहिए जब आप ही आ गई हैं तो.. ठीक है आप शाम को आइएगा और घर पर बोल कर आइएगा कि कुछ देर हो सकती है. मैं आपका इसी कमरे में इंतज़ार करूँगा. मैं मासूम सी शक्ल बना कर बोली- सर मैं ज़रूर आ जाऊंगी, अगर ज़रूरत पड़ी तो पूरी रात भर भी रह लूँगी, मगर आप मेरे भाई का काम तो कर देंगे ना?

पूरी रात रुकने का नाम सुन कर वो अपना लंड सहलाता हुआ बोला- हां क्यों नहीं.. जब आप पूरी रात मेरे साथ गुजार सकती हैं, तो मैं क्या आपका काम नहीं कर सकता. ताली दोनों हाथों से बजती है. कोई देता है और कोई लेता है तभी तो पटाखा बजता है. मैंने उसके एकदम करीब होकर उसे अपनी जवानी की महक सुंघाते हुए पूछा- सर कितने बजे आऊं और इस बात का किसी को पता तो नहीं लगेगा ना? उसने मुझे एकदम करीब से फुसफुसाते हुए कहा- आप मुझे शाम को 7 बजे फोन कर देना. मैं खुद ही आप को लेने आ जाऊंगा ताकि किसी को कोई शक ना हो. यहाँ पर कोई भी जासूसी कर सकता है.

इसके बाद मैंने खुद ही अपना हाथ उसके लंड पर इस अंदाज में फेर दिया मानो गलती से लग गया हो. उसने भी मेरी चूचियों पर अपनी हथेली फेरी और कहा- शाम को मिलते हैं.

शाम तो सात बजे मैंने उसको फोन किया- बताएं सर आप कहाँ पर मिलेंगे? उसने एक होटल का नाम लेकर जवाब दिया- आप होटल में आ जाओ.. उधर आकर कमरा नंबर एक सौ तेरह में आ जाना.

जब मैं वहाँ पर पहुँची तो वो सिंगल बेड वाला कमरा था. मुझे अन्दर खींचकर उसने कमरे को बंद कर दिया. वो बोला- आपको पता है ना मैं क्या करने वाला हूँ. मैंने कहा- जी पता है, तभी तो मैं इस ड्रेस में आई हूँ.

इस वक्त मैंने एक स्कर्ट डाली हुई थी और नीचे कुछ नहीं डाला था. ऊपर एक बहुत खुला हुआ टॉप था, जिसके नीचे मेरे मम्मे बिना ब्रा के पूरे नंगे थे.

मेरी ड्रेस को देख कर बोला- बहुत समझदार हो. अपने भाई को बचाने के लिए खुद को कुर्बान कर रही हो. मैंने कहा- जी जब मजबूरी होती है तो करना ही पड़ता है. उसने कहा- तो फिर फालतू की बातें छोड़ो तो काम पर लग जाओ, अपना जलवा दिखाओ और कुछ अगर डान्स वान्स आता हो तो वो भी दिखाओ.

अब तो मैं इन कामों में पूरी पक्की चुदक्कड़ बन चुकी थी. सो मैंने बेझिझक अपने कपड़े उतारे और उसकी गोद में बैठ कर उसके कपड़े भी उतारने लगी. उसने मुझे हाथ लगाना चालू कर दिया.

कुछ ही देर में मैंने उसको भी पूरा नंगा करके मैं उसके सामने सेक्सी डांस करने लगी. अपनी चुत को हिला हिला कर मैं उसको अपनी जवानी दिखाने लगी. बीच बीच में अपनी पूरी चुत को खोल कर भी दिखा देती.. जिससे वो मस्त होने लगा. वो मेरे सामने शराब का गिलास लिए हुए चुस्कियां भर रहा था और सिगरेट के कश खींच रहा था.

फिर उसने अपने लंड की तरफ इशारा किया तो मैंने उसके लंड को पकड़ा और अपने मुँह में ले लिया. उसका लंड कोई ज़्यादा बड़ा लंड नहीं था, बस छह इंच लंबा और दो इंच मोटा था. उसके लंड को चुत में लेना तो मेरे लिए अब बहुत ही आसान था. उसका लंड मुँह में लेकर मैं लंड चूसने लगी. मैंने उसके लंड को तब तक नहीं छोड़ा जब तक उसका पानी नहीं निकल गया. मैं उसका पानी भी गटक कर पी गई.

मैंने उसके लंड का पानी पीते हुए उससे कहा- मैंने आज तक कभी यह रस नहीं पिया है.. लेकिन आपको बुरा ना लगे इसलिए पी लिया है. आप पहले इंसान हैं, जिसके लंड का पानी मैंने पिया है.

यह सुन कर वो बहुत खुश हुआ. अब वो मेरे मम्मों को दबाने लगा और मेरे निप्पलों को मुँह में भर भर कर पीने लगा. जब उसका लंड कुछ देर तक खड़ा नहीं हुआ तो मैंने दोबारा से उसके लंड को मुँह से चूसना शुरू कर दिया. मैं अपनी जुबान को उसके सुपारे पर फेरने लगी. इसका नतीजा भी निकल आया और उसका लंड फिर से खड़ा हो गया.

अब उसने कहा- मैं आपके हवाले हूँ, आपको जो भी मेरे लंड से करना है, आप करिए. मैं उसके खड़े लंड पर बैठ गई और चुत में लंड लेकर ऊपर नीचे होकर चुदाई का मजा देने लगी.

इस वक्त मैं उसे चोद रही थी और वो मेरे मम्मों को दबा रहा था. इस तरह से कुछ देर तक चुदाई के बाद उसका रस फिर से निकल गया और वो झड़ गया. मैंने लाख कोशिश की कि उसका लंड तीसरी बार फिर से खड़ा हो जाए मगर वो ना हो पाया.

तब वो बोला- मैडम, अब ये सुबह सुबह अपना जलवा दिखाएगा. आप इस तरह से मेरे साथ लेट जाएं. क्योंकि बेड एक ही है तो हम दोनों को चिपक कर ही सोना पड़ेगा.

खैर रात भर वो लंड से तो कुछ ना कर पाया मगर ना तो उसने मुझे सोने दिया और ना ही खुद सोया. मेरे मम्मों को दबाता रहा और मेरे निप्पलों को मुँह में लेता रहा.

सुबह लगभग 4 बजे मुझे नींद आने लगी और मैं सो गई. मगर तभी उसका लंड खड़ा हो गया और बिना टाइम खराब किए उसने मेरी चुत में लंड घुसेड़ कर कहा- अब सोना नहीं, चुदना है. खैर अगले दस मिनट तक वो अपना लंड मेरी चुत में हिलाता रहा और फिर से खलास हो गया.

लगभग सुबह छह बजे मैंने पूछा- अब बोलिए सर, क्या करना है? वो बोला- अब आप यहाँ से निकल जाइए, मैं आज ही जाकर तुम्हारे भाई का केस रफादफा कर दूँगा. मगर एक बात है, मैं जब भी यहाँ आऊं, तो आप अपनी सेवाएं मुझे ज़रूर दीजिएगा.

मैंने उससे वादा किया और उससे विदा ली.

इस तरह से मैं चुदवा कर अपने मुँह बोले भाई के केस को खत्म करवा आई. मैंने उस पुलिस अधिकारी को फोन भी किया कि भाई तुम्हारा केस ख़त्म हो गया है. क्या मेरा कर्ज़ा चुकता हो गया कि अभी भी कुछ बाकी है?

वो मुझसे बोला- दुनिया की नज़रों में तुम चाहे कुछ भी हो मगर मेरी नज़रों में तुम मेरी बहन ही रहोगी. मैं तुम से कल आ कर राखी भी बंधवाऊंगा.. ताकि तुम्हें कोई शक ना रहे. जो तुमने मेरे लिए अपने शरीर की कुर्बानी की है, उसे मैं कभी भी भूल नहीं सकूँगा.

मेरी चूत चुदाई की हिन्दी कहानी आपको कैसी लगी? मुझे मेल करें! [email protected]