बॉय से कॉलबॉय का सफर-2

इस हिंदी सेक्स स्टोरी के पहले भाग बॉय से कॉलबॉय का सफर-1 में अब तक आपने पढ़ा कि अन्तर्वासना पर मेरी सेक्स कहानी पढ़ कर एक भाभी मधु ने मुझे मेल की, वो अपनी मजबूरी से भरी कहानी को मुझे सुना रही थी। वो अपने पति के छोटे से लिंग के बारे में बता रही थी। अब आगे..

मधु बोली- मैंने सुना था राज.. कि 3-4 इन्च का लिंग भी औरत की इच्छा पूरी करने के लिए काफी होता है। “हाँ, यह बात ठीक है..” “यश मेरे पास आए और मेरा हाथ पकड़ कर अपने लिंग पर रखकर दबवाने लगे.. मैं भी दबाने लगी। मुझे दबाने में अलग ही मजा आ रहा था और मेरी चूत में गुदगुदी सी होने लगी। यश मेरी चूचियों को दबाने लगे और मुझे लिटा कर चूचियों को चूसने लगे। किसी मर्द के हाथ पहली बार मेरे चूचियों पर थे, जिससे मुझे अजीब सा नशा छा रहा था और मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थीं। मैं यश का सिर अपनी चूचियों पर दबाने लगी और एक हाथ से लिंग को सहला रही थी।”

“यश का लिंग तुम्हें कैसा लग रहा था?” “अब मुझे वो पहले से थोड़ा ज्यादा कठोर लग रहा था। फिर यश मेरे दोनों टाँगों के बीच बैठ गए। ये सब वो काफी जल्दी कर रहे थे। मैंने सोचा शायद उनसे कंट्रोल नहीं हो रहा। फिर यश ने मेरी कुंवारी चूत को जैसे ही छुआ.. तो मुझे करन्ट सा लगा। मैं आँखें बन्द करके सिसकारियाँ लेने लगी। फिर यश ने मेरी चूत की फांकों को अलग किया और एक उंगली अन्दर डालने लगे। उंगली अन्दर जाते ही मैं उछल सी गई। फिर वो ऊपर से चूत को रगड़ने लगे। मैं तो जैसे किसी और ही दुनिया में थी। फिर यश ने मेरी टाँगों को फैलाया और लण्ड को चूत पर रख कर मेरे ऊपर लेट गए। लण्ड को चूत पर महूसूस करके अलग ही मजा आ रहा था और दूसरी तरफ दर्द के बारे में सोच कर डर भी लग रहा था। मैंने सुना था कि पहली बार में काफी दर्द होता है, पर मैंने मन में सोचा ये तो एक दिन होना ही है और आँखें बन्द करके दर्द सहने को तैयार हो गई।”

“फिर?” “फिर यश ने मेरे ऊपर लेटे हुए धक्का मारा, पर लण्ड मुड़ कर नीचे चला गया। मैंने आँखें खोलकर यश की तरफ देखा। यश ने लण्ड को फिर सैट किया और धक्का मारा लेकिन फिर लण्ड नीचे मुड़ गया।” “ओह्ह.. मतलब उसका लण्ड सख्त नहीं था?”

“हाँ.. फिर यश बोले कि यार तुम्हारी चूत तो बहुत टाईट है। ये सुनकर मैं शर्म से लाल हो गई। फिर वो उठे और एक तेल की बोतल ली और मेरी चूत पर डालकर उंगली से अन्दर-बाहर करने लगे। मेरे अन्दर आग बढ़ती ही जा रही थी। फिर यश ने अपने लण्ड पर भी तेल लगाया और फिर पहली पोजिशन पर आ गए। यश ने लण्ड को फिर चूत पर रखा और झुककर मेरे कन्धे पकड़ कर झटका मारा, लेकिन लण्ड फिर नीचे फिसल गया। अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ तो मैंने शर्म छोड़कर यश के लण्ड को चूत के छेद पर रख कर पकड़ लिया और आँखों के इशारे से यश को धक्का मारने को कहा। यश ने धक्का मारा.. जिससे थोड़ा सा लण्ड भर, अन्दर गया और बीच से मुड़ गया। मुझे थोड़ा दर्द भी हुआ परन्तु मैंने अपने होंठ भींच कर सहन कर लिया। परन्तु लण्ड उससे अन्दर नहीं गया और बाहर ही झड़ गया।”

“ओह्ह..” “हाँ.. फिर यश उठ कर साइड में लेट कर हाँफने लगे। मैं आग सी में जल रही थी। फिर मैंने सोचा शायद दारू या पहली बार की वजह से ऐसा हुआ होगा। दोबारा करेंगे तो ठीक होगा। फिर मैं यश के उठने का इन्तजार करने लगी। परन्तु वो तो गहरी नींद में सो गए। मैंने उठाने की कोशिश की, पर सब बेकार। इधर मेरा बुरा हाल था। जैसे-तैसे मैंने अपनी चूत को रगड़ कर शान्त किया और सो गई।”

“अरे.. कुछ हुआ भी नहीं?” “हाँ.. कुछ नहीं हुआ.. फिर सुबह मैं उठी तो कमरे में अकेली थी। मैं नहा-धो कर तैयार हो गई और नीचे आई। कुछ मेहमान चले गए थे और कुछ जा रहे थे। दोपहर तक घर में बस हम तीन (सास, ससुर और मैं) और दो नौकरानियाँ रह गए।”

“फिर?” “फिर कुछ काम नहीं था.. सो अपने बेडरूम में जाकर लेट गई और रात की बात सोचने लगी कि कहीं ऐसा तो नहीं कि यश मुझे चोद ही न पाए। यह सोच कर ही डर सा लगने लगा। फिर खुद को समझाया कि नहीं ऐसा कुछ नहीं है आज मेरी चुदाई अच्छी होगी और सोचते हुए सो गई। शाम को उठी.. घर का थोड़ा बहुत काम किया और फिर सासू माँ के पास बैठकर यश का इन्तजार करने लगी। इन्तजार करते-करते रात 10 बज गए तो माँ बोलीं कि बेटी तुम खाना खाकर सो जाओ.. मैं यश को खाना दे दूँगी। फिर मैं खाना खाकर बेडरूम में सोने के लिए आ गई। परन्तु चूत में तो खुजली हो रही थी तो नींद कैसे आती। मैं बेड पर लेट कर यश का इन्तजार करने लगी। लगभग 11.30-12 के समय यश लड़खड़ाते हुए आए और बिस्तर पर पड़ गए। मैंने सोचा शायद शादी की खुशी में दोस्तो ने ज्यादा पिला दी होगी.. मैंने यश को ठीक से लिटाया और सो गई। परन्तु उनका रोज का वही काम था और वो बात भी ज्यादा नहीं करते थे।”

“ओह्ह..” “इधर मेरी उत्तेजना दिन रोज बढ़ती जा रही थी। एक दिन मैंने खुद शर्म छोड़कर यश के साथ सेक्स करने की सोची। परन्तु वो मुझे सन्तुष्ट तो क्या.. चूत के अन्दर ही नहीं डाल पाए। उस दिन मैंने सोचा मुझे ही शर्म छोड़नी पड़ेगी। मैंने रात को केवल एक पतली सी नाईटी पहनी और नीचे कुछ नहीं पहना। जिसमें से मेरी 34 की सुडौल चूचियां साफ दिख रही थीं और गाण्ड भी बिल्कुल नंगी ही थी। ये समझ लो कि मैं नंगी ही थी। फिर बिस्तर पर लेट कर यश का इन्तजार करने लगी। थोड़ी देर बाद यश कमरे में आए और मुझे इस रूप में देखकर दंग से रह गए। वो कपड़े बदलने लगे.. तो मैं खड़ी होकर उनकी कमर से लिपट गई। यश ने मुझे अलग किया और कमीज उतार दी। परन्तु आज मैं पीछे हटने वाली नहीं थी। मैंने यश को अपनी तरफ घुमाया और उनका सिर पकड़ कर होंठों पर चुम्बन करने लगी और उनका एक हाथ अपनी चूची पर रखकर दबाने लगी। ये सब मैंने एक बीएफ में देखा था.. जो मैं कभी-कभी अपनी सहेलियों के फोन में देखती थी। थोड़ी देर में यश भी मेरा साथ देने लगे और मेरे होंठों को चूमते हुए मेरी चूचियों को दबाने लगे। मैं यह सोचकर खुश होने लगी.. कि आज तो मेरी प्यास शान्त हो ही जाएगी।”

“फिर?” “फिर यश ने मुझे अलग किया और अपनी पैन्ट उतारने लगे। मैंने पैन्ट के साथ ही उनका अण्डरवियर भी उतार दिया। लेकिन उनका लण्ड अब भी लटका हुआ था। यह देखकर मैं फिर दुखी हो गई। पर आज मैं चुदना चाहती थी.. फिर चाहे उसके लिए मुझे उसके लिए कुछ भी करना पड़े।”

“फिर तुमने क्या किया?” “मैं अपने घुटनों पर बैठ गई और यश का लण्ड हाथ में लेकर सहलाने लगी। परन्तु काफी देर तक भी उसमे कोई फर्क न पड़ा। फिर मैंने लण्ड को मुँह में ले लिया.. पहले पहल तो मुझे अजीब सा लगा, परन्तु फिर भी मैं उसे लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी। काफी देर चूसने के बाद यश का लण्ड थोड़ा टाईट होने लगा। मैं उसे लगातार चूसती रही। यश मेरे सिर को पकड़कर आगे पीछे कर रहे थे और ‘आहें..’ भर रहे थे।”

“फिर?” “फिर मुझे लगा कि अब लण्ड इतना कठोर हो गया है कि शायद ये मेरी चूत को फाड़कर अन्दर जा सकता है, तो मैं खड़ी होकर बिस्तर पर टाँगें फैला कर लेट गई और आँखों से इशारा करके यश को चोदने के लिए बोला।

यश ने जल्दी से मेरी टाँगों के बीच आकर लण्ड को चूत पर टिका दिया। मैंने एक हाथ नीचे ले जाकर लण्ड को पकड़ लिया.. ताकि फिसले नहीं। अब मैंने यश की तरफ देखा.. यश समझ गया और मेरे ऊपर लेटकर कन्धे पकड़कर उसने एक झटका मारा। मेरे मुँह से हल्की सी चीख निकल गई। परन्तु मैंने होंठों को भींच लिया। लण्ड दो इन्च अन्दर चला गया था। मेरा दर्द देखकर यश रुक गया परन्तु दर्द होते हुए भी मैंने नीचे से गाण्ड हिला कर यश को चोदने के लिए इशारा किया। यश ने लण्ड थोड़ा बाहर खींचा और फिर धकेल दिया। मुझे फिर दर्द हुआ.. पर मैं होंठ भींच कर पड़ी रही। मैंने हाथ से छूकर देखा तो यश का पूरा लण्ड अन्दर था और मेरे हाथ पर खून लगा था। मैं खुश थी कि आज मैं एक लड़की से औरत तो बन गई। मेरा दर्द कम हुआ.. तो मैं गाण्ड हिलाने लगी। यश मेरा इशारा समझ गया और झटके मारने लगा। मुझे अलग ही नशा सा छा रहा था और मैं यश से लिपटती जा रही थी। परन्तु मेरे भाग्य में चुदने का पूरा सुख नहीं लिखा था।”

“क्यों अब क्या हुआ?” “थोड़ी देर बाद मुझे अपनी चूत में कुछ गिरता हुआ महसूस हुआ और यश मेरे ऊपर हाँफते हुए लेट गया। मैं नीचे से गाण्ड उचकाती रही.. परन्तु यश पर कोई असर नहीं पड़ा। मुझे बहुत गुस्सा और रोना आ रहा था। मैंने यश को अपने ऊपर से धकेला.. तो वो मुर्दे की तरह बिस्तर पर पड़ गया। मैं एक तरफ मुँह करके अपनी किस्मत पर रोने लगी। परन्तु यश पर मेरे रोने का कोई फर्क न पड़ा और वो मुँह दूसरी तरफ करके सो गया। थोड़ी देर बाद मैं उठी और बाथरूम जाकर चूत को साफ किया और चूत को रगड़कर पानी निकाला। फिर आकर सो गई।”

“ओह्ह..” “ऐसे ही दिन निकलते रहे। मुझे ये तो पता चल ही गया था कि चुदने में बहुत मजा आता है.. परन्तु मुझे कोई चोदने वाला नहीं था। यश का तो अब बिल्कुल भी खड़ा नहीं होता। वो रोज दारू पीकर आता और सो जाता। मैं तड़पती रह जाती। मेरे पास उंगली डालने और रगड़ने के अलावा कुछ नहीं बचता। जिससे मेरी चूत की आग कम होने के बजाए और बढ़ जाती। धीरे-धीरे दिन गुजरते रहे।”

“ये तो वाकयी बुरा हुआ..” “हाँ.. राज लेकिन तभी उन्हीं दिनों में पड़ोस की एक लड़की मेरी अच्छी दोस्त बन गई। मैं उससे कहती कि यार समय नहीं कटता.. कुछ रास्ता बता। तो उसने लैपटॉप चलाने के लिए बोला। मैं बोली कि मुझे चलाना नहीं आता। वो बोली कि मैं सिखा दूँगी.. आप लैपटॉप मंगा लो। मैंने यश से बोला तो वो दूसरे दिन ही खरीद लाए। फिर धीरे-धीरे मेरी दोस्त ने फेसबुक, चैट आदि करना सिखा दिया।” “गुड..”

“फिर एक दिन उसने मुझे अन्तर्वासना की साइट के बारे में बताया और मैं रोज कहानियाँ पढ़ने लगी। इसमें बहुत सी कहानियाँ मेरी जैसी लड़कियों की थीं.. जो अपने पति से चुदने का मजा नहीं ले पा रही थीं। परन्तु वो कोई अपने देवर से.. तो कोई नौकर से, या किसी और से अपनी खुजली मिटा लेतीं। परन्तु मेरे घर मैं तो मर्द के नाम पर सिर्फ मेरे पति थे, जो वो भी मर्द कहलाने लायक नहीं थे। मेरे ससुर तो बिल्कुल बूढ़े हो चुके हैं। मैं घर से बाहर कहीं जाती नहीं थी, सो मेरी चूत की खुजली मिटाने का कोई रास्ता नहीं था। ऐसे ही बहुत कहानियाँ पढ़ीं जिनमें लड़के पैसे लेकर इच्छा पूरी करते हैं, मैंने भी यही रास्ता अपनाने की सोची। इसलिए मैंने अब आपसे सेक्स करने के लिए सोचा है।”

ये था मधु का मुझसे चुदने का रहस्य.. अब इसके आगे की कहानी में मैंने उसको क्या जबाव दिया और उसकी चुदाई का क्या सीन रहा। ये सब अगले भाग में लिखूंगा।

आपके ईमेल मिल रहे हैं.. पढ़ कर बहुत अच्छा लगा। ईमेल लिखते रहिए.. मेरा हौसला बना रहेगा। [email protected] कहानी जारी है।